अनंत अंबानी ने शादी से पहले जामनगर में लॉन्च किया 'वंतारा' प्रोजेक्ट

VANTARA
Anant Ambani Vantara Project
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 07:36 PM
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Anant Ambani Vantara Project : वैसे तो आजकल अनंत अंबानी और राधिका मरचेंट की शादी के चर्चे हर जगह हो रहे है। लेकिन हम बात करेंगे एक ऐसे प्रोजेक्ट की जो अनंत अंबानी के दिल के बेहद करीब है।  मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी ने गुजरात के जामनगर में 3000 एकड़ में फैले वनतारा प्रोजेक्ट को लांच किया है।  यह प्रोजेक्ट एनिमल शेल्टर के लिए बनाया गया है। आईए जानते हैं और समझते हैं कि क्या है अनंत अंबानी का सपना और यह सपना कैसे जुड़ा है उनकी माँ और दादी के ख्वाब से। 

3,000 एकड़ में बना विशाल एनिमल शेल्टर

वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी ने गुजरात के जामनगर में 'वंतारा'  एनिमल शेल्टर लॉन्च किया है। अनंत अंबानी ने इस प्रोजेक्ट को अपने दिल के करीब बताया है।  उन्हें बचपन से ही बेजुबान जानवरों की मदद करना पसंद था । । अनंत का मानना है कि उनकी मां नीता अंबानी उनके लिए इस दिशा में बड़ी प्रेरणा रही हैं।  पशु कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने सभी  प्राणियों के प्रति उनकी करुणा को गहराई से प्रभावित किया है।रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस फाउंडेशन की छत्रछाया में, 3,000 एकड़ के इस विशाल पुनर्वास केंद्र का उद्देश्य घायल और लुप्तप्राय जानवरों को बचाना और उनकी देखभाल करना है, जो वन्यजीव संरक्षण के लिए अनंत अंबानी के जुनून को दर्शाता है।

वंतारा, का अर्थ है 'जंगल का सितारा', जो रिलायंस के जामनगर रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स, गुजरात के ग्रीन बेल्ट के भीतर स्थित है।

वंतारा देश में अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट

अत्याधुनिक पशु संरक्षण केंद्र में अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं, अस्पताल, अनुसंधान केंद्र और शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं। वंतारा प्रतिष्ठित पशु संरक्षण संगठनों के साथ सहयोग करेगा, जिसमें इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) और वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) शामिल हैं।

पिछले कुछ वर्षों में, वंतारा की पहल ने 200 से अधिक हाथियों और कई सरीसृपों और पक्षियों को  अवैध शिकार से बचाया है। और गैंडों, तेंदुओं और मगरमच्छों की प्रमुख प्रजातियों के पुनर्वास में सक्रिय है। केंद्र ने बड़े, जंगली जानवरों को बचाने के लिए मैक्सिको और वेनेजुएला में अंतरराष्ट्रीय बचाव केंद्रों के साथ भी सहयोग किया है।

Vantara Project में अत्याधुनिक हाथी बचाव केंद्र

लुप्तप्राय हाथियों को बचाने के लिए, वंतारा में अत्याधुनिक आश्रय, हाथियों के लिए आधुनिक बाड़े, हाइड्रोथेरेपी पूल और गठिया के इलाज के लिए एक बड़े हाथी जकूज़ी से सुसज्जित केंद्र बनाया गया है। पशु चिकित्सकों, डाएट विशेषज्ञों और रोग विशेषज्ञों समेत 500-सदस्यीय मजबूत कर्मचारियों द्वारा संचालित ये केंद्र विश्व स्तर पर सबसे बड़े हाथी अस्पतालों में से एक है।

25,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह अस्पताल पोर्टेबल एक्स-रे और लेजर मशीनों, एक फार्मेसी सेंटर, एक पैथोलॉजी लैब और एक हाइपरबेरिक ऑक्सीजन कक्ष सहित उन्नत चिकित्सा सुविधाओं से पूरी तरह सुसज्जित है। व्यक्तिगत देखभाल पर ध्यान देने के साथ, केंद्र अनुभवी आयुर्वेद विशेषज्ञों की एक टीम की देखरेख में हाथियों के लिए मुल्तानी-मिट्टी मालिश और गर्म तेल चिकित्सा प्रदान करता है।Anant Ambani Vantara Project

पशु बचाव एवं पुनर्वास केंद्र वंतारा का बचाव एवं पुनर्वास केंद्र, 2,100  कर्मचारियों की मदद से 200 से अधिक तेंदुओं को आश्रय देता है। केंद्र ने तमिलनाडु में  1,000 से अधिक मगरमच्छों को भी बचाया है। कुल मिलाकर, वंतारा ने 43 प्रजातियों के 2,000 से अधिक जानवरों का पुनर्वास किया है, जिनमें हाथी, बड़े जानवर, शाकाहारी और सरीसृप शामिल हैं।

केंद्र में सुविधाओं में सर्जरी के दौरान लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए आईसीयू, एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, एंडोस्कोपी, डेंटल स्केलर, लिथोट्रिप्सी, डायलिसिस और ओआर1 तकनीक शामिल है। वंतारा ने लुप्तप्राय प्रजातियों को संरक्षित करने और उन्हें फिर से आबाद करने के लिए एक संरक्षण-केंद्रित प्रजनन कार्यक्रम भी शुरू किया है।

वंतारा के पीछे के दूरदर्शी सोच Anant Ambani Vantara Project

आरआईएल और रिलायंस फाउंडेशन के निदेशक मंडल के निदेशक अनंत अंबानी ने वंतारा की कल्पना और निर्माण किया है। वन्यजीव संरक्षण को लेकर संजीदा, अनंत अंबानी 2035 तक कंपनी को नेट कार्बन ज़ीरो बनाने के लिए जामनगर में रिलायंस की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना का भी नेतृत्व कर रहे हैं।  मीडिया से बातचीत में, अंबानी ने बताया कि वह वंतारा के दर्शन को 'जीव सेवा' के सदियों पुराने भारतीय सिद्धांत के साथ जोड़ते हैं, जिसमें जानवरों की देखभाल को ईश्वर और मानवता के प्रति कर्तव्य के बराबर बताया गया है।

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लीप ईयर के बहाने आप भी समझ सकते हैं "काल" गणना का पूरा विज्ञान

Leap Year 2024
Leap Year 2024
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Feb 2024 08:19 PM
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आज जब हम यह लेख प्रकाशित कर रहे हैं तब वर्ष-2024 की 29 फरवरी का दिन है। आप जानते ही हैं कि जिस वर्ष में फरवरी का महीना 29 दिन (29 तारीख) का होता है उस वर्ष को लीप ईयर कहते हैं। लीप ईयर हर चार साल बाद आता है। भारत के ऋषि-मुनियों ने "काल गणना" में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं दी है कि कोई एक महीना चार साल बाद एक दिन अधिक वाला होगा। हमारे ऋषि-मुनियों की "काल गणना" पूरी तरह वैज्ञानिक पद्धति है और दुनिया की सर्वश्रेष्ठ काल गणना है। आज लीप ईयर के बहाने आप भी समझ सकते हैं लीप ईयर और काल गणना का पूरा विज्ञान और इतिहास। समय का गणित हर चार साल बाद 'लीप ईयर' के रूप में फरवरी में एक दिन बढ़ जाता है। इसका संबंध कालगणना से है, जिसमें दिन, मास और वर्ष के साथ ऋतुएं शामिल हैं। समय को गणना के लिए पुरातन काल से ही अनेक गणितीय पद्धतियां रही हैं। प्राय: सभी भागों में सूर्य और चंद्रमा की गति के अनुसार पंचांगों के निर्माण हुए हैं। यूरोप ने सूर्य से और अरब ने चंद्रमा की गति से कालगणना को जोड़ा। भारत ने सूर्य से सौर वर्ष और चंद्रमा से चंद्र वर्ष मानकर कालगणना की है। समय की सभी गणनाओं में निर्विवाद रूप से वैदिक कालगणना सबसे प्राचीन है। ऋग्वेद में 'काल' शब्द है, जो गणना के अर्थ में है। महाभारत में तो घोषणा है कि काल ही ऐसा है, जो सबके सो जाने पर भी जागता रहता है। काल अजेय है, उसे कोई जीत नहीं सकता। भगवद्गीता में काल शब्द 'सामान्य समय' या 'यथासमय' के अर्थ में प्रयुक्त है। पतंजलि ने कहा है कि लोग उसे काल मानते हैं, जिसके द्वारा वृद्धि लक्षित होती है कि कोई कितनी आयु का हो गया है। आचार्य बराहमिहिर ने बृहत्संहिता में सूर्य को काल का निर्माता माना है, क्योंकि आदित्य की गति से ही दिन, मास एवं वर्ष के साथ ऋतुओं का निर्माण होता है। बौद्ध मत के अनुसार, काल केवल एक विचार मात्र है। सभी देशों में काल की मौलिक अवधियां एक सी हैं। प्राचीन समय से ही दुनिया भर में काल के सूक्ष्म-से-सूक्ष्म विभाजन का आलेखन होता आया है। यूरोप में काल विभाजन पर पंचांग (कैलेंडर) तैयार किया गया है, जो जनवरी से दिसंबर तक बारह महीनों का है। आज जो यूरोपीय कैलेंडर प्रचलित है, उसमें हर चौथे साल फरवरी में एक तारीख बढ़ती है। जिस वर्ष फरवरी 29 दिनों का होता है, उसे लीप ईयर कहा जाता है। प्रारंभिक रूप में ईसा पूर्व 46 में जूलियस सीजर ने एक संशोधित पंचांग निर्मित किया और प्रति चौथे वर्ष 'लीप ईयर' की व्यवस्था की, किंतु उनकी गणनाएं ठीक नहीं उतरी। तब पोप ग्रेगोरी (13वें) ने यह व्यवस्था दी कि जब तक 400 से भाग न लग जाए, तक तक के शताब्दी वर्षों में 'लीप ईयर' नहीं होना चाहिए। यदि ग्रेगोरी कैलेंडर में 'लीप ईयर' की व्यवस्था न की गई होती, तो सर्दियों में आने वाला 'क्रिसमस डे' किसी अन्य ऋतु में होता। इस तरह एक शताब्दी के भीतर ही 'लीप ईयर' के माध्यम से 25 दिन चढ़ा दिए गए। भारतीय पंचांगों की सटीक कालगणना के कारण हमारे सारे पर्व आज भी उन्हीं ऋतुओं में होते हैं, जिनमें वे सदा से होते थे। देश-विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुकपर लाइक करें या  ट्विटरपर फॉलो करें।
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चार वर्ष में एक बार अपना जन्म दिन मनाने वाले पूर्व प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई,करते थे मूत्र पान

Morarji
Morarji Desai birth anniversary
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Feb 2024 06:56 PM
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Morarji Desai birth anniversary : लीप ईयर, चार वर्ष में एक बार आने वाला सबसे  महत्वपूर्ण दिन 29 फरवरी और इन चार वर्षों में एक बार अपना जन्म दिन मनाने वाले सबसे भाग्यशाली एकमात्र प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई। मोरारजी रणछोड़ देसाई का जन्म 29फरवरी 1896 में बुलसर जिला के भदेली गांव में जो कि उस समय बाम्बे प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत, जो वर्तमान में वलसाड जिला गुजरात में है, हुआ था ।

भारत रत्न स्वतंत्रता सेनानी मोरारजी रणछोड़ देसाई;-

उनके पिता जी रणछोड़ नागर जी देसाई तथा माता जी वाजियाबेन देसाई थे । पिता जी एक स्कूल में शिक्षक थे । अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद जब वह डिप्टी कलेक्टर पद पर गोधरा में थे तो उस समय सन् 1927-28 में हिंदुओं के प्रति नरम रुख अपनाने के कारण ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 1930 में डिप्टी कलेक्टर पद से बर्खास्त कर दिया । जिसके बाद वह महत्मा गांधी के साथ स्वतंत्रता आन्दोलन में उनके सहयोगी बन कर अनेक बार जेल गये । इस तरह वह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कुशल राजनीतिज्ञ थे । भारत की आजादी के बाद वह नेहरू सरकार में वित्त मंत्री पद पर रहे । नेहरूजी की मृत्यु 27 मई 1965 के बाद 1965 में द्वितीय प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी बने। उनकी पाकिस्तान के साथ समझौते के समय ही 11जनवरी1966 में ताशकंद में अचानक हुई मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार मोरारजी देसाई थे, किंतु उस समय इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें उप प्रधानमंत्री मंत्री बनाया गया ।

मोरार जी देसाई देश के चौथे प्रधानमंत्री बनें

सरदार वल्लभ भाई पटेल के बाद वह दूसरे व्यक्ति थे जो इस पद पर आसीन हुये । 1969में कांग्रेस में उभरे अनेक मतभेदों के कारण कांग्रेस दो भागों में बंट गई । एक का नाम इंदिरा कांग्रेस दूसरी संगठन कांग्रेस । संगठन कांग्रेस के अध्यक्ष नीलम संजीव रेड्डी थे ।जब कि इंदिरा कांग्रेस के कामराज । 1971 में चुनाव के समय हुई आंतरिक गड़बड़ी के कारण जब कोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर उन्हें 6वर्ष के लिये प्रतिबंधित कर दिया तो उन्होंने 1975 में अनुच्छेद 357 के तहत देश में आपातकाल घोषित कर दिया । उस समय फखरूद्दीन अली अहमद राष्ट्रपति थे । यह आपात काल देश के लिये सबसे दुर्भाग्यपूर्ण था । इसमें सभी विपक्ष के नेताओं और कार्यकर्ताओं को ढूंढ़कर जेल मे ठूंसा ग गया । जयप्रकाश नारायण उस समय लोक नायक बनकर उभर कर आये उनको यातनयें दी गई। आपात काल की अवधि समाप्त होते ही सभी विपक्षी दलों ने लोक नायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में गठबंधन कर जनता पार्टी बनाई । देश में पहली बार कांग्रेस हारी । जनता दल ने1977 का चुनाव भारी बहुमत से जीतने के बाद जनता दल की सरकार बनी । मोरार जी देसाई देश के चौथे प्रधानमंत्री बनें और नीलम संजीव रेड्डी राष्ट्रपति जो कि 25जुलाई 1977से 25जुलाई 1982तक राष्ट्रपति रहे ।

पाकिस्तान ने निशान-ए-पाकिस्तान के खिताब से नवाजा

मोरारजी देसाई ने 25मार्च 1977 से 28जुलाई 1979 तक प्रधानमंत्री पद पर रह‌कर कार्य किया । इस तरह अपने पद पर रहकर उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति स्थापित करने के लिये बहुत से महत्व पूर्ण कार्य किये‌। पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध बनाकर मैत्री सम्बन्ध स्थापित किया । उनके इस कार्य की सराहना करते हुये पाकिस्तान ने उन्हें अपने यहां के सर्वोच्च सम्मान से विभूषित करते हुये उन्हें निशान-ए-पाकिस्तान के खिताब से नवाजा । बाद में भारत सरकार ने उनकी सेवाओं को देखते हुये उन्हें वर्ष 1991 में भारत सरकार ने*भारत रत्न *जैसे देश के सबसे बड़े सम्मान से विभूषित किया ।

स्वमूत्रपान करते थे Morarji Desai birth anniversary

मोरारजी देसाई स्वमूत्रपान के समर्थक थे।  वो खुद भी स्वमूत्रपान करते थे और उसके फायदों के बारे में भी बताते थे। मोरारजी कहा करते थे लाखों भारतीयों के लिये यह एकदम सही दवा का मिश्रण है। खासकर ऐसे लोगों के लिए जो अपने इलाज का खर्च नहीं उठा सकते।  वैसे उनकी इस बात के कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं थे।  लेकिन मोरारजी 99 साल जिंदा रहे।  तो बहुत से लोगों को लगा कि उनकी लंबी उम्र का राज स्वमूत्रपान तो नहीं। वर्ष 1979 मेंप्रधानमंत्री पद से हटने के बाद उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया था । अंत में 10 अप्रैल 1995 मैं 99वर्ष की आयु पूर्ण कर उनका निधन हो गया ‌।गुजरात का वह सूर्य जो 1896 में उदित हुआ था 1995 में अस्त हो गया । उनका सम्पूर्ण जीवन सादगी पूर्ण था । वह एक आदर्श व्यक्ति थे जिन्होंने अपने सिद्धांतों से पृथक होकर परिस्थितियों से कभी समझौता नही किया । Morarji Desai birth anniversary

हिमाचल में बड़ा सियासी भूचाल, कांग्रेस के बागी विधायकों की सदस्यता रद्द