WFI Case: खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई के चुनावों पर रोक लगाई

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calendar02 Dec 2025 12:28 AM
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WFI Case/ नई दिल्ली। खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के सात मई को होने वाले चुनावों पर रोक लगा दी है और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को चुनाव कराने के लिए तदर्थ समिति के गठन के लिए कहा। तदर्थ समिति अपने गठन के 45 दिन के भीतर चुनाव कराएगी और डब्ल्यूएफआई का कामकाज भी देखेगी जब तक कि इस खेल संस्था को नई कार्यकारी समिति नहीं मिल जाती।

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उधर, धरने पर बैठे शीर्ष पहलवानों ने कहा कि उनका डब्ल्यूएफआई चुनाव से कोई लेना देना नहीं है और वे सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों की उचित जांच की मांग के लिए दबाव बनाना जारी रखेंगे।

मंत्रालय का यह फैसला तब आया है जबकि तोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया और विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता विनेश फोगाट सहित देश के शीर्ष पहलवान रविवार को विरोध प्रदर्शन के लिए फिर से जंतर मंतर पहुंचे और सरकार से आरोपों की जांच करने वाली निगरानी समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की।

मंत्रालय ने आईओए को तदर्थ समिति के गठन के लिए कहा लेकिन यह खुलासा नहीं किया कि क्या निगरानी समिति ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को सही पाया या नहीं।

खेल मंत्रालय ने हालांकि अपने निर्देशों में कहा कि निगरानी समिति के निष्कर्षों के अनुसार डब्ल्यूएफआई के पास इस तरह की शिकायतों की जांच के लिए उचित व्यवस्था नहीं है और डब्ल्यूएफआई तथा पहलवानों के बीच संवाद की जरूरत है।

डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी परिषद का चुनाव

आईओए अध्यक्ष पीटी उषा को भेजे मंत्रालय के पत्र में कहा गया है कि यह समझा जाता है कि कार्यकारी समिति (डब्ल्यूएफआई की) का चुनाव सात मई 2023 को निर्धारित किया गया है। इस संबंध में, वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह आवश्यक है कि उक्त चुनाव प्रक्रिया को रद्द माना जाए और कार्यकारी समिति के नए चुनाव एक तटस्थ संस्था/ निर्वाचन अधिकारी के तहत कराए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि आईओए को एक अस्थाई समिति या तदर्थ समिति का गठन करना चाहिए जो अपने गठन के 45 दिन के भीतर डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी परिषद का चुनाव कराए और डब्ल्यूएफआई के कामकाम का प्रबंधन करे जिसमें खिलाड़ियों का चयन और अगली कार्यकारी समिति के पदभार संभालने से पहले तक की अंतरिम अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में खिलाड़ियों की भागीदारी की प्रविष्टियां तैयार करना शामिल है।

निगरानी समिति रद्द

खेल मंत्रालय ने साथ ही खुलासा किया कि 23 जनवरी को गठित निगरानी समिति अब रद्द हो गई है। मंत्रालय ने कहा कि निगरानी समिति ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी है और वर्तमान में इसकी जांच की जा रही है। कुछ प्रमुख निष्कर्षों में यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम, 2013 के तहत विधिवत गठित आंतरिक शिकायत समिति की अनुपस्थिति और शिकायत निवारण के लिए खिलाड़ियों के बीच जागरूकता के लिए पर्याप्त तंत्र की कमी शामिल है।

इसमें कहा गया कि महासंघ और खिलाड़ियों सहित हितधारकों के बीच अधिक पारदर्शिता और परामर्श की आवश्यकता है। (और) महासंघ और खिलाड़ियों के बीच प्रभावी संवाद की आवश्यकता है।

ओलंपियन विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक की अगुवाई वाले पहलवानों ने स्वीकार किया कि तीन महीने पहले अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त करके उन्होंने गलती की थी।

पहलवानों ने दिखाई एकजुटता

इस बीच विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता धरना स्थल पर पहुंचे और पहलवानों के साथ एकजुटता दिखाई। बजरंग ने कहा कि अब हम किसी की नहीं सुनेंगे। हम विरोध का चेहरा बनेंगे लेकिन अब हमारे गुरुजन और कोच हमारा मार्गदर्शन करेंगे।

विनेश ने कहा कि पिछली बार प्रदर्शन समाप्त करना गलती थी। उन्होंने कहा कि पिछली बार प्रदर्शन समाप्त करना गलती थी। अब हम किसी मध्यस्थ को स्वीकार नहीं करेंगे। अब हम किसी के बहकावे में नहीं आएंगे।

उन्होंने कहा कि हम सभी चाहते हैं कि पुलिस इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करें और इस मामले की जांच करे। हम स्वतंत्र भारत के नागरिक हैं और न्याय पाने के कई रास्ते हैं। क्या हमें कहीं से भी न्याय नहीं मिलेगा?

पहलवानों ने दावा किया कि वे डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन गए थे लेकिन पुलिस ने उनके आवेदन पर विचार करने से इंकार कर दिया।

साक्षी ने कहा कि उन्हें बहकाया गया जबकि बजरंग ने कहा कि वह चाहते हैं कि खाप और अन्य संगठन उनके विरोध प्रदर्शन का समर्थन करें।

उन्होंने कहा कि पिछली बार हम प्रदर्शन को गैर राजनीतिक रखना चाहते थे लेकिन अब हम किसान संगठनों, महिला संगठनों और खाप का समर्थन चाहते हैं।

पिछली बार जनवरी में जब पहलवानों ने विरोध प्रदर्शन किया था तब पूर्व पहलवान और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता बबीता फोगाट ने सरकार और पहलवानों के बीच मध्यस्थता की थी। लेकिन अब लगता है कि पहलवान बबीता के तरीके से खुश नहीं हैं जो अब सरकार के निगरानी पैनल का भी हिस्सा है।

विनेश ने अपनी चचेरी बहन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हो सकता है कि वह अब कुश्ती से ज्यादा राजनीति से प्यार करती हो।

पहलवानों से पूछा गया कि क्या वे पीड़ितों की पहचान उजागर करेंगे, तो विनेश ने कहा कि निगरानी समिति का रवैया शुरू से हमारे प्रति पक्षपात पूर्ण रहा। केवल उच्चतम न्यायालय को ही पीड़ितों की पहचान का पता चलेगा बृजभूषण को नहीं।

WFI Case - बृजभूषण को मिला रहा भाजपा सांसद होने का फायदा

विनेश ने कहा कि बृजभूषण को भाजपा सांसद होने का फायदा मिल रहा है जिसकी अभी केंद्र में सरकार है। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर इससे मदद मिलती है। हम नहीं जानते कि क्या सरकार (पार्टी सांसद के) दबाव में है।

बजरंग ने कहा कि आपको सरकार से पूछना चाहिए कि वह चुप क्यों है। जब हम देश के लिए पदक जीतते हैं तो हमें सम्मानित किया जाता है और अब हम अपनी मांगों को लेकर सड़क पर हैं तो किसी को कोई चिंता नहीं है।

सरकार ने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ यौन उत्पीड़न और डराने धमकाने के मामले की जांच के लिए 23 जनवरी को छह सदस्यीय समिति गठित की थी। समिति ने पांच अप्रैल को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी थी लेकिन सरकार ने अभी तक इसे सार्वजनिक नहीं किया है। WFI Case

धन आवंटन घटाकर पंचायती राज संस्थाओं को कमजोर कर रही है भाजपा : कांग्रेस

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धन आवंटन घटाकर पंचायती राज संस्थाओं को कमजोर कर रही है भाजपा : कांग्रेस

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Delhi News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 02:45 AM
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Delhi News : कांग्रेस ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर उसके शासन वाले राज्यों में समय पर चुनाव नहीं कराकर पंचायती राज संस्थाओं को कमजोर करने और स्थानीय स्वशासन निकायों के लिए आवंटित कोष में कमी करने का आरोप लगाया।

विपक्षी दल ने दावा किया कि पंचायती राज संस्थाओं को उसके शासनकाल में सशक्त बनाया गया था लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं।

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कांग्रेस की यह प्रतिक्रिया तब आई जब प्रधानमंत्री मोदी ने पिछली कांग्रेस सरकारों पर आजादी के बाद देश के गांवों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया।

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश के रीवा में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने स्थिति को बदल दिया है और पंचायतों को भारी अनुदान दिया है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यहां पत्रकारों से वार्ता करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा ने 1989 में उस महत्वपूर्ण संविधान संशोधन विधेयक के खिलाफ मतदान किया था, जिसमें राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को सशक्त बनाने की बात थी।

30 साल पहले लागू हुआ था 73वां संविधान संशोधन

उन्होंने कहा कि आज हमारे राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि 30 वर्ष पहले इसी दिन 73वां संविधान संशोधन कानून लागू हुआ था। यह संशोधन पंचायतों को संवैधानिक दर्जा देता है और यह भारत की राजनीतिक व्यवस्था में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का सबसे बड़ा योगदान है।

उन्होंने दावा किया कि सितंबर 1989 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब यह विधेयक पारित नहीं हो सका था क्योंकि राज्यसभा में कांग्रेस के पास बहुमत नहीं था। पांच वोटों की कमी के कारण यह विधेयक पारित नहीं हो सका था। भाजपा ने विधेयक के खिलाफ मतदान किया। 73वां संविधान संशोधन विधेयक कांग्रेस सरकार के शासनकाल में 24 अप्रैल 1993 को कानून बना।

रमेश ने कहा कि 2010 में पहली बार 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाया गया था।लेकिन हमारे प्रधानमंत्री आज इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने कर्नाटक, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे अपने शासन वाले राज्यों में समय पर पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव नहीं कराए हैं।

पंचायती राज संस्थाओं को अनुदान जारी नहीं कर रही सरकार

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने पंचायती राज संस्थाओं को समय पर अनुदान जारी नहीं किया है और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत दिए जाने वाले अनुदान को कम कर दिया है। कांग्रेस नेता ने भाजपा सरकार पर मनरेगा को भी कमजोर करने का आरोप लगाया।

रमेश ने कहा कि यह दिखाता है कि भाजपा 73वें और 74वें संविधान संशोधन में विश्वास नहीं करती।

उन्होंने कहा कि भले ही 73वें संविधान संशोधन अधिनियम में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण दिया गया था, लेकिन आज त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में लगभग 32 लाख निर्वाचित प्रतिनिधि हैं, जिनमें से लगभग 15 लाख महिलाएं हैं।

रमेश ने दावा किया कि ग्रामीण विकास योजनाओं के माध्यम से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) शासन के दौरान पंचायतों को मजबूत किया गया। इस क्रम में उन्होंने 2006 में लागू हुए ‘क्रांतिकारी’ मनरेगा का भी हवाला दिया।

उन्होंने कहा कि मनरेगा का पैसा ग्राम पंचायतों के खाते में जाता है लेकिन मोदी सरकार मनरेगा को कमजोर करना चाहती है। आज, 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को पर्याप्त पैसा नहीं मिलता है। कई बार पंचायतों के चुनाव हर पांच वर्ष में नहीं होते हैं।

समय से चुनाव कराने की मांग

उन्होंने कहा कि हम मोदी सरकार से पंचायती राज संस्थाओं में समय पर चुनाव कराने और उन्हें समय पर अनुदान देने का आग्रह करते हैं।

प्रधानमंत्री द्वारा अपने बयानों के समर्थन में आंकड़ों का हवाला दिए जाने पर रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री आंकड़ों से खेलने में माहिर हैं।

रीवा में अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि पिछली सरकारें गांवों पर पैसा खर्च करने से बचती थीं क्योंकि उसके लिए गांव उसका वोट बैंक नहीं था। Delhi News

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Kashmir Terrorist Attack : शहीद जवानों के लिए ग्रामीणों ने की विशेष शोकसभा

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Villagers hold special condolence meeting for martyred soldiers
locationभारत
userचेतना मंच
calendar24 Apr 2023 11:26 PM
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पुंछ/जम्मू। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के एक गांव के निवासियों ने हाल में आतंकवादी हमले में शहीद हुए जवानों के लिए शोकसभा का आयोजन किया।

आतंकी हमले में शहीद हुए थे पांच जवान

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राइफल्स इकाई द्वारा आयोजित इफ्तार के लिए अग्रिम इलाके के एक गांव में फलों और अन्य वस्तुओं को ले जा रहे ट्रक पर बृहस्पतिवार की शाम घात लगाकर हमला किया गया था, जिसमें सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे और एक अन्य जवान गंभीर रूप से घायल हो गया था। सामाजिक कार्यकर्ता अमीन खान ने बताया कि हमने संगियोटे के एक सामुदायिक हॉल में सैनिकों के शहीद होने के चौथे दिन विशेष शोक सभा का आयोजन किया। वहां गांव के साथ-साथ समीपवर्ती चंडियाल पंचायत के लोगों ने भी शहीदों के लिए विशेष प्रार्थना की।

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प्रार्थना के माध्यम से बांटना चाहते हैं दर्द

कई मुसलमान शोक की अवधि समाप्त करने के लिए चौथे दिन मृतकों के लिए विशेष प्रार्थना करते हैं। यह दिन हिंदू और सिख समुदाय के लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है। खान ने कहा कि सैनिकों ने हमारी सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए और हम उन्हें कयामत तक याद रखेंगे। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि कायरतापूर्ण हमले के दोषियों को सजा दी जाए। उन्होंने बताया कि वे शहीद हुए सैनिकों के परिवारों का दर्द महसूस करते हैं। इस प्रार्थना सभा के माध्यम से इस दर्द को बांटना चाहते हैं।

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सिर्फ नमाज अदा की, नहीं मनाई ईद

अहमद ने बताया कि इस दर्द भरी घटना के बारे में जानने के बाद से पूरा गांव शोक में डूबा हुआ है। हमारा गांव शोक में है, क्योंकि हम अपने सैनिकों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखते हैं। हमने केवल ईद की नमाज अदा की और हमेशा की तरह त्योहार नहीं मनाया, क्योंकि सैनिकों को खोना हमारा अपना नुकसान है। हम भारतीय सैनिकों की बहादुरी को सलाम करते हैं और उनके तथा शहीद हुए सैनिकों के परिवारों के साथ खड़े हैं। एक अन्य ग्रामीण नसीब खान ने बताया कि सैनिकों को खोने के बाद उनका दिल खून के आंसू रो रहा है। वे चाहते हैं कि दोषियों की पहचान की जाए और उन्हें गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने बताया कि हम अपनी सेना का पूरा समर्थन करते हैं। क्षेत्र में आतंकवादियों को पैर जमाने नहीं देंगे। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।