UP Elections 2022 इन बड़े और बाहुबली नेताओं को दल बदलने पर भी नहीं मिला टिकट

UP Elections 2022 : उत्तर प्रदेश में विधानसभा समर शुरु हो गया है। इससे पहले दल बदलने का खेल भी शुरु हो चुका था। समाजवादी पार्टी की ओर से प्रत्याशियों की सूची जारी होने से पहले कई बड़े और बाहुबली नेताओं ने अपनी अपनी पार्टी छोड़कर सपा का दामन थामा था। उन्हीं में से कांग्रेस में बड़े ओहदे पर रहे सहारनपुर के इमरान मसूद और बुलंदशहर के बाहुबली नेता भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित भी शामिल हैं।
पश्चिमी यूपी में होने वाले पहले चरण के मतदान के लिए दलों ने अपने उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है उसमे कई बड़े चेहरों के नाम इस सूची से गायब है। इस लिस्ट में इमरान मसूद का नाम भी शामिल हैं जिन्हें सहारनपुर का बड़ा नेता माना जाता है। कांग्रेस छोड़ सपा में शामिल होने वाले इमरान मसूद को सपा ने टिकट नहीं दिया है। इससे पहले इमरान कांग्रेस में थे और उन्हें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता था। अगला नाम हाजी याकूब कुरैशी का है, जोकि मेरठ में बड़ा चेहरा हैं। वह मुलायम सरकार में मंत्री भी रह चुके है। उनके बेटे इमरान कुरैशी को बसपा ने टिकट दिया था लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया। सपा में हाजी याकूब कुरैशी की एंट्री शाहिद मंजूर और अतुल प्रधान की वजह से मुश्किल है और राष्ट्रीय लोकदल पहले ही अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।
UP Election 2022 : आखिर क्यों नहीं हो सका सपा और भीम आर्मी में गठबंधन? ये है सच्चाई
इसके अलावा मेरठ के बड़े मुस्लिम नेता हाजी शाहिद अखलाक का नाम भी शामिल है। चार दशक से उनका परिवार राजनीति में हैं। शाहिद अखलाक सपा और बसपा दोनों में रह चुके हैं। माना जा रहा था कि वह सपा छोड़ बसपा में जा सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्हें सपा ने इस बार टिकट नहीं दिया हैा।
बुलंदशहर के बाहुबली नेता भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित को सपा ने टिकट नहीं दिया है। शामली से मुस्लिम नेता और पूर्व विधायक अब्दुल राव वारिस को भी सपा ने इस बार टिकट नहीं दिया है। इस बार यह सीट राष्ट्रीय लोकदल के खाते में चली गई है। वेस्ट यूपी के अहम जनपद मुजफ्फरनगर में कादिर राणा को बड़ा चेहरा माना जाता है। वह पूर्व सांसद रह चुके हैं और तकरीबन तीन दशक से सक्रिय राजनीतिक में हैं। सपा से पहले एमएलसी, फिर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल से विधायक और फिर बसपा से सांसद रहने के बाद बिजनेस के क्षेत्र में कादिर राणा ने कदम रखा। लेकिन बसपा छोड़ सपा में शामिल होने वाले कादिर राणा के लिए यह घाटे का सौदा साबित हुआ है। तीस साल में पहली बार वह पहली बार चुनावी मैदान में नहीं हैं।
UP Elections 2022 : उत्तर प्रदेश में विधानसभा समर शुरु हो गया है। इससे पहले दल बदलने का खेल भी शुरु हो चुका था। समाजवादी पार्टी की ओर से प्रत्याशियों की सूची जारी होने से पहले कई बड़े और बाहुबली नेताओं ने अपनी अपनी पार्टी छोड़कर सपा का दामन थामा था। उन्हीं में से कांग्रेस में बड़े ओहदे पर रहे सहारनपुर के इमरान मसूद और बुलंदशहर के बाहुबली नेता भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित भी शामिल हैं।
पश्चिमी यूपी में होने वाले पहले चरण के मतदान के लिए दलों ने अपने उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है उसमे कई बड़े चेहरों के नाम इस सूची से गायब है। इस लिस्ट में इमरान मसूद का नाम भी शामिल हैं जिन्हें सहारनपुर का बड़ा नेता माना जाता है। कांग्रेस छोड़ सपा में शामिल होने वाले इमरान मसूद को सपा ने टिकट नहीं दिया है। इससे पहले इमरान कांग्रेस में थे और उन्हें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता था। अगला नाम हाजी याकूब कुरैशी का है, जोकि मेरठ में बड़ा चेहरा हैं। वह मुलायम सरकार में मंत्री भी रह चुके है। उनके बेटे इमरान कुरैशी को बसपा ने टिकट दिया था लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया। सपा में हाजी याकूब कुरैशी की एंट्री शाहिद मंजूर और अतुल प्रधान की वजह से मुश्किल है और राष्ट्रीय लोकदल पहले ही अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।
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इसके अलावा मेरठ के बड़े मुस्लिम नेता हाजी शाहिद अखलाक का नाम भी शामिल है। चार दशक से उनका परिवार राजनीति में हैं। शाहिद अखलाक सपा और बसपा दोनों में रह चुके हैं। माना जा रहा था कि वह सपा छोड़ बसपा में जा सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्हें सपा ने इस बार टिकट नहीं दिया हैा।
बुलंदशहर के बाहुबली नेता भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित को सपा ने टिकट नहीं दिया है। शामली से मुस्लिम नेता और पूर्व विधायक अब्दुल राव वारिस को भी सपा ने इस बार टिकट नहीं दिया है। इस बार यह सीट राष्ट्रीय लोकदल के खाते में चली गई है। वेस्ट यूपी के अहम जनपद मुजफ्फरनगर में कादिर राणा को बड़ा चेहरा माना जाता है। वह पूर्व सांसद रह चुके हैं और तकरीबन तीन दशक से सक्रिय राजनीतिक में हैं। सपा से पहले एमएलसी, फिर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल से विधायक और फिर बसपा से सांसद रहने के बाद बिजनेस के क्षेत्र में कादिर राणा ने कदम रखा। लेकिन बसपा छोड़ सपा में शामिल होने वाले कादिर राणा के लिए यह घाटे का सौदा साबित हुआ है। तीस साल में पहली बार वह पहली बार चुनावी मैदान में नहीं हैं।








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