Noida News : नोएडा को सबसे सुंदर शहर बनाना चाहती हैं रितु माहेश्वरी




Mayawati Birthday Special : आज बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती अपना 67वां जन्मदिन मना रही है। उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा भी उनका जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज हम अपने इस स्पेशल लेख में मायावती से जुड़े कुछ ऐसी जानकारी देंगे, जिन्हें शायद ही बहुत कम लोग जानते हैं।
बसपा सुप्रीमो मायावती तीन बार देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं, ये तो सब जानते हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती का जन्म तत्कालीक गाजियाबाद जनपद के दादरी कस्बा के पास स्थित गांव बादलपुर में हुआ था। दादरी क्षेत्र को गुर्जरों की राजधानी भी कहा जाता है। दादरी और गांव बादलपुर आज जनपद गौतमबुद्ध नगर का हिस्सा है। प्रारंभ से ही मायावती के मन में बड़ा आदमी बनने का सपना रहा। पढ़ाई करके बड़ा आदमी बनने का सपना संजो कर मायावती दिल्ली के लक्ष्मी नगर स्थित एक अंधेरी और मलिन गली में किराये पर कमरा लेकर रहने लगी और आईएएस बनने की तैयारी करने लगी। हालात यह थे कि उस कमरे में बिजली नहीं थी, मायावती मोमबत्ती जलाकर आईएएस की पढ़ाई करती थी।
उस समय मान्यवर कांशीराम दलित आंदोलन चला रहे थे और वह दलित आंदोलन की पुराधा बनकर उभर रहे थे। उस समय दिल्ली के लक्ष्मी नगर में उनकी सभा हुई। इस सभा में मायावती भी पहुंच गई और सबसे पीछे खड़े होकर कांशीराम का भाषण सुनने लगी। कांशीराम ने अपने भाषण के दौरान महात्मा गांधी की प्रशंसा की तो मायावती से रहा न गया। मायावती ने पीछे से ही चिल्लाकर कहा, 'गांधी बहुत बड़ा फ्रॉड था'। मायावती के मुंह से महात्मा गांधी को लेकर बोले गए शब्दों को सुनकर कांशीराम से रहा न गया और उन्होंने मायावती को स्टेज पर बुला लिया और कहा कि आपको जो कहना है, यहां खड़े होकर कहो। जिसके बाद मायावती ने महात्मा गांधी को लेकर अपने विचार रखे। मायावती के विचारों को सुनने के बाद कांशीराम बहुत प्रभावित हुए।
सभा समाप्त होने के बाद कांशीराम उस कमरे पर गए, जहां लक्ष्मी नगर की मलिन गली में मायावती रहती थी। उन्होंने मायावती से संवाद करते हुए कहा कि तुम क्या बनना चाहती हो तो मायावती ने जवाब दिया कि वह डीएम या कमिश्नर बनना चाहती है। इस पर कांशीराम ने कहा कि हम तुम्हें सूबे का इतना बड़ा आदमी बनाएंगे जिसके पीछे डीएम, कमिश्नर तो क्या सभी अधिकारी घुमेंगे।
कांशीराम की यह बात सुनकर मायावती को आश्चर्य हुआ। उन्होंने कांशीराम से जिज्ञासावश पूछा कि ऐसा कौन सा आदमी है, जिसके पीछे इतने बड़े अधिकारी घुमते हों, तो जानते हैं कांशीराम ने क्या कहा। कांशीराम ने कहा कि तुम बस मेरी शिष्या बन जाओ, फिर देखों सभी अधिकारी तुम्हारे पीछे घुमेंगे।
इसके बाद मायावती और कांशीराम ने मिलकर उत्तर प्रदेश और इसके बाहर दलित आंदोलन को आगे बढ़ाया। मायावती और कांशीराम के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति का एक नया अंकुर फूटा। जिसके बाद मायावती देश के सबसे बड़े सूबे यूपी की तीन बार मुख्यमंत्री रही।
इसे मायावती का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि वह सत्ता में आने के बाद वह कुछ ऐसी ताकतों के संपर्क में आ गई, जो नहीं चाहती थी कि कोई दलित मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बने। इन ताकतों ने मायावती को सीएम रहते हुए धन की दुनिया में धकेल दिया। एक ऐसी दुनिया, जिसकी चकाचौंध में मायावती पूरी तरह से डूब गईं।
इस धन की दुनिया की चकाचौंध के परिणाम आपके सामने हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा का क्या हश्र हुआ आप सभी जानते हैं। यूपी को छोड़कर दूसरे राज्यों में बसपा को जो एक दो सीट मिल जाती थी, वह भी बंद हो गई।
आपको बता दें कि मायावती पर अक्सर यह आरोप लगते रहते हैं कि चुनाव कोई भी हो, मायावती विधायक और सांसदों का टिकट बेचने का काम करती हैं। आज अपने जन्मदिन पर मायावती ने ऐलान किया है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी और बसपा अपने बूते ही चुनाव लडेगी। उन्होंने दावा किया है कि बसपा का जनाधार बढ़ रहा है।
Mayawati Birthday Special : आज बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती अपना 67वां जन्मदिन मना रही है। उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा भी उनका जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज हम अपने इस स्पेशल लेख में मायावती से जुड़े कुछ ऐसी जानकारी देंगे, जिन्हें शायद ही बहुत कम लोग जानते हैं।
बसपा सुप्रीमो मायावती तीन बार देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं, ये तो सब जानते हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती का जन्म तत्कालीक गाजियाबाद जनपद के दादरी कस्बा के पास स्थित गांव बादलपुर में हुआ था। दादरी क्षेत्र को गुर्जरों की राजधानी भी कहा जाता है। दादरी और गांव बादलपुर आज जनपद गौतमबुद्ध नगर का हिस्सा है। प्रारंभ से ही मायावती के मन में बड़ा आदमी बनने का सपना रहा। पढ़ाई करके बड़ा आदमी बनने का सपना संजो कर मायावती दिल्ली के लक्ष्मी नगर स्थित एक अंधेरी और मलिन गली में किराये पर कमरा लेकर रहने लगी और आईएएस बनने की तैयारी करने लगी। हालात यह थे कि उस कमरे में बिजली नहीं थी, मायावती मोमबत्ती जलाकर आईएएस की पढ़ाई करती थी।
उस समय मान्यवर कांशीराम दलित आंदोलन चला रहे थे और वह दलित आंदोलन की पुराधा बनकर उभर रहे थे। उस समय दिल्ली के लक्ष्मी नगर में उनकी सभा हुई। इस सभा में मायावती भी पहुंच गई और सबसे पीछे खड़े होकर कांशीराम का भाषण सुनने लगी। कांशीराम ने अपने भाषण के दौरान महात्मा गांधी की प्रशंसा की तो मायावती से रहा न गया। मायावती ने पीछे से ही चिल्लाकर कहा, 'गांधी बहुत बड़ा फ्रॉड था'। मायावती के मुंह से महात्मा गांधी को लेकर बोले गए शब्दों को सुनकर कांशीराम से रहा न गया और उन्होंने मायावती को स्टेज पर बुला लिया और कहा कि आपको जो कहना है, यहां खड़े होकर कहो। जिसके बाद मायावती ने महात्मा गांधी को लेकर अपने विचार रखे। मायावती के विचारों को सुनने के बाद कांशीराम बहुत प्रभावित हुए।
सभा समाप्त होने के बाद कांशीराम उस कमरे पर गए, जहां लक्ष्मी नगर की मलिन गली में मायावती रहती थी। उन्होंने मायावती से संवाद करते हुए कहा कि तुम क्या बनना चाहती हो तो मायावती ने जवाब दिया कि वह डीएम या कमिश्नर बनना चाहती है। इस पर कांशीराम ने कहा कि हम तुम्हें सूबे का इतना बड़ा आदमी बनाएंगे जिसके पीछे डीएम, कमिश्नर तो क्या सभी अधिकारी घुमेंगे।
कांशीराम की यह बात सुनकर मायावती को आश्चर्य हुआ। उन्होंने कांशीराम से जिज्ञासावश पूछा कि ऐसा कौन सा आदमी है, जिसके पीछे इतने बड़े अधिकारी घुमते हों, तो जानते हैं कांशीराम ने क्या कहा। कांशीराम ने कहा कि तुम बस मेरी शिष्या बन जाओ, फिर देखों सभी अधिकारी तुम्हारे पीछे घुमेंगे।
इसके बाद मायावती और कांशीराम ने मिलकर उत्तर प्रदेश और इसके बाहर दलित आंदोलन को आगे बढ़ाया। मायावती और कांशीराम के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में दलित राजनीति का एक नया अंकुर फूटा। जिसके बाद मायावती देश के सबसे बड़े सूबे यूपी की तीन बार मुख्यमंत्री रही।
इसे मायावती का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि वह सत्ता में आने के बाद वह कुछ ऐसी ताकतों के संपर्क में आ गई, जो नहीं चाहती थी कि कोई दलित मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बने। इन ताकतों ने मायावती को सीएम रहते हुए धन की दुनिया में धकेल दिया। एक ऐसी दुनिया, जिसकी चकाचौंध में मायावती पूरी तरह से डूब गईं।
इस धन की दुनिया की चकाचौंध के परिणाम आपके सामने हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा का क्या हश्र हुआ आप सभी जानते हैं। यूपी को छोड़कर दूसरे राज्यों में बसपा को जो एक दो सीट मिल जाती थी, वह भी बंद हो गई।
आपको बता दें कि मायावती पर अक्सर यह आरोप लगते रहते हैं कि चुनाव कोई भी हो, मायावती विधायक और सांसदों का टिकट बेचने का काम करती हैं। आज अपने जन्मदिन पर मायावती ने ऐलान किया है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी और बसपा अपने बूते ही चुनाव लडेगी। उन्होंने दावा किया है कि बसपा का जनाधार बढ़ रहा है।
