Junior OP Sharma: भारत में अन्य देशों के मुकाबले पिछड़ती जा रही जादू की कला : जूनियर ओपी शर्मा

09
Junior OP Sharma
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 01:29 AM
bookmark

Junior OP Sharma: सुप्रसिद्ध जादूगर ओपी शर्मा के पुत्र और जूनियर ओपी शर्मा के नाम से देश-विदेश में अपनी जादू कला का प्रदर्शन करने वाले सत्य प्रकाश शर्मा ने कहा कि जादू की कला अन्य देशों के मुकाबले भारत में काफी पीछे होती जा रही है, क्योंकि विदेश की सरकारें इसे संरक्षण देती हैं।

Junior OP Sharma

बरेली के कम्युनिटी हॉल में अपना शो करने आए जादूगर शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, “जादू हाथ की सफाई है और यह कला भारत में प्राचीन काल से मौजूद है, लेकिन अब यहां संरक्षण और प्रोत्साहन कम हो गया है, जबकि तमाम अन्य देशों में जादू की कला लोगों के सिर चढ़कर बोल रही है।”

शर्मा ने भारी मन से कहा कि 1957 में जादूगर पीसी सरकार को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था और इसके बाद सरकारों ने जादूगरों और उनकी कला की तरफ देखा तक नहीं।

उन्होंने मांग की कि प्राचीन भारतीय जादू कला को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार सम्मान प्रमाण पत्र कार्यक्रम शुरू करे।

शर्मा ने जोर देकर कहा, “भारत में लुप्त हो रही इस कला को रोजगार और शिक्षा से जोड़ना होगा। सरकार को चाहिए कि इसे (जादू) विषय के रूप में प्राइमरी कक्षा से शुरू करे और आगे सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री कोर्स चलाए जाएं। भारत में भी जादू कला को व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “समय की मांग है कि जादू कला को व्यावसायिक शिक्षा का हिस्सा बनाने को ‘मैजिक अकादमी’ स्थापित हो। जादू विज्ञान तकनीकी शिक्षा और बुद्धि का अद्भुत संगम है। ‘मैजिक अकादमी’ स्थापित होने से बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार भी मिलेगा।”

शर्मा ने कहा कि अब विभिन्न मंचों पर मनोरंजन के साधन लोगों तक पहुंच रहे हैं, लेकिन परिवार संग मैजिक शो देखना अच्छा लगता है, क्योंकि मैजिक शो में बेहतर और स्वस्थ मनोरंजन का बेहतरीन समागम होता है।

लगभग 40 हजार शो करने का दावा करने वाले युवा जादूगर शर्मा ने बताया कि अमेरिका, दुबई, सिंगापुर, मॉरीशस, जापान सहित सात देशों में उन्होंने मैजिक शो किया है और जादू कला क्षेत्र में होने वाली विभिन्न संगोष्ठियों में कई प्रमाण पत्र भी पाए हैं।

शर्मा ने कहा, “पहले जादू का शो दिखाने के लिए टेंट लगाने पड़ते थे, लेकिन अब टेंट की जरूरत नहीं पड़ रही है। देशभर में लगभग सभी बड़े शहरों में प्रेक्षागृह बन गए हैं। जादूगर और दर्शकों को आधुनिक सुविधाएं भी मिलने लगी हैं।”

उन्होंने दावा किया कि जादूगर समाज में व्याप्त अंधविश्वास को भी दूर करता है।

शर्मा ने कहा कि समाज में जादूगरी को लेकर कई भ्रम हैं, जिन्हें कला के प्रदर्शन के माध्यम से दूर किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि हवा में भभूति उड़ाना, फल तोड़ना या अचानक कोई नया करिश्मा दिखाना सिर्फ हाथ की सफाई भर का मामला है।

Mukesh Ambani नाना बनें रिलाइंस ग्रुप के चैयरमेन मुकेश अंबानी, बेटी ने दिया जुड़वां बच्चों को जन्म

अगली खबर पढ़ें

Varanasi News : काशी-तमिल समागम से और करीब आएगी उत्तर-दक्षिण की साझी संस्कृति

Samagam
Kashi-Tamil Sangam will bring North-South common culture closer
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:47 AM
bookmark
Varanasi : वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एक माह तक चलने वाले काशी-तमिल समागम से प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ा है। लोग कहने लगे हैं कि इस समागम से उत्तर और दक्षिण की साझी संस्कृति और नजदीक आएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एम्फी थिएटर ग्राउंड में पूरे एक महीने तक चलने वाले काशी तमिल समागम की शुरुआत की। जिला प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार, इस समागम में तमिलनाडु के तीन केंद्रों से 12 समूहों में लगभग 2,500 लोगों के सम्मिलित होने की संभावना है।

Varanasi News :

काशी के केदार घाट पर पांच पीढ़ियों से रहने वाले तमिलनाडु के चंद्रशेखर द्रविड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलों के लिए जो प्रयास किए हैं, उससे विश्वभर के तमिल गौरवान्वित हुए हैं। चंद्रशेखर द्रविड़ काशी में कर्मकांड और संस्कृत की शिक्षा देते हैं। उन्होंने कहा कि तमिल और काशी का जुड़ाव युगों-युगों से रहा है। तमिलनाडु में काशी, शिव काशी, तेन काशी, वृद्ध काशी नामक स्थान आज भी काशी-तमिल के जुड़ाव को बताते हैं। आज भी तमिलों के विवाह में जोड़ियों को काशी यात्रा का वचन दिलाया जाता है। द्रविड़ ने कहा कि तमिलों के लिए अपने जीवनकाल में एक बार काशी की यात्रा करना अनिवार्य है। यह समागम उत्तर और दक्षिण की साझी संस्कृति को और नजदीक लाने का काम करेगा।

Bagpat News: राम रहीम के आश्रम में तोड़े गए पैरोल के नियम, पुलिस देखती रही तमाशा

पांच पीढ़ी से तमिलनाडु से आकर काशी में कर्मकांड कराने वाले नारायण धनपति ने कहा कि दक्षिण भारत में चारधाम की यात्रा की तरह ही काशी यात्रा का भी महत्व रहा है। उन्होंने कहा कि काशी-तमिल समागम की कल्पना मोदी को मिली दैवीय प्रेरणा से ही संभव हुई है। यह समागम उत्तर और दक्षिण की साझाी संस्कृति को सामने लाने की अनूठी पहल है। तमिलनाडु के विश्वविद्यालय में तमिल भाषा पर शोध कर रहे पेरियाकरुप्पन के ने बताया कि काशी-तमिल समागम में हिस्सा लेने के लिए तमिलनाडु से कुल 210 शोधार्थी काशी आए हैं। उन्होंने कहा कि काशी-तमिल समागम भारत की दो महान संस्कृतियों के बीच संपर्क और संवाद को गति व प्रगाढ़ता प्रदान करेगा। इससे उत्तर और दक्षिण भारत के रिश्‍तों को आत्मीय मजबूती प्रदान करने में मदद मिलेगी।

Varanasi News :

प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि 16 दिसंबर तक चलने वाले इस समागम में तमिलनाडु से 12 समूहों में कुल 2,500 लोगों को काशी आमंत्रित किया गया है। उद्घाटन समारोह में छात्रों का पहला समूह मौजूद था। अधिकारियों के मुताबिक, एक महीने तक चलने वाले काशी-तमिल संगमम कार्यक्रम में भारतीय संस्कृति की इन दो प्राचीन अभिव्यक्तियों के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों/विद्वानों के बीच अकादमिक आदान-प्रदान, सेमिनार, चर्चा आदि आयोजित किए जाएंगे, जहां दोनों के बीच संबंधों और साझा मूल्यों को आगे लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस समागम का व्यापक उद्देश्य ज्ञान और संस्कृति की इन दो परंपराओं को करीब लाना, हमारी साझा विरासत की एक समझ निर्मित करना और इन क्षेत्रों के लोगों के बीच पारस्परिक संबंधों को मजबूत करना है। अधिकारियों के अनुसार, तमिलनाडु से आए समूह काशी की ऐतिहासिक महत्ता को समझेंगे। इस दौरान तमिलनाडु की विभिन्न सांस्कृतिक टोलियां काशी में अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करेंगी। उन्‍होंने कहा कि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की समग्र रूपरेखा और भावना के तहत आयोजित होने वाला यह संगमम प्राचीन भारत और समकालीन एकता को मजबूत करेगा।

Uttar Pradesh : ट्रक में घुसी कार, युवती समेत तीन लोगों की मौत

अधिकारियों के मुताबिक, काशी-तमिल संगमम ज्ञान के विभिन्न पहलुओं-साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ आधुनिक नवाचार, व्यापारिक आदान-प्रदान, एजुटेक एवं अगली पीढ़ी की अन्य प्रौद्योगिकी आदि जैसे विषयों पर केंद्रित होगा। इन विषयों पर विचार- गोष्ठी, चर्चा, व्याख्यान, कार्यशाला आदि आयोजित किए जाएंगे, जिसके लिए संबंधित विषयों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि यह आयोजन छात्रों, विद्वानों, शिक्षाविदों, पेशेवरों आदि के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा एवं प्रशिक्षण से संबंधित कार्यप्रणालियों, कला एवं संस्कृति, भाषा, साहित्य आदि से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में जानने का एक अनूठा अवसर होगा।
अगली खबर पढ़ें

Bagpat News: राम रहीम के आश्रम में तोड़े गए पैरोल के नियम, पुलिस देखती रही तमाशा

07
Bagpat News:
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 10:50 AM
bookmark

Bagpat News: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बनौली स्थित डेरा सच्चा सौदा आश्रम में अनुयाइयों की भीड़ जुटाई जा रही है। बता दें कि पैरोल के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। आश्रम में दूर-दराज से अनुयाइयों के आने का सिलसिला दूसरे दिन भी जारी रहा। डेरा प्रमुख बाबा राम रहीम को पुलिस नोटिस देने की तैय़ारी शुरू कर दी है। जैसे-जैसे पैरोल के दिन खत्म हो रहे हैं वैसे-वैसे बागपत जनपद के बिनौली स्थित आश्रम बरनावा पर अनुयाइयों की भीड़ आनी शुरू हो गई है। वहीं आश्रम के सामने बनी पार्किंग गाड़ियों से खचाखच भरा हुआ है। इस पार्किंग को चारो तरफ से तिरपाल से ढका गया है।

Bagpat News

बता दें कि गुरमीत राम रहीम दुष्कर्म और हत्या मामले में रोहतक की सुनारियां जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। बीते 15 अक्टूबर को राम रहीम 40 दिन की पैरोल लेकर बरवाना आश्रम पहुंचा था। इस दौरान उसके साथ परिवार के सदस्य और मुंहबोली बेटी हनीप्रीत भी मौजूद रहे। पैरोल के नियमों की धज्जियां उड़ाने, आश्रम में भीड़ एकत्र करने और बड़े कार्यक्रमों का आयोजन करने पर पुलिस द्वारा रिपोर्ट भेजी गई थी।

रिपोर्ट द्वारा राम रहीम को चेताया भी गया। लेकिन इसके बाद भी। राम-रहीम नियमों को ताक पर रखकर अनुयाइयों को एकत्र करने का काम कर रहा है। इसके बाद डेरा प्रमुख राम-रहीम ने पैरोल के नियमों का पालन करते हुए अनुयाइयों से आश्रम नहीं आने की अपील की।

इसके बाद वह यूट्यूब एकाउंट के जरिए लोगों से रूबरू हुआ। इस दौरान गाने भी लॉन्च किए गए। वहीं ऑनलाइन ही राम रहीम के आश्रम में दीपावली, शाह मस्ताना का जन्मोत्सव भी मनाया गया। इसी बीच गुरु गद्दी को लेकर उठे सवालों के जवाब में हनीप्रीत को रूहानी दीदी का नाम दिया गया। दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान आदि राज्यों से अनुयायी भारी संख्या में आश्रम पहुंच रहे हैं। बीते शनिवार को भी डेरा सौदा सच्चा आश्रम पर अनुयाइयों की भारी भीड़ रही।

बता दें कि वहां पर तैनात पुलिस केवल मूक दर्शक बन तमाशा देखती रही। फिलहाल इस मामले पर एसपी नीरज जौदान ने बताया कि पैरोल के नियमों का उल्लंघन करने पर डेरा प्रमुख को जल्द ही नोटिस जारी की जाएगी।

Uttar Pradesh के इस स्कूल में चलता है कौन बनेगा सैकड़ापति, बच्चों को मिलता है इनाम