Noida News : जो पुलिसवाला एफआईआर नहीं लिखेगा वह जाएगा सीधा जेल

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यह सूचना पढ़कर आप शायद हैरान हो रहे होंगे। सच तो यही है कि बड़ी-बड़ी घटनाएं तो छोड़ो पुलिस तो छोटी-छोटी वारदातों तक की एफआईआर नहीं लिखती है। इस मामले में हैरान होने व चोंकने वाली कोई बात नहीं है। आपको आईपीसी की धारा-166 पढ़ लेनी चाहिए। इस धारा में बकायदा प्रावधान है कि कोई भी पुलिस अधिकारी किसी भी नागरिक की एफआईआर लिखने से मना नहीं कर सकता, यदि वह ऐसा करता है तो आईपीसी की धारा-166 के तहत उस पुलिस अधिकारी को 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा हो सकती है। इतना ही नहीं उस पुलिस अधिकारी पर आर्थिक दंड भी लगाया जाता है और उसे नौकरी से भी निकाल दिया जाता है। नेशनल क्राइम इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो (एनसीआरबी) के एक अधिकारी ने 'चेतना मंचÓ को बताया कि आईपीसी की धारा-166 में यह प्रावधान पहले से मौजूद है। दुर्भाग्य से ना तो कोई वकील, ना ही कोई पुलिसकर्मी, ना मीडिया कर्मी और ना ही कोई सामाजिक कार्यकर्ता जनता को इस विषय में जागरूक करता है कि पुलिस का कोई भी अधिकारी किसी भी नागरिक की रिपोर्ट लिखने से मना नहीं कर सकता है। उन्होंने बताया कि एक जागरूक नागरिक राजेश गुप्ता ने सरकार को हाल ही में यह सलाह दी है कि आईपीसी की धारा-166 के प्रावधान को लिखित रूप में सभी थानों के बाहर बोर्ड पर लिखवा दिया जाना चाहिए। इसी प्रकार के कुछ और भी सुझाव सरकार के पास लंबित हैं। यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि इन सुझावों पर कब अमल होता है।अगली खबर पढ़ें
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यह सूचना पढ़कर आप शायद हैरान हो रहे होंगे। सच तो यही है कि बड़ी-बड़ी घटनाएं तो छोड़ो पुलिस तो छोटी-छोटी वारदातों तक की एफआईआर नहीं लिखती है। इस मामले में हैरान होने व चोंकने वाली कोई बात नहीं है। आपको आईपीसी की धारा-166 पढ़ लेनी चाहिए। इस धारा में बकायदा प्रावधान है कि कोई भी पुलिस अधिकारी किसी भी नागरिक की एफआईआर लिखने से मना नहीं कर सकता, यदि वह ऐसा करता है तो आईपीसी की धारा-166 के तहत उस पुलिस अधिकारी को 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा हो सकती है। इतना ही नहीं उस पुलिस अधिकारी पर आर्थिक दंड भी लगाया जाता है और उसे नौकरी से भी निकाल दिया जाता है। नेशनल क्राइम इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो (एनसीआरबी) के एक अधिकारी ने 'चेतना मंचÓ को बताया कि आईपीसी की धारा-166 में यह प्रावधान पहले से मौजूद है। दुर्भाग्य से ना तो कोई वकील, ना ही कोई पुलिसकर्मी, ना मीडिया कर्मी और ना ही कोई सामाजिक कार्यकर्ता जनता को इस विषय में जागरूक करता है कि पुलिस का कोई भी अधिकारी किसी भी नागरिक की रिपोर्ट लिखने से मना नहीं कर सकता है। उन्होंने बताया कि एक जागरूक नागरिक राजेश गुप्ता ने सरकार को हाल ही में यह सलाह दी है कि आईपीसी की धारा-166 के प्रावधान को लिखित रूप में सभी थानों के बाहर बोर्ड पर लिखवा दिया जाना चाहिए। इसी प्रकार के कुछ और भी सुझाव सरकार के पास लंबित हैं। यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि इन सुझावों पर कब अमल होता है।संबंधित खबरें
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