नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने रिठाला फेज-1 सीवर शोधन संयंत्र के लिए पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं दी, जिससे परियोजना बाधित हो गई। सीवर का गंदा पानी यमुना नदी में जा रहा है। उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने यह बात कही।
सरकार ने नहीं दी कोई प्रतिक्रिया
उन्होंने बताया कि यह परियोजना यमुना एक्शन प्लान-3 के तहत केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है। उन्होंने दावा किया कि इससे संबंधित फाइल करीब दो साल से दिल्ली के पर्यावरण एवं वन मंत्री के समक्ष लंबित है। बहरहाल, दिल्ली में ‘आप’ सरकार ने इन आरोपों पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस मामले पर यमुना पुनरुद्धार पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की हाल की बैठक में चर्चा की गयी थी।
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आप सरकार से नाराज एलजी
एक सूत्र ने कहा कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार की तरफ से जानबूझकर इस तरह के कदाचार पर गंभीर नाराजगी जाहिर की है। उपराज्यपाल ने कहा कि ऐसी अहम परियोजनाओं को रोक कर यमुना को जहरीला बनाने से ज्यादा बड़ा अपराध और कुछ नहीं हो सकता। उपराज्यपाल ने इस परियोजना में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करने तथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। उन्होंने यमुना में छोड़े जाने वाले सीवर के 95 फीसदी मल के शोधन के लिए जून 2023 की समयसीमा तय की है। उपराज्यपाल को बताया गया था कि रिठाला फेज-1 सीवर शोधन संयंत्र पर हो रहा काम जून 2023 तक पूरा हो जाएगा।
17 और 20 महीने से अटकी है फाइल
एक सूत्र ने कहा कि उपराज्यपाल को बताया गया कि पेड़ों के स्थानांतरण की पहली फाइल 17 महीने तक अटकी रही, जबकि इससे संबंधित दूसरी फाइल 20 महीने तक अटकी रही। एनजीटी द्वारा गठित यमुना निगरानी समिति के हस्तक्षेप के बाद ही अनुमति दी गयी। अनुबंध के अनुसार, सीवर शोधन संयंत्र (एसटीपी) का रखरखाव कर रही निजी कंपनी ने जुलाई 2018 में रिठाला फेज-1 एसटीपी की मरम्मत का जिम्मा संभाला था।
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दिल्ली सरकार की मंजूरी का है इंतजार
दिल्ली जल बोर्ड ने कहा कि दिल्ली सरकार से पेड़ काटने के लिए अनुमति मिलने का इंतजार किए जाने के कारण आधे हिस्से की मरम्मत का काम पूरा नहीं हो सका है। यह देरी एम/एस वीए टेक वाबाग लिमिटेड की ओर से नहीं है।
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