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New Delhi News : प्रधानाचार्य की पिटाई के शिकार छात्र को मुआवजे देने के मामले में हस्तक्षेप से अदालत का इनकार

Delhi High Court: PIL against allowing Sikhs to carry 'Kripan' dismissed

Delhi High Court: PIL against allowing Sikhs to carry 'Kripan' dismissed

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें स्कूल के प्रधानाध्यापक की पिटाई के शिकार एक छात्र को मुआवजे के तौर पर तीन लाख रुपये देने का आदेश दिया गया था।

एनएचआरसी ने उस घटना का संज्ञान लिया था, जिसमें 11वीं कक्षा के छात्र को अन्य छात्रों की मौजूदगी में जबरन उसकी कक्षा से बाहर ले जाया गया था और स्कूल के प्रिंसिपल ने उसकी बुरी तरह पिटाई की थी।

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स्कूल प्रशासन ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी कि प्रधानाध्यापक को उसके कृत्य के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए था और इस घटना के लिए स्कूल को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

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अदालत से यह विचार करने का अनुरोध किया गया था कि प्रधानाध्यापक का अपराध इस तरह की प्रकृति का था कि उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत अपराध के लिए आरोपित किया जा सकता था।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने, हालांकि, कहा कि अदालत याचिकाकर्ता स्कूल द्वारा दी गई चुनौती का मूल्यांकन करने में असमर्थ थी।

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अदालत ने कहा, ‘‘निर्विवाद रूप से यह घटना याचिकाकर्ता संस्थान के परिसर में हुई। प्रधानाध्यापक को निर्विवाद रूप से याचिकाकर्ता संस्थान द्वारा नियोजित किया गया था। इस प्रकार यह (स्कूल) विद्यार्थियों से संबंधित सभी या किसी भी घटना के लिए उत्तरदायी होगा, जो उसके परिसर में हो सकता है।’’

अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘महज प्रधानाध्यापक के खिलाफ आईपीसी के तहत आरोप दायर किये जा सकने के तथ्य के आधार पर (मानवाधिकार) आयोग की मुआवजा देने की शक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।’’

 

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