Greater Noida: दिल्ली में 19 दिसंबर को होगी वर्ल्‍ड कायस्थ कांफ्रेंस

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ग्रेटर नोएडा में हुई सभा.
locationभारत
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calendar30 Nov 2025 10:03 AM
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ग्रेटर नोएडा। राष्ट्र निर्माण के लिए संकल्पित होकर एकजुट हुए कायस्थों ने ग्रेटर नोएडा पश्चिम में एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन कर चित्रगुप्त महासभा की आधारशिला रखी। कार्यक्रम का संयुक्त संचालक विवेक श्रीवास्तव व शुभ्रांशु श्रीवास्तव ने किया।

विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रसिद्ध समाजसेवी अशोक श्रीवास्तव ने कायस्थों की समाज में वर्तमान दशा पर प्रकाश डालते हुए स्वर्णिम इतिहास के बारे में बताया। उन्होनें बताया किस तरह हिन्दू समाज को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए कायस्थों ने महती भूमिका निभाई है। विशिष्ट अतिथि के रूप में गाजियाबाद कायस्थ महासभा संरक्षक अशोक श्रीवास्तव (घुघना) ने अपने सम्बोधन में कायस्थ समाज को एकजुटता का सन्देश दिया।

कार्यक्रम संयोजक विवेक श्रीवास्तव ने कायस्थ समाज मे एकजुटता व कायस्थ चेतना के लिए बताया कि इस मंच की परिकल्पना काफी समय से थी जिसमे कायस्थ सेवी शुभ्रांशु श्रीवास्तव के सक्रिय सहयोग से साकार हुई है। कार्यक्रम के अंत मे ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजीव रंजन ने ग्रेनो कायस्थों को शुभकामनाएं देते हुए इसे बहुत बढिय़ा कदम बताया। उन्होंने जीकेसी के आगामी विशाल कार्यक्रम के लिए कायस्थों को आमंत्रित करते हुए बताया कि तालकटोरा ( दिल्ली) में 19 दिसम्बर को वर्ल्ड कायस्थ कांफ्रेंस कार्यक्रम होगा।

उक्त कार्यक्रम को सुशील वर्मा, नफोवा संस्थापक सदस्य सुमित सक्सेना, खुशी फाउंडेशन सचिव अनीता बासु,सिद्धार्थ चित्रांशी, मयंक कुलश्रेष्ठ,आशु भटनागर, कमलेश कर्ण, विपिन श्रीवास्तव, रागिनी रंजन आदि ने सम्बोधित किया। इस अवसर पर समाजसेवी किशन सिन्हा,प्रशांत सिन्हा, विशाल श्रीवास्तव,नितिन श्रीवास्तव समेत ग्रेटर नोएडा वेस्ट की लगभग सभी सोसाइटी से कायस्थ समाज के प्रतिनिधि मौजूद रहे । कार्यक्रम संयोजक सुनील सक्सेना, कमलेश कर्ण ने सभी कायस्थों का आभार प्रकट किया।

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Noida: जनता को जनहित में काम करने वाले प्रत्याशियों की दरकार: कर्मवीर नागर

Karmveer Nagar 2
locationभारत
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calendar28 Nov 2025 08:36 PM
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देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने जा रहा है। सभी राजनीतिक दलों की चुनावी सरगर्मियां तेज हो चली हैं। आम जनता में भी प्रत्याशियों की संभावना पर चर्चा प्रारंभ हो गई है। चर्चा-ए-आम इस बात की तरफ साफ इशारा इंगित कर रही है कि जनता नकारा और भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों को आगामी विधानसभा चुनाव में सबक सिखाने का मन बना चुकी है।

प्रमुख समाजसेवी कर्मवीर नागर प्रमुख नेन अपने एक बयान में कहा कि चुनावी समर में ऐसे भी बहुत से दलों के नाम और उनके संभावित प्रत्याशियों के बैनर और होर्डिंग गली मोहल्लों और सडक़ों पर नजर आने लगे हैं जिनका नाम सालों साल सुनने को नहीं मिलता है। लेकिन हर बार की भांति, चुनावी सरगर्मियां शुरू होते ही, ऐसे लोग राजनीति के हासिये पर जाते नजऱ आने लगे हैं जो सालों साल जनता के लिए धरातल पर काम करते हैं, जनता से जुड़े मुद्दों को उठाते हैं, जनता के दुख दर्द में शामिल होकर सडक़ों पर धूल फांकते हैं और जनता की आवाज को सत्ता और शासन तक पहुंचाने का काम करते हैं। वहीं दूसरी तरफ बहुत से ऐसे नाम भावी प्रत्याशी के तौर पर सामने आने लगे हैं जो आमतौर पर नदारद रहते हैं। अगर राजनीतिक दलों ने ऐसे में नकारा और भ्रष्ट लोगों का पार्टी प्रत्याशी के तौर पर चयन किया तो सम्बंधित दलों को निश्चित ही खराब परिणाम भुगतने की खासी संभावना नजर आ रही है। हालांकि उ प्र में चुनाव का आधार भले ही जातीयता और संप्रदाय वाद पर टिका हो लेकिन यहां भी भ्रष्ट और नाकारा लोगों को सबक सिखाने का जनता मन बना चुकी है।

देश की युवा पीढ़ी को यह बताना अनिवार्य होगा कि राजनीति में एक वक्त वह भी था जब धरातल पर काम करने वालों को राजनैतिक दल ढूंढ ढूंढ कर अपनी पार्टी का प्रत्याशी बनाया करते थे। यही वजह रही कि अटल बिहारी वाजपेई, राज नारायण, लोकनायक जयप्रकाश नारायण,  चौ चरण सिंह, मुलायम सिंह यादव , लालू यादव , जॉर्ज फर्नांडिस, कांशीराम सरीखे अनेकों लोग देश की राजनीति में शीर्ष पर स्थापित हुए। ऐसे ही तमाम बड़े नेता संसद को सुशोभित किया करते थे संसद सत्र के दौरान जिन को देश की जनता बड़े ध्यान से सुनती थी। जो संसद की गरिमा के अनुरूप संसद में बहस किया करते थे।  उस वक्त के ऐसे नेताओं के विचार और भाषण सुनने के लिए भीड़ खुद- ब- खुद चलकर सभा स्थल पर जाया करती थी। भले ही उसका एक कारण उस वक्त इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का न होना भी था लेकिन आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के युग में भी उन जैसे महा जननायककों के लिए भीड़ उमडऩा कोई बड़ी बात नहीं होती। निश्चय ही उन सरीखे राज नेताओं के लिए आज की तरह भीड जुटाने के लिए संसाधनो की कतई जरुरत नहीं होती।

वर्तमान परिवेश में राजनीतिक मूल्यों में आई गिरावट, राजनीतिक भ्रष्टाचार और नकारापन से अधिकतर नेताओं ने अपना निजी जनाधार खो दिया है। नेताओं के निजी जनाधार के खत्म होने की वजह से अब वोट बैंक पार्टी आधारित हो गया है। इसी के परिणाम स्वरूप राजनेताओं और जनप्रतिनिधियों के प्रति जनता का भरोसा उठना और आस्था में कमी आना स्वाभाविक है।

जैसा की सर्वविदित है कि देश की आजादी के बाद देश की लोकतांत्रिक राजनीति और राजनेताओं का स्वरूप तेजी से बदला है। राजनीति के बदले परिदृश्य में भ्रष्ट और चापलूसों ने धरातल पर काम करने वालों को पीछे ढकेल दिया है। एक समय लोगों ने निजी स्वार्थवश राजनीति में बाहुबलियों का भी सहारा लिया। लेकिन बाहुबलियों ने जब राजनीति का स्वाद चखा तो वक्त ने करवट बदला और 90 के दशक में बाहुबलियों ने राजनीति में प्रवेश किया। बाहुबलियों के राजनीति में प्रवेश के बाद धनबलियों का हस्तक्षेप प्रारंभ हुआ तो   21वीं सदी में इसके नतीजतन एक बार फिर राजनीति के बदलते परिवेश में इस वक्त टिकट पाने के लिए राजनीतिक दलों के दरवाजों पर वही लोग अधिकतर दस्तक देते और परिक्रमा करते नजर आ रहे हैं जिनके पास आर्थिक संसाधन हैं , जिनकी जेबें भारी है और जिनकी पहचान समाज और क्षेत्र में धनबली के रूप में है। आमतौर पर देखा गया है कि जो धनबली चुनाव जीत जाते हैं वह लौटकर जनता के बीच नहीं आते और चुनाव आने पर जनता को मूर्ख बनाने के नए शिकार की तलाश में नया चुनाव क्षेत्र तलाशना शुरू कर देते हैं। राजनीति का निजी हित में इस्तेमाल करने वाले ऐसे राजनेता  हर बार धनबल के जरिए राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी बनने में भी सफलता पा जाते हैं लेकिन कहावत है कि "काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती" तो इस बार जनता ऐसे लोगों को सबक सिखाने पर आमदा नजर आ रही है। ऐसे मौकापरस्त धन बलियों के कारण ही धरातल पर जनहित की राजनीति करने वालों का टोटा सा हो गया है। ऐसा प्रतीत होने लगा है कि अब राजनीति जनसेवा का साधन नहीं बल्कि आर्थिक संसाधन का जरिया बन गई है।

राजनीति में भौतिक युग की इस शुरुआत से राजनीति में हावी भ्रष्टाचार और धनार्जन की होड़ ने जनता से जुड़े मुद्दों और समस्याओं को उठाना पीछ छोड़ दिया है। जनता में हर बार सत्ता परिवर्तन की आवाज उठने का महज कारण भी यही है। लेकिन बार-बार निराशा हाथ लगने से जनता ऊब चुकी है इसीलिए अब जनता में भ्रष्ट और नाकारा जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध आवाज बुलंद होने लगी है। अगर राजनीतिक दलों ने प्रत्याशी चयन करने में जनता की आवाज को समय रहते तवज्जो नहीं दी तो निश्चित ही राजनीतिक दलों को इसके खराब परिणाम भुगतने होंगे। जनता में एक बार फिर धरातल पर काम करने वाले जननायकों को प्रत्याशी बनाने की राजनीतिक दलों से दरकार सामने आने लगी है।

इस देश के लोकतंत्र की रक्षा और प्रगति के लिए राजनीतिक दलों को धरातल पर काम करने वाले स्वच्छ छवि के प्रत्याशियों के चयन पर विचार करना चाहिए अन्यथा देश को महाशक्ति बनने का सपना, सपना ही रह जाएगा ।

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Noida: कुन्नूर विमान हादसे में शहीदों की याद में निकाला कैंडल मार्च

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locationभारत
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calendar02 Dec 2025 02:39 AM
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नोएडा ।  हिंदू युवा वाहिनी गौतमबुद्धनगर ग्रेटर नोएडा द्वारा कुन्नूर विमान हादसे में शहीदों को श्रद्धांजलि देकर कैंडल मार्च निकाला। कुन्नूर विमान हादसे में शहीद हुए वीर शहीदों को हिन्दू युवा वाहिनी गौतमबुद्धनगर द्वारा दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए श्रद्धा सुमन अर्पित कर कैंडल मार्च निकाला।

हिंदू युवा वाहिनी के जिला अध्यक्ष चैनपाल प्रधान के नेतृत्व में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर अजनारा सोसायटी में कैंडल मार्च निकाला गया। इस दौरान हिंदू युवा वाहिनी के जिला संगठन महामंत्री सरपंच नीरज नागर नवादा ने कहा कि ऐसे वीर सपूतों की क्षति से आज पूरा देश सदमे में है।

इस दौरान महामंत्री मुकेश ठाकुर उपाध्यक्ष विवेक कसाना मीडिया प्रभारी विराट ठाकुर सोनू योगी जिला मंत्री सत्येंद्र  खटाना जिला मंत्री सुनील तवर संजय नागर धर्मी भाटी जिला कार्यकारिणी सदस्य नीरज कुमार बने सिंह सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।