Ghaziabad City News (विशेष संवाददाता) : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर में आयोजित के अनोखे आयोजन में गीत, ग़ज़ल तथा कविता के बीच प्रसिद्ध कहानीकार सेरा यात्री को शिद्दत के साथ याद किया गया। कार्यक्रम में बड़े बडे कलाकारों ने अपनी अपनी प्रस्तुति पेश करके इस आयोजन को अदभुत बना दिया।
Ghaziabad City News
यूँ चला कार्यक्रम
मशहूर शायर, कवि व गीतकार गुनवीर राणा ने ‘महफिल ए बारादरी’ को खुलूस और मोहब्बत का ठिकाना बताया। बतौर कार्यक्रम अध्यक्ष उन्होंने कहा कि वह तमाम मंचों से अपनी रचनाएं पेश कर चुके हैं, लेकिन ‘महफिल ए बारादरी’ असल में अदीबों का ठिकाना है। अपने गीत के हर बंद पर दाद बटोरते हुए उन्होंने कहा ‘राजमहलों में तुम्हारी चल रही है मंथराओं, तुम मुझे बनवास दिला दो बड़ा अहसान होगा।’
मुख्य अतिथि सुविख्यात कवयित्री नीना मिश्रा ने भी मंथरा को लक्षित कर रचना प्रस्तुत करने के साथ शून्यवाद के सिद्धांत को परिभाषित करते हुए ध्यानाकर्षित किया। उन्होंने कहा कि जीवन का कोई अंतर्निहित अर्थ नहीं होता। प्रत्येक व्यक्ति पर यह निर्भर है कि वह अपना उद्देश्य निर्धारित करे। जो यात्रा, रिश्तों, कला, कार्य या किसी अन्य गतिविधि के माध्यम से भी संपन्न हो सकता है।
नेहरू नगर स्थित सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में संस्था की संस्थापिका डॉ. माला कपूर ‘गौहर’ ने अपनी पंक्तियों ‘जो दिल पे गुज़रती है बताने के नहीं हम, और ये भी सुनो जान से जाने के नहीं हम। किस शान से ये तुमने कभी हमसे कहा था, ‘गौहर’ सा कोई और बनाने के नहीं हम’, पर भरपूर दाद बटोरी। उनके अशआर ‘ये किसका गुमां है तसव्वुर के आगे, मुहब्बत जवां है तसव्वुर के आगे। तसव्वुर की हद तक रहो तुम भी ‘गौहर’, बड़े इम्तिहां हैं तसव्वुर के आगे’ भी भरपूर सराहे गए।
कार्यक्रम की शुरूआत आशीष मित्तल की सरस्वती वंदना ‘मां सरस्वती, हंस वाहिनी, ज्ञान कुंज प्रकाशनी’ से हुई। मशहूर शायर सुरेंद्र सिंघल ने अपनी पंक्तियों ‘शाम ढले से बैठी हैं दरवाजे पर दो गीली आंखें, वो आए तो दिनभर का रुठा चूल्हा मुस्काए शायद’ पर खूब दाद बटोरी।
कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन करने वाली दीपाली जैन ‘जिया’ ने फ़रमाया’ मैं जल्द संभल जाऊंगी, चिंता न तुम करो, पहले सी खिलखिलाऊंगी, चिंता न तुम करो। आदत है मेरी करना यकीं बन्द नज़र से, फिर से फ़रेब खाऊंगी, चिंता न तुम करो।’
Ghaziabad City News
कार्यक्रम के संयोजक आलोक यात्री ने पिता को समर्पित मार्मिक कविता ‘काश! होती बारीश’ से सभी को भावुक कर दिया। वहीं मासूम ग़ाज़ियाबादी ने साहित्यकार से. रा. यात्री की स्मृति को कुछ यूं याद किया ‘चमन में बुलबुल ओ गुल की ये गुफ्तगू सुनी मैंने, हंसीं में जी नहीं लगता, रुदन में जी नहीं लगता, चमन में आना जाना तो लगा रहता है माली का, मगर कुछ ऐसे जाते हैं चमन में जी नहीं लगता।’ सोनम यादव ने कहा ‘वक्त है क्रूर सबको ही छल जायेगा, धूल सबके ही मुखड़ों पे मल जायेगा, वक्त से जीत कर कोई जा न सका, कोई अब जा रहा कोई कल जायेगा।’
संजीव शर्मा ने अपने गीत की पंक्तियों ‘यूं ही हां में हां मिलाऊं, मैं नहीं हूं इस तरह का, कुछ भी बोलो मान जाऊं, मैं नहीं हूं इस तरह का’ पर भरपूर दाद बटोरी। सुभाष चंदर, श्रीबिलास सिंह, सुभाष अखिल, राजीव सिंघल, सीमा सिकंदर, कल्पना कौशिक, सुमित्रा शर्मा, प्रीति त्रिपाठी, देवेन्द्र देव, प्रताप सिंह, रिंकल शर्मा व आयुषी गुप्ता की रचनाएं भी भरपूर सराही गईं। इस अवसर पर पत्रकार अजय शर्मा, डॉ. मधु शर्मा व पंडित सत्य नारायण शर्मा के अलावा सुमन गोयल, उत्कर्ष गर्ग, रंजन शर्मा, विष्णु कुमार गुप्ता, सुखबीर जैन, वीरेंद्र सिंह राठौर, संजय भदौरिया, दीपा गर्ग, नंदिनी शर्मा व रवीन्द्र कुमार के अलावा बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।
नोएडा में हर महीने 3 महिला और 6 बच्चियां बनती हैं हवस की शिकार
ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।
देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।