New Delhi News : नई दिल्ली। भारत की राजधानी दिल्ली के एक धार्मिक नेता के फतवे ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सवाल यह है कि क्या पुरूषवादी सोच के लोग बिना महिला के पुरूष पैदा कर लेंगे? आपको बताते चलें कि आधुनिक 21वीं सदी में भी कुछ लोगों की सोच महिलाओं के प्रति अभी 18वीं सदी जैसी है। ये लोग महिला को अबला, कमजोर और नासमझ समझते हैं। इसलिए गाहे बगाहे उनके लिए नए नए फतवे जारी करते रहते हैं।
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ताजा मामला दिल्ली की जामा मस्जिद से जुड़ा है। जामा मस्जिद के शाही इमाम ने फतवा जारी कर दिया कि अकेली महिला का जामा मस्जिद में प्रवेश करना मना है। इस पर हंगामा होना ही था। सामाजिक संगठनों, मीडिया और नारीवादी संस्थाओं ने इस फतवे के विरोध में आवाज उठाई। यहां तक कि महिला आयोग और दिल्ली के उपराज्यपाल ने भी शाही इमाम को पत्र लिखकर इस निर्णय को वापिस लेने की मांग की।
चारों तरफ से घिरने पर जामा मस्जिद प्रबंधन ने अपना यह फैसला वापिस तो ले लिया है किन्तु य़ह अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है। आखिर महिला के प्रति पुरुष की सोच कब बदलेगी? आज कौन सा क्षेत्र ऐसा है जहां महिलाओं ने अपनी सफ़लता के झंडे नही गाड़े हैं। और हम हैं कि उन्हें अभी भी पुरुष के अधीनस्थ ही रखना चाहते हैं। हम क्यों भूल जाते हैं कि महिलाएं न होती तो पुरूष पैदा ही नहीं हो सकते। बड़ा सवाल यही है कि क्या महिला के बिना ही पैदा हो जाएंगे पुरूष?