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विश्लेषकों का बड़ा दावा: तिवारी को पटकनी देंगे कन्हैया

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Delhi News : दिल्ली में हाई प्रोफाइल होते चुनाव के बीच बड़ा विश्लेषण सामने आया है। राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि युवा वर्ग में लोकप्रिय कन्हैया कुमार दिल्ली की नार्थ ईस्ट सीट पर मनोज तिवारी को पटकनी दे सकते हैं। विश्लेषकों ने अपने दावे में समर्थन में कहा है कि कांग्रेस तथा आप का गठबंधन एवं कन्हैया कुमार की लोकप्रियता के कारण दिल्ली की नार्थ ईस्ट सीट पर चौंकाने वाले परिणाम हो सकते हैं।

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चला गया पूर्वांचल वाला दांव

विश्लेषकों की राय से पहले दिल्ली की नार्थ ईस्ट सीट को समझ लेते हैं। बीजेपी ने दिल्ली के अपने सात में से छह सांसदों के टिकट काट दिए और केवल एक सांसद जो अपना टिकट बचाने में सफल रहा।  टिकट बचाने वाले इकलौते सांसद थे मनोज तिवारी। बीजेपी ने दो बार के सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी पर लगातार तीसरी बार भरोसा जताया है तो उसके पीछे उनका पूर्वांचली होना भी बड़ी वजह माना जा रहा है। अब कांग्रेस ने भी एक पूर्वांचली के सामने पूर्वांचली को ही टिकट दे दिया है। मनोज तिवारी बिहार के कैमूर जिले के निवासी हैं तो कन्हैया कुमार भी बिहार से ही आते हैं।

सीट का जातिगत समीकरण

जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष को कांग्रेस ने इस सीट से उतारा तो इसके पीछे भी उसका अपना गणित है।  कांग्रेस की रणनीति कन्हैया के सहारे मनोज तिवारी के पूर्वांचली वोटबैंक में सेंध लगाने के साथ ही दलित-पिछड़ा-अल्पसंख्यक और मजदूर वर्ग को साथ लाकर वोटों का नया समीकरण गढऩे की भी है।  कन्हैया कुमार अपने भाषणों में युवाओं और रोजगार के साथ ही दलित-पिछड़े और दबे-कुचले वर्गों की बात करते हैं।

पिछले 10 साल से सांसद मनोज तिवारी को लेकर एंटी इनकम्बेंसी कैश कराने की कोशिश में जुटी कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के समर्थन से एकमुश्त दलित-मुस्लिम-ओबीसी वोट की आस है। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि थोड़े-बहुत पूर्वांचली वोटर्स का साथ भी मिल गया तो यह बफर का काम करेगा और ऐसे में पार्टी के यहां से जीतने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।  दूसरी तरफ, बीजेपी को भरोसा है कि पूर्वांचली और दलित-पिछड़ा वोटर्स के समर्थन से मनोज तिवारी जीत की हैट्रिक लगाएंगे।  दो पूर्वांचलियों की लड़ाई में ओबीसी-दलित के साथ ही सवर्ण वोटर्स का रोल अहम हो गया है।  नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट के तहत बुराड़ी, तिमारपुर, सीमापुरी, रोहतासनगर, सीलमपुर, घोंडा, बाबरपुर, गोकलपुर, मुस्तफाबाद और करावल नगर विधानसभा सीट आती है. यह सीट सांप्रदायिक लिहाज से भी बेहद संवेदनशील मानी जाती है और 2020 के दिल्ली चुनाव के बाद भडक़ी सांप्रदायिक हिंसा से सीलमपुर जैसे इलाके प्रभावित रहे थे।  इस लोकसभा क्षेत्र की कुल आबादी में मुस्लिम समाज के लोगों की भागीदारी करीब 21 फीसदी है।  मुस्तफाबाद, सीलमपुर, करावल नगर और घोंडा जैसे क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है तो वहीं यूपी की सीमा से सटे इलाकों में पड़ोसी राज्य के साथ ही बिहार और हरियाणा के लोगों की आबादी प्रभावी है।  विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो रोहतास नगर, घोंडा और करावल नगर सीट से बीजेपी के विधायक हैं जबकि बाकी सात सीटों से आम आदमी पार्टी के।

निर्णायक है पूरब वाले

नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट के चुनाव नतीजे तय करने में पूर्वांचली वोटर्स का रोल निर्णायक माना जाता है। इस सीट के समीकरणों की बात करें तो यूपी और और बिहार से नाता रखने वाले मतदाताओं की तादाद करीब 28 फीसदी है।   इलाके में अनुसूचित जाति की आबादी 16.3 फीसदी, मुस्लिम 20.74 फीसदी, ब्राह्मण 11.61 फीसदी हैं।  वैश्य 4.68 फीसदी, पंजाबी 4 फीसदी, गुर्जर 7.57 फीसदी और ओबीसी की आबादी इस लोकसभा क्षेत्र में 21.75 है।

इस पूरे विश्लेषण के अलावा विश्लेषकों का मत है कि कन्हैया कुमार युवा वर्ग में बेहद लोकप्रिय चेहरा बनकर उभरे हैं। जातिगत, क्षेत्रगत, धार्मिक तथा लोकप्रियता का पैमाना नापकर विश्लेषक दावा कर रहे हैं कि कन्हैया कुमार मनोज तिवारी को पटकनी दे देंगे।

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