Friday, 11 April 2025

IGI एयरपोर्ट में आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे अफसरों में मची भागमभाग!

Delhi News : दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) न केवल देश की बल्कि दुनिया भर में अपनी सुरक्षा और…

IGI एयरपोर्ट में आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे अफसरों में मची भागमभाग!

Delhi News : दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) न केवल देश की बल्कि दुनिया भर में अपनी सुरक्षा और संचालन के लिए प्रसिद्ध है। यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम होते हुए भी अपराधी अपनी आदतों से बाज नहीं आते। हाल ही में एक नया मामला सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति ने फर्जी पासपोर्ट के सहारे विदेश यात्रा करने की कोशिश की।

फर्जी पासपोर्ट की हुई पहचान

जानकारी के मुताबिक, यह मामला 23 साल के कंवलजीत सिंह से जुड़ा है जो विदेश जाने के लिए IGI एयरपोर्ट पहुंचा था। फ्लाइट में बोर्ड करने से पहले उसने अपना पासपोर्ट इमिग्रेशन अधिकारियों को जांचने के लिए दिया। पासपोर्ट की जांच के दौरान इमिग्रेशन डिपार्टमेंट के अधिकारी को कुछ संदिग्ध लगा। कंवलजीत के पासपोर्ट पर एक प्रकार की चिपकने वाली सामग्री पाई गई। अधिकारियों ने कंवलजीत को विदेश जाने से रोक लिया और उसे निगरानी में रखा।

वीजा स्टिकर को हटाने के लिए किया गया गोंद का इस्तेमाल

जांच में यह सामने आया कि पासपोर्ट के पेज नंबर 11 पर मौजूद वीजा स्टिकर को हटाने के लिए गोंद का इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद कंवलजीत को हिरासत में लेकर IGI एयरपोर्ट पुलिस को सौंप दिया गया, और इस पर FIR दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई। पूछताछ में कंवलजीत ने बताया कि वह विदेश जाने के लिए अपने रिश्तेदारों से प्रेरित था। उसने एक एजेंट राहुल से संपर्क किया, जिसे उसके चचेरे भाई ने मिलवाया था। राहुल ने 1 लाख रुपये लेकर उसे ग्रीस जाने का वीजा दिलवाने का वादा किया, लेकिन वीजा फर्जी निकला। इसके बाद राहुल ने उसे थाईलैंड जाने का प्रबंध किया और वहां वीजा का इंतजाम करने का आश्वासन दिया। राहुल की सलाह पर कंवलजीत ने अपने पासपोर्ट से ग्रीक वीजा वाला पेज हटा दिया, ताकि वह एयरपोर्ट पर पकड़ा न जाए। लेकिन गोंद के बचे हुए निशान के कारण उसकी धोखाधड़ी उजागर हो गई।

पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार

कंवलजीत के बयान के आधार पर राहुल अरोड़ा और गुरशांत सिंह को गिरफ्तार किया गया। जांच में यह भी पता चला कि पश्चिम बंगाल के उत्तरपारा के संजीव कुमार का भी इसमें हाथ था। चार महीने की खोजबीन के बाद संजीव को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। संजीव ने अपराध कबूल करते हुए बताया कि वह 2014 में गुजरात से पश्चिम बंगाल गया था और कई सालों तक एजेंट के रूप में काम करता रहा। फिलहाल अधिकारियों ने बताया कि जांच अभी जारी है और इसमें और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

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