Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने गुणवत्तापूर्ण शोध को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न शोध प्रचार योजनाएं शुरू की हैं इसमें स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर शोध परियोजनाएं शामिल हैं। शोध इकोसिस्टम को और मजबूत करने के लिए, विश्वविद्यालय ने हाल ही में UGC PhD नियमावली 2022 के अनुसार एक नये PhD अध्यादेश लागू करने पर कार्य कर रहा है।
छात्रों के शोध क्षेत्र की व्यापक समझ में करेंगे मदद
अब PhD पाठ्यक्रम में 12 क्रेडिट के तीन पेपर शामिल होंगे (पुराने पाठ्यक्रम में दो पेपर और 8 क्रेडिट थे) जो छात्रों को उनके शोध क्षेत्र की व्यापक समझ में मदद करेंगे। शोध और प्रकाशन नैतिकता का परिचय: एक महत्वपूर्ण योजना यह है कि शोध और प्रकाशन नैतिकता के पेपर को शामिल किया गया है, जिसमें 2 क्रेडिट होंगे जो 30 घंटे पढ़ाए जाएँगे। यह पेपर छात्रों को विज्ञान और नैतिकता के तत्वों, रिसर्च इंटीग्रिटी, प्रकाशन नैतिकता, शोध अनुशासन, इंडेक्सिंग और साइटेशन स्तर के मूल तत्वों के साथ परिचित कराने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
अब PhD पाठ्यक्रम में 12 क्रेडिट के तीन पेपर शामिल होंगे
PhD अध्यादेश तैयार करने के लिए कुलपति द्वारा गठित समिति के सदस्य प्रो. पूनम टंडन, डीन एकेडमिक्स और प्रो. विभूति राय, जियोलॉजी विभाग, यह मानते हैं कि इन परिवर्तनों से नए शोधकर्ताओं पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा, जिससे उनके शोध की गुणवत्ता में सुधार होगी।
शोध और प्रकाशन नैतिकता का परिचय:
कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने इन पहलों के महत्व को बढ़ावा देने की महत्वता पर जोर दिया है उन्होंने कहा कि हम एथिक्स को बनाए रखने और उच्च गुणवत्ता वाले शोध परिणाम प्रस्तुत करने वाली एक शोध संस्कृति को पोषित करने के लिए समर्पित हैं। शोध और प्रकाशन नैतिकता के पेपर के प्रस्तुत किए जाने से हमारे PhD छात्रों को जिम्मेदार और नैतिक शोध प्रयोगों के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान होंगे।