धर्म - अध्यात्म :कैसे मिटे प्रेम की भूख?

Spiritual 2
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 04:14 PM
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 विनय संकोची

प्रेम करना और प्रेम पाना मानव की स्वाभाविक  भूख है। मनुष्य के प्रेम पात्र बदल जाते हैं, परंतु प्रेम की भूख नहीं मिटती है। इसका कारण है कि उसकी भूख पूर्ण प्रेम की है, अपूर्ण प्रेम से उसे कभी तृप्ति नहीं मिल सकती। मानव के अंदर परिपूर्णता हो ही नहीं सकती क्योंकि वह तो स्वरूप से  ही अपूर्ण है। अपूर्ण मानव को हम अपना प्रेम देते हैं, इसीलिए हमारा प्रेम भी अपूर्ण ही बना रहता है। बचपन में हम खिलौनों से प्रेम करते हैं, कुछ बड़े होने पर हमजोलियों से प्रेम करने लगते हैं, विवाह होने पर पत्नी से प्रेम करने लगते हैं और संतान होने पर उसके प्रेम में पड़ जाते हैं। हमारे प्रेम के पात्र निरंतर बदलते रहते हैं, इसलिए हमारा प्रेम कभी पूर्ण नहीं होता है और प्रेम के मामले में हम हमेशा अपूर्ण बने रहते हैं, भूखे रहते हैं। यदि हम चाहते हैं कि हमारे हृदय में पूर्ण प्रेम हो तो हमें पूर्ण परमेश्वर से प्रेम करना होगा, तभी प्रेम की भूख मिट सकती है।

हमें यह बात समझनी होगी कि प्रेम और वासना दोनों एक साथ नहीं रह सकते, दोनों में आधारभूत विरोध है। सच्चाई यह है कि आज हम मोह को ही प्रेम के रूप में देखने लगे हैं। हम इन दोनों में भेद नहीं कर पाते हैं। मोह की विशेषता है कि वह पदार्थ की प्राप्ति के समय घट जाता है। प्रेम की विशेषता यह है कि वह पदार्थ - प्राप्ति काल के पूर्व जैसा था प्राप्ति काल में ही वैसा ही बना रहता है। मोह की तरह प्राप्ति के बाद प्रेम घटता नहीं अपितु बढ़ता है। मोह ग्रस्त को धर्म के उपदेश से भी सुधारा नहीं जा सकता। यह सुधार तो स्वयं के प्रयासों से ही संभव है। मोह को त्यागकर प्रेम की ओर प्रवृत्त होने की भूख ही मानव को परिपूर्ण ईश्वर के निकट ले जाने में सक्षम है। जिस जीवन में प्रेम नहीं उसे जीवन कहना ही पाप है। वह तो जड़ जीवन है। प्रेम कभी बदला नहीं चाहता अपितु बलिदान चाहता है। जो सच्चा प्रेमी होता है, वह आशा ही नहीं रखेगा कि उसे प्रेम के बदले प्रेम मिले। दूसरा चाहे उससे घृणा करे लेकिन वह उसे उसी रूप में प्रेम करता रहेगा। सच्चा प्रेमी अपने प्रिय को सदैव बड़ा समझता है। प्रेम का वर्णन सांसारिक माया जाल में फंसा व्यक्ति नहीं कर सकता, प्रेम का वर्णन तो एक समर्पित प्रेमी ही कर सकता है। लेकिन वह प्रेम वर्णन की स्थिति में होता ही नहीं है क्योंकि ऐसा करने से उसके प्रेमानंद में विघ्न पड़ता है। वह तो आनंद में डूबे रहना चाहता है। प्रेम का आनंद अनुपम, अलौकिक और अवर्णनीय है। ईश्वर से प्रेम ही जीवन की सच्चाई है और समर्पण प्रेम का आधार। जब मनुष्य अपना सब कुछ भगवान को अर्पित - समर्पित कर देता है, तो उसके पास न अहंकार रहता है, न मोह रहता है, वह तो भगवान का हो जाता है। ऐसी स्थिति में यदि वह किसी जीवात्मा से प्रेम करता है तो भगवान का रूप मानकर और यही निष्काम प्रेम है, जो किसी भी परिस्थिति में दूषित नहीं होता है।

प्रेम पथ पर चलना आसान नहीं है। ग्रंथों को पढ़ने से प्रेम को समझना मुश्किल है। सांसारिक प्रेम को आध्यात्मिक प्रेम में परिणत किया जा सकता है। इसके लिए सच्चे प्रेम की परिभाषा जाननी होगी और सच्चे प्रेमी को ईश्वर से दिल लगाना होगा। अधिकांश लोग स्वार्थ पूर्ति के लिए ईश्वर से प्रेम करने का दिखावा करते हैं। वे ईश्वर से नित नई मांग करते हैं। प्रेम में मांग का कोई स्थान नहीं होता है, स्वार्थ की कोई जगह नहीं होती है। जहां मांग हो, जहां स्वार्थ हो वहां प्रेम रहे, यह संभव ही नहीं है। प्रेम की प्राप्ति बड़े ही भाग्यवान व्यक्तियों को होती है।

जब तक मानव जीवन यात्रा में प्रेम का प्राकट्य नहीं होगा तब तक वह भगवान का प्रेम नहीं पा सकता। ईश्वर भक्ति सच्चे प्रेम की अंतिम सीढ़ी है। प्रेम सर्वथा अलौकिक और अनिर्वचनीय है। उस तक वाणी की पहुंच नहीं है। बुद्धि भी उसको स्पर्श तो करती है लेकिन पूरा पता नहीं लगा सकती, पूरी कर समझ नहीं पाती। हां, अगर पूरी तरह समर्पित हो जाए तो मन उसे पा सकता है, परंतु मन तो भटकता रहता है और यह भटकन प्रेम को पाने नहीं देती है। प्रेम ऐसा धर्म है, जिसका पालन कर प्रभु को पाया जा सकता है।

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 विनय संकोची

प्रेम करना और प्रेम पाना मानव की स्वाभाविक  भूख है। मनुष्य के प्रेम पात्र बदल जाते हैं, परंतु प्रेम की भूख नहीं मिटती है। इसका कारण है कि उसकी भूख पूर्ण प्रेम की है, अपूर्ण प्रेम से उसे कभी तृप्ति नहीं मिल सकती। मानव के अंदर परिपूर्णता हो ही नहीं सकती क्योंकि वह तो स्वरूप से  ही अपूर्ण है। अपूर्ण मानव को हम अपना प्रेम देते हैं, इसीलिए हमारा प्रेम भी अपूर्ण ही बना रहता है। बचपन में हम खिलौनों से प्रेम करते हैं, कुछ बड़े होने पर हमजोलियों से प्रेम करने लगते हैं, विवाह होने पर पत्नी से प्रेम करने लगते हैं और संतान होने पर उसके प्रेम में पड़ जाते हैं। हमारे प्रेम के पात्र निरंतर बदलते रहते हैं, इसलिए हमारा प्रेम कभी पूर्ण नहीं होता है और प्रेम के मामले में हम हमेशा अपूर्ण बने रहते हैं, भूखे रहते हैं। यदि हम चाहते हैं कि हमारे हृदय में पूर्ण प्रेम हो तो हमें पूर्ण परमेश्वर से प्रेम करना होगा, तभी प्रेम की भूख मिट सकती है।

हमें यह बात समझनी होगी कि प्रेम और वासना दोनों एक साथ नहीं रह सकते, दोनों में आधारभूत विरोध है। सच्चाई यह है कि आज हम मोह को ही प्रेम के रूप में देखने लगे हैं। हम इन दोनों में भेद नहीं कर पाते हैं। मोह की विशेषता है कि वह पदार्थ की प्राप्ति के समय घट जाता है। प्रेम की विशेषता यह है कि वह पदार्थ - प्राप्ति काल के पूर्व जैसा था प्राप्ति काल में ही वैसा ही बना रहता है। मोह की तरह प्राप्ति के बाद प्रेम घटता नहीं अपितु बढ़ता है। मोह ग्रस्त को धर्म के उपदेश से भी सुधारा नहीं जा सकता। यह सुधार तो स्वयं के प्रयासों से ही संभव है। मोह को त्यागकर प्रेम की ओर प्रवृत्त होने की भूख ही मानव को परिपूर्ण ईश्वर के निकट ले जाने में सक्षम है। जिस जीवन में प्रेम नहीं उसे जीवन कहना ही पाप है। वह तो जड़ जीवन है। प्रेम कभी बदला नहीं चाहता अपितु बलिदान चाहता है। जो सच्चा प्रेमी होता है, वह आशा ही नहीं रखेगा कि उसे प्रेम के बदले प्रेम मिले। दूसरा चाहे उससे घृणा करे लेकिन वह उसे उसी रूप में प्रेम करता रहेगा। सच्चा प्रेमी अपने प्रिय को सदैव बड़ा समझता है। प्रेम का वर्णन सांसारिक माया जाल में फंसा व्यक्ति नहीं कर सकता, प्रेम का वर्णन तो एक समर्पित प्रेमी ही कर सकता है। लेकिन वह प्रेम वर्णन की स्थिति में होता ही नहीं है क्योंकि ऐसा करने से उसके प्रेमानंद में विघ्न पड़ता है। वह तो आनंद में डूबे रहना चाहता है। प्रेम का आनंद अनुपम, अलौकिक और अवर्णनीय है। ईश्वर से प्रेम ही जीवन की सच्चाई है और समर्पण प्रेम का आधार। जब मनुष्य अपना सब कुछ भगवान को अर्पित - समर्पित कर देता है, तो उसके पास न अहंकार रहता है, न मोह रहता है, वह तो भगवान का हो जाता है। ऐसी स्थिति में यदि वह किसी जीवात्मा से प्रेम करता है तो भगवान का रूप मानकर और यही निष्काम प्रेम है, जो किसी भी परिस्थिति में दूषित नहीं होता है।

प्रेम पथ पर चलना आसान नहीं है। ग्रंथों को पढ़ने से प्रेम को समझना मुश्किल है। सांसारिक प्रेम को आध्यात्मिक प्रेम में परिणत किया जा सकता है। इसके लिए सच्चे प्रेम की परिभाषा जाननी होगी और सच्चे प्रेमी को ईश्वर से दिल लगाना होगा। अधिकांश लोग स्वार्थ पूर्ति के लिए ईश्वर से प्रेम करने का दिखावा करते हैं। वे ईश्वर से नित नई मांग करते हैं। प्रेम में मांग का कोई स्थान नहीं होता है, स्वार्थ की कोई जगह नहीं होती है। जहां मांग हो, जहां स्वार्थ हो वहां प्रेम रहे, यह संभव ही नहीं है। प्रेम की प्राप्ति बड़े ही भाग्यवान व्यक्तियों को होती है।

जब तक मानव जीवन यात्रा में प्रेम का प्राकट्य नहीं होगा तब तक वह भगवान का प्रेम नहीं पा सकता। ईश्वर भक्ति सच्चे प्रेम की अंतिम सीढ़ी है। प्रेम सर्वथा अलौकिक और अनिर्वचनीय है। उस तक वाणी की पहुंच नहीं है। बुद्धि भी उसको स्पर्श तो करती है लेकिन पूरा पता नहीं लगा सकती, पूरी कर समझ नहीं पाती। हां, अगर पूरी तरह समर्पित हो जाए तो मन उसे पा सकता है, परंतु मन तो भटकता रहता है और यह भटकन प्रेम को पाने नहीं देती है। प्रेम ऐसा धर्म है, जिसका पालन कर प्रभु को पाया जा सकता है।

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दैनिक राशिफल 29 सितंबर 2021- जानिए क्या कहते हैं आज आपके सितारे

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Raashifal 29 September 2021(file photo)
locationभारत
userसुप्रिया श्रीवास्तव
calendar29 Sep 2021 07:50 AM
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29 सितंबर 2021-(बुधवार) (Rashifal 29 September 2021) जानते हैं आपके दैनिक राशिफल (Dainik Rashifal) के मुताबिक कैसा बीतने वाला है आज आपका दिन-

मेष राशि - दिन सामान्य रहेगा। व्यापार में लाभ होंगे। वाहन खरीदने के योग बनते दिखाई दे रहे हैं। भाई से मतभेद हो सकता है।आज आप अपने व्यवहार से कई लोगों को प्रभावित करेंगे। स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

वृषक राशि - दिन खुशहाल रहेगा। नौकरी में तरक्की की योग बनते दिखाई दे रहे हैं। अधिकारियों और बड़े लोगों से संपर्क बनेगा। परिवार के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा।

मिथुन राशि -दिन अच्छा रहेगा। आर्थिक वृद्धि के नए रास्ते खुलेंगे। परिवार के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा। समाज में प्रतिष्ठा बढ़ेगी। पराक्रम के साथ परिस्थितियों का सामना करेंगे।

कर्क राशि- आज का दिन मिलाजुला परिणाम लेकर आने वाला है।अपनी बातों को प्रभावशाली ढंग से लोगों के सामने रखने में सफल होंगे। बैंकिंग,टीचिंग व मीडिया कर्मियों के नौकरी में तरक्की के योग बनते दिखाई दे रहे हैं। आर्थिक लाभ के योग बनते दिखाई दे रहा है। पारिवारिक जीवन सामान्य रहेगा।

सिंह राशि -व्यापार से जुड़े लोगों के लिए आज का दिन शुभ फलदायक है। अगर आप अपने व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं तो आज का दिन उसके लिए अच्छा है।स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पारिवारिक जीवन सामान्य रहेगा।

कन्या राशि -दिन सामान्य रहेगा। मन थोड़ा विचलित रह सकता है। आर्थिक लाभ के योग बनते दिखाई दे रहे हैं। नौकरी पेशा लोगों के लिए दिन शुभ फलदायक है। स्वास्थ्य के प्रति गंभीर रहने की आवश्यकता है।

तुला राशि -आज का दिन कठिनता से भरा होगा। आर्थिक मामलों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। जीवन साथी के साथ मतभेद हो सकता है। वाणी व क्रोध पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है।

वृश्चिक राशि -आर्थिक दृष्टि से आज का दिन लाभदायक साबित हो सकता है। लेकिन पारिवारिक मामलों में आज का दिन चिंता से भरा रहेगा। व्यवसाय में तरक्की की योग बनते दिखाई दे रहे हैं। लोगों के मामलों में बेवजह की दखल देने से बचें।

धनु राशि - दिन सामान्य रहेगा। छात्रों के लिए आज का दिन शुभ फलदायक है। आर्थिक लाभ के योग बनते दिखाई दे रहे हैं। नौकरी एवं व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए भी आज का दिन बेहतरीन साबित होगा।

मकर राशि -दिन सामान्य रहेगा। विद्यार्थियों के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण है। परिवार के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा। भाई बंधुओं के साथ संबंधों में मिठास आएगी। बेवजह की बहस या मुद्दों में पड़ने से बचें।

कुंभ राशि - दिन सामान्य रहेगा। विदेश में व्यापार करने लोगों के लिए आज का दिन लाभदायक साबित होगा। बेवजह की जोखिम लेने से बचें। क्रोध एवं वाणी पर पूरी तरह से नियंत्रण रखने की आवश्यकता है अन्यथा किसी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।

मीन राशि -आज का दिन उत्साह से भरा हुआ होगा। छात्रों को परीक्षा में सफलता मिलेगी। व्यवसाय में बड़े लाभ के योग बनते दिखाई दे रहे हैं। परिवार के साथ समय बहुत ही आनंद पूर्वक व्यतीत होगा। मानसिक उलझनों का सामना करना पड़ सकता है।

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