Heat Wave : गर्मी में बढ़ा डायरिया का प्रकोप, अस्पतालों में पहुंच रहे सैकड़ों मरीज

जानकार लोगों की दूध पीने की सलाह देते हैं। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों से शरीर को काफी फायदा मिलता है। बड़ों के साथ बच्चों को भी इसके सेवन की सलाह दी जाती है।



World Blood Donor Day : आज (14 जून) विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) है। प्रत्येक वर्ष ‘वर्ल्ड ब्लड डोनर डे’ को एक खास थीम के तहत सेलिब्रेट किया जाता है। इस वर्ष इस दिवस की थीम रखी गई है 'रक्त दो, प्लाज्मा दो, जीवन साझा करो, अक्सर साझा करो'। हर वर्ष नई थीम के तहत लोगों को रक्तदान करने के लिए जागरूक किया जाता है। इस बात के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है कि रक्तदान एक महादान है और ब्लड डोनेट करके आप कई लोगों को नई जिंदगी प्रदान करते हैं।
फेलिक्स अस्पताल की डॉक्टर रश्मि गुप्ता ने बताया कि भारतीय समाज में रक्तदान को महादान कहा गया है। इसलिए 14 जून को वर्ल्ड ब्लड डोनर डे के अवसर पर फेलिक्स अस्पताल में एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जिसमें कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार रक्तदान कर सकता है। यह कार्यक्रम सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगा। रक्तदान से कोई भी व्यक्ति लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं। यही नहीं, रक्तदान से आप स्वयं के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। रक्तदान एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है, जो दूसरों के जीवन को बचाने में मदद कर सकती है।
रक्तदान कई प्रकार के होते हैं और ये सभी प्रकार के रक्तदान विभिन्न चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करते हैं। रक्तदान को इसलिए महादान का नाम दिया गया है क्योंकि आप जो ब्लड दान करते हैं, उससे कई लोगों की जिंदगी बच जाती है। हर साल लाखों लोगों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है। कुछ को सर्जरी के दौरान रक्त चढ़ाने की सख्त आवश्यकता पड़ जाती है। कई बार दुर्घटना होने के बाद भी एमरजेंसी में ब्लड चढ़ाना होता है। ऐसे में रक्तदान करने से इन सभी परिस्थितियों में आपके द्वारा डोनेट किया गया ब्लड ज़रूतमंदों की जान बचाने के लिए चढ़ाया जाता है।
मानव रक्त का कोई विकल्प नहीं है। सभी ट्रांसफ्यूजन में डोनर के रक्त का ही उपयोग किया जाता। कभी कभी बॉडी बहुत अधिक आयरन अवशोषित कर लेता है। इस स्थिति को हेमोक्रोमैटोसिस कहते हैं। आयरन हार्ट और लिवर जैसे अंगों के अंदर जमा होने लगता है, जिससे मधुमेह और दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। नियमित रक्तदान से हेमोक्रोमैटोसिस से बचाव संभव है। नियमित रूप से रक्तदान करने वालों की बॉडी में आयरन बैलेंस रहता है। बॉडी में आयरन की मात्रा अधिक होने पर धमनियों में ब्लॉकेज की समस्या शुरू हो जाती है, जो आगे चल कर दिल की बीमारियों का कारण बन सकता है।
रक्तदान से वजन पर नियंत्रण रखने में भी मदद मिल सकती है। हेल्थ के लिए रक्तदान बहुत फायदेमंद है। जब भी कोई व्यक्ति रक्तदान करता है तो रेड ब्लड सेल्स को बनाने वाले अंग पूरी शक्ति लगाकर नए सेल्स बनाने लगते हैं। इससे ब्लड प्लाज्मा में ल्यूकोसाइट्स की मात्रा बढ़ जाती है जिससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। कोई भी स्वस्थ वयस्क पुरुष और महिला (18-65 साल) रक्तदान कर सकते हैं।
- ब्लड डोनेट करने वाले का वजन 45 किलोग्राम से कम नहीं होना चाहिए।
- दिल की धड़कन या पल्स रेट और शरीर का तापमान सामान्य होना चाहिए।
- हिमोग्लोबिन का स्तर 12.5 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए।
- पिछले 12 महीनों में टैटू या एक्युपंचर थेरेपी नहीं होना चाहिए।
- शरीर में किसी भी प्रकार का कैंसर नहीं होना चाहिए।
- शरीर में कोई अन्य रोग जैसे मिर्गी, अस्थमा, ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स, थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, पॉलीसिथीमिया वेरा आदि नहीं होना चाहिए।
- अगर मरीज को डायबिटीज है और इंसुलिन इंजेक्शन ले रहे हैं तब वह ब्लड डोनेट नहीं कर सकते हैं। लेकिन यदि वह डाइट और मेडिसिन के माध्यम से डायबिटीज कंट्रोल रखते हैं तो ब्लड डोनेट कर सकते हैं।
- नसों के द्वारा यदि एक बार भी आपने इंजेक्शन लिया है तो ब्लड डोनेट नहीं कर सकते।
- जननांगों में अल्सर या डिस्चार्ज, अलग-अलग लोगों से सेक्सुअल संबंध और नशीली दवाओं की लत का इतिहास है तो ब्लड डोनेट करने से बचना चाहिए।
- ब्लड डोनेट करने वाले को किसी भी प्रकार का ह्रदय रोग नहीं होना चाहिए।
- अगर हेपेटाइटिस बी, सी, ट्यूबरकुलोसिस, लेप्रोसी और एचआईवी का इंफेक्शन है तो भी ब्लड डोनेट नहीं कर सकते हैं।
- सिस्टोलिक और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर लेबल नॉर्मल होना चाहिए। महिलाओं को डिलीवरी और ब्रेस्ट फ्रीडिंग के 1 साल बाद ब्लड डोनेशन करना चाहिए। ब्लड डोनेशन से 15 दिन पहले आपने कालरा, टाइफाइड, डिप्थीरिया, टिटनेस, प्लेग और गामाग्लोबूलिन का टीका नहीं लिया होना चाहिए। इसके अलावा एक साल पहले रैबीज का टीका लगाया है तो ही ब्लड डोनेट नहीं करना चाहिए। World Blood Donor Day
World Blood Donor Day : आज (14 जून) विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) है। प्रत्येक वर्ष ‘वर्ल्ड ब्लड डोनर डे’ को एक खास थीम के तहत सेलिब्रेट किया जाता है। इस वर्ष इस दिवस की थीम रखी गई है 'रक्त दो, प्लाज्मा दो, जीवन साझा करो, अक्सर साझा करो'। हर वर्ष नई थीम के तहत लोगों को रक्तदान करने के लिए जागरूक किया जाता है। इस बात के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है कि रक्तदान एक महादान है और ब्लड डोनेट करके आप कई लोगों को नई जिंदगी प्रदान करते हैं।
फेलिक्स अस्पताल की डॉक्टर रश्मि गुप्ता ने बताया कि भारतीय समाज में रक्तदान को महादान कहा गया है। इसलिए 14 जून को वर्ल्ड ब्लड डोनर डे के अवसर पर फेलिक्स अस्पताल में एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जिसमें कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार रक्तदान कर सकता है। यह कार्यक्रम सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगा। रक्तदान से कोई भी व्यक्ति लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं। यही नहीं, रक्तदान से आप स्वयं के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। रक्तदान एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है, जो दूसरों के जीवन को बचाने में मदद कर सकती है।
रक्तदान कई प्रकार के होते हैं और ये सभी प्रकार के रक्तदान विभिन्न चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करते हैं। रक्तदान को इसलिए महादान का नाम दिया गया है क्योंकि आप जो ब्लड दान करते हैं, उससे कई लोगों की जिंदगी बच जाती है। हर साल लाखों लोगों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है। कुछ को सर्जरी के दौरान रक्त चढ़ाने की सख्त आवश्यकता पड़ जाती है। कई बार दुर्घटना होने के बाद भी एमरजेंसी में ब्लड चढ़ाना होता है। ऐसे में रक्तदान करने से इन सभी परिस्थितियों में आपके द्वारा डोनेट किया गया ब्लड ज़रूतमंदों की जान बचाने के लिए चढ़ाया जाता है।
मानव रक्त का कोई विकल्प नहीं है। सभी ट्रांसफ्यूजन में डोनर के रक्त का ही उपयोग किया जाता। कभी कभी बॉडी बहुत अधिक आयरन अवशोषित कर लेता है। इस स्थिति को हेमोक्रोमैटोसिस कहते हैं। आयरन हार्ट और लिवर जैसे अंगों के अंदर जमा होने लगता है, जिससे मधुमेह और दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। नियमित रक्तदान से हेमोक्रोमैटोसिस से बचाव संभव है। नियमित रूप से रक्तदान करने वालों की बॉडी में आयरन बैलेंस रहता है। बॉडी में आयरन की मात्रा अधिक होने पर धमनियों में ब्लॉकेज की समस्या शुरू हो जाती है, जो आगे चल कर दिल की बीमारियों का कारण बन सकता है।
रक्तदान से वजन पर नियंत्रण रखने में भी मदद मिल सकती है। हेल्थ के लिए रक्तदान बहुत फायदेमंद है। जब भी कोई व्यक्ति रक्तदान करता है तो रेड ब्लड सेल्स को बनाने वाले अंग पूरी शक्ति लगाकर नए सेल्स बनाने लगते हैं। इससे ब्लड प्लाज्मा में ल्यूकोसाइट्स की मात्रा बढ़ जाती है जिससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। कोई भी स्वस्थ वयस्क पुरुष और महिला (18-65 साल) रक्तदान कर सकते हैं।
- ब्लड डोनेट करने वाले का वजन 45 किलोग्राम से कम नहीं होना चाहिए।
- दिल की धड़कन या पल्स रेट और शरीर का तापमान सामान्य होना चाहिए।
- हिमोग्लोबिन का स्तर 12.5 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए।
- पिछले 12 महीनों में टैटू या एक्युपंचर थेरेपी नहीं होना चाहिए।
- शरीर में किसी भी प्रकार का कैंसर नहीं होना चाहिए।
- शरीर में कोई अन्य रोग जैसे मिर्गी, अस्थमा, ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स, थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, पॉलीसिथीमिया वेरा आदि नहीं होना चाहिए।
- अगर मरीज को डायबिटीज है और इंसुलिन इंजेक्शन ले रहे हैं तब वह ब्लड डोनेट नहीं कर सकते हैं। लेकिन यदि वह डाइट और मेडिसिन के माध्यम से डायबिटीज कंट्रोल रखते हैं तो ब्लड डोनेट कर सकते हैं।
- नसों के द्वारा यदि एक बार भी आपने इंजेक्शन लिया है तो ब्लड डोनेट नहीं कर सकते।
- जननांगों में अल्सर या डिस्चार्ज, अलग-अलग लोगों से सेक्सुअल संबंध और नशीली दवाओं की लत का इतिहास है तो ब्लड डोनेट करने से बचना चाहिए।
- ब्लड डोनेट करने वाले को किसी भी प्रकार का ह्रदय रोग नहीं होना चाहिए।
- अगर हेपेटाइटिस बी, सी, ट्यूबरकुलोसिस, लेप्रोसी और एचआईवी का इंफेक्शन है तो भी ब्लड डोनेट नहीं कर सकते हैं।
- सिस्टोलिक और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर लेबल नॉर्मल होना चाहिए। महिलाओं को डिलीवरी और ब्रेस्ट फ्रीडिंग के 1 साल बाद ब्लड डोनेशन करना चाहिए। ब्लड डोनेशन से 15 दिन पहले आपने कालरा, टाइफाइड, डिप्थीरिया, टिटनेस, प्लेग और गामाग्लोबूलिन का टीका नहीं लिया होना चाहिए। इसके अलावा एक साल पहले रैबीज का टीका लगाया है तो ही ब्लड डोनेट नहीं करना चाहिए। World Blood Donor Day

मुल्तानी मिट्टी:
[caption id="attachment_94471" align="alignleft" width="304"]
Multani Mitti[/caption]
मुल्तानी मिट्टी मे गुलाब जल मिलाकर घमौरियों वाली जगह पर पेस्ट बना कर लगाएं ।कुछ देर के लिये छोड़ दे जब सूख जाये तो इसे अच्छे से साफ करके नहा ले ।इसे आप दिन भर मे दो बार लगा सकते है ।
खीरा:
[caption id="attachment_94472" align="alignleft" width="272"]
Cucumber[/caption]
आप खीरे को कद्दूकस करके उसका रस निकाल ले इसमे पुदीने की कुछ पत्तियों को पीस कर मिला दे ।फिर इस लेप को रुई या किसी साफ कपड़े की सहयता से घमौरियों पर लगा कर छोड़ दे ।जब सूख जायें तो इसे धोकर नहा लें ये हमे ठंडक का एहसास देता है ।
[caption id="attachment_94473" align="alignleft" width="268"]
papaya[/caption]
पपीता:
पपीता का एक छिला हुआ टुकड़ा ले ले फिर उसे मसल लें उसमे एक चम्मच गेंहू का आटा मिला ले दोनो को मिला कर पेस्ट बना ले फिर इसे घमौरियों वाले जगह पर लगा लें ।इसे छोड़ दे सूख जाने दे फिर इसे धोकर नहा ले।इसे दिन मे दो से तीन बार लगाएं जल्द ही आराम मिलेगा। [caption id="attachment_94474" align="alignleft" width="308"]
Ice[/caption]
बर्फ:
बर्फ के तीन चार टुकड़े ले कर उन्हें साफ सती कपड़े मे बांध ले फिर इसे प्रभावित जगह पर हल्के हाथ से रगड़े इससे काफी आराम मिलेगा।इसे दिन मे दो तीन बार 10 से 15 मिनट के लिये कर सकतें है । [caption id="attachment_94475" align="alignleft" width="311"]
Curd[/caption]
दही:
इसके लिये आप को थोड़ा सा दही लेना चाहिए जो की ठंड़ा हो इसमे कुछ पुदीने की पत्तियाँ पीस कर मिला दे और फिर इसका लेप प्रभावित स्थान पर करे ।इसे सूखने के लिये छोड़ दे ।इसे साफ से धोकर नहा ले आप इसे दिन मे 2 से 3 बार कर सकती है ।
[caption id="attachment_94476" align="alignleft" width="276"]
Neem[/caption]
नीम:
घमौरियों का एक सबसे पुराना और असरदार उपाय नीम की पत्तियों का पेस्ट है ।इसके लिये आपको नीम की पत्तियों को धोकर अच्छे से साफ कर लेना चाहिए फिर इसका पेस्ट बना ले।इस पेस्ट को घमौरियों पर अच्छे से लगा दे फिर इसे सूखने के लिये छोड़ दे।फिर इसे साफ करके नहा ले ।इससे आपको बहुत जल्द आराम मिलेगा।मुल्तानी मिट्टी:
[caption id="attachment_94471" align="alignleft" width="304"]
Multani Mitti[/caption]
मुल्तानी मिट्टी मे गुलाब जल मिलाकर घमौरियों वाली जगह पर पेस्ट बना कर लगाएं ।कुछ देर के लिये छोड़ दे जब सूख जाये तो इसे अच्छे से साफ करके नहा ले ।इसे आप दिन भर मे दो बार लगा सकते है ।
खीरा:
[caption id="attachment_94472" align="alignleft" width="272"]
Cucumber[/caption]
आप खीरे को कद्दूकस करके उसका रस निकाल ले इसमे पुदीने की कुछ पत्तियों को पीस कर मिला दे ।फिर इस लेप को रुई या किसी साफ कपड़े की सहयता से घमौरियों पर लगा कर छोड़ दे ।जब सूख जायें तो इसे धोकर नहा लें ये हमे ठंडक का एहसास देता है ।
[caption id="attachment_94473" align="alignleft" width="268"]
papaya[/caption]
पपीता:
पपीता का एक छिला हुआ टुकड़ा ले ले फिर उसे मसल लें उसमे एक चम्मच गेंहू का आटा मिला ले दोनो को मिला कर पेस्ट बना ले फिर इसे घमौरियों वाले जगह पर लगा लें ।इसे छोड़ दे सूख जाने दे फिर इसे धोकर नहा ले।इसे दिन मे दो से तीन बार लगाएं जल्द ही आराम मिलेगा। [caption id="attachment_94474" align="alignleft" width="308"]
Ice[/caption]
बर्फ:
बर्फ के तीन चार टुकड़े ले कर उन्हें साफ सती कपड़े मे बांध ले फिर इसे प्रभावित जगह पर हल्के हाथ से रगड़े इससे काफी आराम मिलेगा।इसे दिन मे दो तीन बार 10 से 15 मिनट के लिये कर सकतें है । [caption id="attachment_94475" align="alignleft" width="311"]
Curd[/caption]
दही:
इसके लिये आप को थोड़ा सा दही लेना चाहिए जो की ठंड़ा हो इसमे कुछ पुदीने की पत्तियाँ पीस कर मिला दे और फिर इसका लेप प्रभावित स्थान पर करे ।इसे सूखने के लिये छोड़ दे ।इसे साफ से धोकर नहा ले आप इसे दिन मे 2 से 3 बार कर सकती है ।
[caption id="attachment_94476" align="alignleft" width="276"]
Neem[/caption]
नीम:
घमौरियों का एक सबसे पुराना और असरदार उपाय नीम की पत्तियों का पेस्ट है ।इसके लिये आपको नीम की पत्तियों को धोकर अच्छे से साफ कर लेना चाहिए फिर इसका पेस्ट बना ले।इस पेस्ट को घमौरियों पर अच्छे से लगा दे फिर इसे सूखने के लिये छोड़ दे।फिर इसे साफ करके नहा ले ।इससे आपको बहुत जल्द आराम मिलेगा।