गुप्त नवरात्रि पर इस एक स्त्रोत से पूर्ण होगा सभी महाविद्याओं का पूजन 

GUPT NAV
Magh Gupt Navratri
locationभारत
userचेतना मंच
calendar10 Feb 2024 05:52 PM
bookmark
Magh Gupt Navratri : गुप्त नवरात्रि के समय पर माता का विविध रुप से पूजन किया जाता है. नौ दिनों के दौरान किया गया दस महा विद्या स्त्रोत भक्तों की सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है. माता के पूजन में यदि महाविद्या स्त्रोत का पाठ कर लिया जाए तो इसके द्वारा भक्तों की साधना को शुभ फल प्राप्त होते हैं. माता के इन दसों रुपों की पूजा एक साथ संपन्न हो जाती है. शास्त्रों के अनुसार दस महाविदया साधना के लिए दस महा विद्या स्त्रोत का पाठ अत्यंत ही विशेष फल प्रदान करने वाला होता है.

दस महा विद्या स्त्रोत साधना नियम 

गुप्त नवरात्रि के समय भक्त माता की ज्योत प्रज्जवलित करते हैं. अनेक प्रकार के उपायों एवं कार्यों द्वारा माता की कृपा भी पाते हैं.  ऎसे में इन के साथ ही दस महा विद्या स्त्रोत का यदि नियमित रुप से पाठ कर लिया जाए तो इसके द्वारा भक्तों पर माता की विशेष कृपा बनती है. माता के स्त्रोत का पाठ करने हेतु प्रात:काल पूजा के लिए समस्त तैयारियां कर लेने के पश्चात आसन पर बैठ कर इस स्त्रोत का पाठ करना चाहिए.

दसमहाविद्या स्त्रोत से शांत होते है नव ग्रह 

ज्योतिष अनुसार दस महा विद्या स्त्रोत के पाठ द्वारा नव ग्रहों की शांति भी होती है. साधक के भीतर जागरण होता है तथा सात चक्र संतुलित होते हैं. यह स्त्रोत हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर देने के साथ साथ आत्मिक शांति एवं शुभता को प्रदान करने वाला होता है. गुप्त नवरात्रि एक ऎसा समय जब ब्रह्माण की उर्जा में शक्ति का प्रवाह बेहद विशेष रुप से हो रहा होता है. यह वह समय होता है जब शक्ति एवं साधना प्राप्ति को कर पाना सहज रुप से संभव बन जाता है.

गुप्त नवरात्रि में करें दस महा विद्या स्त्रोत साधना 

गुप्त नवरात्रि का समय तंत्र एवं मंत्र दोनों की सिद्धि हेतु बहुत विशेष माना गया है. इस समय के दोरान यदि साधक माता के इस स्त्रोत एवं मंत्र का जाप करता है तो उसे इसके सिद्धिदायक फल प्राप्त होते हैं.

दस महाविद्या स्तोत्र 

नमस्ते चण्डिके चण्डि चण्ड-मुण्ड-विनाशिनि । नमस्ते कालिके । काल महाभयविनाशिनी ।। शिवे रक्ष जगद्धात्रि । प्रसीद हरिवल्लभे । प्रणमामि जगद्धात्रीं, जगत्पालन कारिणीम् ।। जगत्क्षोभकरीं विद्यां, जगत्सृष्टि विधायिनीम् । करालां विकटा घोरां, मुण्डमाला विभूषिताम् ।। हरार्चितां हराराध्यां, नमामि हरवल्लभाम् । गौरीं गुरुप्रियां गौरवर्णालंकार भूषिताम् ।। हरिप्रियां महामायां, नमामि ब्रह्म-पूजिताम् । सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्धविद्याधर गणैर्युताम् ।। मन्त्रसिद्धिप्रदां योनिसिद्धिदां लिंग शोभिताम् । प्रणमामि महामायां, दुर्गा दुर्गतिनाशिनीम् ।। उग्रामुग्रमयीमुग्र-तारामुग्र गणैर्युताम् । नीलां नील-घन-श्यामां, नमामि नील-सुन्दरीम् ।। श्यामांगीं श्यामघटिकां, श्यामवर्ण विभूषिताम् । प्रणामामि जगद्धात्रीं, गौरीं सर्वार्थ-साधिनीम् ।। विश्वेश्वरीं महा-घोरां, विकटां घोर-नादिनीम् । आद्यामाद्य-गुरोराद्यामाद्यानाथ-प्रपूजिताम् ।। श्रीदुर्गां धनदामन्नपूर्णां पद्मां सुरेश्वरीम् । प्रणमामि जगद्धात्रीं, चन्द्र-शेखर-वल्लभाम् ।। त्रिपुरा-सुन्दरीं बालामबला-गण-भूषिताम् । शिवदूतीं शिवाराध्यां, शिव-ध्येयां सनातनीम् ।। सुन्दरीं तारिणीं सर्व शिवागणविभूषिताम् । नारायणीं विष्णु-पूज्यां, ब्रह्म-विष्णु-हर-प्रियाम् ।। सर्वसिद्धिप्रदां नित्यामनित्य-गणवर्जिताम् । सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्चितां सर्व-सिद्धिदाम् ।। विद्यां सिद्धिप्रदां विद्यां, महा-विद्या-महेश्वरीम् । महेश-भक्तां माहेशीं, महा-काल-प्रपूजिताम् ।। प्रणमामि जगद्धात्रीं, शुम्भासुर-विमर्दिनीम् । रक्त-प्रियां रक्त-वर्णां, रक्त-वीज-विमर्दिनीम् ।।1 भैरवीं भुवनादेवीं, लोल-जिह्वां सुरेश्वरीम् । चतुर्भुजां दशभुजामष्टा दशभुजां शुभाम् ।। त्रिपुरेशीं विश्वनाथप्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम् । अट्टहासामट्टहास-प्रियां धूम्र-विनाशिनीम् ।। कमलां छिन्नमस्तां च, मातंगीं सुर-सुन्दरीम् । षोडशीं विजयां भीमां, धूम्रां च बगलामुखीम ।। सर्व-सिद्धि-प्रदां सर्वविद्या मन्त्रविशोधिनीम् । प्रणमामि जगत्तारां, सारं मन्त्र-सिद्धये ।। । ।। इति श्री दस महाविद्या स्तोत्रं समाप्तम्।। एस्ट्रोलॉजर राजरानी

पंचक के साथ आरंभ हो रही माघ गुप्त नवरात्रि, जानें घटस्थापना मुहूर्त काल समय

संबंधित खबरें

अगली खबर पढ़ें

गुप्त नवरात्रि पर इस एक स्त्रोत से पूर्ण होगा सभी महाविद्याओं का पूजन 

GUPT NAV
Magh Gupt Navratri
locationभारत
userचेतना मंच
calendar10 Feb 2024 05:52 PM
bookmark
Magh Gupt Navratri : गुप्त नवरात्रि के समय पर माता का विविध रुप से पूजन किया जाता है. नौ दिनों के दौरान किया गया दस महा विद्या स्त्रोत भक्तों की सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है. माता के पूजन में यदि महाविद्या स्त्रोत का पाठ कर लिया जाए तो इसके द्वारा भक्तों की साधना को शुभ फल प्राप्त होते हैं. माता के इन दसों रुपों की पूजा एक साथ संपन्न हो जाती है. शास्त्रों के अनुसार दस महाविदया साधना के लिए दस महा विद्या स्त्रोत का पाठ अत्यंत ही विशेष फल प्रदान करने वाला होता है.

दस महा विद्या स्त्रोत साधना नियम 

गुप्त नवरात्रि के समय भक्त माता की ज्योत प्रज्जवलित करते हैं. अनेक प्रकार के उपायों एवं कार्यों द्वारा माता की कृपा भी पाते हैं.  ऎसे में इन के साथ ही दस महा विद्या स्त्रोत का यदि नियमित रुप से पाठ कर लिया जाए तो इसके द्वारा भक्तों पर माता की विशेष कृपा बनती है. माता के स्त्रोत का पाठ करने हेतु प्रात:काल पूजा के लिए समस्त तैयारियां कर लेने के पश्चात आसन पर बैठ कर इस स्त्रोत का पाठ करना चाहिए.

दसमहाविद्या स्त्रोत से शांत होते है नव ग्रह 

ज्योतिष अनुसार दस महा विद्या स्त्रोत के पाठ द्वारा नव ग्रहों की शांति भी होती है. साधक के भीतर जागरण होता है तथा सात चक्र संतुलित होते हैं. यह स्त्रोत हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर देने के साथ साथ आत्मिक शांति एवं शुभता को प्रदान करने वाला होता है. गुप्त नवरात्रि एक ऎसा समय जब ब्रह्माण की उर्जा में शक्ति का प्रवाह बेहद विशेष रुप से हो रहा होता है. यह वह समय होता है जब शक्ति एवं साधना प्राप्ति को कर पाना सहज रुप से संभव बन जाता है.

गुप्त नवरात्रि में करें दस महा विद्या स्त्रोत साधना 

गुप्त नवरात्रि का समय तंत्र एवं मंत्र दोनों की सिद्धि हेतु बहुत विशेष माना गया है. इस समय के दोरान यदि साधक माता के इस स्त्रोत एवं मंत्र का जाप करता है तो उसे इसके सिद्धिदायक फल प्राप्त होते हैं.

दस महाविद्या स्तोत्र 

नमस्ते चण्डिके चण्डि चण्ड-मुण्ड-विनाशिनि । नमस्ते कालिके । काल महाभयविनाशिनी ।। शिवे रक्ष जगद्धात्रि । प्रसीद हरिवल्लभे । प्रणमामि जगद्धात्रीं, जगत्पालन कारिणीम् ।। जगत्क्षोभकरीं विद्यां, जगत्सृष्टि विधायिनीम् । करालां विकटा घोरां, मुण्डमाला विभूषिताम् ।। हरार्चितां हराराध्यां, नमामि हरवल्लभाम् । गौरीं गुरुप्रियां गौरवर्णालंकार भूषिताम् ।। हरिप्रियां महामायां, नमामि ब्रह्म-पूजिताम् । सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्धविद्याधर गणैर्युताम् ।। मन्त्रसिद्धिप्रदां योनिसिद्धिदां लिंग शोभिताम् । प्रणमामि महामायां, दुर्गा दुर्गतिनाशिनीम् ।। उग्रामुग्रमयीमुग्र-तारामुग्र गणैर्युताम् । नीलां नील-घन-श्यामां, नमामि नील-सुन्दरीम् ।। श्यामांगीं श्यामघटिकां, श्यामवर्ण विभूषिताम् । प्रणामामि जगद्धात्रीं, गौरीं सर्वार्थ-साधिनीम् ।। विश्वेश्वरीं महा-घोरां, विकटां घोर-नादिनीम् । आद्यामाद्य-गुरोराद्यामाद्यानाथ-प्रपूजिताम् ।। श्रीदुर्गां धनदामन्नपूर्णां पद्मां सुरेश्वरीम् । प्रणमामि जगद्धात्रीं, चन्द्र-शेखर-वल्लभाम् ।। त्रिपुरा-सुन्दरीं बालामबला-गण-भूषिताम् । शिवदूतीं शिवाराध्यां, शिव-ध्येयां सनातनीम् ।। सुन्दरीं तारिणीं सर्व शिवागणविभूषिताम् । नारायणीं विष्णु-पूज्यां, ब्रह्म-विष्णु-हर-प्रियाम् ।। सर्वसिद्धिप्रदां नित्यामनित्य-गणवर्जिताम् । सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्चितां सर्व-सिद्धिदाम् ।। विद्यां सिद्धिप्रदां विद्यां, महा-विद्या-महेश्वरीम् । महेश-भक्तां माहेशीं, महा-काल-प्रपूजिताम् ।। प्रणमामि जगद्धात्रीं, शुम्भासुर-विमर्दिनीम् । रक्त-प्रियां रक्त-वर्णां, रक्त-वीज-विमर्दिनीम् ।।1 भैरवीं भुवनादेवीं, लोल-जिह्वां सुरेश्वरीम् । चतुर्भुजां दशभुजामष्टा दशभुजां शुभाम् ।। त्रिपुरेशीं विश्वनाथप्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम् । अट्टहासामट्टहास-प्रियां धूम्र-विनाशिनीम् ।। कमलां छिन्नमस्तां च, मातंगीं सुर-सुन्दरीम् । षोडशीं विजयां भीमां, धूम्रां च बगलामुखीम ।। सर्व-सिद्धि-प्रदां सर्वविद्या मन्त्रविशोधिनीम् । प्रणमामि जगत्तारां, सारं मन्त्र-सिद्धये ।। । ।। इति श्री दस महाविद्या स्तोत्रं समाप्तम्।। एस्ट्रोलॉजर राजरानी

पंचक के साथ आरंभ हो रही माघ गुप्त नवरात्रि, जानें घटस्थापना मुहूर्त काल समय

संबंधित खबरें

अगली खबर पढ़ें

पंचक के साथ आरंभ हो रही माघ गुप्त नवरात्रि, जानें घटस्थापना मुहूर्त काल समय

Navratii
Magh Gupt Navratri 2024
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 12:34 AM
bookmark

Magh Gupt Navratri 2024: इस वर्ष माघ माह में आने वाले गुप्त नवरात्रि का आरंभ पंचक के साथ होने वाला है। पंचक और नवरात्रि का योग विशेष माना गया है। साधना हेतु यह समय अनुकूल होता है. इस बार 10 फरवरी 2024 को शनिवार के दिन से गुप्त नवरात्रि का आरंभ होगा. माघ माह की इस नवरात्रि के दिन ही पंचक भी आरंभ हो रहे हैं. ऎसे में इस समय पर की जाने वाली माता की पूजा अकाल मृत्यु के भय की समाप्ति का संकेत बनती है.

माघ गुप्त नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त 2024  

माघ घटस्थापना के लिए 10 फरवरी 2024 का समय होगा. इस दिन शनिवार को प्रात:काल समय घट स्थापना की जाएगी. घटस्थापना मुहूर्त के लिए सुबह 08:45 से 10:10 तक का समय अत्यंत ही शुभ रहने वाला है. इसके अलावा घट स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त का उपयोग भी बहुत शुभ माना गया है. 10 फरवरी 2024 को शनिवार के दिन अभिजित मुहूर्त का समय 12:13 से आरंभ होकर 12:58 तक व्याप्त रहने वाला होगा. घटस्थापना मुहूर्त को प्रतिपदा तिथि के दौरान किया जाने का विधान रहा है. माघ गुप्त नवरात्रि के लिए प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ 10 फरवरी 2024 को प्रात:काल 04:28 पर होगा और माघ गुप्त नवरात्रि के लिए प्रतिपदा तिथि की समाप्ति का समय 11 फरवरी, 2024 को 12:47 पर होगा. घटस्थापना मुहूर्त के लिए द्वि-स्वभाव लग्न बहुत शुभ होता है अत: इस के लिए मीन लग्न के दौरान घट स्थापना का समय रहने वाला है. 10 फरवरी के दिन मीन लग्न का प्रारम्भ 08:45 से होगा और मीन लग्न की समाप्ति 10 फरवरी 2024 को 10:10 पर होगी. Magh Gupt Navratri 2024

माघ गुप्त नवरात्रि में पंचक काल महत्व 

गुप्त नवरात्रि का समय देवी के नव रुपों के पूजन के साथ दस महाविद्याओं के पूजन के लिए विशेष होता है.

हर साल चार नवरात्रि मनाते हैं जिसमें से दो नवरात्रि गुप्त नवरात्रि होते हैं. 

गुप्त नवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है. इस बार पंचक काल में इस का आरंभ भक्ति को प्रदान करने के साथ साथ किसी भी प्रकार के कष्ट से मुक्ति प्रदान करने वाला रहेगा. ज्योतिष शास्त्र अनुसार कहा गया है कि चंद्र के गोचर का नक्षत्रों से संबंध पंचक को निर्मित करता है. ऎसे में यह तब घटित होता है जब चंद्रमा कुछ विशेष नक्षत्रों में भ्रमण करता है जिसमें से धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण,  शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के साथ रेवती नक्षत्र में चंद्रमा का प्रभाव ही पंचक का समय बन जाता है. इस वर्ष Magh Gupt Navratri 2024 में आने वाले पंचक का समय इस दिन की साधना पद्धिति के लिए विशेष रहेगा । आचार्या राजरानी

माघ अमावस्या पर बनेगा दुर्लभ महोदय योग, ये उपाय दिलाएंगे चमत्कारिक लाभ 

संबंधित खबरें