Diwali 2022 : दीपावली पर लक्ष्मीपूजन का शुभ मुहूर्त्त- जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल से

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calendar01 Dec 2025 03:24 PM
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[caption id="attachment_38597" align="alignnone" width="236"]Dr. Sumitra Agarwal Dr. Sumitra Agarwal[/caption] सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल, कोलकाता इंटरनेशनल वास्तु अकादमी सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता दीपावली पर लक्ष्मीपूजन का शुभ मुहूर्त्त :- इस वर्ष कार्तिक कृष्ण प्रदोष व्यापिनी अमावस्या, दिनांक २४ अक्टूबर २०२२ को प्रदोषकाल में अमावस्या होने पर इसी दिन दीपावली का पर्व मनाया जायेगा। लक्ष्मीपूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या को स्थिरलग्न व स्थिरनवमांश में किया जाना शास्त्रोक्त है। इस वर्ष अमावस्या २४ अक्टूबर को सायं ०५ :२७ से प्रारम्भ होकर २५ अक्टूबर को सायं ०४ :१८ तक रहेगी। दिवाकाल का श्रेष्ठ समय:- अमृत का चौघड़िया:- प्रातः ०६ :३५ से प्रातः ०७ :५९ , शुभ का चौघड़िया प्रातः ०९ :२३ से प्रातः १०:४७ , चर-लाभ-अमृत का चौघड़िया दोपहर ०१ :३५ से सायं ०५ :४७ तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त्त प्रातः ११ :४८ से दोपहर १२ :३३ तक रहेगा। प्रदोष लग्न:- सायं ०५ :४८ से रात्रि ०८ :२२ तक रहेगा। रात्रि का श्रेष्ठ समय:- चर का चौघड़िया :- सायं ०५: ४७ से सायं ०७:२३ लाभ का चौघड़िया रात्रि १०:३५ से मध्यरात्रि १२:११ तक, शुभ-अमृत-चर का चौघड़िया मध्यरात्रि ०१ :४७ से अंतरात्रि ०४ :१४ तक। वृषलग्न :- सायं ०७ :०२ से रात्रि ०८ :५९ तक, सिंहलग्न :- मध्यरात्रि ०१:32 से अंतरात्रि ०३:४८ तक है। सूर्य ग्रहण और सूतक दिनांक २५ अक्टूबर को प्रातः ०४ :१५ से खण्डग्रास सूर्यग्रहण का सूतक प्रारम्भ हो जायेगा, अतः दीपावली पूजन के पश्चात् सामग्री का विसर्जन प्रातः ०४ :१५ के पूर्व ही कर देना चाहिए क्योंकि सूतक काल की सामग्री दान/प्रसाद के योग्य नहीं बचेगी।
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[caption id="attachment_38597" align="alignnone" width="236"]Dr. Sumitra Agarwal Dr. Sumitra Agarwal[/caption] सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल, कोलकाता इंटरनेशनल वास्तु अकादमी सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता दीपावली पर लक्ष्मीपूजन का शुभ मुहूर्त्त :- इस वर्ष कार्तिक कृष्ण प्रदोष व्यापिनी अमावस्या, दिनांक २४ अक्टूबर २०२२ को प्रदोषकाल में अमावस्या होने पर इसी दिन दीपावली का पर्व मनाया जायेगा। लक्ष्मीपूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या को स्थिरलग्न व स्थिरनवमांश में किया जाना शास्त्रोक्त है। इस वर्ष अमावस्या २४ अक्टूबर को सायं ०५ :२७ से प्रारम्भ होकर २५ अक्टूबर को सायं ०४ :१८ तक रहेगी। दिवाकाल का श्रेष्ठ समय:- अमृत का चौघड़िया:- प्रातः ०६ :३५ से प्रातः ०७ :५९ , शुभ का चौघड़िया प्रातः ०९ :२३ से प्रातः १०:४७ , चर-लाभ-अमृत का चौघड़िया दोपहर ०१ :३५ से सायं ०५ :४७ तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त्त प्रातः ११ :४८ से दोपहर १२ :३३ तक रहेगा। प्रदोष लग्न:- सायं ०५ :४८ से रात्रि ०८ :२२ तक रहेगा। रात्रि का श्रेष्ठ समय:- चर का चौघड़िया :- सायं ०५: ४७ से सायं ०७:२३ लाभ का चौघड़िया रात्रि १०:३५ से मध्यरात्रि १२:११ तक, शुभ-अमृत-चर का चौघड़िया मध्यरात्रि ०१ :४७ से अंतरात्रि ०४ :१४ तक। वृषलग्न :- सायं ०७ :०२ से रात्रि ०८ :५९ तक, सिंहलग्न :- मध्यरात्रि ०१:32 से अंतरात्रि ०३:४८ तक है। सूर्य ग्रहण और सूतक दिनांक २५ अक्टूबर को प्रातः ०४ :१५ से खण्डग्रास सूर्यग्रहण का सूतक प्रारम्भ हो जायेगा, अतः दीपावली पूजन के पश्चात् सामग्री का विसर्जन प्रातः ०४ :१५ के पूर्व ही कर देना चाहिए क्योंकि सूतक काल की सामग्री दान/प्रसाद के योग्य नहीं बचेगी।
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Govardhan Puja 2022 : 26 अक्टूबर को ही होगी गोवर्धन पूजा

16 10 2022 govardhan puja 2022 23144040
Govardhan Puja 2022
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calendar01 Dec 2025 04:43 AM
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Govardhan Puja 2022 :  नोएडा। इस बार गोवर्धन पूजा पारंपरिक दिन यानी दीपावली के अगले दिन न होकर 26 अक्टूबर को होगी। कई ज्योतिष व पंडित इसके कई प्रमुख कारण बता रहे हैं। कुछ पंडित इसका कारण सूर्यग्रहण बता रहे हैं। वहीं कुछ 25 अक्टूबर के बाद 26 अक्टूबर को उपयुक्त तिथि होने की बात कह रहे हैं।

Govardhan Puja 2022 :

प्रकांड पंडित डा. पूरन चन्द्र पाण्डेय यशस्वी ने बताया कि इस बार गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन यानी 25 अक्टूबर को नहीं बल्कि 26 अक्टूबर को होगी। इसका एक कारण तो यह है कि 25 को सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। इसलिए सूतक के कारण गोवर्धन पूजा नहीं हो सकती है। दूसरा कारण यह है कि गोवर्धन पूजा प्रतिपदा यानि परेवा तिथि को ही होती है। जबकि 25 अक्टूबर की देर शाम तक अमावस्या तिथि रहेगी। इसलिए 26 अक्टूबर को ही गोवर्धन पूजा हो सकेगी।

Govardhan Puja 2022 :

श्री सनातन धर्म मंदिर के मुख्य पुजारी व प्रकांड पंडित वीरेद नंदन ने बताया कि सूर्य ग्रहण के कारण 25 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। वैसे भी 25 अक्टूबर को शाम तक अमावस्या की तिथि है। 26 अक्टूबर को ही प्रतिपदा तिथि होने पर ही गोवर्धन पूजा संभव है।

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