Friday, 26 April 2024

Dhanteras 2022 दो दिन तक मनाएं धनतेरस, आज भी कर सकते हैं खरीदारी

Dhanteras 2022: धनतेरस प्रदोष व्रत और हनुमान जयंती का संयोग भी एक साथ पड़ रहा है। ऐसा संयोग करीब 27…

Dhanteras 2022 दो दिन तक मनाएं धनतेरस, आज भी कर सकते हैं खरीदारी

Dhanteras 2022: धनतेरस प्रदोष व्रत और हनुमान जयंती का संयोग भी एक साथ पड़ रहा है। ऐसा संयोग करीब 27 वर्षों के बाद बन रहा है। वहीं, दूसरी खास बात यह है कि पिछले काफी समय से वक्री चल रहे शनि देव 23 अक्तूबर को मार्गी होंगे। इस साल धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग है, इस योग में आप जो भी कार्य करेंगे, उसका तीन गुना फल आपको प्राप्त होगा।

Dhanteras 2022

पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि 22 अक्तूबर 2022 को शाम 6 बजकर 02 मिनट से शुरू हो रही है। अगले दिन 23 अक्तूबर 2022 को त्रयोदशी तिथि का समापन शाम 06 बजकर 03 मिनट पर होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है और त्रयोदशी तिथि 23 अक्तूबर को प्रदोष काल शुरू होने पर ही समाप्त हो रही है। ऐसे में धनतेरस का पर्व 22 अक्तूबर 2022 को मनाया जाएगा।

भगवान धन्वन्तरि की पूजा

धनतेरस होने से स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वन्तरि की पूजा भी करने का विधान है। धनतेरस पर आरोग्य के देवता धन्वन्तरि की पूजा-अर्चना की जाए और दैनिक जीवन में संयम-नियम आदि का पालन किया जाए। देवी लक्ष्मी सागर मंथन से उत्पन्न हुई थीं, उसी प्रकार भगवान धन्वन्तरि भी अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं। देवी लक्ष्मी हालांकि धन की देवी हैं, लेकिन उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य और लंबी आयु भी चाहिए।

यही कारण है कि दीपावली से पहले, यानी धनतेरस से ही दीपमालाएं सजने लगती हैं। धन्वन्तरि का जन्म कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे, तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। चूंकि धन्वन्तरि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा है।

कहीं-कहीं लोक मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन खरीदारी करने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। भगवान कुबेर को सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए, जबकि धन्वन्तरि को पीली मिठाई और पीली चीज प्रिय है। पूजा में फल, फूल, चावल, रोली-चंदन, धूप-दीप का उपयोग करना चाहिए। शाम को परिवार के सभी सदस्य इकट्ठा होकर प्रार्थना करें। सबसे पहले विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें स्रान कराने के बाद चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं। भगवान को लाल वस्त्र पहनाकर भगवान गणेश की मूर्ति पर ताजे फूल चढ़ाएं।

कुबेर की पूजा

कुबेर देव को धन का अधिपति कहा जाता है। माना जाता है कि पूरे विधि विधान से जो भी कुबेर देव की पूजा करता है, उसके घर में कभी धन संपत्ति की कभी कमी नहीं रहती है। कुबेर देव की पूजा सूर्य अस्त के बाद प्रदोष काल में करनी चाहिए।

लक्ष्मी की पूजा

सूर्य अस्त होने के बाद करीब दो से ढाई घंटों का समय प्रदोष काल माना जाता है। धनतेरस के दिन लक्ष्मी की पूजा इसी समय में करनी चाहिए। अनुष्ठानों को शुरू करने से पहले नए कपड़े के टुकड़े के बीच में मुट्ठी भर अनाज रखा जाता है। कपड़े को किसी चौकी पर बिछाना चाहिए। आधा कलश पानी से भरें, जिसमें गंगाजल मिला लें। इसके साथ ही सुपारी, फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने और अनाज भी इस पर रखें।

कुछ लोग कलश में आम के पत्ते भी रखते हैं। इसके साथ ही इस मंत्र का जाप करें- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥ इसके बाद एक प्लेट में लक्ष्मी जी की प्रतिमा का पंचामृत (दूध, दही, घी, मक्खन और शहद का मिश्रण) से स्रान कराएं। इसके बाद देवी को चंदन लगाएं, इत्र, सिंदूर, हल्दी, गुलाल आदि अर्पित करें। परिवार के सदस्य अपने हाथ जोड़कर सफलता, समृद्धि, खुशी और कल्याण की कामना करें।

दीपावली का स्वागत

धनतेरस मुहूर्त
भगवान धन्वन्तरि की पूजा के लिए 22 अक्तूबर 2022 को शाम 7 बजकर 10 मिनट से रात 8 बजकर 24 मिनट तक का शुभ मुहूर्त है। प्रदोष काल: शाम 5: 52 – रात 8: 24 (22 अक्तूबर) वृषभ काल: शाम 7: 10 – रात 09: 6 (22 अक्तूबर) धनतेरस पर इस बार त्रिपुष्कर, इंद्र योग का संयोग बन रहा है जो धन वृद्धि के लिए बहुत शुभ माना गया है।त्रिपुष्कर योग: दोपहर 1: 50-शाम 6: 2, 22 अक्तूबर! इंद्र योग: 22 अक्तूबर, शाम 5: 13- 23 अक्तूबर, शाम 4: 7 अमृत सिद्धि योग: 23 अक्तूबर, दोपहर 2: 34 – 24 अक्तूबर, शाम 6: 30 बजे सर्वार्थ सिद्धि योग – पूरे दिन

धनतेरस पर क्या खरीदें

लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर-कार्यालय, व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढ़ाता है।धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चंद्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है।धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं, उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना की जाती है। दीपावली की रात लक्ष्मी-गणेश की पूजा के लिए मूर्ति भी खरीदते हैं।

शनि-गुरु की इस युति का व्यापार, उद्योग और कार्यक्षेत्र में अच्छा असर देखा जा सकता है। ऐसे में इंश्योरेंस, आटो, सीमेंट, आयल कंपनी, टेक्सटाइल और इलेक्ट्रानिक्स से जुड़े क्षेत्र में निवेश या खर्च करने से मुनाफा मिल सकता है।

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषाचार्य चंडीगढ़

Related Post