निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा

Tulshi Marrage
Tulsi Shaligram Marriage
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 09:13 PM
bookmark

Tulsi Shaligram Marriage : तुलसी शालिग्राम विवाह का मुहूर्त शाम 5:28 से 5:55 का था। न कार्ड न ही कोई बुलावा भेजा था। लेकिन पता सब ही को था। तुलसी का पौधा, लाल रंग का वस्त्र, कलश, पूजा की चौकी, सुहाग की सामग्री, बिछुए, सिंदूर, बिंदी, चुनरी मेहंदी। मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, अमला पीर, मूली सीताफल, अमरुद, नारियल, कपूर, धूप, चंदन, केले के पेट, हल्दी की गांठ, कौन क्या लाया? कुछ पता नहीं। पर किसी भी मंदिर में एक वस्तु भी कम न थी। मंदिर में तुलसी के पौधे को लाल चुनरी उड़ा। 16 श्रृंगार का सामान उन्हें अर्पित किया गया था। कमरबंद, गले का हार, सब कुछ पीले फूलों से सजी माँ तुलसी।

Noida News

भगवान शालिग्राम को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं, फूलों की मालाओं से सजाकर, पंचामृत केले और मिठाई का भोग लगाया और पूरे सेक्टर में फिर शालिग्राम की बारात बैंड बाजे के साथ शान से निकाली गई। इस बारात में सारे ही बाराती बिन बुलाए, भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप के बाराती थे। बल्कि श्रद्धालु तो समय ही देखते रहे कि कहीं मुहूर्त न निकाल जाए।

Tulsi Shaligram Marriage

सभी बैंड पर भजनों की धुन पर नाचते झूमते चल रहे थे। जिस घर के आगे खड़े होते उनकी आरती होती। पीले फूलों के हार पहनाए जाते। उनको भोग लगाया जाता और ऐसे ही बाराती आगे बढ़ते जाते। श्रद्धालु इस उत्सव में सम्मिलित हो जीवन में सुख शांति की प्राप्ति के लिए कामना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि तुलसी माता को भगवान विष्णु का यह वरदान प्राप्त है कि जिस घर में तुलसी रहेगी वहाँ यम के दूत कभी भी असमय नहीं आएंगे। मृत्यु के समय यदि जाने वाले के मुंह में गंगाजल के साथ तुलसी का पत्र रख दिया जाए तो वह सभी पापों से मुक्त होकर बैकुंठ धाम को प्राप्त होता है। जो भी मनुष्य तुलसी व आमला की छाया में अपने पितरों का श्राद्ध करता है उसके पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिन युवाओं को इच्छित वर या वधू की कामना होती है भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Tulsi Shaligram Marriage :

नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) आए दिन सेक्टर-21 के स्टेडियम में सांस्कृतिक तथा धार्मिक उत्सव करता है। डॉ. लोकेश एम के अनुसार कारण लोगों को जोडऩा ही होता है। इसी प्रकार से हर सेक्टर में कुछ ऐसे व्यक्ति भी अवश्य होते हैं जो कि पूरे सेक्टर को धार्मिक उत्सवों के जरिए जोडऩे का कार्य करते हैं। वैसे तो ईश्वर को किसी के संरक्षण की आवश्यकता नहीं है भगवान तो सबको संरक्षण देते हैं फिर भी किसी न किसी को निमित्त बना देते हैं जो कि उनके घर यानि के मंदिर की पूरी देखभाल तथा नियमित कार्यों की जिम्मेदारी बहुत श्रद्धा से निभाते हैं जैसे कि सेक्टर-11 में श्रीमती वीणा एवं के.एल. गहरोत्रा, नोएडा सेक्टर-56 मंदिर में हरीश सबभरवाल, जीएम सेठ एवं गुरिन्दर बंसल इन्हीं के निर्मल मन सब को जोड़ रहे हैं।

कोरोना आया कुछ भी आया-गया वे अपने मंदिर में सदा पूजा करते हैं। यही कारण है कि जब भी मंदिर का कोई उत्सव होता है सेक्टर निवासी पूरे जोर-शोर से उन उत्सवों में भाग लेते हैं। तुलसी के पौधे का इतना श्रृंगार, आंवला एकादशी इन श्रद्धालुओं के पर्यावरण प्रेम को और दृढ़ करता है। बच्चे, युवा, गृहस्थ जिसके मन में कुछ भी समस्याएं हैं भगवान विष्णु से उनके इस विवाह के उत्सव पर अपनी व्यथा कह लेते हैं। क्योंकि आज के दिन भगवान विष्णु का वृंदा जो कि तुलसी के रूप में उगीं थीं उनको पूजने वालों की हर व्यथा सुनेंगे का आशीर्वाद है। जिनके घर में बेटी नहीं है वे तुलसी का कन्यादान करके संतोष पाते हैं। क्योंकि भगवान को निर्मल मन ही भाता है। कपट, छल, छिद्र नहीं ये ही कारण है कि उत्सव प्रिय हिन्दू अपनी निर्मल वृति से उत्सव हर वर्ष मनाते हैं। Tulsi Shaligram Marriage :

डोनाल्ड ट्रंप ने एलॉन मस्क और विवेक रामास्वामी को दी बड़ी जिम्मेदारी

ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा

Tulshi Marrage
Tulsi Shaligram Marriage
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 09:13 PM
bookmark

Tulsi Shaligram Marriage : तुलसी शालिग्राम विवाह का मुहूर्त शाम 5:28 से 5:55 का था। न कार्ड न ही कोई बुलावा भेजा था। लेकिन पता सब ही को था। तुलसी का पौधा, लाल रंग का वस्त्र, कलश, पूजा की चौकी, सुहाग की सामग्री, बिछुए, सिंदूर, बिंदी, चुनरी मेहंदी। मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, अमला पीर, मूली सीताफल, अमरुद, नारियल, कपूर, धूप, चंदन, केले के पेट, हल्दी की गांठ, कौन क्या लाया? कुछ पता नहीं। पर किसी भी मंदिर में एक वस्तु भी कम न थी। मंदिर में तुलसी के पौधे को लाल चुनरी उड़ा। 16 श्रृंगार का सामान उन्हें अर्पित किया गया था। कमरबंद, गले का हार, सब कुछ पीले फूलों से सजी माँ तुलसी।

Noida News

भगवान शालिग्राम को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं, फूलों की मालाओं से सजाकर, पंचामृत केले और मिठाई का भोग लगाया और पूरे सेक्टर में फिर शालिग्राम की बारात बैंड बाजे के साथ शान से निकाली गई। इस बारात में सारे ही बाराती बिन बुलाए, भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप के बाराती थे। बल्कि श्रद्धालु तो समय ही देखते रहे कि कहीं मुहूर्त न निकाल जाए।

Tulsi Shaligram Marriage

सभी बैंड पर भजनों की धुन पर नाचते झूमते चल रहे थे। जिस घर के आगे खड़े होते उनकी आरती होती। पीले फूलों के हार पहनाए जाते। उनको भोग लगाया जाता और ऐसे ही बाराती आगे बढ़ते जाते। श्रद्धालु इस उत्सव में सम्मिलित हो जीवन में सुख शांति की प्राप्ति के लिए कामना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि तुलसी माता को भगवान विष्णु का यह वरदान प्राप्त है कि जिस घर में तुलसी रहेगी वहाँ यम के दूत कभी भी असमय नहीं आएंगे। मृत्यु के समय यदि जाने वाले के मुंह में गंगाजल के साथ तुलसी का पत्र रख दिया जाए तो वह सभी पापों से मुक्त होकर बैकुंठ धाम को प्राप्त होता है। जो भी मनुष्य तुलसी व आमला की छाया में अपने पितरों का श्राद्ध करता है उसके पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिन युवाओं को इच्छित वर या वधू की कामना होती है भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Tulsi Shaligram Marriage :

नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) आए दिन सेक्टर-21 के स्टेडियम में सांस्कृतिक तथा धार्मिक उत्सव करता है। डॉ. लोकेश एम के अनुसार कारण लोगों को जोडऩा ही होता है। इसी प्रकार से हर सेक्टर में कुछ ऐसे व्यक्ति भी अवश्य होते हैं जो कि पूरे सेक्टर को धार्मिक उत्सवों के जरिए जोडऩे का कार्य करते हैं। वैसे तो ईश्वर को किसी के संरक्षण की आवश्यकता नहीं है भगवान तो सबको संरक्षण देते हैं फिर भी किसी न किसी को निमित्त बना देते हैं जो कि उनके घर यानि के मंदिर की पूरी देखभाल तथा नियमित कार्यों की जिम्मेदारी बहुत श्रद्धा से निभाते हैं जैसे कि सेक्टर-11 में श्रीमती वीणा एवं के.एल. गहरोत्रा, नोएडा सेक्टर-56 मंदिर में हरीश सबभरवाल, जीएम सेठ एवं गुरिन्दर बंसल इन्हीं के निर्मल मन सब को जोड़ रहे हैं।

कोरोना आया कुछ भी आया-गया वे अपने मंदिर में सदा पूजा करते हैं। यही कारण है कि जब भी मंदिर का कोई उत्सव होता है सेक्टर निवासी पूरे जोर-शोर से उन उत्सवों में भाग लेते हैं। तुलसी के पौधे का इतना श्रृंगार, आंवला एकादशी इन श्रद्धालुओं के पर्यावरण प्रेम को और दृढ़ करता है। बच्चे, युवा, गृहस्थ जिसके मन में कुछ भी समस्याएं हैं भगवान विष्णु से उनके इस विवाह के उत्सव पर अपनी व्यथा कह लेते हैं। क्योंकि आज के दिन भगवान विष्णु का वृंदा जो कि तुलसी के रूप में उगीं थीं उनको पूजने वालों की हर व्यथा सुनेंगे का आशीर्वाद है। जिनके घर में बेटी नहीं है वे तुलसी का कन्यादान करके संतोष पाते हैं। क्योंकि भगवान को निर्मल मन ही भाता है। कपट, छल, छिद्र नहीं ये ही कारण है कि उत्सव प्रिय हिन्दू अपनी निर्मल वृति से उत्सव हर वर्ष मनाते हैं। Tulsi Shaligram Marriage :

डोनाल्ड ट्रंप ने एलॉन मस्क और विवेक रामास्वामी को दी बड़ी जिम्मेदारी

ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

मंगलवार को जाग जाएंगे भगवान विष्णु, शुरू हो जाएंगे मंगल कार्य

Eka dashi A
Dev Uthani ekadashi 2024
locationभारत
userचेतना मंच
calendar11 Nov 2024 11:38 PM
bookmark

Dev Uthani ekadashi 2024:  मंगलवार यानि 12 नवंबर 2024 का दिन बहुत ही खास है। मंगलवार को देव उठनी एकादशी का महापर्व है। देवउठनी एकादशी (Dev Uthani ekadashi) के पर्व का हिन्दु समाज में बहुत बड़ा महत्व है। धर्म-ग्रंथों में वर्णित है कि भगवान विष्णु लगातार 4 महीने तक निन्द्रा में रहकर आराम करते हैं। 4 महीने के बाद देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निन्द्रा से जागते हैं भगवान विष्णु के निन्द्रा से जागने को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। वर्ष-2024 की देवउठनी एकादशी 12 नवंबर 2024 को पड़ रही है।

शुरू हो जाएंगे मंगल कार्य

ऐसी मान्यता है कि जब तक भगवान विष्णु निन्द्रा में रहते हैं तब तक मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकते हैं। खासतौर से इस दौरान शादी-विवाद नहीं किए जाने चाहिए। देव उठनी एकादशी (Dev Uthani ekadashi )के दिन भगवान विष्णु जागते हैं। उनके जागने के साथ मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं। आपको बता दें कि कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस अत्यंत महत्वपूर्ण एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन चार माह से रुके हुए शुभ और मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। इसी दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। इन सभी कारणों से देवउठनी एकादशी का बहुत ज्यादा महत्व है। मान्यता है कि देव उठनी एकादशी को व्रत रखने से धन और वैभव में वृद्धि होती है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा बेहद फलदाई होती है। इस दिन चातुर्मास खत्म होता है और तुलसी विवाह की परंपरा निभाई जाती है। इस वर्ष देवउठनी एकादशी के दिन रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और हर्षण योग बन रहे हैं।

देव उठनी एकादशी (Dev Uthani ekadashi) की पूजा विधि

देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन स्रान के बाद घर के आंगन या बालकनी में चौक बनाकर श्रीहरि के चरण बनाएं। भगवान को पीले वस्त्र पहनाए और शंख बजाकर भगवान को उठाएं। इस खास मंत्र का जाप करें।

उत्तिष्ठगोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत भवेदिदम॥

मंत्र जाप के बाद भगवान विष्णु को तिलक लगाएं। श्रीफल अर्पित करें और मिठाई का भोग लगाएं। आरती कर कथा सुनें। प्रभु को पुष्प अर्पित कर इस मंत्र का जाप करें।

इयं तु द्वादशी देव प्रबोधाय विनिर्मिता। त्वयैव सर्वलोकानां हितार्थ शेषशायिना।। इंद्र व्रतं मया देव कृतं प्रीत्यै तव प्रभो। न्यूनं संपूर्णता यातु त्वत्वप्रसादाज्जनार्दन ।।

देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी मैया और शालिग्राम की पूजा करनी चाहिए। तुलसी माता को लाल चुनरी और सुहाग की वस्तुएं अर्पित करें। इसके बाद गणेश भगवान सहित सभी देवी-देवताओं और शालिग्रामजी की विधि विधान से पूजा करें।

रैंकिंग में फिसड्डी साबित हुए हैं भारत की यूनिवर्सिटी, टॉप-10 में नहीं है नाम

ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।