International news : हाथी दांत के लिए अब हाथियों को मारने की जरूरत नहीं

Elefante e1711433320663
Noida News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 12:01 PM
bookmark
London : लंदन। हाथियों को पौराणिक, धार्मिक और सांस्कृतिक गाथाओं में बड़े पैमाने पर चित्रित किया जाता है। फिर भी हाथी दांत के लिए इनका शिकार किया जाता है। हाथी दांत के अवैध शिकार से पिछले 40 वर्षों में अफ्रीकी हाथियों की संख्या में 70% की गिरावट आई है। हाथी दांत हमेशा एक बेशकीमती वस्तु रही है। इसे पारंपरिक दवाओं से लेकर वाद्य यंत्रों तक में कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है। हाल में, हाथी दांत का इस्तेमाल आभूषणों और गहनों में किया जाने लगा है और मुख्य रूप से इससे बड़ी मात्रा में सजावटी सामान बनता है। लेकिन 1989 में लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय हाथीदांत व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। 184 देश अब इस समझौते से बंधे हैं। हालांकि, कुछ देशों में घरेलू बाजारों में हाथी दांत का कारोबार होता है, जो हाथी दांत के व्यापार को रोकने के प्रयासों को कमजोर कर रहे हैं। 2019 में दुनियाभर में 42 टन से अधिक अवैध हाथी दांत जब्त किए गए, जो पिछले 30 वर्षों में चौथा सबसे बड़ा वार्षिक आंकड़ा है।

International news :

हालांकि जापान में, जो 1979 और 1989 के बीच वैश्विक हाथीदांत व्यापार में लगभग एक-तिहाई का जिम्मेदार था और अभी भी एक कानूनी घरेलू बाजार रखता है, हाथीदांत की मांग में नाटकीय कमी देखी गई है। 2014 तक, जापानी हाथीदांत उद्योग का वार्षिक मूल्य 1989 की तुलना में केवल 13% था। जापानी हाथी दांत की मांग को कम करने के लिए विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की गई है, लेकिन हाथी दांत की खरीद और उपभोक्ता प्रेरणाओं पर डेटा की कमी के चलते इस बदलाव के बारे में सीमित शोध हो पाया है। हमने यह निर्धारित करने के लिए एक अध्ययन किया कि कौन से कारक जापानी हाथीदांत की मांग को कम करने में प्रभावशाली थे। क्या परिवर्तन आया है? इसके लिए हमने प्रभाव मूल्यांकन किया। हमने 35 संभावित महत्वपूर्ण कारकों की एक सूची तैयार की जो हाथी दांत के लिए जापानी मांग में गिरावट का कारण बन सकते हैं। इनमें अंतरराष्ट्रीय हाथीदांत व्यापार प्रतिबंध, प्रमुख संरक्षणवादियों का दबाव, जापान की आर्थिक मंदी और लक्षित मांग में कमी अभियान शामिल थे। इसके बाद हमने जापानी हाथीदांत व्यापार में विशेषज्ञता वाले 35 लोगों का साक्षात्कार लिया, जिनमें शिक्षाविद, एनजीओ कार्यकर्ता, जापान सरकार के सदस्य और हाथी दांत के व्यापारी और इसको गढ़ने वाले शामिल थे।

National News: राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के खिलाफ पुनर्विचार आवेदन दायर करेगी कांग्रेस

हमने उनसे उनके विशेषज्ञ ज्ञान के आधार पर पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि प्रत्येक कारक ने हाथीदांत की मांग को प्रभावित किया होगा और कैसे। गैरजरूरी स्पष्टीकरणों को हटाने के बाद, हमने सहायक साक्ष्यों की तलाश की। हमारे विश्लेषण ने संकेत दिया कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रतिबंध और घरेलू आर्थिक मंदी, जो 1992 में शुरू हुई और आर्थिक ठहराव का कारण बनी, जापानी मांग में कमी के मुख्य कारण थे। सभी साक्षात्कारकर्ताओं द्वारा दोनों कारकों का सबसे बड़ा प्रभाव होने के रूप में उल्लेख किया गया था। इन कारणों ने ख़रीदने के लिए उपलब्ध हाथी दांत की मात्रा और लोगों की इसे वहन करने की क्षमता दोनों को कम कर दिया। इन कारकों ने प्रारंभिक प्रोत्साहन प्रदान किया। लेकिन, मंदी के बाद महंगे सामान का दिखावा करने की भावना में कमी सहित अन्य सांस्कृतिक कारकों ने मांग में कमी को गति दी।

International news :

साक्षात्कारकर्ताओं ने यह भी संकेत दिया कि जापान में हाथी दांत की मांग अपेक्षाकृत निष्क्रिय थी। यदि हाथीदांत बिक्री के लिए उपलब्ध होता है, तो लोग उसे खरीदते हैं, लेकिन यदि वह दुर्लभ होता है, तो वे उसकी तलाश नहीं करते। यह चीन जैसे देशों के विपरीत है, जहां अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रतिबंध के बाद मांग को पूरा करने के लिए अनौपचारिक बाजारों का विकास होते देखा गया। संरक्षणवादी अक्सर लक्षित मांग में कमी अभियानों को जापानी हाथीदांत की मांग को कम करने में महत्वपूर्ण बताते हैं। इसके बजाय हमारा विश्लेषण बताता है कि उन्होंने बदलाव लाने में गौण भूमिका निभाई। यह सुझाव देने के लिए बहुत कम साक्ष्य थे कि इन अभियानों ने उपभोक्ताओं को सीधे प्रभावित किया। लेकिन, वे हाथीदांत की आपूर्ति बंद करने के लिए खुदरा विक्रेताओं पर अप्रत्यक्ष दबाव डालने में प्रभावी थे। इसने दुकानों में हाथी दांत के उत्पादों की उपलब्धता को और कम कर दिया। संरक्षण के साथ निगरानी जरूरी : जापानी हाथी दांत की मांग में दीर्घकालिक कमी को देखते हुए, हमारे विश्लेषण ने निष्कर्ष निकाला कि जापान का हाथीदांत बाजार अब हाथियों की आबादी के लिए खतरा नहीं है। फिर भी उन देशों में अवैध निर्यात को रोकना महत्वपूर्ण है जहां हाथीदांत अभी भी अत्यधिक मूल्यवान है। जापान के आर्थिक चक्र के साथ मांग में उतार-चढ़ाव कैसे होता है, यह देखने के लिए समय के साथ उपभोक्ता डेटा को ट्रैक करना भी उपयोगी होगा। हमारा अध्ययन इस दृष्टिकोण का समर्थन करता है कि संरक्षण के परिणाम संदर्भ-विशिष्ट होते हैं और अक्सर प्राकृतिक पर्यावरण से असंबंधित परिवर्तनों द्वारा निर्धारित होते हैं।

Uttar Pradesh अयोध्‍या में मॉरीशस के राष्ट्रपति ने दर्शन-पूजन किया

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रतिबंध की शुरूआत जापान की आर्थिक मंदी के साथ हुई और विशिष्ट हाथी दांत की खपत से दूर जापान के सांस्कृतिक दौर को गति दी। यदि ऐसा न होता तो हाथीदांत का एक फलता-फूलता अनौपचारिक बाजार स्थापित हो सकता था। निष्क्रिय मांग का दोहन करके, कम हाथीदांत उत्पादों को स्टॉक करने के लिए खुदरा विक्रेताओं पर दबाव डालने के लिए पर्यावरण अभियान भी प्रभावी साबित हुए। यह एक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रतिबंध अन्य देशों में हाथीदांत की मांग को कम करने में कम सफल क्यों साबित हुआ है। संरक्षणवादियों को नीतियों को डिजाइन करते समय स्थानीय परिस्थितियों को बेहतर ढंग से समझने और स्थानीय आवाजों को सुनने की जरूरत है। विशिष्ट व्यापारों पर किसी भी संभावित प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए शोधकर्ताओं और चिकित्सकों को व्यापक बाजार परिवर्तनों को भी ट्रैक करना चाहिए, जैसे मंदी या विशिष्ट खपत से दूर जाना। इस अध्ययन के निष्कर्ष जापान में समान प्रेरक चालकों के साथ अन्य वन्यजीव व्यापारों पर भी लागू हो सकते हैं। इनमें सजावटी बेक्को (कछुआ खोल) या लक्ज़री लकड़ी शामिल हैं।
अगली खबर पढ़ें

International News : भारत ने सीओपी में क्षतिपूर्ति समझौता पारित होने पर कहा, दुनिया ने इसके लिए लंबे समय तक इंतजार किया

Sop 1 final
India said on passing the compensation agreement in COP, the world waited a long time for this
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 08:50 AM
bookmark
New Delhi : नई दिल्ली। भारत ने जलवायु परिवर्तन के कारण प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए कोष स्थापित करने संबंधी समझौता करने के लिए रविवार को मिस्र में संपन्न हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन को ऐतिहासिक बताया और कहा कि दुनिया ने इसके लिए लंबे समय तक इंतजार किया है।

International News :

सीओपी—27 के समापन सत्र में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह भी कहा कि दुनिया को किसानों पर न्यूनीकरण की जिम्मेदारियों का बोझ नहीं डालना चाहिए। उन्होंने शर्म अल-शेख में किए गए समझौते संबंधी मुख्य निर्णय में ‘जलवायु परिवर्तन से निपटने के हमारे प्रयासों के जरिए बदलाव के तहत सतत जीवन शैली और खपत एवं उत्पादन की टिकाऊ प्रणाली अपनाने’ को शामिल करने का स्वागत किया।

International News : पेचीदगियों में फंसा आलम के शव की वतन वापसी का मामला

यादव ने सम्मेलन की अध्यक्षता करने वाले मिस्र को संबोधित करते हुए कहा कि आप एक ऐतिहासिक सीओपी की अध्यक्षता कर रहे हैं, जहां हानि और क्षति निधि के लिए समझौता किया गया है। दुनिया ने इसके लिए बहुत लंबा इंतजार किया है। आम सहमति बनाने के आपके अथक प्रयासों के लिए हम आपको बधाई देते हैं। हानि और क्षति का तात्पर्य जलवायु परिवर्तन के कारण हुई आपदाओं से होने वाला विनाश है।

International News :

उन्होंने कहा कि हम इस बात का उल्लेख करते हैं कि हम कृषि एवं खाद्य सुरक्षा में जलवायु कार्रवाई पर चार साल का कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं। लाखों छोटे किसानों की आजीविका का मुख्य आधार कृषि जलवायु परिवर्तन से बुरी तरह प्रभावित होगी, इसलिए हमें उन पर न्यूनीकरण की जिम्मेदारियों का बोझ नहीं डालना चाहिए। वास्तव में, भारत ने अपने एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) से कृषि में न्यूनीकरण को अलग रखा है।

Delhi Murder Case: श्रद्धा की हत्या के बाद आफताब ने ढूंढ-ढूंढकर जलाईं उसकी तस्वीरें

यादव ने न्यायोचित बदलाव पर एक कार्यक्रम शुरू किए जाने पर कहा कि ज्यादातर विकासशील देशों के लिए न्यायसंगत बदलाव को कार्बन का इस्तेमाल बंद करने के साथ नहीं, बल्कि कम कार्बन उत्सर्जन से जोड़ा जा सकता है।
अगली खबर पढ़ें

International News : पेचीदगियों में फंसा आलम के शव की वतन वापसी का मामला

Uttar pradesh
UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar20 Nov 2022 08:13 PM
bookmark
Shahjahanpur : शाहजहांपुर। रोजी रोटी कमाने के लिए सऊदी अरब के जेद्दा गए मोहम्मद आलम के शव की वतन वापसी का मामला पेचीदगियों में उलझ गया है। शाहजहांपुर शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहम्मद शाह मोहल्ले के रहने वाले आलम की आठ महीने पहले जेद्दा में मौत हो गई थी। आलम की 85 साल की मां मरियम और भाई आफताब जहां उसके शव को भारत लाकर उसे सुपुर्द-ए-खाक करना चाहते हैं। वहीं, आलम की पत्नी ने जेद्दा में ही अपने एक परिचित को कथित तौर पर उसके अंतिम संस्कार के लिए अधिकृत कर दिया है। बहरहाल, इस खींचतान के बीच आलम का शव अभी जेद्दा में ही है।

International News :

पुलिस अधीक्षक एस आनंद ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि नौकरी के लिए वर्ष 2013 में जेद्दा गए मोहम्मद आलम (35) की 30 मार्च 2022 को मौत हो गई थी। लगभग आठ महीने से मृतक का शव जेद्दा में ही है। आनंद के मुताबिक, मृतक की मां और भाई शव को भारत लाकर सुपुर्द-ए-खाक करना चाहते हैं, जबकि उसकी बीवी ने कथित तौर पर जेद्दा में ही अपने किसी परिचित को आलम के अंतिम संस्कार के लिए अधिकृत कर दिया है। दोनों ही पक्षों की एक राय नहीं हो पाने की वजह से यह मामला अटका हुआ है। आनंद के अनुसार, यह मामला उनके संज्ञान में आने पर उन्होंने सऊदी अरब स्थित भारतीय दूतावास से जरूरी सूचना मंगवाई। उन्होंने बताया कि पुलिस मृतक के परिवार के संपर्क में है और उनकी इच्छा के तहत पूरी मदद कर रही है।

Rakesh Jhunjhunwala: राकेश झुनझुनवाला के इन टिप्स से अमीर बन रहे लोग!

आलम के भाई आफताब ने कहा कि मेरा भाई नौकरी के लिए नौ साल पहले जेद्दा गया था। वह समय-समय पर घर आता था, लेकिन इस साल उसे कोविड-19 संक्रमण हो गया, जिसके बाद 30 मार्च को उसकी मौत हो गई। हालांकि, परिवार को इसकी सूचना करीब पांच महीने बाद 24 अगस्त को मिली। आफताब ने बताया कि भारतीय दूतावास ने परिजनों से पूछा था कि वे आलम के शव को भारत लाना चाहते हैं या जेद्दा में ही उसका अंतिम संस्कार करने को राजी हैं। इस पर परिजनों ने पांच दिन में कागजी कार्यवाही पूरी कर शव को भारत लाने की गुहार लगाई, लेकिन आलम की पत्नी फरहीन बेगम द्वारा सऊदी अरब स्थित भारतीय दूतावास को पत्र लिखकर शव का अंतिम संस्कार वहीं करा देने की बात कहने से उसके भाई का शव भारत नहीं लाया जा सका है।

International News :

उधर, आलम की पत्नी फरहीन का कहना है कि वह खुद भी चाहती है कि उसके पति का अंतिम संस्कार शाहजहांपुर में हो, लेकिन अगर शव भारत लाने की स्थिति में नहीं है तो उसे जेद्दा में ही सुपुर्द-ए-खाक कर दिया जाए। फरहीन के मुताबिक, आलम की मौत मार्च में हुई थी, जिसकी सूचना उन्हें पांच महीने बाद दी गई और अब तीन महीने और गुजर चुके हैं। उसने कहा कि अगर आलम के शव को भारत लाया जाएगा तो उसकी हालत और भी खराब हो जाएगी, इसलिए बेहतर है कि उसका जेद्दा में ही अंतिम संस्कार कर दिया जाए।

Trending: पति ने जीती 1 करोड़ लॉटरी, पत्नी रुपये लेकर प्रेमी संग फरार

बताया जा रहा है कि फरहीन ने अंतिम संस्कार के लिए जेद्दा में रहने वाले जहूर आलम नामक व्यक्ति को अधिकृत कर दिया है। फरहीन का यह भी कहना है कि उसे बताया गया है कि शव को भारत लाने में आठ लाख रुपये खर्च होंगे, जो उसके पास नहीं हैं। हालांकि, आफताब का दावा है कि शव को भारत लाने में धन खर्च होने की बात गलत है। उसने कहा कि बेटे को खोने के गम में रोते-रोते मेरी मां की एक आंख की रोशनी चली गई है। वह बाहर आने-जाने वाले हर शख्स से बस इतना ही कहती है कि उसे एक बार अपने बेटे का चेहरा दिखा दिया जाए। आफताब ने कहा कि भाई का शव भारत लाने के लिए वह मंत्री से लेकर सांसद तक, सबसे फरियाद और गुहार कर चुका है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उसने कहा कि अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ही मदद की आस है, ताकि आफताब का शव उसके वतन में ही सुपुर्द-ए-खाक किया जा सके।