कार्टून मामले में फंसी नेहा सिंह राठौड़ : ताकतवर लोगों के खिलाफ बोलने की लड़ाई आसान नहीं

एक दलित के ऊपर पेशाब किए जाने से भक्तों का मन उतना आहत नहीं हुआ जितना मेरे एक कार्टून शेयर करने से हो गया.
एक दलित बच्ची के साथ उसके स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा बलात्कार किए जाने से ज़्यादा बुरा उन्हें इस घटना पर मेरा बोलना लग गया. किसी गरीब और कमजोर का मान-मर्दन और दमन आपको दुख… — Neha Singh Rathore (@nehafolksinger) June 10, 2024
क्या था मामला
RSS की खाकी निकर से जुड़ा है मामला
दरअसल पिछले सााल Neha Singh Rathore पर आईपीसी की धारा 153 ए के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। यह एफआईआर उनके एक कार्टून पोस्ट करने पर की गई थी जिसमें एक व्यक्ति को अधनंगी अवस्था में फर्श पर बैठे दूसरे व्यक्ति पर पेशाब करते हुए दिखाया गया था। इस कार्टून में खाकी रंग का निकर भी जमीन पर पड़ा हुआ दिखाया गया था। यह मामला प्रवेश शुक्ला से जुड़ा हुआ था जो कथित तौर पर भाजपा का कार्यकर्ता है और दलित पर पेशाब करने के मामले में उसका नाम आया था ।कार्टून मामले में फंसी नेहा सिंह राठौड़
नेहा सिंह राठौर के वकील ने एफआईआर रद्द करने की अपील की थी और तर्क दिया था कि आईपीसी की धारा 153ए के तहत उन पर कोई अपराध नहीं बनता है। हालांकि कोर्ट में इस दलील को स्वीकार नहीं किया। जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने पूछा कि नेहा सिंह राठौड़ ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए कार्टून में आरएसएस के खाकी निकऱ का जिक्र करते हुए विशेष विचारधारा की पोशाक क्यों जोड़ी, जबकि आदिवासी व्यक्ति के ऊपर पेशाब करने की आरोपी व्यक्ति ने वह पोशाक नहीं पहनी थी। हाई कोर्ट ने आगे कहा कि क्योंकि याचिकाकर्ता नेहा ने अपने ट्विटर और इंस्टाग्राम पर इसे अपलोड किया कार्टून उस घटना के अनुरूप नहीं था जो घटित हुई थी।कोर्ट का FIR रद्द करने से इनकार
आवेदक द्वारा अपनी मर्जी से कुछ चीज जोड़ी गई इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदक ने अभिव्यक्ति की आजादी के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करते हुए कार्टून अपलोड किया था । जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने कहा आवेदक नेहा सिंह राठौड़ के वकील ने स्वीकार किया था कि उनके द्वारा अपलोड किया गया कार्टून वास्तविक घटना के अनुरूप नहीं था और इसमें कुछ ऐसी पोशाक शामिल की गई जो घटना के समय आरोपी ने नहीं पहनी थी। कोर्ट ने कहा कि कार्टून में नेहा सिंह राठौड़ द्वारा विशेष पोशाक क्यों जोड़ी गई इस सवाल का निर्णय मुकदमे में किया जाना है। कोर्ट ने ये भी कहा कि विशेष पोशाक जोड़ना इस बात का संकेत था कि Neha Singh Rathore बताना चाहती थी कि आपराध विशेष विचारधारा से संबंधित व्यक्ति द्वारा किया गया था। इस प्रकार यह सद्भाव को बाधित करने और शत्रुता ग्रहण या दुर्भावना की भावनाओं को भड़काने का प्रयास करने का स्पष्ट मामला था। कोर्ट ने कहा कि मामले के तथ्य और परिस्थितियों की समग्रता पर विचार करते हुए की अदालत इस बात पर विचार करती है कि हस्तक्षेप करने के लिए कोई मामला नहीं बनता है।उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, लाखों कर्मचारियों के लिए खुशखबरी
अगली खबर पढ़ें
एक दलित के ऊपर पेशाब किए जाने से भक्तों का मन उतना आहत नहीं हुआ जितना मेरे एक कार्टून शेयर करने से हो गया.
एक दलित बच्ची के साथ उसके स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा बलात्कार किए जाने से ज़्यादा बुरा उन्हें इस घटना पर मेरा बोलना लग गया. किसी गरीब और कमजोर का मान-मर्दन और दमन आपको दुख… — Neha Singh Rathore (@nehafolksinger) June 10, 2024
क्या था मामला
RSS की खाकी निकर से जुड़ा है मामला
दरअसल पिछले सााल Neha Singh Rathore पर आईपीसी की धारा 153 ए के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। यह एफआईआर उनके एक कार्टून पोस्ट करने पर की गई थी जिसमें एक व्यक्ति को अधनंगी अवस्था में फर्श पर बैठे दूसरे व्यक्ति पर पेशाब करते हुए दिखाया गया था। इस कार्टून में खाकी रंग का निकर भी जमीन पर पड़ा हुआ दिखाया गया था। यह मामला प्रवेश शुक्ला से जुड़ा हुआ था जो कथित तौर पर भाजपा का कार्यकर्ता है और दलित पर पेशाब करने के मामले में उसका नाम आया था ।कार्टून मामले में फंसी नेहा सिंह राठौड़
नेहा सिंह राठौर के वकील ने एफआईआर रद्द करने की अपील की थी और तर्क दिया था कि आईपीसी की धारा 153ए के तहत उन पर कोई अपराध नहीं बनता है। हालांकि कोर्ट में इस दलील को स्वीकार नहीं किया। जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने पूछा कि नेहा सिंह राठौड़ ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए कार्टून में आरएसएस के खाकी निकऱ का जिक्र करते हुए विशेष विचारधारा की पोशाक क्यों जोड़ी, जबकि आदिवासी व्यक्ति के ऊपर पेशाब करने की आरोपी व्यक्ति ने वह पोशाक नहीं पहनी थी। हाई कोर्ट ने आगे कहा कि क्योंकि याचिकाकर्ता नेहा ने अपने ट्विटर और इंस्टाग्राम पर इसे अपलोड किया कार्टून उस घटना के अनुरूप नहीं था जो घटित हुई थी।कोर्ट का FIR रद्द करने से इनकार
आवेदक द्वारा अपनी मर्जी से कुछ चीज जोड़ी गई इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदक ने अभिव्यक्ति की आजादी के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करते हुए कार्टून अपलोड किया था । जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने कहा आवेदक नेहा सिंह राठौड़ के वकील ने स्वीकार किया था कि उनके द्वारा अपलोड किया गया कार्टून वास्तविक घटना के अनुरूप नहीं था और इसमें कुछ ऐसी पोशाक शामिल की गई जो घटना के समय आरोपी ने नहीं पहनी थी। कोर्ट ने कहा कि कार्टून में नेहा सिंह राठौड़ द्वारा विशेष पोशाक क्यों जोड़ी गई इस सवाल का निर्णय मुकदमे में किया जाना है। कोर्ट ने ये भी कहा कि विशेष पोशाक जोड़ना इस बात का संकेत था कि Neha Singh Rathore बताना चाहती थी कि आपराध विशेष विचारधारा से संबंधित व्यक्ति द्वारा किया गया था। इस प्रकार यह सद्भाव को बाधित करने और शत्रुता ग्रहण या दुर्भावना की भावनाओं को भड़काने का प्रयास करने का स्पष्ट मामला था। कोर्ट ने कहा कि मामले के तथ्य और परिस्थितियों की समग्रता पर विचार करते हुए की अदालत इस बात पर विचार करती है कि हस्तक्षेप करने के लिए कोई मामला नहीं बनता है।उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, लाखों कर्मचारियों के लिए खुशखबरी
संबंधित खबरें
अगली खबर पढ़ें







