जिन्हें दिक्कत है वे अग्निपथ योजना में न हों शामिल : Delhi HC

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calendar29 Nov 2025 02:28 PM
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Delhi HC: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से सोमवार को सवाल किया कि उनके किस अधिकार का उल्लंघन हुआ है और कहा कि यह स्वैच्छिक है तथा जिन लोगों को इससे कोई समस्या है, उन्हें सशस्त्र बलों में शामिल नहीं होना चाहिए।

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उच्च न्यायालय ने कहा कि भर्ती के लिए अग्निपथ योजना थलसेना, नौसेना और वायुसेना के विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई है और न्यायाधीश सैन्य विशेषज्ञ नहीं हैं।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, ‘‘योजना में क्या गलत है? यह अनिवार्य नहीं है...स्पष्ट तरीके से कहूं तो हम सैन्य विशेषज्ञ नहीं हैं। आप (याचिकाकर्ता) और मैं विशेषज्ञ नहीं हैं। इसे थलसेना, नौसेना और वायु सेना के विशेषज्ञों के बड़े प्रयासों के बाद तैयार किया गया है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘सरकार ने एक विशेष नीति बनाई है। यह अनिवार्य नहीं है, यह स्वैच्छिक है।’’ अदालत ने कहा, ‘‘आपको यह साबित करना होगा कि अधिकार छीन लिया गया है…। क्या हम यह तय करने वाले व्यक्ति हैं कि इसे (योजना के तहत सेवाकाल) चार साल या पांच साल अथवा सात साल किया जाना चाहिए।’’

उच्च न्यायालय केंद्र की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना 14 जून को शुरू की गई। योजना के नियमों के अनुसार, साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के लोग आवेदन करने के पात्र हैं और उन्हें चार साल के कार्यकाल के लिए शामिल किया जाएगा।

योजना के तहत, उनमें से 25 प्रतिशत की सेवा नियमित कर दी जाएगी। अग्निपथ की शुरुआत के बाद इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध शुरू हो गया। बाद में, सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं में से एक हर्ष अजय सिंह की तरफ से पेश अधिवक्ता कुमुद लता दास ने कहा कि योजना के तहत भर्ती होने के बाद अग्निवीरों के के लिए 48 लाख रुपये का जीवन बीमा होगा, जो पहले के प्रावधान की तुलना में बहुत कम है। वकील ने दलील दी कि सशस्त्र बलों के कर्मी जो भी वेतन-भत्ते पाने के हकदार होते हैं, अग्निवीर को वे केवल चार साल के लिए मिलेंगे। उन्होंने कहा कि अगर सेवा की अवधि पांच साल के लिए होती, तो वे ‘ग्रेच्युटी’ के हकदार होते।

वकील ने दलील दी कि चार साल के सेवाकाल के बाद, केवल 25 प्रतिशत अग्निवीरों को सशस्त्र बल में बनाए रखने पर विचार किया जाएगा और बाकी 75 प्रतिशत के लिए कोई योजना नहीं है।

वकील ने कहा कि अधिकारियों ने लागत में कटौती के लिए यह योजना तैयार की है, पीठ ने सवाल किया कि सशस्त्र बल ने कहां उल्लेख किया है कि यह लागत में कटौती की कवायद है। न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा, ‘‘उन्होंने कहां कहा है कि यह लागत में कटौती की कवायद है? आप चाहते हैं कि हम अनुमान लगाएं कि यह लागत में कटौती की कवायद है? जब तक वे ऐसा नहीं कहते, आपके बयान का कोई महत्व नहीं है।’’

व्यक्तिगत रूप से बहस में हिस्सा लेने वाले एक अन्य याचिकाकर्ता ने कहा कि वह थलसेना से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और अब वकालत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अग्निपथ योजना पर पुनर्विचार करने के लिए कहा जाना चाहिए क्योंकि अग्निवीरों को दिया जाने वाला छह महीने का प्रशिक्षण पर्याप्त नहीं है और यह बहुत कम समय है और प्रशिक्षित होना आसान नहीं है। उन्होंने दावा किया कि इस तरह अधिकारी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करेंगे और कर्मियों की गुणवत्ता प्रभावित होगी।

जब न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा ‘‘फिर इसमें शामिल न हों’’, तो याचिकाकर्ता ने कहा, ‘‘क्या यह जवाब है कि ‘शामिल न हों।’’ न्यायाधीश ने कहा, ‘हां।’

एक अन्य याचिकाकर्ता की तरफ से पेश अधिवक्ता अंकुर छिब्बर ने कहा कि सेवा के चार वर्षों में कर्मियों में जुड़ाव की भावना नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जो सेवा में बरकरार रहेंगे, उनके पहले चार साल नहीं गिने जाएंगे और उन्हें नए सिरे से शुरुआत करनी होगी।

पीठ ने केंद्र से इस पर स्पष्टता की मांग की। जिस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वह इस पहलू पर निर्देश लेंगी और 14 दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख पर पीठ को सूचित करेंगी।

West Bengal: CBI कार्यालय में फंदे से लटकता मिला हत्याकांड का मुख्य आरोपी

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West Bengal: CBI कार्यालय में फंदे से लटकता मिला हत्याकांड का मुख्य आरोपी

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calendar29 Nov 2025 02:21 PM
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West Bengal: कोलकाता: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में आगजनी और हिंसा का मुख्य आरोपी रामपुरहाट में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा स्थापित एक अस्थायी कार्यालय में सोमवार को ‘फंदे से लटकता’ पाया गया। केंद्रीय एजेंसी के एक सूत्र ने यह जानकारी दी।

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मार्च में हुई इस घटना में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई थी। आरोपी को इस महीने की शुरुआत में पश्चिम बंगाल-झारखंड सीमा पर एक स्थान से गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई सूत्र ने कहा कि आरोपी का शव कार्यालय के शौचालय में पाया गया। एजेंसी ने रामपुरहाट में एक अतिथि गृह में अस्थायी कार्यालय स्थापित किया है।

सूत्र ने यह भी कहा कि यह ‘‘आत्महत्या का मामला’’ जैसा लग रहा है। सीबीआई सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘बोगतुई हिंसा के मुख्य आरोपी का शव हमारे अस्थायी शिविर, अतिथि गृह के शौचालय में शाम करीब 4.30 बजे फंदे से लटकता मिला। हमने पुलिस को सूचित कर दिया है और सभी आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है।’’

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के स्थानीय नेता भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद हुई आगजनी और हिंसा में कम से कम 10 लोग मारे गए थे। सीबीआई कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर मामले की जांच कर रही है।

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zika virus: कर्नाटक में पांच साल की बच्ची हुई जिका वायरस की शिकार

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calendar27 Nov 2025 11:03 PM
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zika virus: बेंगलुरू:  कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने सोमवार को कहा कि रायचूर जिले की पांच साल की एक बच्ची में जिका वायरस के पहले मामले की पुष्टि हुई है।

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मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सरकार सभी आवश्यक उपाय कर रही है, और इस संबंध में दिशा-निर्देश भी जारी करेगी। स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने रायचूर में जिका वायरस मामले पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘ हमें जिका वायरस के पुष्ट मामले के बारे में पुणे की प्रयोगशाला से एक रिपोर्ट मिली है। पांच दिसंबर को उस पर कार्रवाई कर आठ दिसंबर को रिपोर्ट दी गई। जांच के लिए तीन नमूने भेजे गए थे, जिनमें से दो निगेटिव और एक पॉजिटिव था। हम पूरी सतर्कता बरत रहे हैं। ’’ उन्होंने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि कुछ महीने पहले जिका वायरस के मामले केरल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में पाए गए थे। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘ कर्नाटक में यह पहला पुष्ट मामला है। यह तब सामने आया है, जब सीरम का डेंगू और चिकनगुनिया परीक्षण किया गया। आमतौर पर ऐसे 10 प्रतिशत नमूने परीक्षण के लिए पुणे भेजे जाते हैं, जिनमें से यह पॉजिटिव निकला है।’’ जिका वायरस रोग एक संक्रमित एडीस मच्छर के काटने से फैलता है, जिसे डेंगू और चिकनगुनिया जैसे संक्रमण फैलाने के लिए भी जाना जाता है। इस वायरस की पहचान सबसे पहले 1947 में युगांडा में हुई थी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में अब तक जिका वायरस का कोई नया मामला सामने नहीं आया है और चिंता की कोई जरूरत नहीं है, सरकार सावधानी के साथ स्थिति की निगरानी कर रही है।

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