विवादित IAS पूजा खेडकर पर एक्शन, ट्रेनिंग रोकी, एकेडमी वापस बुलाया

IAS Pooja Khedkar
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:25 AM
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IAS Pooja Khedkar : महाराष्ट्र की ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर पर बड़ा एक्शन लिया गया है। विवादों के बाद IAS पूजा खेडकर की महाराष्ट्र में ट्रेनिंग को रोक दिया गया है और उन्हें मासूरी स्थित IAS एकेडमी वापस बुलाया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने भी पूजा खेडकर को कार्यमुक्त कर दिया है। महाराष्ट्र की ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर इन दिनों काफी चर्चा में हैं। उनकी नियुक्ति सवालों के घेरे में है जिस की जांच के लिए केंद्र सरकार ने समिति गठित की है। 11 जुलाई को गठित यह समिति 15 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। शिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर प्रकरण ने देश की प्रशासनिक सेवा की कई संस्थाओं के कारनामों को एक साथ उजागर कर दिया है। पूजा खेडकर अभी लालबहादुर शास्त्री अकादमी, मसूरी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। उनकी यह ट्रेनिंग अगले साल जुलाई में पूरी होगी। इस दौरान उन्हें फील्ड ट्रेनिंग के लिए असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में पुणे भेजा गया। वहां जाते ही उन्होंने सभी नियम-कायदे और नैतिकता को ताक पर रख ऐसे-ऐसे काम किए, जो देश की पूरी प्रशासनिक सेवा के लिए कलंक कहे जा सकते हैं। उन्होंने वहां जाते ही लाल बत्ती लगी सरकारी गाड़ी, एक अलग आफिस, घर और चपरासी इत्यादि की मांग की। यहां तक कि अपनी निजी आडी गाड़ी पर खुद ही अवैध रूप से लाल बत्ती भी लगवा ली, जबकि उस गाड़ी के खिलाफ यातायात नियमों के उल्लंघन के दर्जन भर मामले दर्ज हैं और जुर्माना तक बकाया है। बीते दिनों उसे जब्त कर लिया गया। आईएएस अधिकारी बनने के बाद उन पर ऐसा नशा छाया कि पुणे में तैनात एक अन्य अफसर के कार्यालय से जबरन उनका नाम हटाकर अपनी नेम प्लेट लगा दी।  IAS Pooja Khedkar

इस दिन खास स्थान पर कर लिया स्नान तो हो जाएंगे मालामाल

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हरिद्वार से ही क्यों भरा जाता है कांवड़ में जल ?

Kawar
Kanwar Yatra 2024
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 01:43 PM
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Kanwar Yatra 2024 : कांवड़ यात्रा 2024 चल रही है। इस दौरान कांवड़ के महत्व पर खूब लिखा और पढ़ा जा रहा है। कांवड़ यात्रा को लेकर अनेक शिवभक्त सवाल भी पूछते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह पूछा जाता है कि कांवड़ में जल हरिद्वार से ही क्यों भरा जाता है? हरिद्वार में भी हर की पौड़ी से ही गंगा जल कांवड़ में क्यों भरा जाता है? हम आपको विस्तार से बता रहे हैं कि कांवड़ में हरिद्वार के गंगा जल का महत्व।

हरिद्वार है भगवान की तपस्थली

आपको बता दें कि धार्मिक ग्रंथों में हरिद्वार का विशेष महत्व बताया गया है। हरिद्वार के हर की पौड़ी में ब्रह्मकुंड से गंगा जल भरकर भगवान शिव का अभिषेक करना विशेष फलदायी होता है। श्रद्धालु हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपने अपने गंतव्य को जाकर भगवान शिव को जल अर्पण करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कलयुग में हरिद्वार को प्रधान तीर्थ बताया गया है, जिसमें श्री गंगा जी की प्रधानता है। हरिद्वार में हर 12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर होता है, जहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु गंगा स्नान करने के लिए आते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा ने यहां हजारों साल तक तपस्या की थी। हरिद्वार की हर की पौड़ी पर ही भगवान ब्रह्मा की तपस्थली है। इस तपस्थली का नाम ब्रह्मकुंड है।

Kanwar Yatra 2024

गंगा गंगोत्री से लेकर कोलकाता तक जाती हैं लेकिन इस बीच केवल हरिद्वार के गंगाजल की ही मान्यता है। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए रिसर्च में हरिद्वार ब्रह्मकुंड के गंगाजल में कोई भी बैक्टीरिया नहीं पनपता है, जिस कारण यहां का जल कभी प्रदूषित नहीं हो सकता है, इसलिए ब्रह्मकुंड से जो जल लिया जाता है, वही भगवान शिव को अर्पित कर उनका अभिषेक किया जाता है, जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रावण ने भी भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए हरिद्वार से ही गंगाजल लिया था। जो जल हरिद्वार के ब्रह्मकुंड से लिया जाता है, भगवान शिव उससे बहुत प्रसन्न होते हैं। इसीलिए हरिद्वार से गंगाजल भरने का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। यही कारण है कि कांवडिय़ा अपनी कांवड़ यात्रा के लिए हरिद्वार में स्थित हर की पौड़ी से ही गंगा जल अपनी-अपनी कांवड़ में भरते हैं। Kanwar Yatra 2024

भगवान परशुराम थे दुनिया के पहले कांवड़िया, गढ़मुक्तेश्वर से लाए थे कावड़

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भगवान परशुराम थे दुनिया के पहले कांवड़िया, गढ़मुक्तेश्वर से लाए थे कावड़

Kanwar Yatra 1
Kanwar Yatra 2024
locationभारत
userचेतना मंच
calendar16 Jul 2024 09:33 PM
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Kanwar Yatra 2024 : कांवड़ यात्रा 2024 की शुरूआत हो चुकी है। भगवान शिव के लाखों भक्त कांवड़ में गंगा जल भर कर भोलेनाथ का अभिषेक करने के लिए निकल पड़े हैं। कांवड़ यात्रा 2024 का मुख्य आयोजन 22 जुलाई से 15 अगस्त तक चलेगा। हम आपको बता रहे हैं कि दुनिया में सबसे पहली कांवड़ यात्रा किसने की थी ?

भगवान परशुराम ने की थी पहली कांवड़ यात्रा

पुराणों में मिले प्रमाण बताते हैं कि दुनिया में सबसे पहली कांवड़ यात्रा भगवान परशुराम ने की थी। इसी कारण परशुराम को दुनिया का पहला कांवडिय़ा भी कहा जाता है। इस दौरान परशुराम जी ने गढ़मुक्तेश्वर धाम से कांवड़ द्वारा पवित्र गंगाजल लाकर उत्तर प्रदेश के बागपत में स्थित 'पुरा महादेव' का अभिषेक किया था। तभी कांवड़ यात्रा करने की परंपरा चली आ रही है। वर्तमान में गढ़मुक्तेश्वर को ब्रजघाट के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में स्थापित पुरा महादेव मंदिर की महिमा इतनी अधिक है कि हर साल सावन में पुरा महादेव मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए लाखों कांवड़िए पहुंचते हैं।

Kanwar Yatra 2024

जहां से परशुराम जी कांवड़ द्वारा गंगाजल लेकर आए थे, वह स्थान भी उत्तर प्रदेश में है। इस स्थान का नाम गढ़मुक्तेश्वर है। इस स्थान को लेकर भी एक पौराणिक कथा लोकप्रिय है। शिवपुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा मंदराचल पर्वत पर तपस्या कर रहे थे। तभी भगवान शिव के गण घूमते हुए वहां पहुंचे और महर्षि दुर्वासा का उपहास करने लगे। इससे महर्षि क्रोधित हो गए और उन्होंने गणों को पिशाच बनने का श्राप दे दिया। तब भगवान शिव के दर्शन करने से शिवगणों को पिशाच योनि से मुक्ति मिली। इसलिए इस मंदिर को 'गढ़मुक्तेश्वर' अर्थात गणों की मुक्ति करने वाले ईश्वर के नाम से जाना जाता है। Kanwar Yatra 2024

कांवड़ यात्रा के लिए चलाई जाएंगी विशेष ट्रेन, कांवड़ियों को होगा बड़ा फायदा

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