जन चेतना न्यूज: चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, लोजपा (LJP) का सिंबल किया फ्रीज
नई दिल्ली। चाचा-भतीजे की आपसी खींचतान के चलते चुनाव आयोग ने आज बड़ा फैसला करते हुए लोजपा का सिंबल 'बंगला' फ्रीज कर दिया है। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद विवाद सुलझने तक कोई भी गुट इस सिंबल का चुनावों में इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। हालांकि चुनाव आयोग ने दोनों ही पक्षों को अपनी ओर से हल निकालने के लिए कहा है। आयोग ने कहा कि चिराग और पारस अपने-अपने पक्ष और चिह्न का चयन कर लें।
आपको बता दें कि लोक जन शक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी के 5 सांसदों ने बगावत कर दी थी। बागी सांसदों के इस गुट का नेतृत्व चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस कर रहे थे। उनके नेतृत्व वाले गुट ने खुद को असली लोक जन शक्ति पार्टी बताते हुए स्पीकर से लोक सभा में जगह देने की मांग की, जिसे स्पीकर द्वारा स्वीकार कर लिया गया था। इसके बाद पशुपति कुमार पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी शामिल कर लिया गया था।
दरअसल दोनों के बीच चल रहे टकराव का ताजा रण बिहार में हो रहे उपचुनाव बन गए हैं। एक ओर रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान अपने नेतृत्व वाली पार्टी को 'असली' बताते हुए बिहार में पदयात्राएं निकाल रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर पशुपति पारस गुट इस घोषणा को असंवैधानिक करार दे रहा है। इसके बाद असली और नकली की लड़ाई ने चुनाव आयोग में दस्तक दे दी थी। हालांकि शुक्रवार को बिहार बीजेपी अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने साफ कर दिया था कि लोजपा के मालिक पशुपति कुमार पारस हैं। उन्होंने कहा था कि बिहार की दो सीटों पर होने वाले उप चुनाव में केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस एनडीए के उम्मीदवार को समर्थन में प्रचार करेंगे।
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सूत्रों के मुताबिक चिराग और पारस, दोनों गुटों को 4 अक्टूबर को 1 बजे तक अपनी पार्टी का नाम और नए सिंबल के लिए आयोग में आवेदन देना होगा। इसके बाद दोनों को अलग-अलग चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे। वे चुनाव आयोग द्वारा आवंटित चुनाव चिह्नों का ही उप-चुनाव में इस्तेमाल कर सकेंगे। हालांकि इसके साथ ही दोनों गुटों को 5 नवंबर तक 'बंगला' चुनाव चिह्न पर दावा और सबूत पेश करने के लिए भी कहा गया है। उसके बाद आयोग अपने विवेकानुसार इस मामले पर फैसला लेगा।
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नई दिल्ली। चाचा-भतीजे की आपसी खींचतान के चलते चुनाव आयोग ने आज बड़ा फैसला करते हुए लोजपा का सिंबल 'बंगला' फ्रीज कर दिया है। चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद विवाद सुलझने तक कोई भी गुट इस सिंबल का चुनावों में इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। हालांकि चुनाव आयोग ने दोनों ही पक्षों को अपनी ओर से हल निकालने के लिए कहा है। आयोग ने कहा कि चिराग और पारस अपने-अपने पक्ष और चिह्न का चयन कर लें।
आपको बता दें कि लोक जन शक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी के 5 सांसदों ने बगावत कर दी थी। बागी सांसदों के इस गुट का नेतृत्व चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस कर रहे थे। उनके नेतृत्व वाले गुट ने खुद को असली लोक जन शक्ति पार्टी बताते हुए स्पीकर से लोक सभा में जगह देने की मांग की, जिसे स्पीकर द्वारा स्वीकार कर लिया गया था। इसके बाद पशुपति कुमार पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी शामिल कर लिया गया था।
दरअसल दोनों के बीच चल रहे टकराव का ताजा रण बिहार में हो रहे उपचुनाव बन गए हैं। एक ओर रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान अपने नेतृत्व वाली पार्टी को 'असली' बताते हुए बिहार में पदयात्राएं निकाल रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर पशुपति पारस गुट इस घोषणा को असंवैधानिक करार दे रहा है। इसके बाद असली और नकली की लड़ाई ने चुनाव आयोग में दस्तक दे दी थी। हालांकि शुक्रवार को बिहार बीजेपी अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने साफ कर दिया था कि लोजपा के मालिक पशुपति कुमार पारस हैं। उन्होंने कहा था कि बिहार की दो सीटों पर होने वाले उप चुनाव में केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस एनडीए के उम्मीदवार को समर्थन में प्रचार करेंगे।
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