नि:संकोच : 'राम' कहाने के लिए 'रामराज्य' का शोर!

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calendar01 Dec 2025 11:09 PM
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 विनय संकोची

'राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट, अंत काल पछतायेगा, जब प्राण जाएंगे छूट।' यह दोहा हम सब सुनते आ रहे हैं। तमाम लोग हैं जो राम नाम को लूट-लूट कर आध्यात्मिक दृष्टि से संपन्न हो गए और ऐसे लोगों की संख्या भी निश्चित रूप से कम नहीं है, जो खुली लूट का लाभ न उठा पाने के कारण विपन्न बने हुए हैं। बड़ी संख्या में ऐसे भी लोग हैं जो राम नाम की लूट की छूट की आड़ में राम नाम पर लूट का व्यापार करने में जुटे हैं। ऐसे राम नाम व्यापारियों की दुकानें खूब चल रही हैं, अब जो है सो है लेकिन एक बड़ी सच्चाई यह भी है कि करोड़ों लोग हर पल किसी न किसी रूप में भगवान राम का नाम लेते हैं और पूरी श्रद्धा से लेते हैं, यही कारण है कि लोग रामराज्य का सपना भी देखते हैं और उसे साकार होते हुए भी देखना चाहते हैं। ...और यह सब तब है जबकि अधिकांश लोग समझते हैं कि कलिकाल में रामराज्य की स्थापना लगभग असंभव है। बुरा मानने की बात नहीं है, परंतु यदि आज भगवान राम पुनः अवतरित होकर रामराज्य स्थापित करने का संकल्प लें, तो उनके लिए संकल्प पूर्ति सहज नहीं होगी।

साम्राज्य में राजा के ऊपर भी धर्म का शासन था। आज राजा धर्म पर शासन करता दिखाई देता है। राजा धर्म को अपनी सुविधा के अनुसार उपयोग में लाता है। प्राचीन भारत में एक अद्भुत प्रथा प्रचलित थी, जब राजा का राज्याभिषेक होता था, तो राजा कहता था 'अदंड्योस्मि' अर्थात् मुझे दंड नहीं दिया जा सकता। ऐसे में राजा का गुरु एक कुश का प्रतीकात्मक दंड लेकर राजा को मारता हुआ कहता था-'धर्म दंडोहित' अर्थात् तुम्हारे ऊपर भी धर्म का दंड है और राजा मार खाते हुए बेदी की परिक्रमा करता था। यह कोई नाटक नहीं था। राजा इस बात को याद रखते हुए ही समस्त निर्णय लेता था ताकि धर्म की हानि ना हो, धर्म विरुद्ध कोई कार्य न हो। 'लोकतंत्र का राजा' भी शपथ और संकल्प लेता है, लेकिन उसका अक्षरशः पालन करने वाला राजा आधुनिक भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में शायद ही कोई हुआ होगा।

रामराज की एक सबसे बड़ी विशेषता यह भी रही कि उन्होंने ऐसी व्यवस्था की थी कि सभी वर्ग के लोग उनसे सरलता पूर्वक मिल सकते थे, बतिया सकते थे, अपने दु:ख-दर्द बांट सकते थे। आधी रात के समय भी किसी का रुदन सुनकर श्रीराम अपना विश्राम त्याग कर पीड़ित की सेवा में उद्यत हो जाते थे। आज जिन्हें जनप्रतिनिधि कहते हैं, उन तक अपनी बात पहुंचाने में लोगों को दांतो तले पसीने आ जाते हैं। जब प्रतिनिधि का यह व्यवहार छत्रप जैसा होता है, जनता उनसे अपनी सुविधा से नहीं मिल सकती, क्योंकि 'राजा जी' अपनी सुविधा से जनता को दर्शन देने और उनकी गुहार सुनने की कृपा करते हैं। इसी के साथ ही यह भी कि पीड़ित की पीड़ा, दुखियारे के दु:ख, परेशान की समस्या का समाधान हो ही जाएगा इसकी कोई गारंटी नहीं होती है।...और हमें रामराज्य का सपना दिखाया जा रहा है। यह सपना उनके द्वारा दिखाया जा रहा है, जो रामराज्य इसलिए लाना चाहते हैं, ताकि लोग उन्हें 'अपना राम' मान लें।

रामराज्य में, जब एक ब्राह्मण ने जिसका पुत्र असमय ही मर गया, श्रीराम की शासन व्यवस्था पर इसका दोष लगाया, तो श्रीराम ने मंत्रिमंडल के परामर्श कर स्वयं पर जिम्मेदारी ली। रामराज्य में प्रजाहित करने में असफल होने पर राजा द्वारा स्वयं को दंड देने का प्रावधान भी पाया जाता है। आज का 'राजा' दोषी होने पर भी दोष स्वीकार करेगा या स्वयं को दंड देने का आदर्श प्रस्तुत करेगा। ऐसा सोचना भी बेमानी है, क्योंकि राम-राम की बीन बजाने से कोई 'राम' जैसा आचरण नहीं कर सकता है।

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Dharma & Spiritual : प्रभु और भक्त के बीच जल और मछली-सा रिश्ता हो!

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locationभारत
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calendar14 Dec 2021 04:51 PM
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 विनय संकोची

अधिकांश लोग भगवान को मानते तो हैं लेकिन उस पर विश्वास नहीं करते। हां, विश्वास करने की बात जरूर करते हैं। जो लोग भगवान को मानते भी हैं और उस पर पूरी तरह विश्वास भी करते हैं, उनसे परमात्मा कभी दूर नहीं होता है।

प्रभु से जल और मछली वाला नाता होना चाहिए। मछली जैसा प्रेम, मछली जैसी व्याकुलता होनी चाहिए, इस संदर्भ में जल तो प्रभु हैं और साधक का मन मछली के समान। एक पल भी जल से अलग नहीं होना चाहिए, जल से अलग होते की मछली जैसी तड़प मछली जैसी व्याकुलता होनी चाहिए। जैसे जल के बिना मछली नहीं रह सकती। उसी प्रकार सच्चा साधक एक क्षण भी बिना प्रभु नाम, प्रभु ध्यान के नहीं रह सकता। हर पल भगवान का ध्यान करने वाले से एक क्षण भी भूल हो जाए, तो उसे बड़ा पश्चाताप होता है और वह मामूली सी भूल के लिए भी भगवान से बारंबार क्षमा याचना करता है। दया की भीख मांगता है। सच्चा पश्चाताप होना ही विश्वास का सूचक है। जिस पर विश्वास हो जाए तो उसे भूला नहीं जा सकता है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि जिसे तुम नहीं भुलाओगे, वह भी तुम्हें हमेशा याद रखेगा। जिसे तुम मन में बसाओगे, जिससे तुम प्रेम करोगे, जिसकी याद में तुम व्याकुल होवोगे, जिसे देखने की, पाने की लालसा तुम्हारे अंदर हमेशा उफनती रहेगी, वह भी तुम्हें अपने से दूर नहीं करेगा। वह भी प्रत्युत्तर में तुमसे प्रेम ही करेगा, क्योंकि प्रेम का उत्तर प्रेम है।

प्रेम का उत्तर प्रेम है यह बात समझ में आ गई, तो तुम्हारे जीवन खुशियों से भर जाएगा तुम्हारे जीवन से निराशा का भाव सदैव के लिए समाप्त हो जाएगा, तुम्हें विश्वास करना आ जाएगा। जिसे प्रेम करना आ जाता है, जो हृदय से प्रेम करता है, वह बदले में प्रेम ही पाता है। प्रेम में भी, निष्काम प्रेम का सर्वाधिक महत्व है। तुम जब परमात्मा से कुछ नहीं चाहते, बस प्रेम करते हो, तो वह तुमसे प्रेम करते हुए, तुम्हें सब कुछ दे देता है।

चिंतन और प्रेम में कोई अंतर नहीं है। चिंतन से प्रेम होता है और प्रेम में चिंतन होता है। प्रभु के प्रति चिंतन में व्याकुलता का भाव होना चाहिए, जितनी व्याकुलता चिंतन में होगी उतना ही अधिक प्रेम प्रबल होगा। परमात्मा अपने साधक की, अपने भक्तों की व्याकुलता से स्वयं भी व्याकुल होते हैं। व्याकुल भक्त भगवान को सर्वाधिक प्रिय होते हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता का वचन है-

ॐ मच्चित्ता मद्गतप्राणा बोधयन्तः परस्परम् । कथयन्तश्च मां नित्यं तुष्यन्ति च रमन्ति च।। ॐ तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम् । ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते।।

अर्थात्- 'वे निरंतर मेरे में मन लगाने वाले और मेरे में ही प्राणों को अर्पण करने वाले भक्तजन सदा ही मेरी भक्ति की चर्चा द्वारा आपस में मेरे प्रभाव को जनाते हुए तथा गुण और प्रभाव सहित मेरा कथन करते हुए ही संतुष्ट होते हैं। और मुझ वासुदेव में ही निरंतर रमण करते हैं। उन निरंतर मेरे ध्यान में लगे हुए और प्रेम पूर्वक भजने वाले भक्तों को मैं तत्वज्ञानरूप योग देता हूं, जिससे वे मेरे को ही प्राप्त होते हैं।'

इस श्लोक का सीधा सा अर्थ यह है कि जो निरंतर प्रभु में ध्यान लगाते हैं, उन्हीं की चर्चा करते हैं और प्रेम पूर्वक परमात्मा का मनन करते हैं, वे भगवान में ही लीन हो जाते हैं, अर्थात् अंत समय में परमात्मा को पाते हैं, उसी में समा जाते हैं। इससे अच्छा क्या हो सकता है? इससे आसान उपाय परमात्मा को पाने का और क्या है? प्रेम से विश्वास बढ़ता है और विश्वास से प्रेम पनपता है, दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। प्रेम परमात्मा से हो या प्राणी से सच्चा होना चाहिए, क्योंकि सच्चा प्रेम ही फलीभूत होता है। सच्चा प्रेम करके तो देखो, जीवन में आनंद आ जाएगा। जीने का मजा आ जाएगा।

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शेयर मार्केट की शुरुआत में हुई गिरावट, सेंसेक्स 224 अंक कम होने के बाद 58,059 पर खुला

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(Share Market News) Source: NavBharat Times
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 06:30 PM
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नई दिल्ली: शेयर बाजार (Share Market Update) में आज लगातार दूसरे दिन गिरावट देखने को मिल रही है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 458 पॉइंट्स की गिरने के बाद 57,824 पर पहुंच गया है। बैंकिंग और टेक्नोलॉजी (Technology) शेयर्स में गिरावट हो गई है। बजाज फाइनेंस आज भी 2% टूटा है। सेंसेक्स 224 पॉइंट्स कम होने के बाद 58,059 पर खुला था। इसने दिन में इसी लेवल का ऊपरी स्तर बनाया और 57,843 का निचला स्तर पर आ गया है। सेंसेक्स (Sensex News) के 30 शेयर्स में से केवल 7 शेयर्स बढ़त में पहुंच गए हैं जबकि बाकी 23 गिरावट में हो चुके हैं। बढ़ने वाले प्रमुख शेयर में पावरग्रिड, ITC, NTPC और सन फार्मा शामिल हैं । गिरने वाले प्रमुख शेयर्स में HDFC, इंफोसिस, HCL टेक, कोटक बैंक, बजाज फिनसर्व आदि पहुंच गए हैं। दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) का भी शेयर 1% नीचे कारोबार करता नजर आ रहा है। सेंसेक्स का मिड कैप इंडेक्स आधा पर्सेंट, स्माल कैप इंडेक्स 0.18% और S&P BSE 500 इंडेक्स 0.43% कम हो गया है। उधर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 106 पॉइंट्स गिरावट करने के बाद 17,262 पर कारोबार कर रहा है। निफ्टी नेक्स्ट 50 इंडेक्स, निफ्टी मिडकैप, बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेस इंडेक्स (Financial Services Index) में गिरावट हो चुकी है। निफ्टी आज 17,283 पर खुला गया था और दिन में इसने 17,300 का ऊपरी स्तर तथा 17,242 का निचला स्तर पर बना हुआ है। इसके 50 शेयर्स में से 15 बढ़त में और 35 गिरावट में हो चुके हैं। बढ़ने वाले प्रमुख शेयर्स में सिप्ला, पावरग्रिड, डॉ. रेड्‌डी, सनफार्मा और डिवीज लैब शामिल हो गए हैं। गिरने वाले शेयर्स में टाटा मोटर्स, बजाज फाइनेंस, महिंद्रा एंड महिंद्रा और बजाज फिनसर्व हैं। इससे पहले कल बाजार 317 अंक ऊपर खुला गया था और दोपहर तक इसमें अच्छी खासी तेजी हो गई है। यह 59 हजार के पार पहुंच गया, लेकिन अंत में भारी गिरावट के साथ बंद हो चुका है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 503 अंक (0.86%) गिरने के बाद 58,283 पर बंद हुआ। रिलायंस, बजाज फाइनेंस और बजाज फिनसर्व के शेयर्स में सबसे ज्यादा गिरावट हो चुकी है।