Parachute: उड़ें हैं आप क्या  पैराशूट पहनकर 

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calendar25 May 2022 10:54 PM
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पैराशूट बनाने की दास्तान 
अब हमारे पास अलादीन की तरह जादुई कालीन तो है नहीं जिससे हम हवा में सैर कर सकें, पंछियों की तरह हवा में कही भी उड़ान भर सके परे इसमें उदास होने वाली कौन सी बात है! अरे आपने नाना पाटेकर का वो डायलाग नहीं सुना क्या भगवान् का दिया सब कुछ है दौलत है शौहरत है इज़्ज़त है और भी कई चीजे हैं जैसे की दिमाग और क्रिएटिविटी और इन्ही दोनों की मदद से हवा में उड़ने का सपना सिर्फ ख़याली पुलाव बनके नहीं रहा। सोची हुई कोई इच्छा अगर पूरी हो जाये तो कितनी ख़ुशी मिलती हैं ना अब जैसे की पैराशूट को ही देख लीजिए कहाँ लोगो ने इमेजिन किया था की काश! वो भी पंछियों की तरह हवा में मज़े से सैर करने का लुफ्त उठा पाते पर उन्हें कहां पता था उनका यह सपना हकीकत में बदल सकता है। आप सभी ने पैराशूट के बारे सुना ही होगा कई लोगो ने पैराशूट को देखा भी होगा और कइयों ने तो पैराशूट की सवारी भी की होगी लेकिन क्या आपने कभी पैराशूट के खोज से जुड़ी किस्से कहानियो को जानने में दिलचपी जताई है अगर नहीं तो देर किस बात की आइये शुरू करते हैं इस वीडियो को जहाँ आपको पैराशूट के खोज से जुड़ी रोचक किस्सों के बारे में बताया जायेगा। वैसे तो दुनिया में व्यवहारिक रूप से सफल पैराशूट बनाने का श्रेय एक फ्रांसीसी व्यक्ति लुइस सेबेस्टिन लेनोरमैंड को दिया जाता है। 1783 में पहली बार सेबेस्टिन द्वारा पैराशूट शब्द दुनिया लाया गया था साथ ही पहली बार पैराशूट का सार्वजनिक प्रदर्शन भी उन्होंने ही किया था।आपको जानकर हैरत होगी की पैराशूट के अविष्कार से सालों पहले ही लिओनार्दो दा विंची नामक एक व्यक्ति ने पैराशूट का स्केच बना दिया था। इन्होने पैराशूट का पूरा काया कल्प ही अपने स्केच में बना दिया था। हालाकि लियोनार्डो के कल्पना के बाद ही पैराशूट के खोज के पीछे लोग लगे। 16वी सदी में ‘फॉस्ट ब्रांसिस’ ने लिओनार्दो दा विंची के पैराशूट की डिजाइन को ध्यान में रखकर एक सख्त फ्रेम वाला होमो वोलंस नाम का पैराशूट बनाया। 1617 में पहली बार वेनिस टॉवर से पैराशूट की मदद लेकर छलांग लगाई गई थी। ये छलांग खुद ‘फॉस्ट ब्रांसिस' ने अपनी बनाई हुई पैराशूट होमो वोलंस से लगाई थी। जबकि उस समय आकाश से इस तरह छलांग लगाना कोई आसान काम नहीं था। पैराशूट का इतिहास आपको बता दें सन 1785 में पहली बार किसी नागरिक द्वारा पैराशूट का आपातकाल में प्रयोग किया गया था । नागरिक नाम ज्यां पियरे था और वह फ्रांस के रहने वाले थे। ज्यां पियरे ने ऊंचाई पर उड़ रहे एक हॉट एयर बैलून से एक कुत्ते को पैराशूट बंधी टोकरी की मदद से नीचे उतारा था। इन्होंने पहली बार सिल्क के कपड़े से पैराशूट बनाया क्योंकि वो उपयोग करने में बहुत आसान साबित हुए। 1797 में सिल्क से बने हुए पैराशूट का प्रयोग करते हुए फ्रांस के आंद्रे गार्नेरिन ने 3000 फूट की ऊंचाई से एक सफल छलांग लगाई। बाद में गार्नेरिन ने पैराशूट के कंपन को कम करने के लिए कुछ सुधार किए जिसके बाद पहला छिद्रित पैराशूट अस्तित्व में आया। वर्ष 1797 में ही एंड्रयू नामक व्यक्ति ने एक हॉट एयर बलून में पेरिस के ऊपर 3200 फिट की ऊंचाई पर उड़कर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। 24 जुलाई 1837 पैराशूट के इतिहास में एक दर्दनाक दिन है जिसमे एक व्यक्ति की 5000 फूट की ऊंचाई से गिरने की वजह से मौत हो गई थी। दरअसल लंदन के बॉक्स हॉल गार्डन में रॉबर्ट कोकिंग पैराशूट से उड़ान भरने का प्रदर्शन कर रहे थे पर नीचे आते समय पैराशूट का लकड़ी का ढांचा हवा के दबाव से टूट गया और उनकी मौत हो गई। फान टासल ने सूती कपड़े का एक छतरी के आकार का पैराशूट बनाया जिसे बहुत पसंद किया गया जबकि इससे पहले पैराशूट के लकड़ी के ढांचे पर सिर्फ कपड़ा डालकर ही बनाया जात था। बदलते समय के साथ सूती कपड़े की जगह रेशमी कपड़े का इस्तेमाल किया जाने लगा क्योंकि रेशमी कपड़े के उपयोग से पैराशूट पहले से ज्यादा हल्के और मजबूत हो गए। खैर अब पैराशूट बनाने के लिए नायलॉन को उपयोग में लिया जाता है। और आजकल तो वैसे भी इतने बड़े-बड़े पैराशूट बन चुके हैं, जो आपातकाल में उड़ते हुए हवाई जहाज या विमान को हवा में लटका कर सुरक्षित नीचे उतार सकते हैं। रामचंद्र चटर्जी सबसे पहले लाये भारत में पैराशूट 22 मार्च 1890 भारत के इतिहास में बड़ा दिन है क्यूंकि इस दिन पहली बार भारत में स्वयं भारतीय द्वारा ही पैराशूट की लैंडिंग हुई थी। भारत में पहली बार पैराशूट से उतरने वाले व्यक्ति रामचंद्र चटर्जी थे। चटर्जी भारतीय कलाबाज जिमनास्ट, बैलूनिस्ट और पैराशूटिस्ट होने के साथ ही एक देशभक्त के तौर पर भी पहचाने जाते थे. आपकी जानकारी के लिए बतादे चटर्जी ने ‘द एम्प्रैस ऑफ इंडिया’ नाम के गुब्बारे में अपना पैराशूट फिट किया और कलकत्ता के मिंटो पार्क के पास तिवोली गार्डन से उड़ान भरी. इसके बाद 3500 फीट की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद वे पैराशूट से नीचे उतरे और इस तरह से पैराशूट को भारत में पहली बार इंट्रोड्यूस करने का गौरव हासिल किया। पैराशूट का उपयोग पैराशूट का उपयोग वर्ष 1914 में प्रथम विश्वयुद्ध के समय विमानों से बमवर्षा के लिए किया गया था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान भी विमान चालकों द्वारा पैराशूट का उपयोग किया गया था ताकि हजारों लोगों की जान बचाई जा सके । दूसरे विश्व युद्ध के समय अमेरीकी सैनिकों को कहीं आने जाने के लिए भी पैराशूट का इस्तेमाल किया गया था। पैराशूट के द्वारा युद्ध के समय में शत्रु के क्षेत्र में सैनिक, गोला बारूद और खाने पीने की सामग्री सेना के लिए गिराए जाते हैं। बता दे लड़ाकू जहाज काफी तेज गति से उड़ते व रनवे पर उतरते हैं ऐसे में पैराशूट की मदद से आपातकाल के समय में गति को नियंत्रण में करके विमान को सुरक्षित उतार सकते हैं। अन्तरिक्ष यात्री जिस केप्सूल में बैठकर धरती पर उतरते हैं, उसमें पैराशूट लगे होने की वजह से यात्री सुरक्षा के साथ उतर पाते हैं। पैराशूट का उपयोग समुद्र के किनारे सैलानियों को हवा में उड़ने के लिए किया जाता है इसके साथ ही जैव वैज्ञानिक और डिस्कवरी चैनल वाले भी जंगलों के ऊपर घूमने के लिए पैराशूट इस्तेमाल करते हैं।
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QUAD Summit 2022- पीएम मोदी का चीन को संदेश, अच्छाई की ताकत है यह संगठन

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पीएम मोदी
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calendar24 May 2022 05:31 PM
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QUAD Summit 2022- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों जापान दौरे पर गए हुए हैं। यहां यह क्वाड समिट की बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। जापान यात्रा के दूसरे दिन प्रधानमंत्री ने क्वाड देशों की शिखर बैठक में हिस्सा लिया। यह बैठक जापान की राजधानी टोक्यो में आयोजित की जा रही है। इस बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोर्ट को अच्छाई की ताकत के लिए बनाया गया संगठन बताते हुए, चीन के।लिए संदेश जारी किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह संगठन हिंद प्रशांत क्षेत्र को बेहतर बनाने का काम कर रहा है। गौरतलब है क्वाड सम्मेलन को लेकर भड़के चीन ने कहा था कि क्वाड का फेल होना तय है। चीन के इसी बात का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि - "क्वाड ने बहुत ही कम समय में दुनिया में एक महत्वपूर्ण जगह बना ली है। आपसी विश्वास और प्रतिबद्धता लोकतांत्रिक शक्तियों को नई ऊर्जा और उत्साह दे रहा है। क्वाड के स्तर पर हमारे आपसी सहयोग से एक मुक्त, खुला और समावेशी हिंद प्रशांत क्षेत्र को प्रोत्साहन मिल रहा है, जो हमारा साझा उद्देश्य है। कोरोना की विपरीत स्थिति के बाद भी हमने कोरोना वैक्सीन, जलवायु परिवर्तन, सप्लाई चेन और आर्थिक सहयोग जैसे कई क्षेत्रों में समन्वय बढ़ाया है। इससे हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित हुई है। इससे क्वाड की स्थिति अच्छाई के लिए ताकत के रूप में और ज्यादा सुदृढ़ होती जाएगी।"
Gyanvapi Mosque- वजू खाने पर पाबंदी और शिवलिंग के दावे पर आज जाएगा कोर्ट का फैसला

क्वाड सम्मेलन में इन मुद्दों पर हुई चर्चा -

क्वाड शिखर सम्मेलन (QUAD Summit 2022) के दौरान कई वैश्विक समस्याओं व मुद्दों पर चर्चा की गई। इन मुद्दों में रूस यूक्रेन के बीच छिड़ा हुआ युद्ध भी शामिल रहा। यूक्रेन संकट के बारे में बात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि -" यूक्रेन संकट वैश्विक मुद्दा है, क्षेत्रीय नहीं। यह सिर्फ एक यूरोपीय मुद्दे से अधिक है यह एक वैश्विक मुद्दा है। "  
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QUAD Summit 2022-पीएम मोदी के जापान दौरे से भड़का चीन, जाने वजह

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पीएम मोदी जापान यात्रा
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calendar02 Dec 2025 02:36 AM
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देश/विदेश - भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय जापान (Narendra Modi in Japan) दौरे पर गए हुए हैं। 24 मई को जापान की राजधानी टोक्यो में क्वाड समिट (QUAD Summit 2022) का आयोजन होना है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस आयोजन में हिस्सा लेंगे। क्वाड समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन (President of America Joe Biden) और जापान आस्ट्रेलिया के पीएम सम्मिलित होंगे। साल 2021 के सितंबर महीने में यह मीटिंग अमेरिका के वॉशिंगटन में बुलाई गई थी। इस वर्ष यह मीटिंग जापान के टोक्यो में आयोजित की जा रही है।

चीन ने निकाली अपनी भड़ास -

क्वाड समिट (QUAD Summit 2022) को लेकर चीन ने अपनी भड़ास निकाली है। उनका मानना है कि अमेरिका चीन को नियंत्रित करने के लिए यह कार्यक्रम कर रही है इसलिए इसका विफल होना तय है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी का कहना है कि अमेरिका ने स्वतंत्रता और खुलेपन के नाम पर इंडो पेसिफिक रणनीति बनाई है। क्वाड समिट का इरादा चीन के आसपास के वातावरण को नियंत्रित करने का है। साथ ही एशिया पेसिफिक देशों को अमेरिकी आधिपत्य के प्यादे के रूप में काम कराना है। साथ ही चीन का यह भी कहना है कि अमेरिका ताइवान और दक्षिण चीन सागर के साथ कार्ड खेल रहा है। चीन का मानना है कि इंडो पेसिफिक रणनीति विभाजन पैदा करने टकराव को भड़काने और शांति को कम करने की रणनीति है। यह चाहे जितने भी गुप्त तरीके से आयोजित की जाए लेकिन इसका विफल होना तय है।

क्वाड से चीन को क्यों है नाराजगी -

क्वाड समूह का निर्माण अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया देशों ने मिलकर किया है। यह समूह मुख्य रूप से इंडो -पेसिफिक (हिंद प्रशांत) की भावना पर बल देता है। चीन इसकी तुलना एशियाई नाटो से करती है। यह हिंद प्रशांत रणनीतिक अवधारणा के विरुद्ध है, क्योंकि क्वाड जिसे इंडो पेसिफिक मानता है, उस क्षेत्र को चीन एशिया पेसिफिक क्षेत्र कहता है।
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चीन ने दक्षिण चीन सागर पर करीब करीब अपना कब्जा कर लिया है। चीन सागर में चीन द्वारा कृत्रिम द्वीप व सैन्य प्रतिष्ठान बना लिए गए हैं। जबकि ताइवान फिलीपीन ब्रूमैयर मलेशिया और वियतनाम भी इन हिस्सों पर अपना दावा करते हैं। इसके साथ ही पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी चीन के विवाद है। ऐसे में क्वाड संगठन (QUAD Summit 2022) द्वारा चीन की लगातार हर क्षेत्र में बढ़ रही सैन्य उपस्थिति को देखते हुए मुक्त रूप से खुले हिंद प्रशांत की स्थापना की चर्चा की जा रही है, जो चीन को रास नहीं आ रही है।