Nikki Yadav Case: आर्य समाज की वैवाहिक दुकानों की वैधता पर उठे सवाल

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Nikki Yadav Case
locationभारत
userचेतना मंच
calendar20 Feb 2023 11:59 PM
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Nikki Yadav Case: नई दिल्ली/नोएडा। निक्की यादव की हत्या करके लाश फ्रीज में रखने के मामले में कानून अपना काम करेगा। दोषियों को सजा भी होगी। यह कानूनी विषय है लेकिन इस घटना ने विभिन्न धर्मों में शादी कराने तथा शादी का प्रमाण पत्र बांटने वाली वैवाहिक दुकानों की वैधता पर भी सवालिया निशान लगा दिया है।

समाज में अब इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि किस कानून के तहत धार्मिक व अन्य निजी संस्थाओं को शादी कराने तथा उसका प्रमाण पत्र देने का अधिकार मिला है ? शादी कराने के पूर्व यह संस्थाएं वर-वधु पक्ष के बारे में पूरी जानकारी हासिल नहीं करती है तथा उसकी कानूनी औपचारिकताएं पूरी किए बिना कैसे शादी को वैध ठहराया जा सकता है ?

Nikki Yadav Case

निक्की यादव और साहिल गहलोत प्रकरण में भी यह देखने को मिला है कि ग्रेटर नोएडा के डेल्टा-1 सेक्टर स्थित आर्य समाज मंदिर में कानूनी औपचारिकता का पूरी तरह पालन किए बिना दोनों का न सिर्फ विवाह करा दिया गया। बल्कि शादी का प्रमाण-पत्र भी सौंप दिया गया। प्रमाण पत्र की वैधता पर सवाल खड़े होना लाजमी है। इन वैवाहिक दुकानों की क्या कोई कानूनी वैधता है? क्या उनके द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र के अनुपालन की भी कोई वैधता या बाध्यता है? सरकार को इस पर जांच कराकर कार्रवाई करनी चाहिए ।

बताया जाता है कि डेल्टा-1 सेक्टर स्थित आर्य समाज मंदिर में इसी तरीके से कई वर्षों से शादी कराने तथा प्रमाण पत्र सौंपने का अवैध कारोबार चल रहा है। बताया जाता है कि शादी तो डेल्टा-1 सेक्टर स्थित आर्य समाज मंदिर में होती है लेकिन प्रमाण पत्र नवादा स्थित आर्य समाज मंदिर के दिए जाते हैं। इस मामले में पुलिस ने आर्य समाज के संचालक विपिन आर्य से भी गहनता से पूछताछ नहीं की है। इसको लेकर भी क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है।

कानूनी मान्यता नहीं है आर्य समाज मंदिर में शादी

आप भी जानिए क्या है आर्य समाज मंदिर में होने वाली शादी का सच ? यहां हम आपको आर्य समाज में होने वाली शादियों के कानूनी पक्ष के बारे में बताएंगे। यह भी बताएंगे कि कैसे होती है आर्य समाज में शादियां और आर्य समाज द्वारा जारी किए जाने वाले विवाह के सर्टीफिकेट का क्या मतलब है ? पहले यह जान लेते हैं कि आर्य समाज क्या है ?

क्या आर्य समाज ? वर्ष-1857 में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की थी। यह संस्था हिन्दु धर्म में फैली हुई कुरीतियों का विरोध करने के लिए बनाई गई थी। इस समाज में सभी को बराबरी का हक देने की पुरजोर वकालत की जाती है। समाज में फैली बुराईयों, जातिवाद, छुआछुत, नशाखोरी, छेड़छाड़, या इसी प्रकार की दूसरी तमाम बुराईयों को दूर करने के लिए समाज को हर वर्ग में शिक्षा को बढावा देने के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने देश भर में आर्य समाज का एक बड़ा ढांचा खड़ा किया था। उन्होंने पूरे देश में अनेक शिक्षण संस्थाएं भी स्थापित की थीं जिनको आप डीएवी स्कूल व कॉलेज के रूप में जानते हैं।

आर्य समाज में हिन्दु रीति रिवाज से ही शादियां होती हैं। यहां भी अग्नि के सात फेरे लिए जाते हैं। इसके बाद एक मैरिज सर्टीफिकेट जारी किया जाता है। इस समाज में होने वाली शादियोंं को आर्य समाज मैरिज वैलिडेशन एक्ट 1937 व हिन्दु मैरिज एक्ट 1955 के तहत मान्यता प्रदान करने का दावा किया जाता है। ऐसी शादी में दूल्हे की आयु 21 वर्ष या उससे अधिक तथा दुल्हन की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। मजेदार बात यह है कि आर्य समाज में दो अलग-अलग धर्मों के मानने वाले भी शादी कर सकते हैं। किन्तु इस शादी की कुछ प्रक्रियाएं तय की गयी हैं। इन प्रक्रियाओं केे तहत शादी करने वाले जोड़ो को पहले रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है साथ ही दोनों पक्षों को विवाह की सहमति का हलफनामा भी देना होता है। सभी दस्तावेजों की पूरी तरह छानबीन करके ही शादी कराई जाती है।

(हमारे ऊपर उल्लेखित स्टोरी यानि निक्की यादव के मामले में आर्य समाज की कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई)

आर्य समाज से जारी होने वाले सर्टिफिकेट का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि उस शादी को कानूनी अधिकार मिल गया है। किसी भी शादी को कानूनी अधिकार तभी मिलता है जब उस शादी को विधिवत रूप से सरकारी अधिकारी के सामने रजिस्टर्ड करा लिया गया हो। उक्त मामले में शादी को रजिस्टर्ड कराने की कोई प्रक्रिया नहीं की गयी। सितंबर 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट साफ-साफ कह चुका है कि आर्य समाज मंदिर में की गई शादी से विवाह का साबित होना जरूरी नहीं है। इसके पूर्व सुप्रीम कोर्ट भी लगभग इसी प्रकार की टिप्पणी कर चुका है। हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सिर्फ आर्य समाज मंदिर की ओर से विवाह प्रमाण पत्र जारी होने से विवाह साबित नहीं होता है।

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि निक्की यादव के मामले में ग्रेटर नोएडा के आर्य समाज मंदिर में की गई शादी की कोई कानूनी वैधता नहीं है।

बड़ा सवाल: कानून बड़ा है या विधायक बड़ा ?

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Maharashtra CM के बारे में आपत्तिजनक बयान देने पर राउत के खिलाफ मामला दर्ज

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Maharashtra CM
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:41 AM
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Maharashtra CM: नासिक। नासिक पुलिस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बारे में कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत के खिलाफ मामला दर्ज किया है। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

Maharashtra CM

अधिकारी ने बताया कि शिंदे धड़े के पदाधिकारी योगेश बेलदार रविवार देर रात यहां पंचवटी थाने में एक शिकायत दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया है कि टीवी चैनल पर बातचीत के दौरान राउत ने मुख्यमंत्री शिंदे के बारे में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया और उनकी छवि खराब की। पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिकायत के आधार पर राउत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। शाह ने शनिवार को कहा था कि जिन लोगों ने विरोधी विचारधारा के लोगों के ‘‘तलवे चाटना’ पसंद किया था, उन्हें निर्वाचन आयोग द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के धड़े को असली शिवसेना घोषित किए जाने और उसे ‘तीर-धनुष’ चुनाव निशान दिए जाने के बाद पता चल गया है कि सत्य किधर है। शाह की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर, राज्यसभा सदस्य राउत ने रविवार को कहा, “मौजूदा मुख्यमंत्री क्या चाट रहे हैं? शाह जो कहते हैं, महाराष्ट्र उसे महत्व नहीं देता।” राउत ने रविवार को एक ट्वीट में यह दावा भी किया था कि शिवसेना पार्टी के नाम और उसके 'धनुष और तीर' चिन्ह को 'खरीदने' के लिए '2000 करोड़ रुपये का सौदा' हुआ है। हालांकि शिंदे गुट और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राउत के इस दावे को खारिज कर दिया।

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MATHURA VIVAD:  श्रीकृष्ण जन्मस्थान व ईदगाह मामले में सुनवाई 27 मार्च को

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MATHURA VIVAD
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 07:03 PM
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MATHURA VIVAD:  मथुरा। मथुरा के श्री कृष्ण जन्मस्थान व ईदगाह वाद मामले में सोमवार को सिविल जज सीनियर डिविजन के न्यायालय में सुनवाई हुई। अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी।

MATHURA VIVAD

सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में सुनवाई के दौरान विभिन्न प्रार्थना पत्रों पर न्यायालय ने विचार विमर्श किया और सभी मामलों में 7/11 के तहत इस वाद पर सुनवाई के लिए 27 मार्च की तारीख नियत की गयी है। श्री कृष्ण स्थान ट्रस्ट के वकील मुकेश खंडेलवाल का कहना है कि न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सभी पक्षों पर तामिल मानते हुए अगली सुनवाई 27 मार्च को नियत की है। उनका कहना है यह वाद मेंटबिल है कि नहीं, पर अब 27 मार्च को सुनवाई होगी। वहीं ईदगाह ट्रस्ट के वकील तनवीर अहमद का कहना है कि वादी पक्ष इस मामले में शुरू से ही पैरवी नहीं कर रहा। फिर सुन्नी वक्फ बोर्ड पर आरोप लगाया जाता है। उनका कहना है कि न्यायालय में हुई आज सुनवाई के दौरान यह बाद मेंटल है कि नहीं 7/11 के अंतर्गत अब इस मामले पर अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी

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