Rajsthan : अंगीठी के धुएं में दम घुटने से बच्ची सहित 3 की मौत

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Rajsthan News
locationभारत
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calendar30 Nov 2025 04:20 AM
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Rajsthan News : जयपुर। राजस्थान के चुरू जिले में रात कमरे में रखी अंगीठी के धुंए में दम घुटने से एक ही परिवार की दो महिलाओं व एक बच्ची की मौत हो गई। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।

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पुलिस के अनुसार, जिस कमरे में सिगड़ी या अंगीठी रखी हुई थी उसमें सोना देवी (60), उनकी बहू गायत्री (30) और गायत्री की तीन साल की बेटी और दो महीने का बेटा सो रहे थे। कमरे में गर्माहट रखने के लिए सिगड़ी में कोयला डाल आग सुलगाई जाती है। उन्होंने बताया कि सुबह जब वे कमरे से बाहर निकले तो सोना देवी के पति ने दरवाजा खटखटाया जो अंदर से बंद था। पुलिस ने कहा कि जब कोई जवाब नहीं मिला तो उसने पड़ोसियों की मदद मांगी। दरवाजा तोड़कर लोग अंदर घुसे तो चारों बेहोश पड़े मिले। पुलिस ने कहा कि उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां बेटे को छोड़कर तीनों को मृत घोषित कर दिया गया। घटना रतनगढ़ थाना क्षेत्र के सर गांव में हुई।

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Joshimath Trouble : बार-बार की चेतावनियों पर सरकार की उदासीनता जोशीमठ संकट की जड़: चंडी प्रसाद भट्ट

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Joshimath Trouble
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 12:39 AM
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Joshimath Trouble : गोपेश्वर (उत्तराखंड)। पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट ने सोमवार को कहा कि भूगर्भीय कारकों के अलावा, जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में संभावित खतरों के बारे में विशेषज्ञों द्वारा दी गई चेतावनियों पर कार्रवाई करने में क्रमिक सरकारों की विफलता भूमि धॅंसने के संकट का एक प्रमुख कारण है।

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‘चिपको आंदोलन’ से संबद्ध रहे भट्ट ने कहा कि दरकते शहर में संकट से जुड़ी स्थिति की उपग्रह तस्वीरों की मदद से वैज्ञानिक अध्ययन के लिए राज्य सरकार द्वारा एक और प्रयास किया गया है।

उन्होंने कहा कि हालांकि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हिमालय के एक विस्तृत क्षेत्र मानचित्रण और जोशीमठ में गुप्त खतरों की चेतावनी दो दशक पहले राज्य सरकार को दी गई थी।

भट्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेंसी (NRSA) सहित देश के लगभग बारह प्रमुख वैज्ञानिक संगठनों द्वारा सुदूर संवेदन और भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) का उपयोग करके किए गए अध्ययन को 2001 में राज्य सरकार को प्रस्तुत किया गया था।

जोशीमठ सहित पूरे चार धाम और मानसरोवर यात्रा मार्गों को कवर करने वाले क्षेत्र का मानचित्रण उस समय देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, नैनीताल और चमोली के जिला प्रशासन को भी प्रस्तुत किया गया था।

भट्ट ने कहा कि इस क्षेत्र मानचित्रण रिपोर्ट में जोशीमठ के 124.54 वर्ग किमी क्षेत्र को भूस्खलन की संवेदनशीलता के अनुसार छह भागों में विभाजित किया गया था। उन्होंने कहा कि मानचित्रित क्षेत्र के 99 प्रतिशत से अधिक हिस्से को अलग-अलग श्रेणी में भूस्खलन-संभावित क्षेत्र के रूप में दिखाया गया था।

भट्ट ने बताया कि 39 प्रतिशत क्षेत्र को उच्च जोखिम वाले क्षेत्र के रूप में, 28 प्रतिशत को मध्यम-जोखिम वाले क्षेत्र के रूप में, 29 प्रतिशत को कम जोखिम वाले क्षेत्र के रूप में और शेष क्षेत्र को सबसे कम जोखिम वाले क्षेत्र के रूप में दिखाया गया था।

उन्होंने कहा कि तत्पश्चात् अध्ययन को लेकर देहरादून में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों, विशेषज्ञों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक दिवसीय बैठक भी हुई जिसमें संबंधित जिलाधिकारियों ने अध्ययन के आलोक में आवश्यक सुरक्षा उपाय करने पर सहमति व्यक्त की।

रेमन मैग्सेसे, पद्म भूषण और गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित भट्ट ने कहा कि हालांकि कुछ भी नहीं किया गया और चार हजार से अधिक लोगों की जान लेने वाली 2013 केदारनाथ आपदा- 'हिमालयी सुनामी' के मद्देनजर अध्ययन पर कार्रवाई नहीं करने के चलते राज्य सरकार को बहुत अधिक आलोचना का सामना करना पड़ा।

उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की चेतावनियों पर कार्रवाई करने में क्रमिक सरकारों की विफलता जोशीमठ संकट की जड़ प्रतीत होती है। भट्ट ने कहा कि एक के बाद एक अध्ययन तब तक मदद नहीं करेगा जब तक कि सरकारें सुझावों पर कार्रवाई शुरू नहीं करती।

आपदाओं के प्रति क्षेत्र की संवेदनशीलता पर सलाहकार के रूप में सरकार के साथ हुई विभिन्न चर्चाओं का हिस्सा रहे भट्ट ने कहा कि अध्ययन के नाम पर एक बार फिर समस्या की अनदेखी की जा रही है।

उन्होंने कहा कि 2001 में प्रस्तुत एनआरएसए की भूस्खलन जोखिम क्षेत्र मानचित्रण और मिश्रा समिति की 1976 की रिपोर्ट, जिसमें मैं भी शामिल था, में जोशीमठ जैसे शहरों और उनके निवासियों को बचाने के लिए अपनाए जाने वाले सुरक्षा उपायों के बारे में पर्याप्त सुझाव शामिल हैं। भट्ट ने कहा कि कार्रवाई की जरूरत है, सिर्फ एक और अध्ययन की नहीं।

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National Report : महिला श्रमिकों को मिलती है 30-40 % कम मजदूरी: रिपोर्ट

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 10:34 AM
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National Report : नई दिल्ली। निर्माण एवं रियल एस्टेट क्षेत्र में असंगठित महिला कामगारों को पुरुष श्रमिकों की तुलना में 30-40 प्रतिशत तक कम मजदूरी मिलती है। इस क्षेत्र में महिला एवं पुरुष असमानता पर जारी एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है।

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सलाहकार फर्म प्राइमस पार्टनर्स और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की तरफ से सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू निर्माण एवं रियल एस्टेट क्षेत्र में काम करने वाले कुल 5.7 करोड़ लोगों में सिर्फ 70 लाख महिलाएं हैं जो कुल संख्या का सिर्फ 12 प्रतिशत है। कुल कामगारों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व आनुपातिक रूप से कम होने के साथ ही उन्हें पारिश्रमिक या मजदूरी भी तुलनात्मक रूप से कम मिलती है। रिपोर्ट कहती है कि पुरुष कामगारों की तुलना में महिला कामगारों को 30 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत तक कम मजदूरी मिलती है। रिपोर्ट के अनुसार, यह आंकड़ा निर्माण एवं रियल एस्टेट क्षेत्र में मौजूद लैंगिक असमानता को दर्शाता है। निर्माण क्षेत्र में कार्यरत महिला कामगारों का औसत पारिश्रमिक 26.15 रुपये प्रति घंटे है जबकि पुरुषों को प्रति घंटे 39.95 रुपये का मिलते हैं। जहां तक प्रबंधन स्तर के पदों पर महिलाओं की भागीदारी का सवाल है तो निर्माण क्षेत्र की कंपनियों में सिर्फ दो प्रतिशत महिलाएं ही प्रबंधन स्तर पर मौजूद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के आगे बढ़ने की राह में मौजूद गतिरोध इस क्षेत्र में उनके लिए अवरोधक के तौर पर काम करते हैं। निर्माण एवं रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों के शीर्ष प्रबंधन स्तर पर महिलाओं की भागीदारी महज एक-दो प्रतिशत तक सीमित है। सलाहकार फर्म ने रिपोर्ट में कहा, इस क्षेत्र में महिलाएं मुख्यतः कम वेतन वाले एवं बेहद खतरनाक कार्यों में ही तैनात हैं। ईंट-भट्ठा, पत्थर की खदान, स्लैब ढलाई, ढुलाई और सहयोगी कार्यों में उनकी मौजूदगी ज्यादा है।