असली धुरंधर को नहीं जानते है तो जान लीजिए

लेकिन लोग जिस धुरंधर फिल्म को परदे पर देख रहे है वह वास्तव में असली धुरंधर है ही नहीं। असल धुरंधर तो भारत माँ का वो लाडला बेटा था जो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लिए किसी बुरे सपने से काम नहीं था।

असल जिंदगी के धुरंधर रविंद्र कौशिक
असल जिंदगी के धुरंधर रविंद्र कौशिक
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar24 Dec 2025 10:20 AM
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Ravindra Kaushik : धुरंधर शब्द तो आप सभी ने सुना होगा। आजकल सोशल मीडिया पर धुरंधर शब्द खूब ट्रेंड कर रहा है। हर जगह धुरंधर शब्द की खूब चर्चा है। सोशल मीडिया से लेकर टीवी और अखबारों में इस शब्द की खूब चर्चा हो रही है। जी हां हम बात कर रहे है हाल में रिलीज हुई धुरंधर फिल्म की। आजकल सोशल मीडिया से लेकर टीवी और अखबारों तक इस फिल्म का जबरदस्त क्रेज दिख रहा है। इस फिल्म को लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है। लेकिन लोग जिस धुरंधर फिल्म को परदे पर देख रहे है वह वास्तव में असली धुरंधर है ही नहीं। असल धुरंधर तो भारत माँ का वो लाडला बेटा था जो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लिए किसी बुरे सपने से काम नहीं था।  

भारत माँ के लाडले बेटे थे रविंद्र कौशिक

भारत माँ के लाडले बेटे तथा असली धुरंधर का नाम रविंद्र कौशिक था। भारत माँ के लाडले बेटे तथा असल जिंदगी के धुरंधर रविंद्र कौशिक की असल जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। आपको बता दें कि भारत माँ के इस लाडले बेटे तथा असल जिंदगी के धुरंधर का जन्म भारत में योद्धाओ की भूमि कहे जाने वाले राजस्थान में हुआ था। भारत माँ के इस लाडले बेटे तथा असल जिंदगी के धुरंधर रविंद्र कौशिक से पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की पुलिस, पाकिस्तान की सेना यहाँ तक की सरकार भी डरती थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत माँ की सेवा करते हुए भारत माँ के इस सुपुत्र ने पाकिस्तान के जेल में ही शहादत दे दी थी। भारत माँ के सुपुत्र रविंद्र कौशिक शहीद तो हो गए लेकिन अपने पीछे अपनी वीर पुरुष की छवि छोड़ गए। 

जब भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ की नजर पड़ी थी इस धुरंधर के ऊपर 

भारत माँ के इस लाडले बेटे तथा धुरंधर रविंद्र कौशिक को एक्टिंग का काफी शौक था। उनका यही शौक उनके असल जिंदगी के धुरंधर बनने का कारण बना। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक बार एक थिएटर प्रस्तुतीकरण के दौरान रविंद्र कौशिक की अभिनय प्रतिभा पर भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ (R&AW) की नजर पड़ी। भारत माँ के लाडले रविंद्र कौशिक ने अपने नाटक में एक भारतीय सेना के अधिकारी की भूमिका निभाई थी, जिसे दुश्मन देश के सैनिक पकड़ लेते है। लेकिन वो किसी भी हालात में देश से जुड़ी अहम् जानकारी को साझा नहीं करते है। उनके इस अभिनय से प्रभावित होकर भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ ने उन्हें अपनी गुप्त सेवाओं के लिए उपयुक्त माना। रॉ में चयन होने के बाद भारत माँ के लाडले बेटे रविंद्र कौशिक को करीब दो साल तक कड़ी और गोपनीय प्रशिक्षण प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ा। उन्हें इस्लाम से जुड़ी अहम शिक्षा दी गई। उर्दू भाषा की समझ होने के कारण उन्होंने बहुत जल्दी ही नई भाषा और संस्कृति को आसानी से आत्मसात कर ली। इसके साथ - साथ उन्हें कई गुप्त मिशन पर भी भेजा गया, जहा उन्होंने सौपें गए हर काम को बड़ी ही कुशलतापूर्वक निभाया। उनकी इन सफलताओ को देखते हुए भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ ने उन्हें साल 1975 में पड़ोसी मुल्क तथा भारत के सबसे बड़े दशम पाकिस्तान में एक बेहद ही संवेदनशील मिशन के लिए भेजा। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य एक बनावटी तथा गुप्त पहचान के साथ पाकिस्तान में रहते हुए भारत को पाकिस्तान की हर सैन्य जानकारी तथा उनकी हर गतिविधि की जानकारी उपलब्ध करना था। भारत की सबसे बड़ी ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ ने उन्हें इस मिशन के लिए एक खाकास नाम भी दिया था। भारत माँ के इस लाडले बेटे को इस मिशन के लिए नबी अहमद शाकिर नाम की एक नई पहचान दी गई। सत्तर के दशक के करीब भारत की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रॉ ने उन्हें पाकिस्तानी पहचान के साथ साथ पाकिस्तान से जुड़े अहम् दस्तावेज भी उपलब्ध कराए। रॉ ने उन्हें जन्म प्रमाणपत्र से लेकर शैक्षणिक प्रमाण-पत्र और पासपोर्ट वीजा तक हर कागजात पूरी तरह वैध रूप में तैयार करके दिए। अपनी इसी पहचान के साथ वह पाकिस्तान के इस्लामाबाद शहर के निवासी नबी अहमद के रूप में जाने जाने लगे।

पाकिस्तान का छात्र तक बन गया था भारत माँ का लाडला धुरंधर 

पाकिस्तान पहुंचने के बाद भारत माँ के लाडले बेटे रविंद्र कौशिक ने पाकिस्तान के प्रमुख शहर कराची के एक प्रमुख लॉ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेकर वहां कानून से जुड़ी पढ़ाई पूरी की। स्नातक की पढ़ाई पूरी होते ही उन्हें पकिस्ता की सेना में कमीशन मिला और बाद में कार्यशैली से प्रभावित होकर पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पाकिस्तानी सेना में मेजर की उपाधि तक प्राप्त की। अपने मिशन के दौरान रविंद्र कौशिक ने एक पाकिस्तानी महिला से विवाह भी किया और एक बेटी के पिता भी बने। साल 1979 से लेकर 1983 के बीच उन्होंने लगातार पाकिस्तान तथा पाकिस्तानी सेना से जुड़ी अहम जानकारी भारत को महत्वपूर्ण को भेजीं, जिससे भारत की रक्षा रणनीति को मजबूती मिली। आपको बता दें कि उनका यह मिशन इतना खुफिया था कि उनके माँ बाप तक को उनके जासूस बनने की भनक तक नहीं थी। उन्होंने अपने माता से झूट बोलते हुए यह कहा था कि वो दुबई में कारोबार करते है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक मौके पर उन्हें बहुत ही गोपनीय ढंग से कुछ वक्त के लिए अपने देश भारत आने की इजाजत दी गई। इस दौरान वो अपने साथ कुछ उपहार लेकर आए, लेकिन अपने मिशन से जुड़ा रहस्य किसी के साथ साझा नहीं किया। परिवार की तरफ से शादी की बात को लेकर दबाब बढ़ते देखकर उन्होंने अपनी शादी दुबई में होने की बात कहकर मामले की गंभीरता को संभाला।  

1983 में बदला खेल

हालाकिं साल 1983 में परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई। भारत पाक सीमा पार करते वक्त भारतीय जासूस इनायत मसीहा गिरफ्तार हो गए। भारतीय जासूस इनायत मसीहा की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में उन्होंने रविंद्र कौशिक की पहचान उजागर कर दी। इसके बाद रविंद्र कौशिक को गिरफ्तार कर पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में से एक मुल्तान के जेल में दाल दिया गया। रविंद्र कौशिक को जासूसी के जुर्म में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई। हलाकि बाद में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को बदलते हुए रविंद्र कौशिक को आजीवन कारावास कर दिया। पाकिस्तान जेल में लंबे समय तक खराब स्वास्थ्य के चलते उनकी हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती गई , इसके बाद साल 2001 में दिल का दौरा पड़ने से भारत माँ के लाडले बेटे तथा असल जिंदगी के धुरंधर रविंद्र कौशिक पाकिस्तानी जेल में ही शहीद हो गए। अपने देश के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया। रविंद्र कौशिक को उनके इस जज्बे के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत ब्लैक टाइगर की उपाधि से सम्मानित किया। Ravindra Kaushik


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मुंबई नगर निगम चुनाव में आप पार्टी का बड़ा ऐलान

आप पार्टी ने हाल ही में महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी पहली बड़ी जीत दर्ज की है। यह जीत पार्टी के लिए अहम मानी जा रही है, क्योंकि इसे मुंबई में अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

BMC elections Mumbai Aam Aadmi Party
BMC चुनाव मुंबई आप पार्टी (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar23 Dec 2025 04:14 PM
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आप पार्टी ने 2026 के बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव में पूरी ताकत से उतरने का ऐलान किया है। पार्टी ने 227 उम्मीदवारों को मैदान में उतारने और अपने शीर्ष नेताओं को प्रचार में उतारने की घोषणा की है। इस चुनाव में पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल खुद प्रचार करेंगे और मुंबई में अपनी राजनीतिक उपस्थिति को और मजबूत करने की कोशिश करेंगे।

महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में मिली पहली जीत

बता दें कि आप पार्टी ने हाल ही में महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी पहली बड़ी जीत दर्ज की है। यह जीत पार्टी के लिए अहम मानी जा रही है, क्योंकि इसे मुंबई में अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी ने यह जीत अहिल्यानगर जिले की नेवासा नगर पंचायत के वार्ड नंबर 2 में हासिल की, जहां शालिनी ताई ने विजय प्राप्त की। इस सफलता को पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं की मेहनत का नतीजा बताया है और इसे बीएमसी चुनाव में आत्मविश्वास बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है।

स्टार प्रचारकों की लिस्ट

BMC चुनाव 2026 के लिए आम आदमी पार्टी ने अपनी स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर दी है। इस सूची में पार्टी के प्रमुख नेता शामिल हैं, जिनका उद्देश्य शहरी मतदाताओं तक पहुंच बनाना है। स्टार प्रचारकों में शामिल हैं जो कि अरविंद केजरीवाल (AAP संयोजक), मनीष सिसोदिया (दिल्ली के उपमुख्यमंत्री), भगवंत मान (पंजाब के मुख्यमंत्री), संजय सिंह, सत्येंद्र जैन, आतिशी, सौरभ भारद्वाज जैसे प्रमुख नेता होगे। इनके अलावा पंकज कुमार गुप्ता, दुर्गेश पाठक, इमरान हुसैन, प्रिटी शर्मा मेनन, किशोर मंध्यान, और अन्य नेताओं को भी प्रचार की जिम्मेदारी दी गई है।

चुनाव की रणनीति

आप पार्टी BMC चुनाव को शहरी शासन मॉडल, पारदर्शिता, और स्थानीय मुद्दों पर अपनी धारणा स्थापित करने का बड़ा अवसर मान रही है। पार्टी ने यह रणनीति बनाई है कि 227 उम्मीदवारों और मजबूत स्टार प्रचारक टीम के माध्यम से चुनावी मैदान में मजबूत चुनौती पेश की जाए।

चुनाव की तारीखें

  • मतदान: 15 जनवरी 2026
  • मतगणना: 16 जनवरी 2026

आप पार्टी ने अपने प्रचार अभियान की तैयारियां शुरू कर दी हैं और पार्टी के नेताओं का कहना है कि पार्टी को इस चुनाव में बड़े बदलाव की उम्मीद है। पार्टी का उद्देश्य पारदर्शिता, बेहतर शहरी प्रशासन और आम जनता के मुद्दों को प्रमुखता देना है, जो मुंबई के मतदाताओं को आकर्षित कर सके।

आप पार्टी की जमीनी सफलता

महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में मिली सफलता AAP के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि इस जीत के बाद पार्टी की राजनीतिक स्थिति मजबूत हुई है और बीएमसी चुनाव में भी इसे निर्णायक लाभ मिलेगा। पार्टी ने स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की भूमिका को भी इस सफलता का मुख्य कारण बताया है, और अब यह आत्मविश्वास लेकर बीएमसी चुनाव में उतरने की तैयारी में है।

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बॉन्ड बंद, चंदा चालू: एक साल में राजनीतिक फंडिंग तीन गुना कैसे बढ़ी?

वित्त वर्ष 2024–25 में 9 इलेक्टोरल ट्रस्ट ने विभिन्न राजनीतिक दलों को कुल ₹3,811 करोड़ का चंदा दिया। इसकी तुलना में 2023–24 में यह राशि ₹1,218 करोड़ थी। यानी महज एक साल में राजनीतिक फंडिंग में रिकॉर्ड उछाल दर्ज हुआ।

एक साल में तीन गुना बढ़ा चंदा
एक साल में तीन गुना बढ़ा चंदा
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar23 Dec 2025 07:57 PM
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Political Party Donations : इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक घोषित किए जाने के ठीक एक साल के भीतर देश की राजनीतिक फंडिंग की तस्वीर पूरी तरह बदलती नजर आ रही है। बॉन्ड सिस्टम के हटते ही कॉरपोरेट समर्थित इलेक्टोरल ट्रस्ट राजनीतिक दलों के लिए धन जुटाने का सबसे बड़ा माध्यम बनकर उभरे हैं। नतीजा पहले ही वित्तीय वर्ष में चंदे की रकम तीन गुना से ज्यादा उछल गई। वित्त वर्ष 2024–25 में 9 इलेक्टोरल ट्रस्ट ने विभिन्न राजनीतिक दलों को कुल ₹3,811 करोड़ का चंदा दिया। इसकी तुलना में 2023–24 में यह राशि ₹1,218 करोड़ थी। यानी महज एक साल में राजनीतिक फंडिंग में रिकॉर्ड उछाल दर्ज हुआ।

सत्तारूढ़ दल भाजपा को सबसे बड़ा लाभ

योगदान विवरणों के मुताबिक इस रकम का सबसे बड़ा हिस्सा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को मिला। भाजपा को ₹3,112 करोड़ प्राप्त हुए, जो कुल चंदे का लगभग 82 प्रतिशत है। वहीं कांग्रेस को करीब ₹299 करोड़ यानी लगभग 8 प्रतिशत राशि मिली। शेष सभी दलों को मिलाकर कुल चंदे का करीब 10 प्रतिशत (लगभग ₹400 करोड़) ही मिल सका।

कितने इलेक्टोरल ट्रस्ट सक्रिय?

रिपोर्ट के अनुसार देश में इस समय 19 इलेक्टोरल ट्रस्ट पंजीकृत हैं। हालांकि 20 दिसंबर तक केवल 13 ट्रस्टों के योगदान विवरण चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध थे। इनमें से 9 ट्रस्टों ने दान की जानकारी दी, जबकि जनहित, परिवर्तन, जय हिंद और जय भारत—इन चार ट्रस्टों ने 2024–25 में कोई चंदा नहीं दिया।

सबसे बड़ा दानदाता कौन?

इस साल प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट भाजपा का सबसे बड़ा दानदाता बनकर सामने आया। ट्रस्ट ने भाजपा को ₹2,180.07 करोड़ का चंदा दिया। प्रूडेंट ट्रस्ट को जिंदल स्टील एंड पावर, मेघा इंजीनियरिंग, भारती एयरटेल, ऑरोबिंदो फार्मा और टोरेंट फार्मास्युटिकल्स जैसी दिग्गज कंपनियों से फंड मिला। हालांकि ट्रस्ट ने कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और तेलुगु देशम पार्टी को भी दान दिया, लेकिन कुल राशि का करीब 82 प्रतिशत हिस्सा भाजपा को गया।

अन्य ट्रस्टों का ब्योरा

  1. प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट ने ₹917 करोड़ जुटाए और इसमें से ₹914.97 करोड़ राजनीतिक दलों को दिए। इसका 80.82 प्रतिशत हिस्सा भाजपा को मिला। इस ट्रस्ट के प्रमुख दानदाता टाटा समूह की कंपनियां रहीं।
  2. जनप्रगति इलेक्टोरल ट्रस्ट को KEC इंटरनेशनल लिमिटेड से ₹1.02 करोड़ मिले, जिनमें से ₹1 करोड़ शिवसेना (यूबीटी) को दिए गए।
  3. हार्मनी इलेक्टोरल ट्रस्ट को ₹35.65 करोड़ का चंदा मिला, जिसमें से ₹30.15 करोड़ भाजपा को दिए गए।
  4. न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट को महिंद्रा समूह की कंपनियों से ₹160 करोड़ मिले, जिनमें से ₹150 करोड़ भाजपा को दान किए गए।
  5. ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट ने ₹25 करोड़ में से ₹21 करोड़ भाजपा को दिए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर

गौरतलब है कि 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देकर समाप्त कर दिया था। इसके बाद कंपनियां और व्यक्ति अब चेक, डिमांड ड्राफ्ट, यूपीआई या बैंक ट्रांसफर के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा दे सकते हैं, जिसकी पूरी जानकारी चुनाव आयोग को देना अनिवार्य है। Political Party Donations

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