संघ प्रमुख मोहन भागवत को बड़ा खतरा, बढ़ाई गई सुरक्षा

RSS
Mohan Bhagwat
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:33 AM
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Mohan Bhagwat : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को बड़ा खतरा है। भारत की प्रमुख संस्था इंटेलिजेंस ब्यूरो ने (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को खतरे का एल्र्ट जारी किया है। (RSS) प्रमुख मोहन भागवत को खतरे के एल्र्ट के बाद उनकी सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ा दिया गया है। अभी तक (RSS) प्रमुख भागवत को Z प्लस सुरक्षा व्यवस्था मिली हुई थी। खतरे के एल्र्ट के बाद (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा व्यवस्था को ASL में बदल दिया गया है।

PM मोदी जैसी सुरक्षा के बीच रहेंगे मोहन भागवत

आपको बता दें कि भारत में ASL सुरक्षा व्यवस्था को सबसे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था माना जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह इसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था के बीच में रहते हैं। RSS प्रमुख मोहन भागवत को भारत सरकार ने ASL सुरक्षा व्यवस्था दे दी है। यहां यह बताना जरूरी है कि जिस किसी को भी ASL स्तर की सुरक्षा मिलती है उसकी सुरक्षा से संबंधित जानकारी जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य और अन्य विभागों जैसी स्थानीय एजेंसियों की भागीदारी को अनिवार्य करता है। जानकारी के अनुसार, इसमें बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा होता है। साथ ही चॉपर यात्रा की अनुमति केवल विशेष रूप से डिजाइन किए गए हेलीकॉप्टरों में ही दी जाती है। जिसके लिए अलग तरह का प्रोटोकॉल होता है। बता दें कि सुरक्षा कैटेगरी और सुरक्षाकर्मी खुफिया ब्यूरो की ओर से सुरक्षा संबंधी खतरों को देखते हुए देश के वीवीआईपी और अन्य क्षेत्रों के लोगों को यह सुरक्षा दी जाती है। भारत में 4 तरह की सुरक्षा कैटेगरी है जिसमें X, Y, Z और Z प्लस सुरक्षा कैटेगरी होती है और इसमें Z प्लस कैटेगरी सबसे बड़ी सुरक्षा कैटेगरी होती है। इन लोगों की सुरक्षा पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं। भारत में वीवीआईपी, वीआईपी, राजनेताओं, हाई-प्रोफाइल हस्तियों और दिग्गज खिलाड़ियों को यह सुरक्षा पुलिस और स्थानीय सरकार के अलावा नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (एनएसजी), इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) की ओर से दी जाती है। एनएसजी का इस्तेमाल वीवीआईपी और वीआईपी लोगों की सुरक्षा में सबसे ज्यादा किया जाता है।

अलग-अलग लेवल की सुरक्षा व्यवस्था Mohan Bhagwat

X स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था में महज 2 सुरक्षाकर्मी (कमांडो शामिल नहीं) शामिल होते हैं। यह सुरक्षा दिए जाने की बेसिक प्रोटेक्शन है। इसमें एक पीएसओ (पर्सनल सिक्यूरिटी ऑफिसर) भी होता है। वहीं Y स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था में देश के वो वीआईपी लोग आते हैं जिनको इसके तहत 11 सुरक्षाकर्मी मिले होते हैं। इनमें 1 या 2 कमांडो और 2 पीएसओ भी शामिल होते हैं। Z कैटेगरी स्तर की सुरक्षा में 22 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं जिसमें नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) के 4 या 5 कमांडर भी होते हैं. अतिरिक्त सुरक्षा दिल्ली पुलिस या सीआरपीएफ की ओर से मुहैया कराई जाती है। सुरक्षा में एक एस्कॉर्ट कार भी शामिल होती है। कमांडोज सब मशीनगन और आधुनिक संचार के साधनों से लैस रहते हैं। इसके अलावा इन्हें मार्शल ऑर्ट से प्रशिक्षित किया जाता है. इनके पास बगैर हथियार के लड़ने का भी अनुभव होता है। Z + कैटेगरी स्तरीय सुरक्षा में एक-दो नहीं बल्कि 36 सुरक्षाकर्मी लगे होते हैं जिसमें एनएसजी के भी 10 कमांडोज होते हैं। इस सुरक्षा व्यवस्था को दूसरी एसपीजी कैटेगरी भी कहा जाता है। ये कमांडोज अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं। उनके पास लेटेस्ट गैजेट्स और यंत्र होते हैं। सुरक्षा के पहले घेरे की जिम्मेदारी एनएसजी की होती है, इसके बाद दूसरे स्तर पर एसपीजी के अधिकारी होते हैं। साथ ही आईटीबीपी और सीआरपीएफ के जवान उनकी सुरक्षा में लगाए जाते हैं। प्रधानमंत्री के लिए स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप 4 स्तरीय सुरक्षा के अलावा स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) एक विशिष्ट सुरक्षा व्यवस्था है जिसके तहत देश के वर्तमान और पूर्व प्रधानमंत्रियों के अलावा उनके करीबी परिजनों की यह सुरक्षा दी जाती है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश के शीर्ष पद पर बैठे नेता और उनके परिजनों की सुरक्षा देने के लिहाज से एसपीजी की स्थापना की गई थी। इसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था अब RSS प्रमुख मोहन भागवत को दी गई है। इस प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था को एडवांस सिक्योरिटी लाइजन यानि कि ASL कहा जाता है। Mohan Bhagwat

कोलकाता रेप कांड पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का बड़ा बयान, बोली- बहुत हो गया

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दुनियाभर में बजा भारत का डंका, श्रीलंका में उतरा भारत का युद्धपोत

INS
India Warship
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 08:41 AM
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India Warship : दुनिया भर में भारत की प्रसिद्धी लगातार बढ़ती जा रही है। इस बीच श्रीलंका की धरती पर भारत का युद्धपोत उतरने से श्रीलंका समेत पूरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है। श्रीलंका की धरती पर भारत का युद्धपोत पहली बार पहुंचा है। श्रीलंका में भारत के युद्धपोत पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। दूसरी तरफ चीन ने भी अपने तीन बड़े युद्धपोत श्रीलंका की धरती पर उतारे हैं।

श्रीलंका पहुंचा भारत का प्रसिद्ध योद्धपोत

श्रीलंका भारत का पड़ोसी देश है। श्रीलंका के साथ भारत के रिश्ते कड़वे तथा मीठे बनते रहे हैं। श्रीलंका जब-जब किसी मुसीबत में पड़ा है तभी हमेशा भारत ने श्रीलंका की मदद की है। इसी श्रीलंका की जमीन पर भारत का प्रसिद्ध युद्धपोत INS मुंबई उतरा है। भारत का युद्धपोत सोमवार को श्रीलंका पहुंचा था। बृहस्पतिवार को देर शाम INS मुंबई श्रीलंका से वापस भारत लौटेगा। इस दौरान श्रीलंका की नौसेना ने एक प्रेस नोट जारी किया है। श्रीलंका के इस प्रेस नोट में कहा गया है कि भारतीय जहाज INS मुंबई जहाज के श्रीलंका में आगमन पर इसके कमांडर कैप्टन संदीप कुमार ने पश्चिमी नौसेना क्षेत्र के कमांडर रियर एडमिरल चिंताका कुमारसिंघे से पश्चिमी नौसेना कमान मुख्यालय में मुलाकात की। विज्ञप्ति में कहा गया कि जहाज के कोलंबो में ठहराव के दौरान, इसके चालक दल के सदस्य देश के कुछ पर्यटक केंद्रों का दौरा कर रहे हैं। श्रीलंका के प्रेस नोट में यह भी कहा गया है कि जहाज के परिचालन कार्यों के संबंध में एक सत्र आईएनएस मुंबई पर श्रीलंकाई नौसेना के कर्मियों के लिए आयोजित किया गयाा। विज्ञप्ति के अनुसार आईएनएस मुंबई श्रीलंकाई नौसेना के साथ संयुक्त गतिविधियों जैसे खेल, योग और तटीय क्षेत्र की सफाई आदि में भी शामिल होगा। आईएनएस मुंबई 29 अगस्त को कोलंबो तट पर श्रीलंका नौसेना के एक जहाज के साथ 'पैसेज एक्सरसाइज' में भी भाग लेगा। स्वदेश निर्मित आईएनएस मुंबई को 22 जनवरी, 2001 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। यह भारत का प्रसिद्घ युद्धपोत है। India Warship

दुनिया भर में फैल रही है मेहंदीपुर वाले बालाजी की महिमा, रोज होते हैं चमत्कार

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दुनिया भर में फैल रही है मेहंदीपुर वाले बालाजी की महिमा, रोज होते हैं चमत्कार

Mehandipur Balaji
Mehandipur Balaji
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Aug 2024 09:03 PM
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Mehandipur Balaji : शायद ही कोई ऐसा हनुमान भक्त हो जिसने मेहंदीपुर बालाजी का नाम नहीं सुना होगा। मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर की महिला पूरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध है। इतना ही नहीं मेहंदीपुर वाले बाला जी मंदिर की महिमा पूरी दुनिया में फैल रही है। भारत ही नहीं दुनिया भर से हनुमान के भक्त मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर में दर्शन करने आते हैं। हर साल करोड़ों की संख्या में भगवान हुनमान के भक्त मेहंदीपुर बाला जी के मंदिर की यात्रा करते हैं।

राजस्थान के दौसा में स्थापित है मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर

भारत के राजस्थान प्रदेश में बड़ी संख्या में भगवान हनुमान जी के मंदिर हैं। राजस्थान के दौसा जिले में मेहंदीपुर गांव में स्थापित है मेहंदीपुर बाला जी का मंदिर। मेहंदीपुर बाला जी के मंदिर में हर रोज एक से बढक़र एक चमत्कार देखने को मिलते हैं। मेहंदीपुर बाला जी के मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आपको बता दें कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के दौसा जिले में स्थित एक हिंदू मंदिर है, जो बजरंगबली हनुमान जी को समर्पित है। यह मंदिर भारत में इतना लोकप्रिय है कि यहां हर साल दूर-दूर से करोड़ों तीर्थ यात्री अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आते हैं। इसी प्रकार दुनिया भर के तमाम देशों में भी मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर की महिमा बढ़ती जा रही है। हनुमान भक्त जानते हैं कि हनुमान जी को ही बालाजी के रूप में भी जाना जाता है। मेहंदीपुर बालाजी में बाला जी हनुमान के मंदिर के सामने सियाराम को समर्पित एक मंदिर भी स्थित है जिसमें सियाराम की एक सुंदर मूर्ति स्थापित है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि भगवान अपने भक्तों को बुरी आत्माओं और परेशानियों से मुक्ति दिलाते हैं। मंदिर में आने वाले भक्त बालाजी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाते हैं और भैरव बाबा को उड़द की दाल व चावल चढ़ाते हैं जो बुरी आत्माओं से मुक्ति पाने में उनकी मदद करते हैं। मंदिर में शनिवार और मंगलवार को भीड़ काफी ज्यादा होती है क्योंकि यह बालाजी के सबसे खास दिन होते हैं। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में तीन भगवानों की पूजा की जाती है। लेकिन इस मंदिर में मुख्य रूप से हनुमान जी की पूजा होती है और इसके अलावा यहां प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा को भी पूजा जाता है। मंदिर के इन तीनों देवताओं को भूतों, प्रेतों और आत्माओं से संबंधित माना जाता है। मंदिर में बालाजी की जिस मूर्ति की पूजा की जाती है उसके बारे में यह कहा जाता है कि यह मूर्ति अपने आप प्रकट हुई थी। बताया जाता है कि इस जगह पर हनुमान जी की लीला बालकाल से ही शुरू हो गई थी इसलिए इस मंदिर को बालाजी के नाम से जाना जाता है। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में एक दिव्य शक्ति है जो बुरी आत्माओं के चंगुल में फंसे लोगों को ठीक करने की ताकत रखती है। अगर आप लौकिक शक्तियों या भूतों पर विश्वास नहीं करते तो इस मंदिर में आने के बाद आप इन सभी चीजों पर विश्वास करने लगेंगे।

मेहंदीपुर बालाजी का पूरा इतिहास Mehandipur Balaji

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जिसका अपना एक समृद्ध और रोचक इतिहास रहा है। इस मंदिर का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है। मान्यताओं के अनुसार अरावली की पहाडिय़ों के बीच बसे इस मंदिर में स्थित भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्वयंभू है, मतलब इसे किसी के द्वारा बनाया नहीं गया बल्कि ये अपने आप प्रकट हुई है। आज यह मंदिर जिस जगह स्थित है वहां पहले एक घना जंगल था और यहीं मंदिर के वर्तमान महंत जी के पूर्वजों को बालाजी की मूर्ति की अनुभूति हुई थी। जिसके बाद उन्होंने यही रुक कर इसकी पूजा करने का निश्चय किया। दंतकथा के अनुसार एक दिन हनुमान जी बालाजी और प्रेतराज सरकार तीनों महंत जी के सपने में आए और उन्होंने उनसे से अपनी सेवा-पूजा करने को कहा। इस घटना के बाद उन्होंने यहां भगवान हनुमान की पूजा करनी शुरू कर दी और भव्य मंदिर का निर्माण भी कराया। मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर चमत्कारी शक्तियों से भरा हुआ है और जो भी भक्त सच्चे मन से यहां आता है उसे बुरी शक्तियों और आत्माओं से मुक्ति मिलती है। इस मंदिर के असीम चमत्कारों के चलते हर दिन लाखों भक्त इस मंदिर पर अपनी अर्जी लगाने आते हैं। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में जाना और यहां पर भूत-प्रेत से पीडि़त लोगों को देखकर भले ही आपको किसी हॉरर फिल्म की याद आ सकती है लेकिन यहां की यात्रा करने वाले कई भक्तों ने यहां आने के बाद अपने आसपास के माहौल में बदलाव का अनुभव किया है। यह मंदिर राजस्थान में स्थित है जहां पर काफी गर्म वातावरण होता है लेकिन यहां आने के बाद कुछ पलों के लिए आप ठंड का अनुभव करेंगे। यहां आने के बाद भक्तों को काफी भीड़ का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि यहां काफी संख्या में भक्त आते हैं। भले ही आप किसी भी दिन बालाजी के इस मंदिर के दर्शन के लिए आयें लेकिन आपको यहां हमेशा ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मिलेगी। जहां एक तरफ किसी भी मंदिर में हमे घंटियों ओर मंत्रों की आवाजें सुनाई देती है, वहीं मेहंदीपुर बालाजी मंदिर परिसर में कदम रखते ही आपको महिलाओं और पुरुषों के तेज चीखने की आवाजें सुनाई देने लगेंगी। यहां पीडि़त लोगों के चीखने की आवाजें आपको डरा सकती हैं। जहां एक तरफ भारत के अन्य मंदिरों को प्रसाद चढाने के लिए जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर महेंदीपुर बालाजी मंदिर एक ऐसी जगह है जहां पर कोई प्रसाद नहीं चढ़ाया जाता। इस बात में कोई शक नहीं कि यह मंदिर कमजोर दिल वालों को डरा सकता है। जैसे ही आप इस मंदिर के परिसर में प्रवेश करेंगे तो आप अपने आसपास के माहौल में बदलाव महसूस कर सकते हैं। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की वास्तुकला इसकी कहानी और विलक्षणता को दर्शाती है। मंदिर में आने के बाद आपको निश्चित रूप से अपने आसपास नकारात्मकता महसूस होगी। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में कुल चार कक्ष हैं जिसमें से पहले दो कक्ष में हनुमान जी और भैरव जी की मूर्तियां हैं, लेकिन अंतिम दोनों हॉल में जाने के बाद आपको एक भयानक अनुभव मिल सकता है। यहां पर कई पुरुष और महिलाओं को अपना सिर पीटते और हिलाते हुए देखा जा सकता है। यहां इनमे से कई को लोहे की चैन और जंजीरों से बंधा हुआ और जोर-जोर से चिल्लाते हुए भी देखा जाता है।

मेहंदीपुर बालाजी से नहीं लाते हैं प्रसाद

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से वापस जाते समय कोई भी प्रसाद, पानी या खाद्य पदार्थ आदि अपने साथ वापस ले जाना अशुभ माना जाता है। इसके साथ ही मंदिर में किसी भी अनजान से बात करने और छूने से बचने की सलाह भी दी जाती है क्योंकि किसी पीड़ित व्यक्ति को छूने से आप भी प्रभावित हो सकते हैं। इसके साथ ही जब आप मंदिर से जाते हैं तो कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखें क्योंकि इस तरह पीछे देखना किसी बुरी आत्मा को निमंत्रण देने जैसा हो सकता है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास दौसा जिले में स्थित है, यह मंदिर मेहंदीपुर गांव में स्थित है जो जयपुर शहर से करीब 99 किमी दूर है। मंदिर के लिए आप सडक़, हवाई और रेल मार्ग द्वारा यात्रा कर सकते हैं, मंदिर से सबसे निकटतम हवाई अड्डा 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जयपुर हवाई अड्डा है। मेहँदीपुर बालाजी मंदिर से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दौसा रेलवे स्टेशन है। इसके साथ ही यहां पहुंचने के लिए सबसे निकटतम बस अड्डा 49 किलोमीटर की दूरी पर दौसा बस स्टैंड है। Mehandipur Balaji

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