पश्चिम बंगाल में बड़ा ट्रेन हादसा,आठ लोगों की मौत,बढ़ सकता है आंकड़ा

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West Bengal Train Accident
locationभारत
userचेतना मंच
calendar17 Jun 2024 04:52 PM
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West Bengal Train Accident :  पश्चिम बंगाल में बड़े ट्रेन हादसे में कई लोगों के मारे जाने की खबर है। पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी के पास कंचनजंघा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई है । जानकारी के मुताबिक कंचनजंघा एक्सप्रेस में सुबह करीब 9:00 बजे पीछे से एक आ रही है एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी। इस हादसे में कई लोगों के मारे जाने की खबर है हालांकि अभी तक रेलवे ने इस हादसे में मरने वालों की संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।

कंचनजंघा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त,पांच लोगों की मौत

न्यू जलपाईगुड़ी में हुए इस हादसे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुख व्यक्त किया है। आपको बता दें कि इस हादसे के बाद पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में जहां पर यह ट्रेन हादसा हुआ है,पुलिस और रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच चुकी है और बचाव कार्य जारी है। ममता बनर्जी ने इस हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा है कि दार्जिलिंग जिले के फांसीदेवा इलाके में दुखद रेल दुर्घटना के बारे में जानकर जानकर स्तब्ध हूं।  बचाव और चिकित्सा सहायता के लिए डीएम, एसपी, डॉक्टर, एम्बुलेंस और आपदा दल घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। युद्धस्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।     West Bengal Train Accident रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी एक्स पोस्ट पर  इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना की जानकारी दी है और साथ ही बचाव कार्य के युद्धस्तर पर चलाए जाने की भी जानकारी दी है। रेलवे, एनडीआरएफ (NDRF), और एसडीआरएफ (SDRF) मिलकर काम कर रहे हैं । घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। दुर्घटना स्थल पर रुक-रुक कर बारिश भी हो रही है जिससे बचाव ऑपरेशन में थोड़ी परेशानी भी आ रही है। ANI से मिली जानकारी के मुताबिक मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मारी थी जिस वजह से ट्रेन के डब्बे मालगाड़ी पर चढ़ गए।  एक अधिकारी द्वारा जानकारी दी गई उसके अनुसार हादसे में अभी तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 20 से 25 लोग घायल बताए जा रहे हैं।   West Bengal Train Accident

नीट के विवाद में आया सबसे बड़ा अपडेट, सरकार ने बदला अपना स्टैण्ड

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बड़ा मुददा: क्या खुद को बदल पाएंगे PM मोदी

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PM Modi 
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 12:22 PM
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PM Modi  :  इन दिनों पूरी दुनिया में एक सवाल पूछा जा रहा है। सवाल यह है कि क्या भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद को बदल पाएंगे? PM मोदी खुद को क्यों बदलेंगे इसका आशय तो आप भी समझ ही गए होंगे। तीसरी बार PM बनकर PM मोदी ने जो इतिहास रचा है वह अनोखा है, किन्तु इस बार PM मोदी की पूरी सरकार बैसाखियों पर टिकी हुई है। बैसाखी की सरकार चलाने के कारण ही PM मोदी को लेकर नया सवाल खड़ा हुआ है।

PM Modi  को लेकर बड़ा विश्लेषण

क्या पीएम मोदी अपने आपको बदलेंगे? अथवा यह कहें कि अपने आपको कितना बदल पाएंगे PM मोदी? इन सवालों को लेकर प्रसिद्ध विश्लेषक तथा इतिहासकार रामचन्द्र गुहा ने बड़ा विश्लेषण किया है। हम बिना किसी एडिटिंग के PM मोदी को लेकर किया गया यह विश्लेषण यहां प्रकाशित कर रहे हैं। इतिहासकार रामचन्द्र गुहा ने लिखा है कि जुलाई, 2023 में मैंने आशा के विपरीत उम्मीद जताते हुए कहा था कि "गठबंधन की सरकार आएगी। भारत बहुत बड़ा और विविधताओं वाला देश है। इसे सहयोग और सलाहों के बिना चलाया ही नहीं जा सकता है। हालांकि संसद में ज्यादा बहुमत होने से सत्ता पक्ष में अहंकार आ जाता है। बहुत अधिक बहुमत वाला प्रधानमंत्री अपने कैबिनेट के सहयोगियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करता है, विपक्ष का अनादर करता है, प्रेस पर लगाम लगाता है, संस्थानों को खत्म करता है और नहीं तो कम से मुझे कम राज्य के हितों और अधिकारों की अनदेखी करता है। खासतौर पर उन राज्यों की, जहां किसी और पार्टी नहीं का शासन रहता है।" नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से से पहले मैंने इंदिरा और राजीव गांधी की सरकारों को देखा है, जिनमें प्रचंड बहुमत के कारण सत्तावादी नल प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करने के लक्षण मिलते हैं। दूसरी तरफ मैंने गठबंधन सरकारों को भी देखा है, जब प्रेस और न्यायपालिका अधिक स्वतंत्र थे और नियामक संस्थानों पर नियंत्रण करने की कोशिश कम थी। 1989 से 2014 के बीच किसी भी एक पार्टी को संसद में बहुमत नहीं मिला था। इस दौरान सात प्रधानमंत्री हुए, जिनमें से चार- वीपी सिंह, चंद्रशेखर, देवगौड़ा और गुजराल दो साल से भी कम समय तक कार्यालय में रहे। दूसरी तरफ, तीन प्रधानमंत्रियों ने पांच साल के कार्यकाल पूरे किए, जिनमें नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह शामिल हैं। अब मोदी तीसरे कार्यकाल में उन प्रधानमंत्रियों की श्रेणी में आ गए हैं, जिन्होंने बिना पूर्ण बहुमत के सरकार चलाई। हालांकि उनसे पहले के प्रधानमंत्रियों ने अपने अनुभव और स्वभाव के चलते प्रभावी तरीके से सरकार चलाई। नरसिम्हा राव ने प्रधानमंत्री बनने से पहले इंदिरा और राजीव गांधी की कैबिनेट में लंबे समय तक काम किया। वाजपेयी प्रधानमंत्री बनने से पहले मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री रहे। मनमोहन सिंह ने भी प्रधानमंत्री के पद पर आने से पहले नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री के रूप में काम किया था। इसके अलावा राव, वाजपेयी और मनमोहन ने सरकार से बाहर रहते हुए विपक्षी सांसदों की भूमिका भी निभाई। एक प्रचारक और पार्टी के संगठनकर्ता के तौर पर मोदी ने कई वर्षों तक अन्य लोगों के साथ या उनके अधीन भी काम किया, लेकिन जब से उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा, वह कभी भी मात्र विधायक या सांसद नहीं रहे। यहां तक कि राज्य या केंद्रीय स्तर पर मंत्री भी नहीं रहे। 2001 से उन्होंने खुद को मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के रूप में ही देखा है। पिछले कुछ सालों में उन्होंने खुद को बॉस, टॉप बॉस, सोल और सुप्रीम बॉस के रूप देखा है मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने खुद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसने एक बहुत बड़े पंथ का निर्माण किया है या एक ऐसा नेता, जो अपने दम पर पहले अपने राज्य और फिर देश को समृद्धि के शिखर पर ले जाएगा। राज्य और केंद्र, दोनों जगहों पर उन्होंने किसी भी नई परियोजना के शुरू होने या उसके पूरे होने का हमेशा श्रेय लिया, चाहे वह पुल हो, हाईवे हो, रेलवे स्टेशन हो, खाद्य सब्सिडी हो या कुछ और। नरसिम्हा राव और वीपी सिंह का व्यक्तित्व आत्मसंतुष्ट और संयमित था। वाजपेयी का व्यक्तित्व अधिक करिश्माई था, लेकिन उन्होंने कभी भी खुद को पार्टी का केंद्र-बिंदु नहीं माना, अपनी सरकार या देश का तो बिल्कुल भी नहीं। इस तरह देखा जाए तो ये तीनों ही अपने अनुभव और स्वभाव के आधार पर कैबिनेट के सहयोगियों और विपक्ष के साथ सलाह- मशविरा कर काम करने के लिए तैयार रहते थे। देखा जाए तो प्रधानमंत्री को स्वयं जीत की हीटेक लगाने की पूरी उम्मीद थी, इसलिए उन्होंने इस बात की घोषणा पहले ही कर दी थी कि नए सिरे से पदभार संभालने पर वह पहले सौ दिनों के एजेंडे पर तेजी से न समय तक काम करेंगे। 'द इकोनोमिक टाइम्स' ने 10 मई को इस मंत्रियों ने पांच बात का दावा किया कि 'मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में 100 दिनों के एजेंडे में 50 से 70 लक्ष्य निर्धारित करेंगे। ध्यान देने योग्य बात है कि यहां अपेक्षा की गई थी कि पिछले तेईस वर्षों से गांधीनगर और नई दिल्ली जो कुछ चल रहा था, सब कुछ वैसे ही बना रहेगा। हालांकि जिस मोदी 3.0 की बात की गई है वह अप्रत्याशित तरीके से एनडीए 2.0 निकला। इस बात से यह सवाल उठता है कि क्या बहुमत के बिना PM Modi  कैबिनेट मंत्रियों, अपने सांसदों के प्रति नरम रवैया अपनाने में, विपक्ष को सम्मान देने में और उन राज्यों की सरकारों को, जहां सरकार उनकी पार्टी की नहीं है, उन्हें सम्मान देने में राव एवं मनमोहन का अनुकरण कर सकते हैं। इन सवालों के जवाब मिलने में शायद कई महीने या साल लग सकते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि जल्द ही नरेंद्र मोदी अपनी शासन-शैली में बदलाव लाएंगे, जैसे कि संसद में बहस के लिए ज्यादा समय देंगे, दूसरी पार्टियों द्वारा शासित राज्यों में राज्यपालों के हस्तक्षेप को कम करेंगे। उनके वरिष्ठ मंत्री या स्वयं PM Modi  भी मुसलमानों को सार्वजनिक रूप से अपमानित नहीं करेंगे। हालांकि उनकी शासन-शैली में कोई बदलाव आएगा या नहीं, यह कहना अभी संभव नहीं है। उनकी प्रवृत्ति सत्ता का केंद्रीकरण करने की रही है। यह प्रवृत्ति दो दशकों या उससे कुछ अधिक समय से और प्रबल हुई है, जिसका उन्होंने अब तक आनंद लिया है।

कौन हैं PM मोदी के बाद भारत का सबसे पॉवरफुल इंसान ?

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बड़ी खबर : EVM को लेकर मच गया बहुत बड़ा बवाल, अमेरिका तक चर्चा

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EVM Row
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 07:35 PM
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EVM Row :  भारत में EVM को लेकर बहुत बड़ा बवाल मच गया है। चुनाव समाप्त होने के बाद EVM का मुददा अचानक बहुत बड़ा मुददा बन गया है। EVM का ताजा बवाल महाराष्ट्र से शुरू हुआ है। धीरे-धीरे पूरे भारत में EVM पर तेजी से चर्चा शुरू हो गई है और तो और EVM का ताजा बवाल अमेरिका तक भी पहुंच गया है।

EVM पर क्या है ताजा अपडेट

आपको बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को शॉर्ट फॉर्म में EVM कहा जाता है। EVM को लेकर भारत में एक बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। मुंबई पुलिस के शिवसेना शिंदे गुट के सांसद रविंद्र वायकर के रिश्तेदार के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद एक बार फिर ईवीएम की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है। इस पर विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग और सरकार पर निशाना साधना है। साथ ही ईवीएम के मुद्दे पर टेस्ला के मालिक एलन मस्क और पूर्व केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर आमने-सामने आ गए हैं। इस मुद्दे को बढ़ता देख भारतीय चुनाव आयोग मुंबई ने मामले को लेकर शाम साढ़े चार बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का भी ऐलान किया है। दरअसल, मुंबई पुलिस ने रविवार को शिवसेना शिंदे गुट के सांसद रविंद्र वायकर के साले के खिलाफ केस दर्ज किया है. पुलिस ने ये एफआईआर लोकसभा चुनाव की मतगणना वाले दिन गोरेगांव चुनवा सेंटर के अंदर पाबंदी होने के बावजूद मोबाइल का इस्तेमाल करने का आरोप में दर्ज की है. इसके साथ ही पुलिस ने मंगेश पांडिलकर को मोबाइल देने के आरोप में चुनाव आयोग ने एक कर्मचारी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। इस मामले को लेकर नॉर्थ पश्चिम सीट से लड़ने वाले कई उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग की तरफ से शिकायतें मिली थीं, जिसके आधार पर मामला दर्ज किया गया है। नॉर्थ पश्चिम सीट से रविंद्र वायकर रीकाउंसलिंग के बाद मात्र 48 वोटों से चुनाव जीते थे, जिसको लेकर मतगणना के वक्त भी काफी विवाद हुआ था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चुनाव आयोग के अधिकारी गौरव के पास मोबाइल फोन था जो मतगणना के दौरान ओटीपी जनरेट करता है। ये फोन पांडिलकर इस्तेमाल कर रहे थे. पुलिस को शक है कि फोन का इस्तेमाल सुबह से शाम साढ़े चार बजे तक किया गया है। इसी दौरान दोनों उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर चल रही थी। ईसीआई के पास सभी सीसीटीवी फुटेज हैं जो अब मुंबई पुलिस को सौंप दिए गए हैं।

EVM Row  जांच शुरू की गई है 

EVM के मामले की जांच के लिए मुंबई पुलिस ने बनाई तीन टीमें। आज से पुलिस चुनाव आयोग द्वारा दिए गए सीसीटीवी फुटेज की जांच करेगी जो जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पुलिस हमारे फोन की सीडीआर ले रही है और मोबाइल नंबर की सारी जानकारी प्राप्त कर रही है। फोन जब्त कर लिया गया है। पुलिस यह जानना चाहती है कि कॉल किसे किए गए और कितने ओटीपी प्राप्त हुए। पुलिस यह भी जानना चाहती है कि उस फोन पर कॉल आई थी या नहीं। नियमों के अनुसार। ओटीपी जनरेट होने के बाद फोन को आरओ (रिटर्निंग ऑफिसर) पुलिस को देना होगा जो यह जांच करेगा कि फोन वापस क्यों नहीं लिया गया।

राहुल गांधी ने बोला EVM पर हमला EVM Row

इस घटना पर रिएक्शन देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया हैंडल पर पर ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत में ईवीएम एक "ब्लैक बॉक्स" हैं और किसी को भी उनकी जांच करने की अनुमति नहीं है। हमारी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं। जब संस्थानों में जवाबदेही की कमी हो जाती है तो लोकतंत्र एक दिखावा बन जाता है और धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है। मुंबई के इस मामले के सामने आने के बाद विपक्षी नेता चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठा रहे हैं। राहुल गांधी के बाद सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी इस घटना पर पोस्ट करते हुए कहा, 'टेक्नॉलजी समस्याओं को दूर करने के लिए होती है, अगर वही मुश्किलों की वजह बन जाए तो उसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। आज जब विश्व के कई चुनावों में EVM को लेकर गड़बड़ी की आशंका जाहिर की जा रही है और दुनिया के जाने-माने टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स EVM में हेराफेरी के खतरे की ओर खुलेआम लिख रहे हैं, तो फिर EVM के इस्तेमाल की ज़िद के पीछे की वजह क्या है, ये बात भाजपाई साफ़ करें। आगामी सभी चुनाव बैलेट पेपर (मतपत्र) से कराने की अपनी मांग को हम फिर दोहराते हैं।

अमेरिका में भी सवाल

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जानकारी के अनुसार, अमेरिकी चुनावों में इंडिपेंडेंट उम्मीदवार रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर ने प्यूर्टो रिको के हालिया चुनावों में ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर चिंता व्यक्त की है। प्राथमिक चुनाव में ईवीएम से जुड़ी कई अनियमितताएं सामने आई हैं। हालांकि, एक पेपर ट्रेल ने चुनाव अधिकारियों को वोटों की गिनती की पहचान करने और उसे सही करने में मदद की। EVM पर विवादों के वजह से इसकी सुरक्षा पर एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है. इंडिपेंडेंट उम्मीदवार के इसी ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने कहा कि हमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को खत्म कर देना चाहिए। इंसानों या एआई द्वारा हैक किए जाने का जोखिम, हालांकि छोटा है, फिर भी बहुत अधिक है।

EVM पर चुनाव आयोग की सफाई

इस दौरान EVM पर बवाल बढ़ता ही चला जा रहा है। बढ़ते हुए बवाल को देखते हुए EVM के मुददे पर चुनाव आयोग (EC) ने भी सफाई देनी शुरू कर दी है। EC की तरफ से EVM पर सफाई देने के लिए रिटर्निंग अफसर सामने आई हैं। EC की तरफ से इस अफसर ने साफ कहा है कि EVM को अनलॉक करने के लिए कोई OTP नहीं लगता है। रिटर्निंग ऑफिसर वंदना सूर्यवंशी ने कहा कि आज जो खबर आई उस को लेकर कुछ लोगों ने ट्वीट किए। EVM को अनलॉक करने के लिए कोई OTP नहीं लगता है। EVM डिवाइस किसी से कनेक्ट नहीं रहता, अखबार द्वारा पूरी तरह से गलत खबर प्रकाशित की गई है। EVM standalone सिस्टम है। खबर पूरी तरह से गलत है हमने पेपर को नोटिस इशू किया है. 499 IPC के तहत मानहानि का केस भी

कौन हैं PM मोदी के बाद भारत का सबसे पॉवरफुल इंसान ?