Politics: संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई




संजीव रघुवंशी (वरिष्ठ पत्रकार) crime serial: नई दिल्ली। टीवी तथा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर क्राइम सीरियल चलाने वाले समाज के दुश्मन हैं। मनोरंजन के नाम पर नई पीढ़ी को अपराध की दुनिया की तरफ धकेलने का अपराध भी ये कर रहे हैं। चलिए, हाल ही में घटी हुई कुछ घटनाओं पर सरसरी नजर डालते हैं।
घटना - 1 : दिल्ली में बेटी की हत्या में वांछित व्यक्ति ने खुद को मरा साबित करने के लिए घर पर काम करने के लिए बुलाए राज मिस्त्री को मार डाला। मृतक को रात के अंधेरे में सुनसान जगह पर पेट्रोल छिड़ककर जला दिया। लाश के पास में अपना आधार कार्ड डाल दिया ताकि पुलिस बेटी के हत्यारे की लाश समझ लें।
घटना - 2 : राजधानी से सटे ग्रेटर नोएडा में एक युवती ने अपने मां-बाप की आत्म हत्या का बदला लेने की साजिश के तहत एक अनजान लड़की की हत्या कर शव का चेहरा जला दिया। मकसद था कि लोग इसे उसकी लाश समझ लें और वह गुमनाम रहकर अपने मां-बाप की हत्या के कथित आरोपियों को एक-एक कर मौत के घाट उतार दे।
घटना- 3 :
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर में एक भट्टा व्यापारी ने कर्ज की देनदारी से बचने के लिए खुद की मौत की साजिश रची उसने एक शराबी को नशे में धुत कर अपनी गाड़ी में बैठाया और पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी।
यहां इन घटनाओं का जिक्र करने का मकसद आपको बासी खबरों से रुबरु कराना या फिर क्राइम सस्पेंस, पटकथा सरीखा कुछ पढ़वाना बिल्कुल भी नहीं है। आप इन घटनाओं पर जरा गौर कीजिए। अगर आप वाकई में ईमानदारी से ऐसा कर पाते हैं तो लाजमी है कि आपको समाज में पांव पसारती एक अलग ही तरह की या फिर कहिए की अगली पीढ़ी की अपराधिक अवधारणा नजर आएगी। अपराध के तौर तरीकों की ऐसी परिपाटी जो ना किसी सामाजिक सीमा के दायरे में हैं, जो ना किसी अपराध विशेषज्ञ की सोच में फिट बैठती है और जो ना मनोवैज्ञानिकों के परंपरागत विश्लेषकों को मानती है।
इस अगली पीढ़ी की अपराधिक प्रवृत्ति को इन चंद घटनाओं की तह में जाकर आसानी से समझा जा सकता है और अगर समझ गए तो इस प्रवृत्ति के जनक को भी खोजना आसान होगा। चलिए अब इन घटनाओं से ही पूछे कि यह किसके दिमाग की उपज हैं। पहली घटना की बलि चढ़ा एक ऐसा राजमिस्त्री जिसका आरोपी से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था। उसे घर में चिनााई के काम की खातिर बुलाया गया था। आरोपी ने पहले दिन उससे काम कराने के बाद अपने कपड़े दिए ताकि वह यह जान सके कि उसकी कद काठी एकदम आरोपी जैसी है कि नहीं। अगले दिन देर रात तक रोके रखा और रात में शराब पिलाकर उसको मौत के घाट उतार दिया। शव को ठेेली पर लादकर सुनसान मैदान में ले गया और पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी। जाने से पहले अपना आधार कार्ड उसके पास डालना नहीं भूला। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि पत्नी इस पूरी साजिश में उसके साथ थी। उसने पति की लाश की झूठी शिनाख्त की, उसका अंतिम संस्कार और दूसरी परंपराएं निभाई। एक अदने से व्यक्ति ने फुलप्रूफ क्राइम सस्पेंस पटकथा लिख दी। लेबर चौक जैसी जगह से अपनी कद काठी के व्यक्ति को बुलाना, आत्मीयता दिखाकर उसका विश्वास जीतना और फिर उस अनजान, बेकसूर व्यक्ति को अपनी साजिश की भेंट चढ़ा देना। आखिर, कहां से आया इतना दुस्साहस, कहां से आई इतनी निर्ममता और किसने बोये दिमाग में इस खौफनाक साजिश के बीज?
अब दूसरी घटना पर नजर डालते हैं। आरोपी युवती ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर एक ऐसी युवती को मौत के घाट उतार दिया जिससे उसका न कोई वास्ता था ना दुश्मनी। बस, मकसद एक ही था कि किसी ऐसी बेकसूर को बलि का बकरा बनाया जाए जो आरोपी की कद काठी की हो। साजिश की हद तो देखिए ! प्रेमी के जरिए फेसबुक पर पहले ऐसी युवती को तलाशा गया, फिर नजदीकी बढ़ाकर प्रेमी उसे आरोपी के घर पर लाया और घर में घुसते ही बेरहमी से उसे कत्ल कर दिया गया। साजिश की गहराई यहीं खत्म नहीं हो जाती। आरोपी युवती ने शव का चेहरा गर्म तेल से जलाया और हाथ की नस काट कर सुसाइड नोट में यह लिखकर उसके पास रख दिया कि खाना बनाते वक्त चेहरा जल जाने से दुखी होकर उसने आत्महत्या कर ली है।
साजिश कितनी सटीक थी कि पूरी कहानी पर घरवालों से लेकर समाज और पुलिस ने यकीन कर लिया और अंतिम संस्कार से लेकर तेरहवीं तक की रस्में पूरी कर दी गई। क्या कल्पना की जा सकती है कि एक साधारण परिवार की एक साधारण सी युवती इतनी गहरी साजिश रच सकती है? और इस साजिश का क्लाइमेक्स यह भी नहीं है! बेकसूर और अनजान युवती की हत्या के बलबूते खुद को मरा साबित करने के बाद आरोपी का मकसद अपने मां-बाप की आत्महत्या के कथित आरोपी अपनी भाभी, उसके दो भाई और शादी करवाने वाले रिश्तेदार को मौत के घाट उतारने का था।
क्या इस खौफनाक अपराधिक पटकथा का अंतिम सीन यही होता? नहीं, आरोपी ने सोच रखा था कि सब दुश्मनों को ठिकाने लगाने के बाद वह अपने प्रेमी को भी मौत की नींद सुला देगी ताकि उसका कोई राजदार ही ना रहे। सब कुछ समझ से परे, सब कुछ हद दर्जे की क्राईम थ्रिलर पटकथा सरीखा, सब कुछ एक डरावना सपना सा, लेकिन सब कुछ हकीकत, एक ऐसी हकीकत जो न सिर्फ डराती है बल्कि अपने इर्द-गिर्द रहने वाले हर अपने पराए को शक की निगाह से देखने पर मजबूर करती है।
तीसरी घटना भी अपराधिक प्रवृत्ति की अगली पीढ़ी से प्रेरित है। यहां बिजनौर के भट्टा व्यापारी ने कर्ज चुकाने से बचने के लिए ऐसी साजिश रची कि कोई आसानी से यकीन ही ना कर पाए। खुद की मौत साबित करने के लिए उसने एक नशेड़ी को बलि के लिए चुना। शराब की दुकान के पास मंडराते अपनी कद काठी के शराबी को गाड़ी में बैठा लिया। जमकर शराब पिलाई, चिकन की दावत दी और नशे में टल्ली होते ही उस पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी। खौफनाक मानसिकता देखिए कि आग लगाने से पहले सीट के पास 20 लीटर पेट्रोल से भरी केन रख दी। ताकि आग फैलते ही धमाका हो और कार के साथ बेकसूर नशेड़ी के भी परखच्चे उड़ जाएं। शुक्र है कि नशेड़ी बच गया और झुलसी हालत में अस्पताल में भर्ती है। साजिश यहां भी कई मोर्चों पर रची गई। व्यापारी की 'झूठी मौतÓ होते ही कर्ज खत्म और बीमा की करोड़ों की रकम उसी की जेब में।
Missing News: दोस्त के साथ दिल्ली घूमने गया किशोर लापतागौरतलब यह भी है कि साजिश में उसकी दूसरी पत्नी और पार्टनर शामिल थे। दूसरे नाम से आधार कार्ड बन चुका था, बस एक अनजान जगह पर करोड़ों की रकम से दूसरी पत्नी के साथ आराम की जिंदगी जीने की ख्वाहिश पूरी होनी बाकी थी और इस पूरी पटकथा की भेंट चढ़ जाना था उस अनजान नशेड़ी को। नशेड़ी को चुना भी सोच समझकर उसके गायब होने पर घरवाले यही सोच कर बैठ जाएंगे कि नशे की हालत में कहीं नदी नाले में गिर कर मर गया होगा। वाकई साजिश तो अव्वल दर्जे की थी शायद विशेषज्ञों की सोच से भी दो कदम आगे।
कमाल देखिए की तीनों घटनाओं में कमाल की समानताएं हैं। खुद को मरा साबित करना, अपनी जगह किसी अनजान-बेकसूर व्यक्ति को भेंट चढ़ाना, अपने करीबियों को साजिश में शामिल होने के लिए तैयार करना और अपनी साजिश को परवान चढ़ाने के लिए एक ऐसी पटकथा तैयार करना जो डराती भी है, सनसनी भी पैदा करती है, रोमांचित भी करती है और सबसे महत्वपूर्ण यह कि ऐसी पटकथाएं दूसरे लोगों को अपराध में ऐसे प्रयोग या अगली पीढ़ी के प्रयोग करने के लिए उकसाती है। ठीक उसी तरह जैसे कि न्यूज़ चैनलों पर चल रहे क्राइम सीरियल करते हैं। वारदात, क्राइम पेट्रोल, सनसनी, सावधान इंडिया या फिर कुछ और नाम कोई भी हो काम सबका कमोबेश एक जैसा ही है। इस प्रकार के टीवी सीरियलों के निर्माताओं का दावा है कि यह सब मनोरंजन करने का एक माध्यम भर है। इससे ज्यादा ना वह सोचते हैं और ना सोचने की जरूरत महसूस करते हैं। इस घटिया किस्म के मनोरंजन को दिखाकर खूब धन कमाया जाता है।
पुलिस महकमे के लोग अक्सर कहते सुने जा सकते हैं कि अपराधियों को पकडऩे के लिए उनसे दो कदम आगे की सोचनी पड़ती है। यह सही भी है, लेकिन अगर अपराधी इसी नियम को अपराध करने में अपनाने लगे। यानी पुलिस से दो कदम आगे की सोच कर अपराध करना तो समझना कठिन नहीं कि हालात कैसे हो जाएंगे और चिंता की बात यही है कि न्यूज़ चैनलों को ये क्राइम सीरियल जाने अनजाने में अपराधियों को पुलिस से दो कदम आगे रहने की 'ट्रेनिंग' सी देते नजर आते हैं।
हर एपिसोड की पटकथा में वे तमाम तरीके बताए जाते हैं जिससे पुलिस अपराधियों तक पहुंची। यानी अपराधिक किस्म के लोगों को वे तमाम गलतियां बताना जिससे वे पुलिस गिरफ्त में आए हैं या आ सकते हैं। यह कोई मनोरंजन-वंजन नहीं है बल्कि समाज व देश की अगली पीढ़ी को अपराधी बनाने की साजिश है।
संजीव रघुवंशी (वरिष्ठ पत्रकार) crime serial: नई दिल्ली। टीवी तथा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर क्राइम सीरियल चलाने वाले समाज के दुश्मन हैं। मनोरंजन के नाम पर नई पीढ़ी को अपराध की दुनिया की तरफ धकेलने का अपराध भी ये कर रहे हैं। चलिए, हाल ही में घटी हुई कुछ घटनाओं पर सरसरी नजर डालते हैं।
घटना - 1 : दिल्ली में बेटी की हत्या में वांछित व्यक्ति ने खुद को मरा साबित करने के लिए घर पर काम करने के लिए बुलाए राज मिस्त्री को मार डाला। मृतक को रात के अंधेरे में सुनसान जगह पर पेट्रोल छिड़ककर जला दिया। लाश के पास में अपना आधार कार्ड डाल दिया ताकि पुलिस बेटी के हत्यारे की लाश समझ लें।
घटना - 2 : राजधानी से सटे ग्रेटर नोएडा में एक युवती ने अपने मां-बाप की आत्म हत्या का बदला लेने की साजिश के तहत एक अनजान लड़की की हत्या कर शव का चेहरा जला दिया। मकसद था कि लोग इसे उसकी लाश समझ लें और वह गुमनाम रहकर अपने मां-बाप की हत्या के कथित आरोपियों को एक-एक कर मौत के घाट उतार दे।
घटना- 3 :
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर में एक भट्टा व्यापारी ने कर्ज की देनदारी से बचने के लिए खुद की मौत की साजिश रची उसने एक शराबी को नशे में धुत कर अपनी गाड़ी में बैठाया और पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी।
यहां इन घटनाओं का जिक्र करने का मकसद आपको बासी खबरों से रुबरु कराना या फिर क्राइम सस्पेंस, पटकथा सरीखा कुछ पढ़वाना बिल्कुल भी नहीं है। आप इन घटनाओं पर जरा गौर कीजिए। अगर आप वाकई में ईमानदारी से ऐसा कर पाते हैं तो लाजमी है कि आपको समाज में पांव पसारती एक अलग ही तरह की या फिर कहिए की अगली पीढ़ी की अपराधिक अवधारणा नजर आएगी। अपराध के तौर तरीकों की ऐसी परिपाटी जो ना किसी सामाजिक सीमा के दायरे में हैं, जो ना किसी अपराध विशेषज्ञ की सोच में फिट बैठती है और जो ना मनोवैज्ञानिकों के परंपरागत विश्लेषकों को मानती है।
इस अगली पीढ़ी की अपराधिक प्रवृत्ति को इन चंद घटनाओं की तह में जाकर आसानी से समझा जा सकता है और अगर समझ गए तो इस प्रवृत्ति के जनक को भी खोजना आसान होगा। चलिए अब इन घटनाओं से ही पूछे कि यह किसके दिमाग की उपज हैं। पहली घटना की बलि चढ़ा एक ऐसा राजमिस्त्री जिसका आरोपी से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था। उसे घर में चिनााई के काम की खातिर बुलाया गया था। आरोपी ने पहले दिन उससे काम कराने के बाद अपने कपड़े दिए ताकि वह यह जान सके कि उसकी कद काठी एकदम आरोपी जैसी है कि नहीं। अगले दिन देर रात तक रोके रखा और रात में शराब पिलाकर उसको मौत के घाट उतार दिया। शव को ठेेली पर लादकर सुनसान मैदान में ले गया और पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी। जाने से पहले अपना आधार कार्ड उसके पास डालना नहीं भूला। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि पत्नी इस पूरी साजिश में उसके साथ थी। उसने पति की लाश की झूठी शिनाख्त की, उसका अंतिम संस्कार और दूसरी परंपराएं निभाई। एक अदने से व्यक्ति ने फुलप्रूफ क्राइम सस्पेंस पटकथा लिख दी। लेबर चौक जैसी जगह से अपनी कद काठी के व्यक्ति को बुलाना, आत्मीयता दिखाकर उसका विश्वास जीतना और फिर उस अनजान, बेकसूर व्यक्ति को अपनी साजिश की भेंट चढ़ा देना। आखिर, कहां से आया इतना दुस्साहस, कहां से आई इतनी निर्ममता और किसने बोये दिमाग में इस खौफनाक साजिश के बीज?
अब दूसरी घटना पर नजर डालते हैं। आरोपी युवती ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर एक ऐसी युवती को मौत के घाट उतार दिया जिससे उसका न कोई वास्ता था ना दुश्मनी। बस, मकसद एक ही था कि किसी ऐसी बेकसूर को बलि का बकरा बनाया जाए जो आरोपी की कद काठी की हो। साजिश की हद तो देखिए ! प्रेमी के जरिए फेसबुक पर पहले ऐसी युवती को तलाशा गया, फिर नजदीकी बढ़ाकर प्रेमी उसे आरोपी के घर पर लाया और घर में घुसते ही बेरहमी से उसे कत्ल कर दिया गया। साजिश की गहराई यहीं खत्म नहीं हो जाती। आरोपी युवती ने शव का चेहरा गर्म तेल से जलाया और हाथ की नस काट कर सुसाइड नोट में यह लिखकर उसके पास रख दिया कि खाना बनाते वक्त चेहरा जल जाने से दुखी होकर उसने आत्महत्या कर ली है।
साजिश कितनी सटीक थी कि पूरी कहानी पर घरवालों से लेकर समाज और पुलिस ने यकीन कर लिया और अंतिम संस्कार से लेकर तेरहवीं तक की रस्में पूरी कर दी गई। क्या कल्पना की जा सकती है कि एक साधारण परिवार की एक साधारण सी युवती इतनी गहरी साजिश रच सकती है? और इस साजिश का क्लाइमेक्स यह भी नहीं है! बेकसूर और अनजान युवती की हत्या के बलबूते खुद को मरा साबित करने के बाद आरोपी का मकसद अपने मां-बाप की आत्महत्या के कथित आरोपी अपनी भाभी, उसके दो भाई और शादी करवाने वाले रिश्तेदार को मौत के घाट उतारने का था।
क्या इस खौफनाक अपराधिक पटकथा का अंतिम सीन यही होता? नहीं, आरोपी ने सोच रखा था कि सब दुश्मनों को ठिकाने लगाने के बाद वह अपने प्रेमी को भी मौत की नींद सुला देगी ताकि उसका कोई राजदार ही ना रहे। सब कुछ समझ से परे, सब कुछ हद दर्जे की क्राईम थ्रिलर पटकथा सरीखा, सब कुछ एक डरावना सपना सा, लेकिन सब कुछ हकीकत, एक ऐसी हकीकत जो न सिर्फ डराती है बल्कि अपने इर्द-गिर्द रहने वाले हर अपने पराए को शक की निगाह से देखने पर मजबूर करती है।
तीसरी घटना भी अपराधिक प्रवृत्ति की अगली पीढ़ी से प्रेरित है। यहां बिजनौर के भट्टा व्यापारी ने कर्ज चुकाने से बचने के लिए ऐसी साजिश रची कि कोई आसानी से यकीन ही ना कर पाए। खुद की मौत साबित करने के लिए उसने एक नशेड़ी को बलि के लिए चुना। शराब की दुकान के पास मंडराते अपनी कद काठी के शराबी को गाड़ी में बैठा लिया। जमकर शराब पिलाई, चिकन की दावत दी और नशे में टल्ली होते ही उस पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी। खौफनाक मानसिकता देखिए कि आग लगाने से पहले सीट के पास 20 लीटर पेट्रोल से भरी केन रख दी। ताकि आग फैलते ही धमाका हो और कार के साथ बेकसूर नशेड़ी के भी परखच्चे उड़ जाएं। शुक्र है कि नशेड़ी बच गया और झुलसी हालत में अस्पताल में भर्ती है। साजिश यहां भी कई मोर्चों पर रची गई। व्यापारी की 'झूठी मौतÓ होते ही कर्ज खत्म और बीमा की करोड़ों की रकम उसी की जेब में।
Missing News: दोस्त के साथ दिल्ली घूमने गया किशोर लापतागौरतलब यह भी है कि साजिश में उसकी दूसरी पत्नी और पार्टनर शामिल थे। दूसरे नाम से आधार कार्ड बन चुका था, बस एक अनजान जगह पर करोड़ों की रकम से दूसरी पत्नी के साथ आराम की जिंदगी जीने की ख्वाहिश पूरी होनी बाकी थी और इस पूरी पटकथा की भेंट चढ़ जाना था उस अनजान नशेड़ी को। नशेड़ी को चुना भी सोच समझकर उसके गायब होने पर घरवाले यही सोच कर बैठ जाएंगे कि नशे की हालत में कहीं नदी नाले में गिर कर मर गया होगा। वाकई साजिश तो अव्वल दर्जे की थी शायद विशेषज्ञों की सोच से भी दो कदम आगे।
कमाल देखिए की तीनों घटनाओं में कमाल की समानताएं हैं। खुद को मरा साबित करना, अपनी जगह किसी अनजान-बेकसूर व्यक्ति को भेंट चढ़ाना, अपने करीबियों को साजिश में शामिल होने के लिए तैयार करना और अपनी साजिश को परवान चढ़ाने के लिए एक ऐसी पटकथा तैयार करना जो डराती भी है, सनसनी भी पैदा करती है, रोमांचित भी करती है और सबसे महत्वपूर्ण यह कि ऐसी पटकथाएं दूसरे लोगों को अपराध में ऐसे प्रयोग या अगली पीढ़ी के प्रयोग करने के लिए उकसाती है। ठीक उसी तरह जैसे कि न्यूज़ चैनलों पर चल रहे क्राइम सीरियल करते हैं। वारदात, क्राइम पेट्रोल, सनसनी, सावधान इंडिया या फिर कुछ और नाम कोई भी हो काम सबका कमोबेश एक जैसा ही है। इस प्रकार के टीवी सीरियलों के निर्माताओं का दावा है कि यह सब मनोरंजन करने का एक माध्यम भर है। इससे ज्यादा ना वह सोचते हैं और ना सोचने की जरूरत महसूस करते हैं। इस घटिया किस्म के मनोरंजन को दिखाकर खूब धन कमाया जाता है।
पुलिस महकमे के लोग अक्सर कहते सुने जा सकते हैं कि अपराधियों को पकडऩे के लिए उनसे दो कदम आगे की सोचनी पड़ती है। यह सही भी है, लेकिन अगर अपराधी इसी नियम को अपराध करने में अपनाने लगे। यानी पुलिस से दो कदम आगे की सोच कर अपराध करना तो समझना कठिन नहीं कि हालात कैसे हो जाएंगे और चिंता की बात यही है कि न्यूज़ चैनलों को ये क्राइम सीरियल जाने अनजाने में अपराधियों को पुलिस से दो कदम आगे रहने की 'ट्रेनिंग' सी देते नजर आते हैं।
हर एपिसोड की पटकथा में वे तमाम तरीके बताए जाते हैं जिससे पुलिस अपराधियों तक पहुंची। यानी अपराधिक किस्म के लोगों को वे तमाम गलतियां बताना जिससे वे पुलिस गिरफ्त में आए हैं या आ सकते हैं। यह कोई मनोरंजन-वंजन नहीं है बल्कि समाज व देश की अगली पीढ़ी को अपराधी बनाने की साजिश है।

Bihar News: सगाई होने के बाद मिलन की बेकरारी न तो युवक से सही गई और न ही युवती से। शादी में हो रही देरी को देखते हुए युवक और युवती घर से फरार हो गए। मामला सारण जिले के पानापुर थाना क्षेत्र का है। जहां सगाई होने के बाद पत्नी से मिलने की बेकरारी में युवक-युवती घर से फरार हो गए। बाद में हालांकि पुलिस ने दोनो को बरामद कर लिया।
पुलिस के मुताबिक, राम रुद्रपुर गांव में संध्या नामक लड़की की शादी दरियापुर थाना क्षेत्र के अकबरपुर गांव निवासी बोलबम साहनी के साथ तय हुई थी। इसे लेकर सगाई की रस्म अदायगी भी हो गई। शादी अगले वर्ष होना निश्चित कर लिया गया। दोनों पक्ष शादी को लेकर तैयारी में भी जुट गए थे।
इस बीच सगाई होने के बाद युवक, युवती के बाद फोन पर बातचीत शुरू हो गई। धीरे धीरे यह बातचीत का समय भी बढ़ता चला गया और दोनों के बीच ऐसा प्यार उमड़ा कि दोनों एक दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकने की कसमें खाने लगे। इस बीच, दोनों ने घर से भागने की योजना बना ली और गुरुवार को दोनों घर से फरार भी हो गए।
इधर, संध्या के घर से फरार होने के बाद काफी खोजबीन की गई, लेकिन कुछ पता नहीं चला। शादी ठीक होने के बाद लड़की के घर से भागने की घटना से लड़की के परिजन कई तरह की घटना को लेकर आशंकित थे। लड़की के पिता ने पानापुर थाना में लड़की के गायब होने की सूचना दे दी। पुलिस पूरे मामले की छानबीन में जुटी थी, कि पुलिस को एक टीम ने लड़की को बरामद कर लिया और पूछताछ के बाद पूरा मामला सामने आ गया।
पुलिस ने भी दोनों की शादी कराने का निर्णय लिया। पानापुर के थाना प्रभारी ने बताया कि दोनों के स्वजनों की सहमति से पुलिस की देखरेख में ठाकुरबाड़ी मंदिर में दोनो की शादी करा दी गई है। उन्होंने कहा कि शादी के बाद दोनों परिजन खुश है।
Bihar News: सगाई होने के बाद मिलन की बेकरारी न तो युवक से सही गई और न ही युवती से। शादी में हो रही देरी को देखते हुए युवक और युवती घर से फरार हो गए। मामला सारण जिले के पानापुर थाना क्षेत्र का है। जहां सगाई होने के बाद पत्नी से मिलने की बेकरारी में युवक-युवती घर से फरार हो गए। बाद में हालांकि पुलिस ने दोनो को बरामद कर लिया।
पुलिस के मुताबिक, राम रुद्रपुर गांव में संध्या नामक लड़की की शादी दरियापुर थाना क्षेत्र के अकबरपुर गांव निवासी बोलबम साहनी के साथ तय हुई थी। इसे लेकर सगाई की रस्म अदायगी भी हो गई। शादी अगले वर्ष होना निश्चित कर लिया गया। दोनों पक्ष शादी को लेकर तैयारी में भी जुट गए थे।
इस बीच सगाई होने के बाद युवक, युवती के बाद फोन पर बातचीत शुरू हो गई। धीरे धीरे यह बातचीत का समय भी बढ़ता चला गया और दोनों के बीच ऐसा प्यार उमड़ा कि दोनों एक दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकने की कसमें खाने लगे। इस बीच, दोनों ने घर से भागने की योजना बना ली और गुरुवार को दोनों घर से फरार भी हो गए।
इधर, संध्या के घर से फरार होने के बाद काफी खोजबीन की गई, लेकिन कुछ पता नहीं चला। शादी ठीक होने के बाद लड़की के घर से भागने की घटना से लड़की के परिजन कई तरह की घटना को लेकर आशंकित थे। लड़की के पिता ने पानापुर थाना में लड़की के गायब होने की सूचना दे दी। पुलिस पूरे मामले की छानबीन में जुटी थी, कि पुलिस को एक टीम ने लड़की को बरामद कर लिया और पूछताछ के बाद पूरा मामला सामने आ गया।
पुलिस ने भी दोनों की शादी कराने का निर्णय लिया। पानापुर के थाना प्रभारी ने बताया कि दोनों के स्वजनों की सहमति से पुलिस की देखरेख में ठाकुरबाड़ी मंदिर में दोनो की शादी करा दी गई है। उन्होंने कहा कि शादी के बाद दोनों परिजन खुश है।