Good Health Tips : गुड हैल्थ टिप्स : जीरा पानी  (सेहत का खजाना)

Jeera
Good Health Tips : Cumin Water (Treasure of Health)
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 06:05 AM
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Delhi/Noida : दिल्ली/नोएडा। रोज ब्रश करने के बाद भी मुँह से महक आती है। एसिडिटी रहती है। मोटापा बढ़ रहा है तो इससे छुटकारे का अचूक उपपाय है   'जीरा पानी'।  समय नहीं है तो चुटकी भर भुना जीरा पहले चबाएँ फिर विश्वास करें। हममें से बहुत से लोग जान ही नहीं पाते क्यूँ ब्रश करनेमाउथवॉश से गरारे करने के बाद भी मुंह से गंध आती है ।

जीरा पानी :

मैं पंजाबी घर की लड़की पर ब्याह किया राजस्थान के लड़के से। मेरी सासु माँ सदा कहतीं ऐ बहु तू पंजाबी बहुओं की तरह मोटी न हो जाना। देख हमारे राजस्थान की बेटी बहू कैसे पतली चुस्त-दुरुस्त रहती हैं। कभी- कभी मैं सोचती क्यों कहतीं हैंऐसे अम्मा मुझेपर मेरी बेटी हो जाने के बाद ही मुझे फर्क समझ में आ गया। मेरी अपनी दो भाभियाँ पंजाबी मुटियारे एक-एक बच्चा हो जाने के बाद से ही पूरी फैल गई यानि अच्छी मोटी हो गईं । लेकिन मैं अपनी बेटी के जन्म के महीने बाद ही अपने पहले वाले सूट पहनने लगी थी। इसलिए आप से भी यह राज साँझा करती हूँ । बेटी के जन्म के तीन दिन बाद ही मैं हॉस्पिटल से घर आई। आते ही सोचा पहले पेट भर ठंडा पानी पियूँगी। तभी अम्मा किचन से हाथ में एक कप में गुनगुना सा येलो ब्राउन सा पानी ले आईं। और बोलीं न बेटा अब कुछ दिन ये जीरा पानी भी पीयो। क्या करती जवाब न दे सकी सो पी लिया फिर बड़े प्यार से बोलीं देख एक पतीली पानी में सिर्फ एक चम्मच जीरा ही उबाला है। कुछ दिन ऐसे पी। जी तो बहुत जला पर जवाब न दे सकी सो पी लिया। पीने के फायदे भी साथ ही नजर आने लगे। दिन से हॉस्पिटल में थी डिलीवरी के बाद सो परेशानियाँ। पेट बहुत फुला फुलागैसडकार से आ रहे थे। लगभग आधे घंटे बाद ही मैं चैन से सो रही थी। जब सो कर उठी तो अम्मा बोलीं देख ये जीरे का पानी तुझे चिड़चिड़ा आंत्र रोग से भी बचाएगा।  यह उन सभी की सूची में सबसे पहले होना चाहिए जो अपने पेट की समस्याओं के लिए एक सरलत्वरित उपाय की तलाश में हैं। अम्मा बोलीं- देख बेटी गर्भावस्था के दौरान ये जो तेरा शरीर फैला है न यह जीरा पानी तेरा ये सारा मोटापा कम कर देगा। मैंने भी यही पाया क्योंकि वजन कम करने की कोशिश के समय भोजन की क्रेविंग होना नॉर्मल है। ऐसे में जीरा पानी प्रोसेस्ड फूड  की क्रेविंग और भूख को कम करता है । यदि हम एक गिलास जीरा पानी पीते हैंतो पेट काफी समय तक भरा हुआ महसूस होता है। इतना ही नहीं जिनका लीवर कमजोर हो जाता है इसमें मौजूद थायमोक्विनोन लीवर की भी सुरक्षा करता है। जिनके घर में पीने-खाने का रिवाज हो उन्हें तो दिन में एक बार जीरे का पानी पीना ही चाहिए। जीरे का पानीआम तौर पर भोजन के पाचन एंजाइमों के स्राव को उत्तेजित करता है जिससे हमारी पाचन प्रक्रिया तेज होती है और ये हमें पतला करती है। जीरे के पानी में कैल्शियमपोटेशियममैंगनीज और सेलेनियम जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं यानि चेहरे की त्वचा पर कॉस्मेटिक का इस्तेमाल कर चमकाने से अधिक अच्छा है। हम जीरा पानी पीकर त्वचा की चमक बढ़ाएँ। इसमें फाइबरआयरनकॉपरजिंक और मैग्नीशियम जैसे खनिज और विटामिन-एबीसी और ई जैसे विटामिन भी भरपूर होते हैं। मैं समझ रही थी शायद इसलिए ही अम्मा मुस्कुरायी और बोलीं । देख बेटी तेरी भाभियाँ इतनी खुराक खा रही हैं फिर भी चेहरे पर काली झाइयां दिखने लगी हैं यकीन मान तेरे चेहरे पर ये झाइयां नहीं आयेंगी। यह अपचपेट फूलना और पेट दर्द जैसी पाचन संबंधी परेशानियों के उपचार के लिए एक बेहतरीन औषधि है। यह पाचन को बेहतर और मजबूत बनाता है। इसके अलावा जीरे के पानी को आंतों के लिए भी अच्छा माना जाता है। यह आंतों को स्वस्थ रखता है। यानि पियोगी तुम और तुम्हारी दूध पीती बेटी को भी लाभ होगा। जीरे का पानी हम सभी को पीना चाहिए क्योंकि इसमें  एंटी हाइपरटेंसिव प्रभाव पाए जाते हैंजबकि उच्च रक्तचाप की समस्या को कम करते हैं । इसमें पाया जाने वाला पोटैशियम भी कोशिका और शरीर के तरल पदार्थों के लिए जरूरी होता है। जीरा आयरन और मिनरल का अच्छा स्रोत है यह जीरा शरीर की ऊर्जा को बढ़ाता है । इसमें इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव होता हैजो की हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूती देता है इससे हमारा रक्षा तंत्र मजबूत होता है । जीरे में भरपूर मात्रा में आयरन होता हैजो रक्त में हीमोग्लोबिन को बढ़ाता है यानि एनीमिया की समस्या से निजात पाया जा सकता है। आप जीरा चाय यानि पानी में जीरा उबाल कर पी कर देखें नींद बहुत अच्छी आएगी। नींद आएगी तो इनसोमनीय नहीं रहेगा । इतने सारे मिनरल्स जब शरीर में जाएँगे और वो भी हर रोज तो बाल भी नहीं गिरेंगे । कैसे बनाएं जीरा पानी   लगभग ढाई कप पानी में एक छोटा चम्मच जीरा सोने से पहले डालें। सुबह उठ इस रात भर जीरा भीगे पानी को उबाल लें। एक कप सुबह और एक कप शाम को पियें। कुछ जीरा भूनकर भी रख लें यदि व्यस्तता के कारण जीरा पानी नहीं पिया तो चुटकी भर भुना जीरा ही चबा लें। अधिक सेवन से नुकसान जीरे में खून में व्याप्त शर्करा के स्तर को कम करने की ताकत होती है। यदि आप इसका अधिक मात्रा में सेवन करेंगे तो ब्लड शुगर तेजी से कम होगाजो सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। जीरे के अधिक सेवन से पेट में जलन की समस्या हो सकती हैक्योंकि यह काफी तेज प्रवृत्ति का हर्ब है। इसलिए कम मात्रा में ही इसका सेवन करें। अधिक सेवन से जी मिचलाना । सिर चकराना । पेट में दर्द जैसी समस्या भी हो सकती हैं। इसके इस्तेमाल से स्वयं को तथा अपने परिवार को भी बचाएं एसिडिटी और मुह की गंध से । यकीन मानिए आज भी दूर-दराज गाँव देहात में इलाज की सुविधा नहीं है। रोग तो किसी को भी हो सकता है ऐसे में घरेलू उपचार तथा स्वास्थ्यवर्धक भोजन ही इलाज बनता है। आज के लिए बस इतना ही आप चेतना मंच द्वारा प्रकाशित इन टिप्स के साथ स्वस्थ रहेंसआनंद रहें। मिलते है और गुड हेल्थ टिप्स के साथ अगले लेख में।
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Health News : भारतीय कंपनी के कफ सिरप से गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत

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Indian company's cough syrup kills 66 children in Gambia
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 05:58 PM
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United Nations/Geneva : संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक भारतीय दवा कंपनी की उन चार दवाओं के खिलाफ अलर्ट जारी किया है, जिनके कारण गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत होने और गुर्दे को गंभीर पहुंचने की आशंका है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम गेब्रेयेसस ने संवाददाताओं से कहा कि ये चार दवाएं भारत की कंपनी मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा बनाई गई सर्दी एवं खांसी के सिरप हैं। डब्ल्यूएचओ भारत में कंपनी एवं नियामक प्राधिकारियों को लेकर आगे जांच कर रहा है।

Health News :

टेड्रोस अदनोम गेब्रेयेसस ने कहा कि इन दवाओं के कारण बच्चों की मौत होने से उनके परिवारों को हुई पीड़ा का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि ये चार उत्पाद प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मेकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रिप एन कोल्ड सिरप हैं। इन उत्पादों की निर्माता कंपनी हरियाणा में स्थित मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड है और इस निर्माता ने इन उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता पर डब्ल्यूएचओ को अभी तक गारंटी नहीं दी है।

Health News :

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि ये उत्पाद अब तक केवल गाम्बिया में पाए गए हैं, लेकिन उन्हें अन्य देशों में भी संभवतः वितरित किया गया है। डब्ल्यूएचओ ने परामर्श दिया कि सभी देश मरीजों को और नुकसान पहुंचने से बचाने के लिए इन उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाएं। ‘डब्ल्यूएचओ मेडिकल प्रोडक्ट अलर्ट’ उन चार ‘घटिया उत्पादों’ के लिए जारी किया गया है, जिन्हें सितंबर 2022 में गाम्बिया में चिह्नित किया गया और डब्ल्यूएचओ को इसकी जानकारी दी गई।

Health News :

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि घटिया चिकित्सकीय उत्पाद ऐसे हैं, जो अपनी गुणवत्ता मानकों या विशिष्टताओं को पूरा नहीं करते। चारों में से प्रत्येक दवा के नमूनों का प्रयोगशाला विश्लेषण पुष्टि करता है कि उनमें डायथाइलीन ग्लाईकॉल और एथिलीन ग्लाईकॉल अस्वीकार्य मात्रा में मौजूद हैं। डब्ल्यूएचओ ने उत्पादों से जुड़े जोखिमों को रेखांकित करते हुए कहा कि डायथाइलीन ग्लाईकॉल और एथिलीन ग्लाईकॉल मनुष्यों के लिए घातक साबित हो सकते हैं।

Health News :

विश्व स्वास्थ्य निकाय ने कहा कि डायथाइलीन ग्लाईकॉल और एथिलीन ग्लाईकॉल से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, मूत्र त्यागने में दिक्कत, सिरदर्द, मानसिक स्थिति में बदलाव और गुर्दे को गंभीर नुकसान हो सकता है, जिससे मरीज की मौत भी हो सकती है। उसने कहा कि इन उत्पादों को तब तक असुरक्षित माना जाना चाहिए, जब तक संबंधित राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों द्वारा उनका विश्लेषण नहीं किया जाता।
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Health Tips : गुड हेल्थ टिप्स : ड्राई आइज

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 07:19 PM
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Delhi/Noida : दिल्ली/नोएडा। आंखों की अच्छी सेहत का खजाना है ‘ड्राइ आइज’। हममें से बहुत से लोग जान ही नहीं पाते क्यूं हम इतना मलते हैं आंखों को, क्यों दर्द करती हैं बिन बात आंखें। मेरा बेटा गोलू-मोलू, बहुत सुंदर पर बिल्कुल तोतला। जब छोटा था, तब तो सुनना बहुत प्यारा लगता था। पर, जब तीन साल का होने लगा, स्कूल जाने का समय आया, तब मुझे चिंता सताने लगी कि इसका तो नाम ही तोतला पड़ जाएगा। इसका इलाज था एक माइनर सा ऑपरेशन, पर उसको तो पूरा परिवार ही राजी नहीं था। ऐसे में मुझे एक ही बात सूझी कि इसकी हेल्थ बहुत अच्छी कर दी जाये। मेरा ज्वाइंट परिवार, उसमें चार बच्चे, मेरी इस सोच का सभी बच्चों ने अच्छा परिणाम दिया। सभी बच्चे हेल्दी, निरोगी, किसी को चश्मा नहीं और तोतला भी सही बोलने लगा। आज के दौर में गजेट्स के हद से ज्यादा इस्तेमाल से आंखों के रोग आम से हो गए हैं। यहां तक कि जो समस्याएं बड़ी उम्र में होती थीं, आज युवा भी उनका शिकार हो रहे हैं। घर में एयर कंडिशन चला घंटों वीडियो गेम्स, टीवी देखना, यहां तक कि टेलीफोन में भी घंटों पिक्चर देखना। इतना ही नहीं, छोटे-छोटे बच्चों का भी टीवी या फोन देखते हुए भोजन निगलना जन्म दे रहा है बहुत से आंखों के छोटे-मोटे रोगों को। ध्यान न दिये जाने पर जो कभी कभी नासूर भी बन जाते हैं। इन्हीं आंखों की परेशानियों में से एक है ड्राइ-आइज। करोना काल में ये कारण और भी बड़े। पर, कारण थे भी बहुत ही जायज, तब उनका अन्य कोई उपाय भी नहीं था। लेकिन, अब हमें इस और ध्यान देना चाहिए।

कारण :

जब आंसू का बनना और उसके बाहर निकलने में संतुलन नहीं हो पाता है। इससे हमारी आंखें सूखने सी लगती हैं। कभी-कभी सूखी आंखों वाले लोगों की आंखें या तो पर्याप्त आंसू ही पैदा नहीं कर पातीं या कभी उनके आंसुओं की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है। रोजमर्रा की जिंदगी में ये समस्याएं न आयें, इनके लिए जागरूकता बहुत आवश्यक है। हमारी लापरवाही से कभी कभी छोटी सी परेशानी, जिसको हम खानपान से दूर कर सकते थे, पूरी बीमारी न बन जाये, इसके लिये आप भी अपनाएं मेरे इन आजमाए हुए नुस्खों को। आज के समय में 15 साल से ही युवा मोटर साइकिल, स्कूटी भगाने लगते हैं। सच पूछें तो जरूरत भी है स्कूल, स्कूल के बाद ट्यूशन सेंटर फिर टयूशन सेंटर से घर। ऐसे में पैदल या साइकिल चलाने की ऊर्जा ही कहां रहती है बच्चों में। ऐसे में स्कूटी चलाते समय आंखों में तेज हवा लगने से, पहले आंखें कुछ सूखने सी लगती हैं और बच्चे या हम आंखों को मल-मलकर काम चला लेते हैं। कंप्यूटर या कोई और गजेट देखते हुए बच्चे हों या हम पलकें भी कम झपकाने लगते हैं। क्योंकि हमारा ध्यान पूरा देखने में ही केन्द्रित हो जाता है। सर्दियों में सर्द हवायें, कमरे में रूम हीटर चला ताप मान ज्यादा रखना, आई मेकअप का अत्यधिक इस्तेमाल इत्यादि आंखों में जलन को बढ़ा देते हैं। विशेषकर 50 वर्ष से ऊपर के लोगों में तो सर्दियों में ड्राय आई सिंड्रोम के मामले ज्यादा ही हो जाते हैं। क्योंकि पलक न झपकने से कमरे का तापमान अधिक होने से या तेज ठंडी हवाओं से आंखों से वाष्पीकरण बढ़ जाता है और आँखें चिकनी नहीं हो पातीं। तब आंखें सूखने लगती हैं। यदि यह कुछ ज्यादा ही सूखने लगे तो फिर शुरू होती है आंखों में खुजली, आंखें लाल, इनमें जलन की शिकायत, ऐसे में आंखों को जोर जोर से मलने से ही चैन आता है। पर, मलना तो आंखों के लिए बहुत ही हानिकारक है, वो भी बढ़ती उम्र में। ऐसे में आंखों में भारीपन सा महसूस होने लगता है। लंबे समय तक कांटेक्ट लेंस के इस्तेमाल से या लेजर सर्जरी के कारण भी कोर्निया की तंत्रिकाओं की संवेदनशीलता प्रभावित होने लगती है कभी कभी तो तंत्रिकायें क्षतिग्रस्त भी होने लगती हैं। इसे ही ड्राई आइज कहते हैं। यदि हम ये सब कुछ करना कम कर दें या छोड़ भी दें, फिर भी यदि ये समस्या खत्म न हो, तब इलाज ही एक माध्यम है, नहीं तो कभी कभी कोर्निया भी क्षतिग्रस्त हो जाता है। महिलाओं में आंसुओं का उत्पादन पुरूषों की तुलना में वैसे ही कम होता है, विशेषकर जब गर्भावस्था के कारण हार्मोन परिवर्तन होते हैं। गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन या फिर मीनोपॉज की स्थिति में पहुंचने पर भी ड्राई आइज सिंड्रोम का खतरा कुछ ज्यादा बढ़ जाता है।

उपाय :

बार बार पलक झपकाना, अपने कार्यस्थल पर पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करना, कम्प्यूटर की स्क्रीन अत्यधिक ब्राइट न हो। कम्प्यूटर और आंखों के बीच कम से कम 12 इंच की दूरी रखना सही है। लेकिन, साथ ही साथ सर्वोत्तम आहार इस समस्या से बचने का सबसे उत्तम साधन है। जैसे मछली का तेल सूखती आंख को उलट सकता है, यह विटामिन ए, ओमेगा-3 से भरपूर होता है। नट्स (काजू, बादाम, खरबूजे, कद्दू की गिरियां) ओमेगा-3 तथा फैटी एसिड से भरपूर होती हैं। नट्स में विटामिन ई भी होता है। यह सभी आंखों की उम्र से संबंधित नुकसान से हमारी सुरक्षा करते हैं। पत्तेदार हरी सब्जियां ल्यूटिन और जेक्सैंथिन दोनों से भरपूर होती हैं। आंखों के अनुकूल विटामिन सी का भी एक बहुत अच्छा स्रोत होती हैं। ऐसे ही गाजर भी विटामिन ए और बीटा कैरोटीन से भरपूर होती है। बल्कि, बीटा कैरोटीन के कारण ही गाजर नारंगी होती है। शकरकंद बीटा कैरोटीन से भरपूर होती हैं। ये एंटीऑक्सिडेंट होती हैं तथा विटामिन ई का भी एक अच्छा स्रोत है। खूब पानी पीना तो इसका एक अच्छा उपाय है ही। यानी की संतुलित पोषक भोजन जिसमें विटामिन ए (हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, ब्रोकली आदि) और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स (मछलियां, अखरोट और वनस्पति तेल आदि) अधिक मात्रा में खाएं और खिलाएं। आंखों को तेज हवा से बचाएं, हेयर ड्रायर, कार हीटर, एयर कंडीशनर्स या पंखे की हवा को सीधे आंखों पर न आने दें। आंखों को तेज और सूखी हवा से बचाने के लिए शील्ड्स, आई ग्लासेस या स्कार्फ का इस्तेमाल करें। आई ब्रेक लें, यानि अगर आप पढ़ रहे हैं या कंप्यूटर पर काम कर रहे हैं, तो नियमित अंतराल पर विराम लें। कुछ मिनट या सेकेंड के लिए अपनी आंखों को बंद कर लें या बार-बार आंखों को झपकाएं, ताकि आंसू एक समान रूप से पूरी आंखों में फैल जाएं। कम्प्यूटर की स्क्रीन को अपनी आंखों के लेवल (स्तर) से नीचे रखें अगर आपके कम्प्यूटर की स्क्रीन आपकी आंखों के लेवल के उपर होगा तो आपको स्क्रीन को देखने के लिए अपनी आंखों को अधिक खोलना पड़ेगा। कम्प्यूटर की स्क्रीन को अपनी आंखों के लेवल से नीचे रखने से आपको अपनी आंखों को अधिक नहीं खोलना पड़ेगा, और आंसुओं का वाष्पीकरण कम होगा। धूम्रपान से बचें, यदि आप धूम्रपान करते हैं तो छोड़ दें, क्योंकि धूम्रपान ड्राई आई सिंड्रोम के लक्षणों को गंभीर बना देता है। बल्कि मैं तो कहूंगी धूम्रपान करने वालों से भी दूर रहें। हम सभी को एक समस्या रहती है कि बच्चे तो ये सब खाते ही नहीं, हम क्या करें। यकीन मानिए, बच्चे सब कुछ खाएंगे, सिर्फ मेरी ये तरकीब अपनाकर देखें। जो कुछ वे खा लेते हैं, उन्हें स्वयं खाने दें। जो नहीं खाते, जब आप उन्हें खिलाना चाहें, तब उस समय का भोजन पापा के साथ करवायें। बल्कि पापा स्वयं ही बच्चे के मुंह में डालें। मुश्किल से पांच बार खिलाने के बाद बच्चों में भी टेस्ट डेवलप हो जाता है फिर वे भी खाते हैं। इस प्रकार सारा परिवार ड्राई आइज से स्वयं को तथा अपने परिवार को बचाएं। यकीन मानिए आज भी दूरदराज गांव देहात में इलाज की सुविधायें नहीं हैं। रोग तो किसी को भी हो सकता है, ऐसे में घरेलू उपचार तथा स्वास्थ्यवर्धक भोजन ही इलाज बनता है। आज के लिए इतना ही। आप चेतना मंच द्वारा प्रकाशित इन टिप्स के साथ स्वस्थ रहें, सानंद रहें। मिलते हैं गुड हेल्थ टिप्स के साथ अगले लेख में।