Chanakya Niti : जहां मूर्खों की पूजा होती है, वहां से रुष्ट हो जाती हैं धन की देवी मां लक्ष्मी

Chanakya and maa lakshmi
Chanakya Niti
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 10:56 AM
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Chanakya Niti : जहां मूर्खों की पूजा होती है, वहां धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि नहीं पड़ती। मां लक्ष्मी वहां से रुष्ट हो जाती हैं। वैसे भी शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि मां लक्ष्मी बहुत चंचल हैं। वे कहीं भी अधिक देर तक नहीं ठहरती हैं। और जहां मूर्खों की चलती हो, वह स्थान तो मां लक्ष्मी को बिलकुल भी प्रिय नहीं है।

ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि विश्व भर को अपनी कुशल नीतियों से चकित कर देने वाले आचार्य चाणक्य ने अपनी कृति 'नीति शास्त्र' में कही है। आचार्य चाणक्य ने अपनी रचना नीति शास्त्र में वैसे तो कई विषयों पर कूटनीति के कई कुशल सिद्धांत बताए हैं, लेकिन धन की देवी मां लक्ष्मी के बारे में बताए गए उनके ये सूत्र आज भी अत्यंत लोकप्रिय हैं और उपयोगी समझे जाते हैं।

Chanakya Niti in Hindi

आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में दी है कई जानकारी

Chanakya Niti : मान्यता है कि मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है और जीवन धन्य हो जाता है। अपनी रचना 'नीति शास्त्र' के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि तीन स्थान ऐसे हैं, जहां मां लक्ष्मी स्वयं चलकर आती हैं। आचार्य चाणक्य का कहना है:

मूर्खा यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम्। दाम्पत्ये कलहो नास्ति तत्र श्री: स्वयमागता॥

घर में कपूत होने से धन का नाश निश्चित

Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस घर या जगह पर मूर्खों की पूजा या प्रशंसा नहीं होती है, उस स्थान पर धन की देवी मां लक्ष्मी अवश्य विराजती हैं। इसका मतलब यह है कि घर में कपूत होने से धन का नाश होना निश्चित है। वहीं, मूर्खों की राय लेकर काम करने से असफलता मिलने की संभावना अधिक रहती है। इससे धन की हानि होती है।

इसके अलावा जिन घरों में अन्न का भंडारण अधिक होता है, उन घरों में मां लक्ष्मी अवश्य विराजती हैं। अन्न भंडारण से मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा से घर में अन्न और धन की कभी कमी नहीं होती है। अतः घर में भविष्य या संकट काल हेतु भी अन्न का भंडारण करना चाहिए। इससे धन की देवी मां लक्ष्मी भी प्रसन्न रहती हैं। उनकी कृपा घरवालों पर हमेशा बरसती है।

गृह क्लेश को लेकर भी आचार्य चाणक्य ने बड़ी बात कही है। उनके अनुसार जिस घर में वास्तु दोष के कारण परिवार के सदस्यों में कलह रहता हो या कुंडली मिलान में गुण न मिलने के कारण पति-पत्नी के बीच क्लेश का वातावरण रहता हो, उस घर में मां लक्ष्मी नहीं ठहर सकतीं। वहीं, जिन घरों में पति-पत्नी के रिश्ते मधुर और मजबूत होते हैं, उन घरों में मां लक्ष्मी स्वयं चलकर आती हैं।

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Chanakya Niti
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Chanakya Niti : जहां मूर्खों की पूजा होती है, वहां धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि नहीं पड़ती। मां लक्ष्मी वहां से रुष्ट हो जाती हैं। वैसे भी शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि मां लक्ष्मी बहुत चंचल हैं। वे कहीं भी अधिक देर तक नहीं ठहरती हैं। और जहां मूर्खों की चलती हो, वह स्थान तो मां लक्ष्मी को बिलकुल भी प्रिय नहीं है।

ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि विश्व भर को अपनी कुशल नीतियों से चकित कर देने वाले आचार्य चाणक्य ने अपनी कृति 'नीति शास्त्र' में कही है। आचार्य चाणक्य ने अपनी रचना नीति शास्त्र में वैसे तो कई विषयों पर कूटनीति के कई कुशल सिद्धांत बताए हैं, लेकिन धन की देवी मां लक्ष्मी के बारे में बताए गए उनके ये सूत्र आज भी अत्यंत लोकप्रिय हैं और उपयोगी समझे जाते हैं।

Chanakya Niti in Hindi

आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में दी है कई जानकारी

Chanakya Niti : मान्यता है कि मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है और जीवन धन्य हो जाता है। अपनी रचना 'नीति शास्त्र' के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि तीन स्थान ऐसे हैं, जहां मां लक्ष्मी स्वयं चलकर आती हैं। आचार्य चाणक्य का कहना है:

मूर्खा यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम्। दाम्पत्ये कलहो नास्ति तत्र श्री: स्वयमागता॥

घर में कपूत होने से धन का नाश निश्चित

Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस घर या जगह पर मूर्खों की पूजा या प्रशंसा नहीं होती है, उस स्थान पर धन की देवी मां लक्ष्मी अवश्य विराजती हैं। इसका मतलब यह है कि घर में कपूत होने से धन का नाश होना निश्चित है। वहीं, मूर्खों की राय लेकर काम करने से असफलता मिलने की संभावना अधिक रहती है। इससे धन की हानि होती है।

इसके अलावा जिन घरों में अन्न का भंडारण अधिक होता है, उन घरों में मां लक्ष्मी अवश्य विराजती हैं। अन्न भंडारण से मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा से घर में अन्न और धन की कभी कमी नहीं होती है। अतः घर में भविष्य या संकट काल हेतु भी अन्न का भंडारण करना चाहिए। इससे धन की देवी मां लक्ष्मी भी प्रसन्न रहती हैं। उनकी कृपा घरवालों पर हमेशा बरसती है।

गृह क्लेश को लेकर भी आचार्य चाणक्य ने बड़ी बात कही है। उनके अनुसार जिस घर में वास्तु दोष के कारण परिवार के सदस्यों में कलह रहता हो या कुंडली मिलान में गुण न मिलने के कारण पति-पत्नी के बीच क्लेश का वातावरण रहता हो, उस घर में मां लक्ष्मी नहीं ठहर सकतीं। वहीं, जिन घरों में पति-पत्नी के रिश्ते मधुर और मजबूत होते हैं, उन घरों में मां लक्ष्मी स्वयं चलकर आती हैं।

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Kalashtami 2023: आज कालाष्टमी पर जन्माष्टमी का संयोग इस तरह करें पूजा, मिलेगा चमत्कारिक लाभ 

Kalaahtami e1693976895304
Kalashtami 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar06 Sep 2023 04:14 PM
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Kalashtami 2023: आज कालाष्टमी पर जन्माष्टमी का संयोग इस तरह करें पूजा, मिलेगा चमत्कारिक लाभ । इस बार जन्माष्टमी के दिन ही कालाष्टमी का पर्व भी मनाया जाएगा. भादो माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी को जन्माष्टमी के रुप में पूजा जाता है इसी के साथ इस दिन ही मासिक कालाष्टमी Masik Kalashtami भी मनाई जाती है. अब ऎसे में इन दोनों का योग बेहद ही शुभ फल प्रदान करता है. Kalashtami Janmashtami sanyog माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री विष्णु और काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता दूर हो जाती है और बुरी शक्तियों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं जन्माष्टमी और कालाष्टमी के संयोग पर पर कैसे की जाती है भगवान की पूजा. importance of Kalashtami Janmashtami yoga यह दोनों पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ते हैं. यानी इस माह कालाष्टमी 6 सितंबर और जन्माष्टमी भी 6 सितंबर बुधवार को पड़ रही है. इस दिन काशी के कोतवाल कहे जाने वाले और भगवान शिव के स्वरूप बाबा काल भैरव की पूजा करने की परंपरा है. वहीं भगवान श्री कृष्ण के पूजन का भी विशेष महत्व होता है. इस दिन बाबा काल भैरव, भोले नाथ के मंदिरों में पूजा-अर्चना की जाती है. साथ में श्री कृष्ण जन्मोत्सव भी मनाया जाता है. Kalashtami 2023 

बन रहे हैं कुछ अन्य शुभ योग 

जन्माष्टमी अष्टमी रोहिणी नक्षत्र -जन्माष्टमी के दिन ही अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र का योग बनना अत्यंत शुभ होता है. इस योग को जयंती योग के नाम से जाना गया है. शास्त्रों के अनुसार इसी योग में भगवान कृष्ण का जन्म भी हुआ था. अत: जन्माष्टमी के दिन जब भी रोहिणी नक्षत्र के साथ अष्टमी तिथि मिलती है तो जयंती पर्व में जन्माष्टमी मनाई जाती है. यह एक अत्यंत ही शुभ समय माना गया है. जन्माष्टमी पर बुधाष्टमी योग देता है शुभ फल. इस वर्ष जन्माष्टमी के दिन बुधवार और अष्टमी तिथि का संयोग होने से यह दिन बुधाष्टमी व्रत के रुप से भी मान्य है. इस दिन बुधाष्टमी नामक व्रत की महिमा बहुत ही विशेष मानी गई है. ऎसे में जन्माष्टमी के दिन ही बुधाष्टमी का योग इस दिन के फलों में वृद्धि करने वाला होगा. Kalashtami 2023  के साथ जन्माष्टमी पूजन महत्व Janmashtami worship importance with Kalashtami ऐसा माना जाता है कि इस दिन ऋ काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता दूर हो जाती है और बुरी शक्तियों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है.जन्माष्टमी का उत्सव होने पर कष्टों से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं कालाष्टमी पर जन्माष्टमी का पर्व क्या प्रभाव देता है और इसका महत्व कैसे सभी पर डालता है अपना असर. कैसे की जाती है बाबा भैरव की पूजा के साथ भगवान कृष्ण की पूजा Kalashtami 2023  पर जन्माष्टमी पूजा विधि Janmashtami Puja Method on Kalashtami सुबह उठकर व्रत का संकल्प करें. स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनकर मंदिर जाते हैं. भगवान की पूजा करते हैं. इसी के साथ भगवान श्री विष्णु का पूजन किया जाता है. घर में बाल गोपाल स्वरुप की पूजा कर रहे हैं इसके साथ ही यहां भोलेनाथ और मां पार्वती को भी पूजा जाता है. साथ ही यहां भगवान गणेश को भी स्थापित करते हैं. दूध, दही, फल, धूप, दीप, पंचामृत आदि अर्पित करते हैं. काल भैरव को सरसों का तेल, उड़द की दाल और काले तिल भी अर्पित करते हैं. भगवान का पूजन भक्तों को विशेष फल देता है. इस शुभ समय किया जाने वाला पूजन कई रुपों में विशेष फलों को प्रदान करता है. एस्ट्रोलॉजर राजरानी

Janmashtami 2023 special: जानें देश-विदेश में जन्माष्टमी की धूम क्यों है इतनी खास की हर कोई दिखाई देता है भगवा रंग में 

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