दिल्ली पुलिस को तलाश है इस हैवान की, 6 टीमें लगाई गई पीछे Delhi Girl Murder

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Delhi Girl Murder
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:04 AM
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Delhi Girl Murder /नई दिल्ली। दिल्ली में विभत्स तरीके से एक नाबालिग लड़की की हत्या करने वाले हैवान की तलाश में दिल्ली पुलिस की छह टीमें जुटी हुई हैं। क्ररता की सारी हदों को पार करते हुए एक लड़की की हत्या करने वाला हैवान अभी भी फरार है। लड़की के कत्ल का आरोप साहिल नामक युवक पर लगा है।

वारदात के दौरान गली में मौजूद भीड़ के बीच सीना चौड़ा करते हुए आरोपी साहिल निकल गया। इसके बाद फिर लौटा और लाश बन चुकी लड़की को पत्थर से कुचलने लगा। हैवान बन चुके साहिल को जब लड़की के शरीर में कोई हरकत नहीं दिखी तो फिर चीखते-चिल्लाते और लोगों को डराते हुए मौके से सीना चौड़ा करके फरार हो गया।

Delhi Girl Murder

आरोप है कि साहिल से लड़की की कहासुनी हो गई थी। इससे वो इतना भड़का कि नाबालिग पर चाकू और पत्थर से वार करने लगा. लड़की पर करीब 46 वार किए गए। हैरानी की बात यह है कि साहिल गली में नाबालिग को चाकू से गोद रहा था और कोई बीच-बचाव करने नहीं आया। आरोपी लड़की को जख्मी कर मौके से फरार हो गया।

इस जघन्य हत्याकांड को लेकर दिल्ली पुलिस ने बताया कि लडकी और साहिल रिलेशनशिप में थे। बीते दिन दोनों के बीच किसी बात को लेकर मनमुटाव हो गया था। इसी खुन्नस में साहिल ने लड़की को मौत के घाट उतारने का मन बना लिया। साहिल अपने साथ चाकू रखकर ले गया था और उसने वार करते समय लड़की को बचने का कोई मौका तक नहीं दिया।

सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि लड़की पर वार कर रहे साहिल को एक युवक रोकने की कोशिश करता है, लेकिन आरोपी के सिर पर ऐसी हैवानियत सवार थी कि उसने युवक को दूर भगा दिया।

लड़की की खोपड़ी में चाकू से सीधे वार करने शुरू कर दिए। एक बाद एक करीब 40 वार झेलने के बाद लडकी लहूलुहान होकर नीचे गिर पड़ी। जब इतने से भी दरिंदे साहिल का मन नहीं भरा तो उसने नाली ढंकने वाला एक भारी पत्थर उठाया और लड़की को उससे कुचल डाला।

Delhi High Court : हाईकोर्ट ने 2000 के नोट बदलने की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका ठुकराई

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Delhi High Court : हाईकोर्ट ने 2000 के नोट बदलने की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका ठुकराई

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The High Court rejected the petition challenging the notification to change the 2000 notes
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 May 2023 08:24 PM
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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को बिना पर्ची भरे और पहचान पत्र के बिना 2,000 रुपये के नोट बदलने की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।

Delhi High Court

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हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बिना पर्ची भरे और पहचान प्रमाण के बिना 2,000 रुपये के नोटों को बदलने की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी।

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यह नोटबंदी नहीं है, वैधानिक कार्रवाई है : आरबीआई याचिकाकर्ता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि बड़ी मात्रा में ये नोट या तो किसी व्यक्ति की तिजोरी में पहुंच गए हैं या अलगाववादियों, आतंकवादियों, माओवादियों, ड्रग तस्करों, खनन माफियाओं और भ्रष्ट लोगों के पास हैं। याचिका में कहा गया कि उक्त अधिसूचना मनमानी, तर्कहीन और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है। आरबीआई ने हाईकोर्ट के समक्ष अपनी अधिसूचना का बचाव करते हुए कहा कि यह नोटबंदी नहीं है, बल्कि एक वैधानिक कार्रवाई है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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High Jump in Space : दूसरी पीढ़ी के नौवहन उपग्रह का सफल प्रक्षेपण : इसरो

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Successful launch of second generation navigation satellite: ISRO
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 03:08 AM
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श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के जरिए दूसरी पीढ़ी के नौवहन उपग्रह एनवीएस-01 का सोमवार को सफल प्रक्षेपण किया। एनवीएस-01 देश की क्षेत्रीय नौवहन प्रणाली को मजबूत करेगा और सटीक एवं तात्कालिक नौवहन सेवाएं मुहैया कराएगा।

High Jump in Space

बेहद अहम है दूसरी पीढ़ी का नौवहन उपग्रह चेन्नई से करीब 130 किलोमीटर दूर यहां स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से 51.7 मीटर लंबे तीन चरणीय जीएसएलवी रॉकेट को 27.5 घंटे की उलटी गिनती समाप्त होने पर प्रक्षेपित किया गया। यह पूर्व निर्धारित समय पूर्वाह्न 10 बजकर 42 मिनट पर साफ आसमान में अपने लक्ष्य की ओर रवाना हुआ। दूसरी पीढ़ी की इस नौवहन उपग्रह श्रृंखला को अहम प्रक्षेपण माना जा रहा है। इससे नाविक (जीपीएस की तरह भारत की स्वदेशी नौवहन प्रणाली) सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित होगी। यह उपग्रह भारत एवं मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1,500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा।

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इसरो अध्यक्ष ने दी पूरी टीम को बधाई इसरो ने बताया कि नाविक को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि संकेतों की मदद से उपयोगकर्ता की 20 मीटर के दायरे में स्थिति और 50 नैनोसेकंड के अंतराल में समय की सटीक जानकारी मिल सकती है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इस मिशन के उत्कृष्ट परिणाम के लिए पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने प्रक्षेपण के बाद ‘मिशन नियंत्रण केंद्र’ से कहा कि एनवीएस-01 को जीएसएलवी ने उसकी कक्षा में सटीकता से स्थापित किया। इस मिशन को संभव बनाने के लिए इसरो की पूरी टीम को बधाई। उन्होंने अगस्त 2021 में प्रक्षेपण यान के क्रायोजेनिक चरण में पैदा हुई विसंगति का जिक्र करते हुए कहा कि आज की सफलता जीएसएलवी एफ10 की विफलता के बाद मिली है। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि क्रायोजेनिक चरण में सुधार और सीखे गए सबक से वास्तव में लाभ हुआ है। उन्होंने समस्या के समाधान का श्रेय विफलता विश्लेषण समिति को दिया।

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दूसरी पीढ़ी के उपग्रह में हैं कई अतिरिक्त क्षमताएं सोमनाथ ने कहा कि एनवीएस-01 दूसरी पीढ़ी का उपग्रह है, जिसमें कई अतिरिक्त क्षमताएं हैं। इससे मिलने वाले संकेत अधिक सुरक्षित होंगे और इसमें असैन्य फ्रिक्वेंसी बैंड उपलब्ध कराये गए हैं। यह इस प्रकार के पांच उपग्रहों में से एक है। प्रक्षेपण के 20 मिनट बाद रॉकेट ने 2,232 किलोग्राम वजनी एनवीएस-01 नौवहन उपग्रह को लगभग 251 किमी की ऊंचाई पर भू-स्थिर स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित किया। एनवीएस-01 अपने साथ एल1, एल5 और एस बैंड उपकरण लेकर गया है। दूसरी पीढ़ी के उपग्रह में स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी भी होगी। इसरो ने कहा कि यह पहली बार है जब स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी का सोमवार के प्रक्षेपण में इस्तेमाल किया गया।

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उपग्रह में लगा है स्वदेशी रूबिडियम परमाणु घड़ी अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, वैज्ञानिक पहले तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए आयातित रूबिडियम परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल करते थे। अब, उपग्रह में अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी लगी होगी। यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जो कुछ ही देशों के पास है। इसरो ने विशेषकर नागरिक विमानन क्षेत्र और सैन्य आवश्यकताओं के संबंध में स्थिति, नौवहन और समय संबंधी जानकारी से जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नाविक प्रणाली विकसित की है। नाविक को पहले भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) के नाम से जाना जाता था। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।