Noida News : नोएडा के आसमान पर छाए स्मॉग के कारण ट्विन टॉवर के मलबे को हटाने का काम रुका

Noida News :
ट्विन टावर के मलबे को ग्रीन नेट से ढक दिया गया है, ताकि धूल न उडे़। मशीनें शांत खड़ी हैं और यहां काम करने वाले मजदूर नदारद नजर आ रहे हैं, क्योंकि यहां पर मलबा हटाने के काम को पूरी तरह से रोक दिया गया है। मलबे से निकले स्कैप को कुछ मजदूर जरूर ट्रक में भर रहे हैं, ताकि इन्हें हटाया जा सके। लेकिन, मलबे को तोड़ने और उसे हटाने के काम पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। नोएडा सेक्टर-93ए में बने सुपरटेक ट्विन टावर को 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुरक्षित तरीके से ब्लास्ट करके गिरा दिया गया था। उसमें करीब 80 हजार टन मलबा निकला था। यहां से मलबा हटाने के लिए एडिफिस इंजीनियरिंग को तीन महीने का समय दिया गया है। इसमें 15 दिन का समय अथॉरिटी से एनओसी न मिल पाने के कारण यूं ही बर्बाद हो गया था। अब नवंबर में प्रदूषण बढ़ने से जो अड़चन आ रही है, इससे यहां से मलबा जल्द साफ होने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है।Noida News :
ट्विन टावर के मलबे को हटाने के काम की देखरेख कर रहे सुपरवाइजर रोहित कुमार बताते हैं कि ग्रैप लागू होने के बाद एनजीटी के मानकों के अनुसार मलबा हटाने के काम को रोक दिया गया है। काम बंद होने से मजदूरों को वेतन देना काफी मुश्किल हो रहा है, इसलिए उन्हें छुट्टी दे दी गई है। अब तक इस साइट से 25 ट्रक यानि लगभग 510 टन लोहे का स्कैप हटाया जा चुका है, जबकि 5340 टन कंक्रीट और मलबा 267 ट्रकों में लाद कर हटाया गया है। उनका कहना है कि अग्रिम आदेश तक काम को चालू नहीं किया जाएगा। ट्विन टावर की साइट पर लगाई गई पुलिस की व्यवस्था भी हटा दी गई है। इसके साथ ही दोनों तरफ बैरिकेडिंग लगाकर लोगों की आवाजाही को भी रोक दिया गया है। यहां पर एडिफिस कंपनी के सुरक्षाकर्मी व्यवस्था को देख रहे हैं। वहीं, रेजिडेंट्स चाहते हैं कि जल्द से जल्द यहां से मलबा हटे तो वह राहत की सांस लें। उनका कहना है मलबे को ठीक तरीके से ढका नहीं गया है। पानी का छिड़काव नियमित न होने के प्रदूषण की समस्या बनी हुई है। जरा सी हवा चलने पर आसपास के टावरों में लोगों को धूल की वजह से दिक्कतें हो रही हैं। हवा जहरीली होने से सांस रोगियों की परेशानी बढ़ती जा रही है।अगली खबर पढ़ें
Noida News :
ट्विन टावर के मलबे को ग्रीन नेट से ढक दिया गया है, ताकि धूल न उडे़। मशीनें शांत खड़ी हैं और यहां काम करने वाले मजदूर नदारद नजर आ रहे हैं, क्योंकि यहां पर मलबा हटाने के काम को पूरी तरह से रोक दिया गया है। मलबे से निकले स्कैप को कुछ मजदूर जरूर ट्रक में भर रहे हैं, ताकि इन्हें हटाया जा सके। लेकिन, मलबे को तोड़ने और उसे हटाने के काम पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। नोएडा सेक्टर-93ए में बने सुपरटेक ट्विन टावर को 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुरक्षित तरीके से ब्लास्ट करके गिरा दिया गया था। उसमें करीब 80 हजार टन मलबा निकला था। यहां से मलबा हटाने के लिए एडिफिस इंजीनियरिंग को तीन महीने का समय दिया गया है। इसमें 15 दिन का समय अथॉरिटी से एनओसी न मिल पाने के कारण यूं ही बर्बाद हो गया था। अब नवंबर में प्रदूषण बढ़ने से जो अड़चन आ रही है, इससे यहां से मलबा जल्द साफ होने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है।Noida News :
ट्विन टावर के मलबे को हटाने के काम की देखरेख कर रहे सुपरवाइजर रोहित कुमार बताते हैं कि ग्रैप लागू होने के बाद एनजीटी के मानकों के अनुसार मलबा हटाने के काम को रोक दिया गया है। काम बंद होने से मजदूरों को वेतन देना काफी मुश्किल हो रहा है, इसलिए उन्हें छुट्टी दे दी गई है। अब तक इस साइट से 25 ट्रक यानि लगभग 510 टन लोहे का स्कैप हटाया जा चुका है, जबकि 5340 टन कंक्रीट और मलबा 267 ट्रकों में लाद कर हटाया गया है। उनका कहना है कि अग्रिम आदेश तक काम को चालू नहीं किया जाएगा। ट्विन टावर की साइट पर लगाई गई पुलिस की व्यवस्था भी हटा दी गई है। इसके साथ ही दोनों तरफ बैरिकेडिंग लगाकर लोगों की आवाजाही को भी रोक दिया गया है। यहां पर एडिफिस कंपनी के सुरक्षाकर्मी व्यवस्था को देख रहे हैं। वहीं, रेजिडेंट्स चाहते हैं कि जल्द से जल्द यहां से मलबा हटे तो वह राहत की सांस लें। उनका कहना है मलबे को ठीक तरीके से ढका नहीं गया है। पानी का छिड़काव नियमित न होने के प्रदूषण की समस्या बनी हुई है। जरा सी हवा चलने पर आसपास के टावरों में लोगों को धूल की वजह से दिक्कतें हो रही हैं। हवा जहरीली होने से सांस रोगियों की परेशानी बढ़ती जा रही है।संबंधित खबरें
अगली खबर पढ़ें







