उत्तर प्रदेश के इस जिले में खास खेती करके किसान बढ़ा रहे हैं आमदनी

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UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar10 Apr 2025 05:45 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में किसानों ने अपनी आमदनी को बढ़ाने का एक खास रास्ता चुन लिया है। उत्तर प्रदेश के इस जिले के किसान खास खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के महराजगंज में केले की खेती का रुझान बढ़ रहा है। खेती के जरिए लोग अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने में जुटे हैं। तमाम ऐसे किसान हैं जो धान, गेहूं, गन्ना आदि की फसल से अलग हटकर केले की खेती करने लगे हैं। वहीं केले की खेती के लिए किसानों को सरकारी मदद मिली और मेहनत की, जिसके चलते किसानों की किस्मत ही चमक उठी। वहीं केले की खेती से गरीबी को मात देने का इरादा बनाया है। इससे जहां अच्छी खासी आय करने की तैयारी में हैं। गांव के कुछ अन्य लोगों ने भी प्रेरित होकर अब केले की खेती करने का निर्णय लिया है। आने वाले दिनों में गांव केले का हब के रूप में अपनी पहचान बनाने जा रहा है।

तमिलनाडु से आए दीपू शाही ने शुरू की केले की खेती

बात हो रही है जनपद महराजगंज के घुघली की जहां दीपू शाही 8 साल पहले तमिलनाडु के कोयम्बटूर सिटी में एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। जब वह अपने गांव आए और अपने जमीन को खाली देखा तो उन्होंने अपने जमीन पर अलग खेती करने का निर्णय लिया और वह अपने जमीन पर तीन बीघे केले की खेती करना शुरू कर दिया। पहले वह खेत में गेहूं, सरसों आदि की बोआई करते थे। कई साल तक बेसहारा पशुओं की वजह से फसल नहीं हो पा रही थी। तो उन्होंने अपने रिश्तेदार से आधुनिक खेती करने की बात साझा की तो उन्होंने बताया कि केले की खेती से अच्छी आय होगी।

गुजरात से जैन प्रजाति और इजराइली जी-9 प्रजाति के केले का पौधा मंगाया

शाही अपनी मेहनत के दम पर पहले गुजरात से जैन प्रजाति का और इजराइली जी-9 प्रजाति के केले का पौधा मंगाया। खेत में लगभग तीन हजार पौधे की रोपाई कराई। इन दिनों पौधा पहले की अपेक्षा बड़ा हो गया है। केले की लहलहाती खेती को देख हर कोई रुककर उसे देखने को मजबूर हैं। खास बात यह है कि शाही को केले की खेती करते देख पास गांव के लक्ष्मण, जयपाल कुशवाहा सहित अन्य लोग भी इसी तरह की खेती करना शुरू कर दिया है । शाही बताते हैं कि केले की खेती से काफी बदलाव हुआ मेरे जीवन और परिवार में और मेरे केले जब कटते है तो वह गोरखपुर,लखनऊ ,दिल्ली,राजस्थान सहित पड़ोसी देश नेपाल में भी जाते है। ठंड के दिनों में केले को सात से आठ दिनों में एक बार सिंचाई की जाती है, जबकि गर्मी के दिनों में चार से पांच दिन के अंतराल पर सिंचाई करते हैं। पौधों की जड़ों को नुकसान से बचने के लिए ड्रिप सिंचाई सबसे कारगर होती है।

साल भर में तैयार हो जाता है फल

पौधे की रोपाई के बाद करीब साल भर में केला तैयार हो जाता है। इसके बाद उसकी कटाई होने लगती है और वह देश के कई बड़े शहरों के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल भी जाता है जिसे उन्हे अच्छे दाम मिलते है। जिसे उनका पूरा परिवार आज लगभग 7 साल से केले का खेती करता है। दीपू शाही द्वारा शुरू की गई खेती से अब उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के और भी किसान प्रोत्साहित हो रहे हैं और केले की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। UP News :

उत्तर प्रदेश के इस जिले में खास खेती करके किसान बढ़ा रहे हैं आमदनी

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उत्तर प्रदेश का युवक बड़ी नौकरी छोड़ खेती से संवार रहा है जिंदगी

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UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 05:02 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के एक युवक ने दिल्ली में एक निजी कम्पनी में बड़ी नौकरी को छोडक़र खेती से अपनी जिंदगी संवारने का बड़ा फैसला लिया। आज खेती के जरिए उत्तर प्रदेश का यह युवक प्रतिवर्ष 10 लाख रूपये से ज्यादा की कमार्ई की नींव रख चुका है। युवक की मेहनत रंग दिखा रही है और उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में हर जगह उसकी चर्चा हो रही है।

उत्तर प्रदेश का यह युवक महराजगंज का निवासी है। यहां निचलौल ब्लाक क्षेत्र के बहुआर मिश्रौलिया के गुलरभार टोला के रहने वाले हृदय नरायण दुबे ने तीन एकड़ भूमि पर बांस की खेती कर आर्थिक संबलता की नींव रख दी है। बांस के पौधों के विकास को देख हृदय नारायण को विश्वास है कि वह बांस की खेती से प्रति वर्ष 10 लाख रुपए कमाएंगे। हृदय नारायण दुबे ने बताया कि वह वर्ष 2008 में दीन दयाल उपाध्याय विश्व विद्यालय गोरखपुर से एमसीए (मास्टर इन कंप्यूटर एप्लीकेशंस) की पढ़ाई करने के बाद चार वर्ष नई दिल्ली के एक निजी कंपनी में साप्ट वेयर इंजीनियर का कार्य किया। इस दौरान उन्होंने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से कृषि से आय करने के प्रयासों का अध्ययन किया। इसी क्रम में उन्हें बांस की खेती से होने वाली आय नौकरी से भी अच्छी लगी। इसलिए वह नौकरी छोड़ बीते तीन वर्ष से बांस की खेती में जुट गए।

तीन हजार भीमा बांस के पौधे लगाए

हृदय नारायण की करीब तीन एकड़ पैतृक भूमि छोटी गंडक नदी से 200 मीटर दूरी पर थी। भूमि वेट लैंड होने के नाते उस भूमि पर परंपरागत फसल धान, गेहूं की पैदावार बहुत कम होती थी। इसी भूमि पर वर्ष 2020 में भीमा बांस (बंबूसा बाल्कुआ) प्रजाति के तीन हजार पौधे लगाए हैं। जो कि अब एक पौधे से स्वत: पंद्रह से बीस बांस के नए पौधे निकल आए है। उनकी एक पौधे अब एक बांस की कोठी का रूप लेने लगा है। वर्ष 2025 से बांस काटने के लिए तैयार हो जाएंगे और प्रति वर्ष 10 लाख रुपये की आय देंगे। बांस का उपयोग लोगों की आम जरूरतों के साथ ही लुगदी, कागज व फर्नीचर में किया जाता है। बांस को ग्रीन गैसोलीन भी कहा जाता है। इससे मुख्य रूप से एथेनॉल का उत्पादन भी होता है।

उत्तर प्रदेश सरकार से है सब्सिडी की आस

हृदय नारायण ने बताया कि उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर पढ़ा है कि नेशनल बांस मिशन के तहत बांस के खेती के लिए सरकार बढ़ावा देती है। सब्सिडी का प्राविधान भी है। वह जल्द ही अपने बांस की खेती के लागत व उपज के आंकड़ों के साथ सरकार से सब्सिडी लेने के लिए आवेदन करेंगे। UP News :

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यूपी की महिला पांच बार नसबंदी के बाद भी 25 बार हुई प्रेग्नेंट

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UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 03:29 PM
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UP News : आगरा के फतेहाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक महिला के नाम पर ढाई साल में 25 बार प्रसव और पांच बार नसबंदी का रिकॉर्ड दर्ज किया गया। इस फजीर्वाड़े के तहत महिला के खाते में सरकारी योजनाओं के नाम पर कुल 45,000 ट्रांसफर किए गए। यह मामला तब उजागर हुआ जब स्वास्थ्य विभाग ने सीएचसी फतेहाबाद का नियमित आॅडिट किया।

धांधली का तरीका

सरकार की जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी प्रोत्साहन योजना के तहत प्रसव के बाद महिला को 1,400 और नसबंदी के बाद 2,000 दिए जाते हैं। आशा कार्यकतार्ओं को भी इन योजनाओं के तहत प्रोत्साहन राशि मिलती है। इस मामले में, एक ही महिला के नाम पर बार-बार प्रसव और नसबंदी दिखाकर सरकारी धन का गबन किया गया। यह वाकया आगरा जिले के फतेहाबाद सामुदायिक केंद्र की है। जिसका पता आॅडिट के दौरान चला।

कार्रवाई और जांच

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह जांच की जाएगी कि यह तकनीकी गलती है या कर्मचारियों की मिलीभगत से किया गया घोटाला। यदि कोई दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

अन्य जिलों में भी सामने आए ऐसे मामले

उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी नसबंदी के बाद महिलाओं के गर्भवती होने के मामले सामने आए हैं। बांदा जिले में आठ महिलाएं नसबंदी के बावजूद गर्भवती हो गईं, जिसके बाद उन्हें मुआवजा दिया गया। अलीगढ़ में 82 महिलाओं की नसबंदी के बावजूद 81 महिलाएं फिर से गर्भवती हो गईं। इन मामलों में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर हुई है।

नसबंदी के बाद गर्भधारण के मामलों में मुआवजा

तमिलनाडु में एक मामले में, नसबंदी के बाद गर्भवती हुई महिला को हाईकोर्ट ने सरकार को 3 लाख मुआवजा देने और बच्चे की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का आदेश दिया। आगरा का यह मामला स्वास्थ्य विभाग में गहरी जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचार और लापरवाही को उजागर करता है। सरकारी योजनाओं के तहत धनराशि के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त निगरानी और पारदर्शिता आवश्यक है। UP News ग्रेटर नोएडा– नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।