उत्तर प्रदेश के इस जिले में खास खेती करके किसान बढ़ा रहे हैं आमदनी

तमिलनाडु से आए दीपू शाही ने शुरू की केले की खेती
बात हो रही है जनपद महराजगंज के घुघली की जहां दीपू शाही 8 साल पहले तमिलनाडु के कोयम्बटूर सिटी में एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। जब वह अपने गांव आए और अपने जमीन को खाली देखा तो उन्होंने अपने जमीन पर अलग खेती करने का निर्णय लिया और वह अपने जमीन पर तीन बीघे केले की खेती करना शुरू कर दिया। पहले वह खेत में गेहूं, सरसों आदि की बोआई करते थे। कई साल तक बेसहारा पशुओं की वजह से फसल नहीं हो पा रही थी। तो उन्होंने अपने रिश्तेदार से आधुनिक खेती करने की बात साझा की तो उन्होंने बताया कि केले की खेती से अच्छी आय होगी।
गुजरात से जैन प्रजाति और इजराइली जी-9 प्रजाति के केले का पौधा मंगाया
शाही अपनी मेहनत के दम पर पहले गुजरात से जैन प्रजाति का और इजराइली जी-9 प्रजाति के केले का पौधा मंगाया। खेत में लगभग तीन हजार पौधे की रोपाई कराई। इन दिनों पौधा पहले की अपेक्षा बड़ा हो गया है। केले की लहलहाती खेती को देख हर कोई रुककर उसे देखने को मजबूर हैं। खास बात यह है कि शाही को केले की खेती करते देख पास गांव के लक्ष्मण, जयपाल कुशवाहा सहित अन्य लोग भी इसी तरह की खेती करना शुरू कर दिया है । शाही बताते हैं कि केले की खेती से काफी बदलाव हुआ मेरे जीवन और परिवार में और मेरे केले जब कटते है तो वह गोरखपुर,लखनऊ ,दिल्ली,राजस्थान सहित पड़ोसी देश नेपाल में भी जाते है। ठंड के दिनों में केले को सात से आठ दिनों में एक बार सिंचाई की जाती है, जबकि गर्मी के दिनों में चार से पांच दिन के अंतराल पर सिंचाई करते हैं। पौधों की जड़ों को नुकसान से बचने के लिए ड्रिप सिंचाई सबसे कारगर होती है।
साल भर में तैयार हो जाता है फल
पौधे की रोपाई के बाद करीब साल भर में केला तैयार हो जाता है। इसके बाद उसकी कटाई होने लगती है और वह देश के कई बड़े शहरों के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल भी जाता है जिसे उन्हे अच्छे दाम मिलते है। जिसे उनका पूरा परिवार आज लगभग 7 साल से केले का खेती करता है। दीपू शाही द्वारा शुरू की गई खेती से अब उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के और भी किसान प्रोत्साहित हो रहे हैं और केले की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। UP News :
उत्तर प्रदेश के इस जिले में खास खेती करके किसान बढ़ा रहे हैं आमदनी
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बात हो रही है जनपद महराजगंज के घुघली की जहां दीपू शाही 8 साल पहले तमिलनाडु के कोयम्बटूर सिटी में एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। जब वह अपने गांव आए और अपने जमीन को खाली देखा तो उन्होंने अपने जमीन पर अलग खेती करने का निर्णय लिया और वह अपने जमीन पर तीन बीघे केले की खेती करना शुरू कर दिया। पहले वह खेत में गेहूं, सरसों आदि की बोआई करते थे। कई साल तक बेसहारा पशुओं की वजह से फसल नहीं हो पा रही थी। तो उन्होंने अपने रिश्तेदार से आधुनिक खेती करने की बात साझा की तो उन्होंने बताया कि केले की खेती से अच्छी आय होगी।
गुजरात से जैन प्रजाति और इजराइली जी-9 प्रजाति के केले का पौधा मंगाया
शाही अपनी मेहनत के दम पर पहले गुजरात से जैन प्रजाति का और इजराइली जी-9 प्रजाति के केले का पौधा मंगाया। खेत में लगभग तीन हजार पौधे की रोपाई कराई। इन दिनों पौधा पहले की अपेक्षा बड़ा हो गया है। केले की लहलहाती खेती को देख हर कोई रुककर उसे देखने को मजबूर हैं। खास बात यह है कि शाही को केले की खेती करते देख पास गांव के लक्ष्मण, जयपाल कुशवाहा सहित अन्य लोग भी इसी तरह की खेती करना शुरू कर दिया है । शाही बताते हैं कि केले की खेती से काफी बदलाव हुआ मेरे जीवन और परिवार में और मेरे केले जब कटते है तो वह गोरखपुर,लखनऊ ,दिल्ली,राजस्थान सहित पड़ोसी देश नेपाल में भी जाते है। ठंड के दिनों में केले को सात से आठ दिनों में एक बार सिंचाई की जाती है, जबकि गर्मी के दिनों में चार से पांच दिन के अंतराल पर सिंचाई करते हैं। पौधों की जड़ों को नुकसान से बचने के लिए ड्रिप सिंचाई सबसे कारगर होती है।
साल भर में तैयार हो जाता है फल
पौधे की रोपाई के बाद करीब साल भर में केला तैयार हो जाता है। इसके बाद उसकी कटाई होने लगती है और वह देश के कई बड़े शहरों के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल भी जाता है जिसे उन्हे अच्छे दाम मिलते है। जिसे उनका पूरा परिवार आज लगभग 7 साल से केले का खेती करता है। दीपू शाही द्वारा शुरू की गई खेती से अब उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के और भी किसान प्रोत्साहित हो रहे हैं और केले की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। UP News :







