Political News : भाजपा के नक़्शे कदम पर चल रही है आम आदमीं पार्टी : देवेंद्र अवाना

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भारतीय सोशलिस्ट मंच के संयोजक देवेन्द्र सिंह अवाना ने एक बयान में यह बात कही है ।उन्होंने कहा कि दिल्ली और पंजाब में सरकारी कार्यालयों में भगत सिंह और डॉ. भीम राव अंबेडकर की तस्वीर लगाने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नोटों पर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर लगाने की मांग कर आखिर क्या साबित करना चाहते हैं ? भगत सिंह तो वैसे भी नास्तिक थे और डॉ अंबेडकर आडंबरों के घोर विरोधी थे। तो क्या सत्ता के लिए केजरीवाल भी बीजेपी के रास्ते पर चल पड़े हैं। दरअसल यह बहुसंख्यक वाद की राजनीति तेजी से सत्ता में आने की छटफटाट है। केजरीवाल को समझना चाहिए कि हाल ही में उनके मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने एक कार्यक्रम में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञा का अनुसरण किया था, जिससे देश भर में प्रतिकिर्याओं की बाढ़ सी आ गई थी क्या केजरीवाल डॉ अम्बेडकर और शहीद भगत सिंह को अपना आदर्श मानकर पंजाब चुनाव नहीं जीते हैं । [video width="640" height="352" mp4="https://test.chetnamanch.com/wp-content/uploads/2022/10/devendra-awana.mp4"][/video] जब राजेन्द्र पाल गौतम ने एक कार्यक्रम में ली गई शपथ कि मैं ब्रह्म विष्णु महेश को नहीं मानूंगा तब तो केजरीवाल को सांप सूंघ गया था। यदि केजरीवाल का मानना है कि लक्ष्मी जी व गणेश जी की फोटो नोटों पर लगाने से अर्थ व्यवस्था सुधर जाएगी तो उनका डॉ अंबेडकर की आडियोलॉजी से कोई मतलब नहीं हैं। यदि देवी देवताओं को केजरीवाल इतना मानते हैं तो फिर राजेन्द्र पाल गौतम को पार्टी से बाहर निकाल देना चाहिए था। इसका मतलब यह है कि केजरीवाल यह सब ढोंग सत्ता के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दरअसल दो राज्य जीतकर केजरीवाल देश के प्रधानमंत्री बनने की गलतफहमी पाले हुए हैं हिंदुओं के नये ठेकेदार बनने की कोशिश कर रहे हैं। यह सब गुजरात चुनाव के लिए किया जा रहा है। सरकार बनाने के लिए ऐसे भावनाओं की तिजारत देश हित में ठीक नही है । श्री अवाना ने कहा कि देश के नौजवानों को इस पर गहन चिंतन करना पड़ेगा कि राजनीतिक दल कैसे भावनाओ से खेलते है।भारतीय सोशलिस्ट मंच ऐसे बयानों की निंदा करता है।अगली खबर पढ़ें
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भारतीय सोशलिस्ट मंच के संयोजक देवेन्द्र सिंह अवाना ने एक बयान में यह बात कही है ।उन्होंने कहा कि दिल्ली और पंजाब में सरकारी कार्यालयों में भगत सिंह और डॉ. भीम राव अंबेडकर की तस्वीर लगाने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नोटों पर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर लगाने की मांग कर आखिर क्या साबित करना चाहते हैं ? भगत सिंह तो वैसे भी नास्तिक थे और डॉ अंबेडकर आडंबरों के घोर विरोधी थे। तो क्या सत्ता के लिए केजरीवाल भी बीजेपी के रास्ते पर चल पड़े हैं। दरअसल यह बहुसंख्यक वाद की राजनीति तेजी से सत्ता में आने की छटफटाट है। केजरीवाल को समझना चाहिए कि हाल ही में उनके मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने एक कार्यक्रम में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञा का अनुसरण किया था, जिससे देश भर में प्रतिकिर्याओं की बाढ़ सी आ गई थी क्या केजरीवाल डॉ अम्बेडकर और शहीद भगत सिंह को अपना आदर्श मानकर पंजाब चुनाव नहीं जीते हैं । [video width="640" height="352" mp4="https://test.chetnamanch.com/wp-content/uploads/2022/10/devendra-awana.mp4"][/video] जब राजेन्द्र पाल गौतम ने एक कार्यक्रम में ली गई शपथ कि मैं ब्रह्म विष्णु महेश को नहीं मानूंगा तब तो केजरीवाल को सांप सूंघ गया था। यदि केजरीवाल का मानना है कि लक्ष्मी जी व गणेश जी की फोटो नोटों पर लगाने से अर्थ व्यवस्था सुधर जाएगी तो उनका डॉ अंबेडकर की आडियोलॉजी से कोई मतलब नहीं हैं। यदि देवी देवताओं को केजरीवाल इतना मानते हैं तो फिर राजेन्द्र पाल गौतम को पार्टी से बाहर निकाल देना चाहिए था। इसका मतलब यह है कि केजरीवाल यह सब ढोंग सत्ता के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दरअसल दो राज्य जीतकर केजरीवाल देश के प्रधानमंत्री बनने की गलतफहमी पाले हुए हैं हिंदुओं के नये ठेकेदार बनने की कोशिश कर रहे हैं। यह सब गुजरात चुनाव के लिए किया जा रहा है। सरकार बनाने के लिए ऐसे भावनाओं की तिजारत देश हित में ठीक नही है । श्री अवाना ने कहा कि देश के नौजवानों को इस पर गहन चिंतन करना पड़ेगा कि राजनीतिक दल कैसे भावनाओ से खेलते है।भारतीय सोशलिस्ट मंच ऐसे बयानों की निंदा करता है।संबंधित खबरें
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