Health : 'अरहर की दाल' सेहत के मामले में करे कमाल!

Arhar dal 500x500 1
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:14 PM
bookmark
 विनय संकोची Health: कुछ लोगों के लिए दाल का मतलब अरहर की दाल(Yellow Arhar Lentil) ही होता है। पीली दाल के नाम से मशहूर अरहर की खेती भारत में तीन हजार साल से ज्यादा समय से हो रही है। वैसे इसका उत्पत्ति स्थल अफ़्रीका को माना जाता है, जहां के जंगलों में इसके जंगली पौधे आज भी पाए जाते हैं। सुगमता से पचने वाली अरहर की दाल को तुअर भी कहा जाता है। इसे अंग्रेजी में पिजन पी, बांग्ला में अरहर, असमी में रोहोर, नेपाली में रहर, ओड़िया में हरड़ और कांदुल, गुजराती/ मराठी/ पंजाबी में तूर/तूवर, तमिल में तुवरम परुप्पू , मलयालम में तूवर परुप्पू , कन्नड़ में तोगड़ी और तेलुगु में कांदी कहा जाता है। अरहर दाल में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। 100 ग्राम अरहर दाल में 343 कैलोरी (Calories) होती है और कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) शून्य होता है। इसी मात्रा में इसमें 1.5 ग्राम वसा(Fat), 17 मिलीग्राम सोडियम(Sodium) , 1.392 मिलीग्राम पोटैशियम(Potassium), 7 ग्राम कार्बोहाइड्रेट(Carbohydrate), 15 ग्राम डाइटरी फाइबर(Dietary Fiber), 22 ग्राम प्रोटीन(Protien), 5.2 मिलीग्राम आयरन(Iron), 0.3 मिलीग्राम विटामिन बी6(Vitamin-B6), 183 मिलीग्राम मैग्नीशियम(Magnesium), 183 मिलीग्राम कैल्शियम (Calcium) आदि तत्व पाए जाते हैं। पोषक तत्वों से भरपूर अरहर की दाल को रोजाना खाने में भी कोई नुकसान नहीं है। शाकाहारी लोगों को इसके सेवन से सभी तरह के जरूरी पोषक तत्व फाइबर और प्रोटीन मिल सकते हैं। आइए जानते हैं दाल के गुण और उपयोग के बारे में - • अरहर की दाल रक्तचाप नियंत्रित करने में सहायता कर सकती है। इसमें प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाले पोटेशियम उच्च रक्तचाप को कम करता है, जिससे हृदय को उच्च रक्तचाप से होने वाले खतरे से भी बचाया जा सकता है। • अरहर की दाल में उच्च मात्रा में पाया जाने वाला आहारीय रेशा भोजन को आसानी से पचाने में सहायक होता है। यह भोजन के सही पाचन के साथ-साथ ऊर्जा भी प्रदान करता है, जिसके चलते शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है। • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को ज्यादा पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और साथ ही उन्हें हल्का और सुपाच्य भोजन ही चाहिए। इस पैमाने पर अरहर की दाल सबसे बेहतर विकल्प है। इसके सेवन से गैस की समस्या नहीं होती है और पाचन तंत्र भी सही रहता है। • अरहर की दाल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। इसलिए इम्युनिटी बढ़ाने के लिए प्रतिदिन एक कटोरी अरहर का दाल का सेवन करना चाहिए। • रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में भी अरहर की दाल उपयोगी है। अरहर की दाल में मौजूद पोटैशियम ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है। • अरहर की दाल में प्रचुर मात्रा में मौजूद फोलेट मानव शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ने में सहायता करता है। अरहर की दाल के सेवन से एनीमिया यानी खून की कमी से छुटकारा पाया जा सकता है। • यदि उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों की जगह अपने भोजन में अरहर की दाल को शामिल कर लिया जाए, तो वजन घटाने में मदद मिल सकती है। अरहर में मौजूद फाइबर और अन्य पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करते हैं और वजन को भी नियंत्रित करते हैं। • अरहर दाल पोटेशियम फाइबर और निम्न स्तर कोलेस्ट्रोल के कॉन्बिनेशन से हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में उपयोगी है। पोटेशियम रक्त के दबाव को कम करके दिल पर तनाव को कम करता है और फाइबर धमनियों को सिकुड़ने से रोकने में मददगार होता है। • अरहर की दाल एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है और इसका यह गुण ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण होने वाले कैंसर के जोखिम से बचाव में सहायता कर सकता है। अरहर की जड़ में भी एंटी कैंसर गुण पाए जाते हैं।  जरूरी बात : अरहर की दाल को दोपहर या रात के भोजन में शामिल किया जा सकता है। अरहर की दाल का सीमित मात्रा में सेवन करना चाहिए, क्योंकि इसमें कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधक हो सकते हैं। अरहर दाल कुछ मामलों में एलर्जी का कारण भी बन सकती है। फूड एलर्जी की समस्या होने पर डॉक्टर से पूछ कर ही अरहर की दाल को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। विशेष : यहां अरहर की दाल के गुण और उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। परंतु सामान्य जानकारी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प कदापि नहीं है। इसलिए हम किसी उपाय अथवा जानकारी की सफलता का दावा नहीं करते हैं। रोग विशेष के उपचार में अरहर की दाल को अपनाने से पूर्व योग्य आयुर्वेदाचार्य / चिकित्सक /आहार विशेषज्ञ से परामर्श आवश्यक है।
अगली खबर पढ़ें

Health : काजू' दिल का भी दोस्त है और दिमाग का भी!

Cashew nut kaju akha 500x500 1
locationभारत
userचेतना मंच
calendar31 May 2022 03:13 PM
bookmark
 विनय संकोची Health : काजू (Cashew) एक बेहद लोकप्रिय सूखा मेवा है, जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है। आयुर्वेद में काजू का औषधियों में उपयोग किया जाता है। अनेक रोगों के दुश्मन काजू से मिठाईयां भी बनती हैं और अनेक व्यंजन का स्वाद बढ़ाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। काजू को अंग्रेजी में केश्यू नट, संस्कृत में वृक्कुल, ओड़िया में भालीया, कन्नड़ में गोदम्बे, तमिल में कालामावु, तेलुगू में जिदियांती, बांग्ला में हिजली व गुजराती, मराठी और हिंदी में काजू ही कहा जाता है। काजू पोषक तत्वों से भरपूर होता है। प्रति 100 ग्राम काजू में 553 कैलोरी(calories), टोटल फैट(total fat) 44 ग्राम, सोडियम (Sodium)12 ग्राम, पोटेशियम(potassium) 660 मिलीग्राम, कुल कार्बोहाइड्रेट्स(carbohydrates) 30 ग्राम, डाइटरी फाइबर (dietary fiber)3.3 ग्राम, शर्करा (Sugar) 6 ग्राम, प्रोटीन(Protein) 18 ग्राम, विटामिन सी(Vitamin-C) 0.5 मिलीग्राम, आयरन (Iron)6.7 मिलीग्राम, विटामिन बी6 (Vitamin- B 6) 0.4 मिलीग्राम, मैग्नीशियम (Magnesium)292 मिलीग्राम, कैल्शियम (Calcium) 37 मिलीग्राम आदि तत्व पाए जाते हैं। आइए जानते हैं काजू के गुण और उपयोग के बारे में - • काजू दिल का दोस्त होता है। यह हानिकारक कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को घटाता है और लाभदायक कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ाता है। काजू में रक्तचाप को नियमित रखने का गुण भी होता है, जो दिल के स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है। • काजू के सेवन से हड्डियों को मजबूत बनाए रखा जा सकता है। काजू में हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक कैल्शियम और मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में होते हैं। मैग्नीशियम इसलिए जरूरी है, क्योंकि यह हड्डियों की सतह से कैल्शियम को रक्त में जाने से रोकता है। इससे रक्त वाहिकाएं संकरी नहीं होती हैं। इसका लाभ पूरे शरीर को मिलता है। • काजू आंखों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। काजू के सेवन से आंखों को संक्रमण से बचाया जा सकता है। काजू में मिलने वाले जेनथिन और ल्यूटेन नाम के एंटी ऑक्सीडेंट आंख के रेटिना पर एक सुरक्षात्मक कवच बनाते हैं, जिससे संक्रमण के बाहरी हमले नाकाम हो जाते हैं। • काजू को यदि नियमित और सीमित मात्रा में खाया जाए, तो वजन कम करने में सहायता मिल सकती है। काजू में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया में तेजी लाकर वसा को जलाकर वजन कम करने में मदद करता है। • काजू में कैंसर रोधी गुण भी पाए जाते हैं। काजू के अर्क में पाया जाने वाला एनकार्डिक एसिड शरीर में कैंसर फैलने की प्रक्रिया को रोकने में सहायता कर सकता है। काजू के सेवन से कैंसर का इलाज नहीं हो सकता लेकिन इसके सीमित मात्रा में सेवन से कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। • काजू रक्तचाप को भी नियंत्रित करने में सहायक माना गया है। • काजू के सेवन से पाचन तंत्र को मजबूती मिल सकती है, क्योंकि इसमें पर्याप्त मात्रा में डाइटरी फाइबर मौजूद होता है। आहारीय रेशा पाचन को ठीक रखकर कब्ज़ और अल्सर जैसी समस्याओं से निजात दिलाने में सहायता कर सकता है। • काजू मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में सहायक है। काजू में मौजूद मैग्नीशियम मस्तिष्क के रक्त प्रवाह में सहायता करने के साथ मस्तिष्क की चोट को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। • रक्त में मौजूद ग्लूकोज को स्थिर करने से मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है। काजू में मौजूद मैग्नीशियम रक्त में मौजूद ग्लूकोज को स्थिर करने में मददगार होता है। • आयरन और कॉपर का अच्छा स्रोत होने के कारण काजू स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में सहायता करता है। इसलिए काजू के सेवन से रक्त की कमी यानी एनीमिया जैसे विकार से छुटकारा पाया जा सकता है। • काजू त्वचा को स्वस्थ एवं स्निग्ध बनाने में सहायक है। काजू के सेवन से त्वचा को झुर्रियों और सूरज की हानिकारक किरणों से बचाया जा सकता है। काजू में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा के स्वास्थ्य व सौंदर्य को बढ़ावा देने और बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने में सहायक होते हैं। • काजू के सेवन से बालों की चमक और मजबूती में भी वृद्धि होती है।  जरूरी बात : काजू के ज्यादा सेवन से शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक और हृदय रोग का खतरा हो सकता है। किडनी पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। काजू के जरूरत से ज्यादा सेवन में मोटापा बढ़ सकता है। अत्यधिक काजू खाने से पेट में गैस और सूजन का जोखिम हो सकता है। काजू के बहुत अधिक मात्रा में सेवन से दिल अचानक धड़कना बंद कर सकता है। रहें सावधान! फायदेमंद काजू भी कर सकता है नुकसान।  विशेष : यहां काजू के गुण और उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। यह सामान्य जानकारी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं है। इसलिए हम किसी उपाय अथवा जानकारी की सफलता का दावा नहीं करते हैं। रोग विशेष के उपचार में काजू को औषधि रूप में अपनाने से पूर्व योग्य आयुर्वेदाचार्य/आहार विशेषज्ञ/चिकित्सक से परामर्श जरूरी है।
अगली खबर पढ़ें

Health : 'आलूबुखारा' दिलाए अनेक रोगों से छुटकारा!

Plum
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 01:29 PM
bookmark
 विनय संकोची Health : आलूबुखारा (Plum) एक खट्टा मीठा फल है, जो भारत के पहाड़ी प्रदेशों में होता है। आलूबुखारा का गूदा रसदार होता है और इसका पतला छिलका गूदे से कुछ ज्यादा ही खट्टा होता है। अधिकतर आलूबुखारे का इस्तेमाल एक स्वादिष्ट फल के तौर पर किया जाता है। इसके कच्चे फल का रंग हरा होता है और पकने के बाद यह लाल, गहरा बैंगनी हो जाता है। भारत में आलूबुखारा पसंद तो खूब किया जाता है, लेकिन इसकी खेती यहां बहुत कम होती है। इसके कच्चे फल का इस्तेमाल मुरब्बा बनाने में भी किया जाता है। पके आलूबुखारा फलों को शराब बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है। सूखे हुए आलूबुखारा में एंटी ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो तमाम तरह के रोगों से शरीर का बचाव करने में सक्षम है। आलूबुखारा पोषक तत्वों का खजाना होता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर, शुगर जैसे पोषक तत्व और कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम और जिंक जैसे मिनिरल्स पर्याप्त मात्रा में होते हैं। अगर विटामिनों की बात करें तो इसमें विटामिन सी,(Vitamin C) थायमिन(Thiamine), राइबोफ्लेविन(Riboflavin), नियासिन(Niacin), विटामिन बी6(Vitamin-B 6 ), फोलिक एसिड(Folic Acid), विटामिन ए (Vitamin-A), विटामिन ई (Vitamin-E) और विटामिन के(Vitamin-K)  पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं। इन सबके अतिरिक्त इस खट्टे मीठे 100 ग्राम फल में फैटी एसिड, सैचुरेटेड 0.017 ग्राम (Fatty Acids, Saturated 0.017 g), फैटी एसिड टोटल मोनोअनसैचुरेटेड 0.134 ग्राम (Fatty Acid Total Monounsaturated 0.134 g) और फैटी एसिड टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड 0.044 ग्राम (Fatty Acid Total Polyunsaturated 0.044 g) मात्रा में पाए जाते हैं। गर्मियों के मौसम में आलूबुखारा (plum) के सेवन से सेहत और सौंदर्य को बरकरार रखने में मदद मिल सकती है। आइए जानते हैं आलूबुखारा के गुण उपयोग के बारे में - • ताजा और सूखे दोनों ही प्रकार के आलूबुखारा में एंटी कैंसर गुण पाए जाते हैं। सूखे आलूबुखारा में मौजूद फाइबर और पॉलीफेनॉल (Fiber and Polyphenols ) पेट के कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं और आलूबुखारा का अर्क स्तन कैंसर का खतरा कम कर सकता है। • फाइबर से भरपूर आलूबुखारा शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। आलूबुखारा के नियमित सेवन से बैड कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। • आलूबुखारा मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है। आलूबुखारा में मौजूद पॉलीफेनोल्स कंपाउंड मस्तिष्क के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। इतना ही नहीं यह कंपाउंड मस्तिष्क के कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम कर दिमागी बीमारियों के खतरे को कम कर सकता है। इसके लिए आलूबुखारा जूस का सेवन ज्यादा उपयोगी होता है। • आलूबुखारा इम्यूनिटी बूस्ट करने में भी सहायक है। प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण विटामिन ए और विटामिन सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायता करते हैं। • आलूबुखारे के सेवन से अपनी आंखों को भी स्वस्थ रखा जा सकता है। इसमें मौजूद विटामिन सी और विटामिन ई उम्र के साथ घटती नेत्र ज्योति की समस्या को कम करने में सहायक हो सकते हैं। • आलूबुखारे के नियमित सेवन से वजन कम करने में सहायता मिलती है। आलूबुखारे में कैलोरी काफी कम होती है और फाइबर भरपूर होता है, जिससे यह वजन कम करने में सहायक होता है। • प्रतिदिन 100 ग्राम सूखा आलूबुखारा खाने से हड्डी कमजोर करने वाले कारकों को खत्म करने में सहायता मिल सकती है। • मधुमेह रोगियों के लिए भी आलूबुखारा बहुत उपयोगी है। स्वाद में मीठा होने के बावजूद सूखा आलूबुखारा रक्त शर्करा को नहीं बढ़ाता है और मधुमेह के खतरे को कम करता है। • फाइबर से भरपूर होने के कारण आलूबुखारे को कब्ज के इलाज में फायदेमंद माना जाता है। सूखे आलू बुखारे से सेवन से कब्ज से निजात मिल सकती है। • आलूबुखारा दिल का भी दोस्त है, क्योंकि यह उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित कर सकता है और बैड कोलेस्ट्रॉल को भी। अपने इन्हीं गुणों के कारण यह दिल को बीमारियों से बचाए रखता है। • जरूरी बात : आलूबुखारा में पेट साफ करने का प्राकृतिक गुण होता है। इसलिए, इसके अत्यधिक सेवन से डायरिया हो सकता है। सूखे आलूबुखारे के ज्यादा सेवन से गैस की समस्या हो सकती है। सूखे आलूबुखारे के अधिक सेवन से शरीर में पोटैशियम की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, जी मिचलाना और उल्टी की शिकायत हो सकती है। ( विशेष : यहां आलूबुखारे के गुण और उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। परंतु सामान्य जानकारी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प कदापि नहीं है। इसलिए हम किसी उपाय अथवा जानकारी की सफलता का दावा नहीं करते हैं। रोग विशेष के उपचार में आलूबुखारे को औषधि रूप में अपनाने से पूर्व योग्य आयुर्वेदाचार्य / चिकित्सक /आहार विशेषज्ञ से परामर्श आवश्यक है।)