400 किलो यूरेनियम कहां गायब? ईरान-नॉर्थ कोरिया की जुगलबंदी से मचा हड़कंप

400 किलो यूरेनियम कहां गायब? ईरान-नॉर्थ कोरिया की जुगलबंदी से मचा हड़कंप
locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 Jun 2025 08:00 AM
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International News : ईरान और उत्तर कोरिया का खतरनाक गठजोड़ अब वैश्विक चिंता का कारण बन चुका है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन और नॉर्थ कोरिया विशेषज्ञ ब्रूस बेकटोल ने सनसनीखेज दावे किए हैं कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम में किम जोंग उन की सीधी भागीदारी है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल अब यह है ईरान से गायब हुआ 400 किलो यूरेनियम आखिर गया कहां? क्या अब ईरान परमाणु बम बनाने के बेहद करीब पहुंच चुका है?

युद्धविराम के बाद भी ईरान और उत्तर कोरिया में हलचल

हालांकि ईरान और इजरायल के बीच युद्धविराम हो गया है, लेकिन उत्तर कोरिया से जो खबरें आ रही हैं, वो वाकई डराने वाली हैं। जॉन बोल्टन का दावा है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई हर हाल में परमाणु हथियार बनाना चाहते हैं और इस मकसद को पूरा करने में किम जोंग उनका सबसे बड़ा सहयोगी बन चुके हैं। जहां अमेरिका दावा करता है कि ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों को तबाह कर दिया गया है, वहीं खबरें ये भी हैं कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम उत्तर कोरिया में भूमिगत तरीके से आगे बढ़ रहा है। यानी परमाणु बम बनाने की होड़ सिर्फ थमी नहीं है, बल्कि अब और भी गुप्त और खतरनाक हो चुकी है।

कहां गया ईरान का 400 किलो यूरेनियम?

सबसे बड़ा रहस्य यही है कि ईरान से 400 किलो यूरेनियम कहां गायब हुआ? यही वो मात्रा है जिससे ईरान 10 परमाणु बम बना सकता है। सेटेलाइट तस्वीरों में ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर साइट के बाहर 16 ट्रकों का एक काफिला देखा गया था आशंका जताई जा रही है कि इन्हीं ट्रकों में यूरेनियम को किसी गुप्त ठिकाने पर शिफ्ट कर दिया गया। ईरान के उप विदेश मंत्री अली बाकेरी ने भी यह स्वीकारा है कि हमले से पहले ही यूरेनियम को हटा लिया गया था। लेकिन कहां? इस पर अब तक चुप्पी है।

क्या यूरेनियम नॉर्थ कोरिया पहुंचा?

ब्रूस बेकटोल का मानना है कि ईरान और उत्तर कोरिया के बीच परमाणु तकनीक का लेन-देन गुपचुप तरीके से लंबे समय से चल रहा है। उनके मुताबिक, नॉर्थ कोरिया ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु केंद्र फोर्डो, नतांज और इस्फहान के निर्माण में मदद की। ईरान को यूरेनियम की सप्लाई भी नॉर्थ कोरिया से हुई और अब ईरान का एक हिस्सा उत्तर कोरिया के एक पहाड़ के नीचे छिपे भूमिगत केंद्रों में सक्रिय है।

ईरान के परमाणु सहयोगी

ईरान को तीन देशों का हमेशा से समर्थन रहा है चीन, रूस और उत्तर कोरिया।
  • 1984 में चीन की मदद से इस्फहान में सबसे बड़ा परमाणु रिसर्च कॉम्प्लेक्स बनाया गया।
  • रूस के सैकड़ों वैज्ञानिक आज भी ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर काम कर रहे हैं।
  • और नॉर्थ कोरिया ने सुरंगों के निर्माण से लेकर यूरेनियम सप्लाई तक, हर स्तर पर मदद दी।

अमेरिका और इजरायल की बढ़ी चिंता

अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा है कि ईरान के परमाणु केंद्रों को गंभीर क्षति पहुंची है या वे पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं। लेकिन वे यह भी मानते हैं कि 400 किलो यूरेनियम के ठिकाने को लेकर अमेरिका अब तक पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। नॉर्थ कोरिया आज दुनिया की सबसे खतरनाक परमाणु शक्तियों में से एक है उसके पास लगभग 50 परमाणु हथियार हैं। वहीं ईरान पिछले 30 वर्षों से बम बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अब तक सफल नहीं हो पाया। मगर इस बार अगर किम जोंग ने साथ दे दिया, तो खामेनेई का सपना जल्द ही हकीकत बन सकता है और यही बात दुनिया को सबसे ज़्यादा डरा रही है।

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चीन में चमगादड़ों से निकले 20 नए वायरस, वैज्ञानिकों में मचा हड़कंप

New Virus In Bats
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 03:58 PM
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New Virus In Bats : चीन के युन्नान प्रांत में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक विस्तृत अध्ययन में चमगादड़ों की 10 प्रजातियों में 20 नए वायरस की पहचान हुई है, जिनमें से दो वायरस ने वैश्विक चिकित्सा समुदाय की चिंता बढ़ा दी है। ये दोनों वायरस निपाह और हेंड्रा जैसे अत्यंत जानलेवा वायरसों से काफी मिलते-जुलते हैं, जो मस्तिष्क में सूजन और श्वसन संबंधी जटिलताओं का प्रमुख कारण माने जाते हैं।

यह शोध 'पीएलओएस पैथोजेन्स' नामक अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 से 2021 के बीच युन्नान इंस्टीट्यूट ऑफ एंडेमिक डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के वैज्ञानिकों ने 142 चमगादड़ों के गुर्दा (किडनी) नमूनों की जांच की। इनमें से दो वायरस—युन्नान बैट हेनिपावायरस 1 और 2—अपने जेनेटिक स्वरूप में निपाह और हेंड्रा वायरस के समान पाए गए हैं।

संक्रमण का नया रास्ता: पेशाब

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ये वायरस चमगादड़ों के मूत्र (पेशाब) में पाए गए, जिससे संक्रमण के एक नये रास्ते का संकेत मिलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि चमगादड़ों के रहने वाले क्षेत्र में स्थित फल या पानी इनके मूत्र से दूषित हो जाएं, तो इनके ज़रिए इंसानों और पशुओं में वायरस का प्रसार संभव है। यह पहलू अब तक के वैज्ञानिक आकलनों में काफी हद तक उपेक्षित रहा है।

शोध में मिले नए परजीवी और बैक्टीरिया

अध्ययन में शोधकर्ताओं को क्लोसिएला युन्नानेंसिस नामक एक नया प्रोटोजोआ परजीवी और फ्लेवोबैक्टीरियम युन्नानेंसिस नामक एक पूर्व-अज्ञात बैक्टीरिया भी मिला है। इनकी विशेषताओं और संभावित खतरों की जांच फिलहाल जारी है।

फिलहाल किसी महामारी के फैलने का प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन विशेषज्ञ इसे प्रकृति में छिपे संभावित खतरों का गंभीर संकेत मान रहे हैं। वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि यह अध्ययन स्पष्ट करता है कि प्रकृति में अभी भी अनेक वायरस मानव जीवन को प्रभावित कर सकते हैं—विशेष रूप से तब, जब पर्यावरणीय संतुलन से छेड़छाड़ की जा रही हो।

स्पिलओवर क्यों बढ़ रहे हैं?

शोध में यह भी सामने आया है कि चमगादड़ गांवों के पास स्थित फलों के बागों में रहने लगे हैं। फल खाते समय ये चमगादड़ उन्हें दूषित कर सकते हैं, जिससे आसपास रहने वाले लोग अनजाने में वायरस की चपेट में आ सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण के चलते वन्यजीवों और मानव आबादी का संपर्क बढ़ा है, जो 'स्पिलओवर' घटनाओं की वृद्धि का कारण है।

वायरस नियंत्रण के लिए सुझाए गए उपाय

वायरस के संभावित प्रसार को रोकने के लिए वैज्ञानिकों ने कुछ अहम सुझाव दिए हैं:

  1. चमगादड़ों के सभी अंगों की विशेष रूप से किडनी की गहन जांच हो।

  2. स्थानीय सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए।

  3. लोगों को फल धोकर खाने, ढककर रखने और पानी उबालकर पीने की जागरूकता दी जाए।

  4. वन्यजीवों की निगरानी और उनके संपर्क क्षेत्रों की वैज्ञानिक निगरानी को प्राथमिकता मिले।      New Virus

 

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चीन में राजनाथ सिंह ने एससीओ घोषणापत्र पर दस्तखत से किया इनकार, आतंकवाद पर रियायत को बताया अस्वीकार्य

Rajnath 1
SCO Meeting
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 04:01 AM
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SCO Meeting : किंगदाओ (चीन) में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने एक बार फिर आतंकवाद के मुद्दे पर अपने सख्त और अडिग रुख को दोहराया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के बंदरगाह शहर किंगदाओ में आयोजित इस उच्चस्तरीय बैठक में संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से साफ इनकार कर दिया। सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि घोषणापत्र में आतंकवाद जैसे गंभीर वैश्विक खतरे का उल्लेख तक नहीं किया गया था, जबकि पाकिस्तान के अशांत क्षेत्र बलूचिस्तान का जिक्र किया गया था।

भारत ने दस्तावेज पर दस्तखत नहीं किया

भारत का मानना है कि इस दस्तावेज में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी, जैसे घटनाओं की अनदेखी कर आतंकवाद के खिलाफ उसकी दृढ़ नीति को कमजोर करने का प्रयास किया गया। ऐसे में भारत के लिए इस दस्तावेज पर दस्तखत करना नीतिगत रूप से अस्वीकार्य था।

चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत पर उठे सवाल

भारत ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत से तैयार घोषणापत्र में जानबूझकर आतंकवाद जैसे मुद्दे को दरकिनार किया गया, जिससे इस वैश्विक संकट को कमतर आंका गया। बैठक में भारत ने पाकिस्तान पर तीखा हमला करते हुए कहा कि कुछ देश अब भी आतंकवाद को कूटनीतिक साधन की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है।

"शांति और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते" : राजनाथ

राजनाथ सिंह ने सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में कहा, आतंकवाद के दोषियों, उसे फंडिंग देने वालों और आश्रय देने वालों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। इसमें कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के पुराने हमलों की तर्ज पर पहलगाम में किया गया हमला भारत की संप्रभुता पर सीधा हमला है, और अब भारत इसे किसी भी रूप में सहन नहीं करेगा।

एससीओ देशों को एकजुट होकर करनी होगी निर्णायक कार्रवाई

भारत ने एससीओ मंच से साफ संदेश दिया कि आतंकवाद से निपटने में किसी तरह की ढिलाई या दोहरा रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि "आतंकवादी गुटों के हाथों में विनाशकारी हथियार सौंपना वैश्विक शांति के लिए अत्यंत खतरनाक है। ऐसे में हमें एकजुट होकर निर्णायक कार्रवाई करनी होगी।

भारत की राजनयिक दृढ़ता की एक मिसाल

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह रुख न केवल भारत की आतंकवाद-विरोधी नीति को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत किसी भी बहुपक्षीय मंच पर अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा। घोषणापत्र पर दस्तखत से इनकार करके भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि आतंकवाद के मसले पर वह किसी भी तरह की नरमी को तैयार नहीं है।

ईरान की शिकस्त पर सियासी मेकअप, नेतन्याहू-ट्रंप पर भी उठे सवाल

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