Sanskrit : सुज्योतिषः सूर्य दक्षपितॄननागास्त्वे सुमहो वीहि देवान्।
द्विजन्मानो य ऋतसापः सत्याः स्वर्वन्तो यजता अग्निजिह्वाः॥ ऋग्वेद ६-५०-२॥
Hindi: हे मनुष्य! आप सूर्य के समान सभी को प्रकाश देने वाले बनो। आप उन प्रबुद्ध विद्वानों और शिक्षकों से ज्ञान प्राप्त करो जो द्विजन्मा है अर्थात जिनका दो बार जीवन में जन्म होता है, एक तो पितृकुल में और उसके बाद आचार्य कुल में ज्ञान प्राप्त करने के लिए जन्म होता है। जो सत्यवादी हैं। जो विभिन्न विद्याओं से संयुक्त हैं। जो दूसरों का कल्याण करते हैं। हे मनुष्य! ऐसे प्रबुद्ध विद्वानों से संयुक्त होने पर तुम्हारा भी जीवन सुखमय हो जाएगा। (ऋग्वेद ६-५०-२)
English : O man! Be like the sun, who gives light to all. You should get knowledge from those enlightened scholars and teachers who are twice-born, i.e. those who are born twice in life, one in Pitrukula and then in Acharyakula to attain knowledge. Who are truthful. Who are associated with different disciplines of knowledge. Those who work for the betterment of others. man! By being united with such enlightened scholars, your life too will become blissful. (Rig Veda 6-50-2)
अगली खबर पढ़ें
भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 12:22 PM
Sanskrit : सुज्योतिषः सूर्य दक्षपितॄननागास्त्वे सुमहो वीहि देवान्।
द्विजन्मानो य ऋतसापः सत्याः स्वर्वन्तो यजता अग्निजिह्वाः॥ ऋग्वेद ६-५०-२॥
Hindi: हे मनुष्य! आप सूर्य के समान सभी को प्रकाश देने वाले बनो। आप उन प्रबुद्ध विद्वानों और शिक्षकों से ज्ञान प्राप्त करो जो द्विजन्मा है अर्थात जिनका दो बार जीवन में जन्म होता है, एक तो पितृकुल में और उसके बाद आचार्य कुल में ज्ञान प्राप्त करने के लिए जन्म होता है। जो सत्यवादी हैं। जो विभिन्न विद्याओं से संयुक्त हैं। जो दूसरों का कल्याण करते हैं। हे मनुष्य! ऐसे प्रबुद्ध विद्वानों से संयुक्त होने पर तुम्हारा भी जीवन सुखमय हो जाएगा। (ऋग्वेद ६-५०-२)
English : O man! Be like the sun, who gives light to all. You should get knowledge from those enlightened scholars and teachers who are twice-born, i.e. those who are born twice in life, one in Pitrukula and then in Acharyakula to attain knowledge. Who are truthful. Who are associated with different disciplines of knowledge. Those who work for the betterment of others. man! By being united with such enlightened scholars, your life too will become blissful. (Rig Veda 6-50-2)
Sanskrit : सुज्योतिषः सूर्य दक्षपितॄननागास्त्वे सुमहो वीहि देवान्।
द्विजन्मानो य ऋतसापः सत्याः स्वर्वन्तो यजता अग्निजिह्वाः॥ ऋग्वेद ६-५०-२॥
Hindi: हे मनुष्य! आप सूर्य के समान सभी को प्रकाश देने वाले बनो। आप उन प्रबुद्ध विद्वानों और शिक्षकों से ज्ञान प्राप्त करो जो द्विजन्मा है अर्थात जिनका दो बार जीवन में जन्म होता है, एक तो पितृकुल में और उसके बाद आचार्य कुल में ज्ञान प्राप्त करने के लिए जन्म होता है। जो सत्यवादी हैं। जो विभिन्न विद्याओं से संयुक्त हैं। जो दूसरों का कल्याण करते हैं। हे मनुष्य! ऐसे प्रबुद्ध विद्वानों से संयुक्त होने पर तुम्हारा भी जीवन सुखमय हो जाएगा। (ऋग्वेद ६-५०-२)
English : O man! Be like the sun, who gives light to all. You should get knowledge from those enlightened scholars and teachers who are twice-born, i.e. those who are born twice in life, one in Pitrukula and then in Acharyakula to attain knowledge. Who are truthful. Who are associated with different disciplines of knowledge. Those who work for the betterment of others. man! By being united with such enlightened scholars, your life too will become blissful. (Rig Veda 6-50-2)
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29 Nov 2025 12:22 PM
Sanskrit : सुज्योतिषः सूर्य दक्षपितॄननागास्त्वे सुमहो वीहि देवान्।
द्विजन्मानो य ऋतसापः सत्याः स्वर्वन्तो यजता अग्निजिह्वाः॥ ऋग्वेद ६-५०-२॥
Hindi: हे मनुष्य! आप सूर्य के समान सभी को प्रकाश देने वाले बनो। आप उन प्रबुद्ध विद्वानों और शिक्षकों से ज्ञान प्राप्त करो जो द्विजन्मा है अर्थात जिनका दो बार जीवन में जन्म होता है, एक तो पितृकुल में और उसके बाद आचार्य कुल में ज्ञान प्राप्त करने के लिए जन्म होता है। जो सत्यवादी हैं। जो विभिन्न विद्याओं से संयुक्त हैं। जो दूसरों का कल्याण करते हैं। हे मनुष्य! ऐसे प्रबुद्ध विद्वानों से संयुक्त होने पर तुम्हारा भी जीवन सुखमय हो जाएगा। (ऋग्वेद ६-५०-२)
English : O man! Be like the sun, who gives light to all. You should get knowledge from those enlightened scholars and teachers who are twice-born, i.e. those who are born twice in life, one in Pitrukula and then in Acharyakula to attain knowledge. Who are truthful. Who are associated with different disciplines of knowledge. Those who work for the betterment of others. man! By being united with such enlightened scholars, your life too will become blissful. (Rig Veda 6-50-2)
Mahashivratri- शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर न चढ़ाए ये चीजें
शिवलिंग पर ना चढ़ाएं ये चीजें
भारत
चेतना मंच
02 Dec 2025 03:17 AM
Mahashivratri- आज पूरे देश में शिवरात्रि का पवित्र त्यौहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस पर्व पर भगवान शिव की उपासना की जाती है। प्रति वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
शिवरात्रि के पवित्र पर्व पर भगवान शिव के लिए व्रत रखा जाता है। इस पर्व पर व्रत रखने वाले भक्तों के लिए कुछ खास नियम होते हैं। आइए जानते हैं वह नियम कौन से हैं?
स्नाननादि के उपरांत ही कुछ ग्रहण करें -
शिवरात्रि के पर्व पर आप व्रत हो अथवा ना हो लेकिन बगैर स्नान के कुछ भी ग्रहण ना करें। स्नान करने के उपरांत भगवान शिव की उपासना करें। इसके बाद ही कुछ ग्रहण करें।
आज के दिन काला वस्त्र ना करें धारण -
शिवरात्रि के पर्व पर काला वस्त्र धारण करने से बचें। इस दिन काला वस्त्र पहनना अशुभ माना जाता है।
ऐसे ले व्रत का संकल्प-
शिवरात्रि के पर्व पर सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करने के उपरांत स्वच्छ वस्त्र पहन कर भगवान शिव की आराधना करें और व्रत का संकल्प लें। व्रती पूरे दिन दाल, चावल अथवा गेहूं इत्यादि से बने खाद्य पदार्थों को खाने से बचें, सिर्फ फलाहार का सेवन करें। इस बात का ध्यान रहे कि आप फलाहार का सेवन सिर्फ सूर्यास्त के पहले तक कर सकते हैं। सूर्यास्त के बाद कुछ भी ग्रहण करने से बचें।
रात के समय करें जागरण -
जो भक्त शिवरात्रि के पर्व पर व्रत रखते हैं, उन्हें रात्रि के समय शिव भजन और जागरण करना चाहिए। व्रत के अगले सुबह स्नान इत्यादि करने के उपरांत शिव उपासना करनी चाहिए। इसके बाद अपना व्रत खोलना चाहिए।
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के पर्व पर भगवान शिव के लिंग की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करने का प्रावधान है। रुद्राभिषेक के दौरान शिवलिंग पर कई चीजें अर्पित की जाती है। पर कुछ ऐसी भी चीजें हैं जिन्हें शिवलिंग पर अर्पित करने से बचना चाहिए। जानते हैं वह चीजें कौन सी है?
शिवलिंग पर ना चढ़ाएं तुलसी के पत्ते -
रुद्राभिषेक के लिए सदैव चांदी अथवा कांसे के पात्र का इस्तेमाल करना चाहिए। शिवलिंग पर कच्चा और ठंडा दूध ही अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही शिवलिंग पर भूलकर भी तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए।
इन पुष्पों को कभी न चढ़ाए शिवलिंग पर -
रुद्राभिषेक के दौरान अथवा कभी भी शिवलिंग पर केतकी अथवा चंपे का फूल अर्पित नहीं करना चाहिए। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि चंपा तथा केतकी के फूल को शिव का श्राप मिला है, यही वजह है कि शिव पूजन के दौरान इन पुष्पों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
शिवलिंग पर ना लगाएं कुमकुम का तिलक -
पूजा के दौरान कुमकुम के तिलक लगाने का प्रावधान होता है। लेकिन शिवलिंग पर कभी भी कुमकुम का तिलक नहीं लगाना चाहिए। शिवलिंग पर आप चंदन का तिलक लगा सकते हैं।
शिवजी की पूजा में तीन पत्तों वाले बेलपत्र का इस्तेमाल बहुत ही पवित्र माना जाता है। परंतु कभी भी कटे-फटे बेलपत्र का इस्तेमाल पूजा के लिए नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले अक्षत में भी टूटे हुए चावल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। साबुत चावल को ही अक्षत के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए।
भारत
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02 Dec 2025 03:17 AM
Mahashivratri- आज पूरे देश में शिवरात्रि का पवित्र त्यौहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस पर्व पर भगवान शिव की उपासना की जाती है। प्रति वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
शिवरात्रि के पवित्र पर्व पर भगवान शिव के लिए व्रत रखा जाता है। इस पर्व पर व्रत रखने वाले भक्तों के लिए कुछ खास नियम होते हैं। आइए जानते हैं वह नियम कौन से हैं?
स्नाननादि के उपरांत ही कुछ ग्रहण करें -
शिवरात्रि के पर्व पर आप व्रत हो अथवा ना हो लेकिन बगैर स्नान के कुछ भी ग्रहण ना करें। स्नान करने के उपरांत भगवान शिव की उपासना करें। इसके बाद ही कुछ ग्रहण करें।
आज के दिन काला वस्त्र ना करें धारण -
शिवरात्रि के पर्व पर काला वस्त्र धारण करने से बचें। इस दिन काला वस्त्र पहनना अशुभ माना जाता है।
ऐसे ले व्रत का संकल्प-
शिवरात्रि के पर्व पर सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करने के उपरांत स्वच्छ वस्त्र पहन कर भगवान शिव की आराधना करें और व्रत का संकल्प लें। व्रती पूरे दिन दाल, चावल अथवा गेहूं इत्यादि से बने खाद्य पदार्थों को खाने से बचें, सिर्फ फलाहार का सेवन करें। इस बात का ध्यान रहे कि आप फलाहार का सेवन सिर्फ सूर्यास्त के पहले तक कर सकते हैं। सूर्यास्त के बाद कुछ भी ग्रहण करने से बचें।
रात के समय करें जागरण -
जो भक्त शिवरात्रि के पर्व पर व्रत रखते हैं, उन्हें रात्रि के समय शिव भजन और जागरण करना चाहिए। व्रत के अगले सुबह स्नान इत्यादि करने के उपरांत शिव उपासना करनी चाहिए। इसके बाद अपना व्रत खोलना चाहिए।
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के पर्व पर भगवान शिव के लिंग की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करने का प्रावधान है। रुद्राभिषेक के दौरान शिवलिंग पर कई चीजें अर्पित की जाती है। पर कुछ ऐसी भी चीजें हैं जिन्हें शिवलिंग पर अर्पित करने से बचना चाहिए। जानते हैं वह चीजें कौन सी है?
शिवलिंग पर ना चढ़ाएं तुलसी के पत्ते -
रुद्राभिषेक के लिए सदैव चांदी अथवा कांसे के पात्र का इस्तेमाल करना चाहिए। शिवलिंग पर कच्चा और ठंडा दूध ही अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही शिवलिंग पर भूलकर भी तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए।
इन पुष्पों को कभी न चढ़ाए शिवलिंग पर -
रुद्राभिषेक के दौरान अथवा कभी भी शिवलिंग पर केतकी अथवा चंपे का फूल अर्पित नहीं करना चाहिए। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि चंपा तथा केतकी के फूल को शिव का श्राप मिला है, यही वजह है कि शिव पूजन के दौरान इन पुष्पों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
शिवलिंग पर ना लगाएं कुमकुम का तिलक -
पूजा के दौरान कुमकुम के तिलक लगाने का प्रावधान होता है। लेकिन शिवलिंग पर कभी भी कुमकुम का तिलक नहीं लगाना चाहिए। शिवलिंग पर आप चंदन का तिलक लगा सकते हैं।
शिवजी की पूजा में तीन पत्तों वाले बेलपत्र का इस्तेमाल बहुत ही पवित्र माना जाता है। परंतु कभी भी कटे-फटे बेलपत्र का इस्तेमाल पूजा के लिए नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले अक्षत में भी टूटे हुए चावल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। साबुत चावल को ही अक्षत के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए।