Shradh 2022: श्राद्ध कब से शुरू हो रहे हैं? यहा जानें तर्पण की तिथियां और महत्व

Shradh 2022
Shradh 2022
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 Sep 2022 04:48 PM
bookmark

Shradh 2022 हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बेहद ही महतवपूर्ण माना जाता है। पितृ पक्ष यानि श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों यानि पूर्वजों को याद किया जाता और और उनके प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करते हुए उनके निमित्त तर्पण किया जाता है। कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष में हमारे पितृगण भूमि लोक में भ्रमण करते हैं और हमारे द्वारा उन्हें अर्पित की गई सामग्री को स्वीकार करते हैं।

Shradh 2022

पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूरे विधि-विधान के साथ उनका तर्पण व पिंडदान करना चाहिए। इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

पंचांग के अनुसार इस बार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 10 सितंबर 2022 को है। इस दिन से ही पितृ पक्ष की शुरुआत होगी और इसका समापन 25 सितंबर 2022 को होगा।

श्राद्ध पक्ष 2022 की तिथिया पूर्णिमा श्राद्ध दृ 10 सितंबर, शनिवार

द्वितीया श्राद्ध -11 सितंबर, रविवार

तृतीया श्राद्ध - 12 सितंबर, सोमवार

चतुर्थी श्राद्ध - 13 सितंबर, मंगलवार

पंचमी श्राद्ध - 14 सितंबर, बुधवार

षष्ठी श्राद्ध - 15 सितंबर, बृहस्पतिवार

सप्तमी श्राद्ध - 16 सितंबर, शुक्रवार

अष्टमी श्राद्ध -18 सितंबर, शनिवार

नवमी श्राद्ध - 19 सितंबर, रविवार

दशमी श्राद्ध - 20 सितंबर, सोमवार

एकादशी श्राद्ध - 21 सितंबर, मंगलवार

द्वादशी/संन्यासियों का श्राद्ध - 22 सितंबर, बुधवार

त्रयोदशी श्राद्ध - 23 सितंबर, बृहस्पतिवार

चतुर्दशी श्राद्ध - 24 सितंबर, शुक्रवार

अमावस्या श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या दृ 25 सितंबर, शनिवार

श्राद्ध पक्ष का महत्व पितृ पक्ष यानि श्राद्ध के दौरान पूर्वजों का तर्पण किया जाता है और इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है. कहते हैं कि तर्पण से ही पितरों को मुक्ति मिलती है और वह अपना आशीर्वाद देते हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज धरती पर आते हैं और हमारे आस-पास मौजूद होते हैं. यदि विधि-विधान से उनका श्राद्ध किया जाए तो वह पितरों को मुक्ति मिलती है.

अगली खबर पढ़ें

Shradh 2022: श्राद्ध कब से शुरू हो रहे हैं? यहा जानें तर्पण की तिथियां और महत्व

Shradh 2022
Shradh 2022
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 Sep 2022 04:48 PM
bookmark

Shradh 2022 हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बेहद ही महतवपूर्ण माना जाता है। पितृ पक्ष यानि श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों यानि पूर्वजों को याद किया जाता और और उनके प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करते हुए उनके निमित्त तर्पण किया जाता है। कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष में हमारे पितृगण भूमि लोक में भ्रमण करते हैं और हमारे द्वारा उन्हें अर्पित की गई सामग्री को स्वीकार करते हैं।

Shradh 2022

पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूरे विधि-विधान के साथ उनका तर्पण व पिंडदान करना चाहिए। इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

पंचांग के अनुसार इस बार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 10 सितंबर 2022 को है। इस दिन से ही पितृ पक्ष की शुरुआत होगी और इसका समापन 25 सितंबर 2022 को होगा।

श्राद्ध पक्ष 2022 की तिथिया पूर्णिमा श्राद्ध दृ 10 सितंबर, शनिवार

द्वितीया श्राद्ध -11 सितंबर, रविवार

तृतीया श्राद्ध - 12 सितंबर, सोमवार

चतुर्थी श्राद्ध - 13 सितंबर, मंगलवार

पंचमी श्राद्ध - 14 सितंबर, बुधवार

षष्ठी श्राद्ध - 15 सितंबर, बृहस्पतिवार

सप्तमी श्राद्ध - 16 सितंबर, शुक्रवार

अष्टमी श्राद्ध -18 सितंबर, शनिवार

नवमी श्राद्ध - 19 सितंबर, रविवार

दशमी श्राद्ध - 20 सितंबर, सोमवार

एकादशी श्राद्ध - 21 सितंबर, मंगलवार

द्वादशी/संन्यासियों का श्राद्ध - 22 सितंबर, बुधवार

त्रयोदशी श्राद्ध - 23 सितंबर, बृहस्पतिवार

चतुर्दशी श्राद्ध - 24 सितंबर, शुक्रवार

अमावस्या श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या दृ 25 सितंबर, शनिवार

श्राद्ध पक्ष का महत्व पितृ पक्ष यानि श्राद्ध के दौरान पूर्वजों का तर्पण किया जाता है और इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है. कहते हैं कि तर्पण से ही पितरों को मुक्ति मिलती है और वह अपना आशीर्वाद देते हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज धरती पर आते हैं और हमारे आस-पास मौजूद होते हैं. यदि विधि-विधान से उनका श्राद्ध किया जाए तो वह पितरों को मुक्ति मिलती है.

अगली खबर पढ़ें

Ganesh Chaturthi 2022 गणेश चतुर्थी आज, यहां जाने शुभ मुहूर्त और स्थापना विधि, कथा

Happy Ganesh Chaturthi 1
Ganesh Chaturthi 2022
locationभारत
userचेतना मंच
calendar31 Aug 2022 03:38 PM
bookmark

Ganesh Chaturthi 2022 : भगवान गणेश सर्वप्रथम पूजनीय देवता हैं। आज गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) है। सभी लोग आज अपने अपने घरों और गली मोहल्लों में गणेश जी की स्थापना करेंगे। गणेश चतुर्थी का यह पर्व दस दिन तक मनाया जाता है, जिसे गणेशोत्सव भी कहते हैं। दसवें दिन विधि विधान से गणेश जी का विर्सजन किया जाता है। पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस साल गणेश स्थापना का क्या मुहूर्त है और किस तरह से गणेश जी की स्थापना की जाएगी, यहां पर इसकी पूरी जानकारी दी गई है।

Ganesh Chaturthi 2022

गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि की शुरुआत 30 अगस्त 2022 को दोपहर 03 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर 31 अगस्त 2022 को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट पर खत्म हो जाएगा। पद्म पुराण के अनुसार भगवान श्री गणेश का जन्म स्वाति नक्षत्र में मध्य काल में हुआ था, इसी वजह से 31 अगस्त यानि आज भगवान श्री गणेश की पूजा करना शुभ और लाभकारी होगा।

गणपति स्थापना विधि यदि आप घर में ही भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करके उनकी पूजा करना चाहते हैं, तो आप मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें की मूर्ति खंडित नहीं होनी चाहिए। भगवान के हाथों में अंकुश, पास, लड्डू, सूंड, धुमावदार और हाथ वरदान देने की मुद्रा में होनी चाहिए। भगवान श्री गणेश के शरीर पर जनेऊ और उनका वाहन चूहा जरूर होना चाहिए। ऐसी प्रतिमा की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले आप सूर्य उदय होने से पहले नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। अब पूजा का संकल्प लेते हुए भगवान श्री गणेश का स्मरण करते हुए अपने कुलदेवता का मनन करें। अब पूजा स्थल के स्थान पर पूर्व की दिशा में मुंह करके आसन पर बैठ जाए। अब एक चौकी पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर एक थाली में चंदन, कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। थाली पर बने स्वास्तिक के निशान के ऊपर भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करते हुए पूजा शुरू करें। पूजा करने के बाद इस मंत्र का जाप करें। गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥

भगवान श्री गणेश का आवाहन करते हुए चौकी पर रखें प्रतिमा के सामने ऊं गं गणपतये नमरू का मंत्र का जाप करते हुए जल डालें। अब गणेश जी को हल्दी, चावल, चंदन, गुलाब, सिंदूर, मौली, दूर्वा,जनेऊ, मिठाई, मोदक, फल, माला और फूल अर्पित करें। अब भगवान श्री गणेश के साथ-साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा करें। पूजा में धूप दीप करते हुए सभी की आरती करें। आरती करने के बाद 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। जिसमें से 5 लड्डू भगवान श्री गणेश की मूर्ति के पास रखें। बाकी लड्डू को ब्राह्मण और अन्य लोगों को प्रसाद के रूप में दें वितरण कर दें। पूजा के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें। पूजा करने के बाद इस मंत्र का जाप जरूर करें। विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय । नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।

गणेश चतुर्थी की कथा पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। माता पार्वती ने वहां भगवान शिव से चौपड़ खेलने को कहा। भगवान शिव भी इस खेल को खेलने के लिए तैयार हो गए। लेकिन इस खेल में होने वाले हार-जीत का निर्णय कौन लेगा यह समझ नहीं आ रहा था, इसलिए भगवान शिव ने कुछ तीनके को इकट्ठा करके एक पुतला बनाया और उसमें जान डाल दी। जान डालते ही वह पुतला एक बालक बन गया। उसी बालक को इस खेल का निर्णय लेना था।

अब भगवान शिव और माता पार्वती चौपड़ का खेल शुरू कर दिए। तीन बार चौपड़ का खेल खेला गया। हर बार माता पार्वती जीती, लेकिन भगवान शिव द्वारा निर्मित उस बालक ने भगवान शिव को ही विजय बताया। इस बात को सुनकर माता पार्वती बेहद क्रोधित हो गई और उन्होनें क्रोध में आकर उस बालक को लंगड़ा होने और कीचड़ में कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया। बालक ने माता पार्वती से बहुत माफी मांगी। बालक के बार-बार क्षमा मांगने पर माता पार्वती ने उस बालक से कहा, कि यहां गणेश पूजन के लिए नागकन्या आएंगी उनके कहें अनुसार तुम भगवान श्री गणेश का व्रत पूरी श्रद्धा पूर्वक रखना। इस व्रत के प्रभाव से तुम इस श्राप से मुक्त हो जाओगें।

एक वर्ष के बाद उस स्थान पर नागकन्या आई। तब उस बालक ने नागकन्याओं से गणपति बप्पा के व्रत का विधि-विधान पूछा। उनके बताए अनुसार उस बालक ने 21 चतुर्थी तक बप्पा का व्रत किया। बालक की भक्ति को देखकर गणपति बप्पा बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने उस बालक को मनोवांछित वर मांगने को कहा। तब उस बालक नें सिद्धिविनायक से कहां श्हे प्रभुश् मुझे इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर जा सकूं। तब बप्पा ने तथास्तु कहा।

भगवान श्री गणेश के तथास्तु कहने के बाद वह बालक अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पहुंचा। वहां उसने भगवान शिव को अपने ठीक होने की पूरी बात बताई। बालक की बात सुनकर भगवान शिव ने भी माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए 21 चतुर्थी का व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से माता पार्वती भी प्रसन्न हो गई। इसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को इस व्रत की पूरी महिमा बताई। इस बात को सुनकर माता पार्वती की मन में अपने बड़े पुत्र कार्तिक से मिलने की प्रबल इच्छा जाग उठी।

तब माता पार्वती ने भी 21 चतुर्थी का व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से भगवान कार्तिकेय माता पार्वती से मिलने स्वयं आ गए। तभी से यह व्रत संसार में विख्यात हो गया और इसे हर मनोकामना को पूर्ण करने वाला व्रत माना जाने लगा। ऐसा कहा जाता है, कि यदि कोई व्यक्ति 21 चतुर्थी का व्रत पूरी श्रद्धा पूर्वक करें, तो बप्पा उसकी हर मनोकामना अवश्य पूर्ण कर देते हैं।

बन रहे हैं राजयोग वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल गणपति के जन्म काल के समय वीणा, वरिष्ठ, उभयचरी और अमला नाम के योग बन रहे हैं। इन पांच राजयोगों के बनने से इस बार गणेश स्थापना बेहद शुभ रहेगी। साथ ही इन योंगों को ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए ये योग बनने से कुछ राशि के जातकों को अच्छा धनलाभ हो सकता है।

गणेश जी को प्रसन्न करने का मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥