Special Story : 70 प्रतिशत युवाओं की हो रही हैं हड्डियां कमजोर, डरा रहे रिसर्च के आंकड़े

WhatsApp Image 2023 05 24 at 1.54.32 PM
Special Story: Bones of 70 percent youth are getting weak, research figures are frightening
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 03:30 PM
bookmark
  Special Story :  चेतना मंच हेल्थ डेस्क। रोज-रोज ईजाद होती नई तकनीक ने जिंदगी आसान कर दी है, लेकिन इसी तकनीक की अधिकता ने युवाओं को कई बीमारियों में भी धकेल दिया है। यही बीमारियां ही हैं, जो युवाओं को वक्त से पहले बूढ़ा कर रही है। आजकल हर काम तकनीक से हो रहा है, इसलिए युवा अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को भी तकनीक के जरिए ही अंजाम दे रहा है। इस कारण 70 प्रतिशत युवाओं की हड्डियां कमजोर हो चुकी हैं। ये बात विभिन्न रिसर्च में उजागर हुई हैं। इसमें सबसे ज्यादा वो आबादी जो शहरी क्षेत्र में रहती हैं। अधिकतर युवा 30 से 40 वर्ष की उम्र में ही विभिन्न जोड़ों के दर्द या गठिया रोग से पीड़ित हो रहे हैं। युवाओं के अंदर विटामिन डी की बड़ी कमी पाई गई है और विटामिन डी की कमी के कारण ही उनको जोड़ों के दर्द से गुजरना पड़ रहा है।

Special Story :

  क्या कहती हैं रिसर्च लंदन की क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी ने दुनियाभर के युवाओं पर शोध करने और दुनियाभर के प्रमुख हॉस्पिटल से एक डाटा कलेक्ट करपे के पश्चात एक शोध में बताया कि युवाओं के अंदर कैल्शियम व विटामिन डी की बड़ी कमी के कारण उनको जोड़ों के विभिन्न दर्दों से गुजरना पड़ रहा है। ये दर्द दरअसल गठिया यानी ऑस्टियोपोरोसिस की निशानी हैं। करीब 70 प्रतिशत युवाओं की हड्डियां कमजोर हो चुकी हैं। इसमें सबसे ज्यादा वो आबादी जो शहरी क्षेत्र में रहती हैं। अधिकतर युवा 30 से 40 वर्ष की उम्र में ही विभिन्न जोड़ों के दर्द या गठिया रोग से पीड़ित हो रहे हैं। वहीं रांची के रिम्स की क्लिनिकल स्टडी में यह बात सामने आई है कि इन दिनों युवाओं में सबसे अधिक समस्या ज्वाइंट पेन, फ्रोजन आर्म को लेकर है। हड्डियों से जुड़ी समस्या लेकर हर दिन ओपीडी में 40 से 60 प्रतिशत युवा पहुंच रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन के मुताबिक 2003 में भारत में इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या 2.6 करोड़ थी, जिनमें लगभग 40 हजार युवा थे। ये संख्या 2013 में बढ़कर 4.6 करोड़ हो गई, जिनमें करीब एक करोड़ से ज्यादा युवा थे। लेकिन पिछले दस सालों में इस संख्या में कई गुना बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। 2023 में ये संख्या बढ़कर 15 करोड़ हो गई है, जिनमें युवाओं की संख्या 5 करोड़ आंकी गई है। ये आंकड़े वाकई डराने वाले हैं। 95 प्रतिशत मरीजों में विटामिन-डी की कमी शीशे से बंद एयरकंडीशनिंग वाले घर और दफ्तर भले ही आरामदायक महसूस होते हों, लेकिन ये आपकी हड्डियों को खोखला बना रहे हैं। आधुनिक जीवन शैली की प्रतीक माने जाने वाले ऐसे घर और दफ्तर न केवल ताजा हवा, बल्कि धूप से भी लोगों को वंचित करते हैं, जिस कारण शरीर में विटामिन-डी की कमी होती है और हड्डियां कमजोर होती हैं। नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ अस्थि शल्य चिकित्सक डॉ. राजू वैश्य ने देश के अलग-अलग शहरों में जोड़ों में दर्द एवं गठिया (अर्थराइटिस) के एक हजार मरीजों पर अध्ययन कर पाया कि ऐसे मरीजों में से 95 प्रतिशत मरीजों में विटामिन-डी की कमी होती है और इसका एक मुख्य कारण पर्याप्त मात्रा में धूप न मिलना है, जो विटामिन-डी का मुख्य स्रोत है। युवाओं में बढ़ रहा हड्डी रोग मेदांता अस्पताल के आर्थाेपेडिक्स सर्जन डॉ नीलेश मिश्रा बताते हैं कि लोग हड्डी की बीमारियों में 60 प्रतिशत तक बीमारी दर्द को लेकर आते हैं। पहले हड्डियों से जुड़ी जो बीमारी बुढ़ापे में होती थी वह अब युवाओं में भी होने लगी हैं। ऐसे में जरूरत है कि लोगों को हड्डियों के स्वास्थ्य को लेकर जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि हड्डियों के स्वास्थ्य को लेकर महिलाओं को खासतौर से जागरूक होना होगा। आज भी ज्यादातर महिलाएं अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देती हैं। वे पूरे घर का ख्याल रखती हैं लेकिन खुद का नहीं। खानपान की गलत आदत भी जिम्मेदार आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. राजू वैश्य के अनुसार, बचपन में खानपान की गलत आदतों व कैल्शियम की कमी के कारण गठिया यानी आर्थराइटिस के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस की भी संभावना बहुत अधिक होती है। ऑस्टियोपोरोसिस में कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियों का घनत्व एवं अस्थि मज्जा बहुत कम हो जाता है। साथ ही हड्डियों की बनावट भी खराब हो जाती है, जिससे हड्डियां अत्यंत भुरभुरी और अति संवेदनशील हो जाती हैं। इस कारण हड्डियों पर हल्का दबाव पड़ने या हल्की चोट लगने पर भी वे टूट जाती हैं। सबसे ज्यादा चिंता की बात है कि वर्तमान पीढ़ी कम कैल्शियम वाला आहार और विटामिन-डी की अपर्याप्त मात्रा ले रही है, जिससे उनमें हड्डियों का घनत्व कम और हड्डियां कमजोर हो रही हैं। बिना परामर्श ली गई दवा दे रही दर्द को दावत जाने-माने रोबोटिक सर्जन डा. आशीष सिंह बताते हैं कि बिना कारण जाने मेडिकल स्टोर से दर्द निवारक गोलियों से इलाज करने के कारण 40 साल पहुंचते-पहुंचते समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती हैं। ऐसे में बेहतर है कि किसी भी प्रकार का दर्द, झनझनाहट होने पर हड्डी या न्यूरो सर्जन से मिलकर परामर्श लें और सभी हड्डियों की गुणवत्ता बताने वाले डेक्सा स्कैन जैसी आवश्यक जांच कराने के बाद ही दवाएं लें। शरीर में कहीं भी दर्द-झनझनाहट हो तो खुद से दवा लेने के बजाय डाक्टर से मिलकर आवश्यक जांच जरूर कराएं। हर दर्द का एक कारण होता है और उसकी जानकारी होना जरूरी है। यदि जोड़ में दर्द हो रहा है तो शुरुआत में ही डाक्टर से मिले ताकि प्लाज्मा रिच प्लेटलेट्स और दवाओं आदि देकर घुटने के घिसने की समस्या का निदान किया जा सके। सुबह उठकर यदि शरीर, हाथ-पैर में दर्द, कड़ापन, कमर में दर्द या पैरों में झुनझुनाहट हो तो हड्डी या नस रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। धूप लेना है बहुत जरूरी रांची स्थित रिम्स के डॉक्टर एलबी मांझी बताते हैं कि स्कूल, कालेज, घर और कार्यालय में ज्यादातर समय बीताने के कारण बच्चों से लेकर युवा वर्ग नियमित एक्सरसाइज, खेलकूद से दूर हो जाते हैं। धूप में न निकलने के कारण विटामिन डी भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है। इससे हड्डियां कमजोर होती जाती हैं। इसके अलावा कोरोना के बाद भी इस तरह की समस्या काफी देखने को मिल रही है, हालांकि इस पर शोध किया जा रहा है, जिसके बाद ही कुछ सटीक परिणाम निकल सकते हैं। डॉ. राजू वैश्य बताते हैं कि दरअसल विटामिन-डी का मुख्य स्रोत सूर्य की रोशनी है, जो हड्डियों के अलावा पाचन क्रिया में भी बहुत उपयोगी है। व्यस्त दिनचर्या और आधुनिक संसाधनों के कारण लोग तेज धूप नहीं ले पाते। खुले मैदान में घूमना-फिरना और खेलना भी बंद हो गया। इस कारण धूप के जरिए मिलने वाला विटामिन-डी उन तक नहीं पहुंच पाता। जब भी किसी को घुटने या जोड़ में दर्द होता है, तो उसे लगता है कि कैल्शियम की कमी हो गई है, जबकि विटामिन-डी की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। डॉ. वैश्य का कहना है अगर कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन-डी की भी समय पर जांच करवा ली जाए तो आर्थराइटिस को बढ़ने से रोका जा सकता है। 1 किलो वजन बढ़ने से घुटने में 7 किलो बोझ कनपुर के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. एके अग्रवाल ने बताया कि यदि शरीर का 1 किलो वजन बढ़ता है तो घुटने पर कम से कम 7 किलो वजन एक्स्ट्रा पड़ने लगता है। घुटनों पर जितना वजन बढ़ता जाएगा, उतना ही आपको चलने फिरने में समस्या खड़ी होगी। गठिया की समस्या 30 से 40 उम्र के युवाओं में भी हो रही है, जबकि पहले के समय में ऐसा बिल्कुल नहीं था। शहरी इलाकों की बात करें तो गठिया बाई से 80 प्रतिशत लोग परेशान है, जबकि ग्रामीण इलाके में महज 10 प्रतिशत लोग ही पीड़ित हैं। लोगों को अपनी लाइफ स्टाइल में बदलाव करना पड़ेगा नहीं तो आने वाली पीढ़ियां इस से बहुत प्रभावित होने वाली है। जोड़ों की सुरक्षा को रखें इन बातों का ध्यान जीवनशैली को बचपन से लेकर बुढ़ापे तक सक्रिय रखें यानी हल्के-फुल्के ही सही शारीरिक श्रम वाले काम करते रहें। जोड़ों को सपोर्ट देने वाली मांसपेशियां मजबूत रहें इसके लिए जीवनशैली में मार्निंग वाक, नियमित व्यायाम और योग को शामिल करें। दूध या दूध से बने उत्पादों के अलावा हर दिन कम से कम आधे घंटे धूप की ङ्क्षसकाई जरूरी है। गर्दन में दर्द व आंखों से पानी निकलने या सूखेपन से बचाव के लिए मोबाइल और लैपटाप का अधिक प्रयोग नहीं करें। कार्यालय में कुर्सी की बैक से पीठ सटाकर सही तरीके से बैठें। यदि लकड़ी वाली कुर्सी हो तो सबसे बेहतर है। अपनाएं ये खान-पान हड्डियों के लिए जरूरी आहार जैसे दूध और इसके उत्पाद, दाल, हरी सब्जियां खाने में लेना चाहिए। अगर शाकाहारी नहीं हैं तो, रोज एक अंडा आदि खाना चाहिए। महिलाओं को ज्यादा प्रोटीन, कैल्सियम और विटामिन डी की जरूरत है। हड्डियों के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देने के कारण ही ज्यादातर महिलाएं उम्र बढ़ने पर घुटने और मांसपेशियों के दर्द से परेशान रहती हैं। यदि आप रोजाना धूप लेते हैं और मोटे अनाज का सेवन करते हैं जैसे मक्का, जौ, चना, बाजरा, ज्वार आदि। इसके सेवन से आपको हड्डी से संबंधित दिक्कत कभी नहीं होगी। लोगों को मोटे अनाज का महत्व समझना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने बताया कि पैक चीजें चिप्स, कोल्ड ड्रिंक, जंक फूड या पैक खाना आदि नहीं खानी चाहिए।

Sexual Relations : यौन संबंध बनाने में भारतीय लड़कियां हैं लड़कों से आगे, जाने NFHS की रिपोर्ट

अगली खबर पढ़ें

Sexual Relations : यौन संबंध बनाने में भारतीय लड़कियां हैं लड़कों से आगे, जाने NFHS की रिपोर्ट

WhatsApp Image 2023 05 24 at 3.04.07 PM e1700553113255
Bulandshahr News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:33 AM
bookmark
    सैय्यद अबू साद Sexual Relations :  चेतना मंच स्पेशल। भारत में ज्यदातर लोग अभी भी सेक्स पर बात करने से बचते हैं, लेकिन जब बात यौन संबंध बनाने की आती है तो इनमें से वे पीछे भी नहीं हटते। इसी संबंध में अब एक रिपोर्ट आई है। एक दशक पहले भारत ने बाल यौन शोषण के मामलों से निपटने के लिए एक सख्त नया कानून पेश किया था। अब सहमति से यौन संबंध बनाने वाले किशोरों के बीच इसे अपराध की श्रेणी से बाहर करने की मांग जोर पकड़ रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण यानी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के ताजा आंकड़े ये बताते हैं कि भारत में लोग कच्ची उम्र में यौन संबंध बना रहे हैं। 39 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय महिलाओं ने 18 साल की उम्र से पहले यौन संबंध बनाए हैं। भारतीय महिलाएं कम उम्र में ही सेक्सुअली एक्टिव हो जाती हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट में ये बताया गया कि 18 साल में यौन संबध बनाने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। 25-49 आयु वर्ग में 10 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने 15 साल की उम्र से पहले सेक्सुअल रिलेशन बनाए हैं। चूंकि यह भारत सरकार का किया हुआ सर्वे है और आज की सरकार कमउम्र में सेक्स को बढ़ावा देने वाली तो है नहीं, इसलिए यह मानने की कोई वजह नहीं हो सकती कि यह सर्वे गलत होगा। दूसरी बात, इस सर्वे में ही यह लिखा गया है कि ये आंकड़े पूरी तरह से लोगों से बातचीत पर आधारित हैं, और भारत में महिलाएं और लड़कियां इस तरह के रिश्ते पर बात करने में हिचकिचाती हैं, इसलिए हो सकता है कि जितने आंकड़े बताए गए हैं, उनमें आधे छुपा लिए गए हों।

Sexual Relations :

  क्या है राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण यानी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे कुछ सालों के अंतराल पर सर्वे कराता है। इस सर्वे में परिवार से जुड़े कई आंकड़े पेश किए जाते हैं। इस तरह के सर्वे से यह पता लगाया जाता है कि सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। ऐसे मामलों में कम कंडोम का यूज होना एचआईवी/एड्स के जोखिम को बढ़ाता है। इसके अलावा ये रिपोर्ट देश की सामाजिक-आर्थिक विशेषता, सरकार के लिए नीति निर्माण और सरकारी योजनाओं को क्रियान्वित करने के काम आती है। ऐसा ही एक आंकड़ा अभी सामने आया है जिसके मुताबिक भारत में महिलाओं के सेक्स पार्टनर्स, पुरुषों से ज्यादा हैं। ये सर्वे देश के 707 जिलों में हुआ। इस सर्वे में करीब 1.6 लाख महिलाएं और 4 लाख पुरुषों को शामिल किया गया। शहर की महिलाओं और विवाहित महिलाओं की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का बड़ा हिस्सा, जिन्होंने कभी शादी नहीं की, तलाकशुदा या विधवा हैं। उन्होंने कहा कि सर्वे से 12 महीनों में उन्होंने दो या दो से ज्यादा लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं। इसी सर्वे में एक बात और सामने आयी है। सर्वे के मुताबिक महिलाओं की तुलना में पुरुषों ने उन महिलाओं के साथ संबंध बनाए हैं जिनके न तो जीवनसाथी थे और न ही उनके साथ वे रह रहे थे। इन 11 राज्यों में महिलाओं के सेक्स पार्टनर ज्यादा सर्वे के मुताबिक, 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं के सेक्स पार्टनर एक से ज्यादा हैं। ये राज्य राजस्थान, हरियाणा, चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मध्य प्रदेश, असम, केरल, लक्षद्वीप, पुडुचेरी और तमिलनाडु हैं। सर्वे के मुताबिक, राजस्थान में महिलाओं के औसतन 3.1 सेक्स पार्टनर थे, वहीं राजस्थान में पुरुषों की औसतन 1.8 सेक्स पार्टनर थीं। भारतीय महिलाओं की उम्र और सेक्स सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय महिलाओं ने पहली बार 18 साल की उम्र से पहले यौन संबंध बनाया था। 58 प्रतिशत महिलाओं ने 20 साल की उम्र में पहली बार यौन संबध बनाया था। इसके विपरीत पुरुषों ने औसतन 24 वर्ष की आयु में पहली बार यौन संबंध बनाया था, जो महिलाओं के मुकाबले में पांच साल देरी से है। एक प्रतिशत पुरुषों ने 15 साल की उम्र से पहली बार यौन संबंध बनाया था और 7 प्रतिशत ने 18 साल की उम्र से पहले सेक्स किया था। भारत में महिलाओं की शादी पुरुषों के मुकाबले बहुत पहले हो जाती है, जिस उम्र में वे यौन संबंध बनाती हैं, वह काफी कम होती है। महिलाओं ने किस उम्र में पहली बार बनाए यौन संबध आयु समूह 15 से 19 के बीच 1.2 प्रतिशत महिलाओं ने माना 15 साल की उम्र में यौन संबंध बनाए। आयु समूह 20 से 24 के बीच 3.4 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि 15 साल की उम्र पहला यौन संबंध बनाया। आयु समूह 25 से 29 के बीच 6.5 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि 15 साल की उम्र में पहला यौन संबंध बनाया। आयु समूह 30 से 34 के बीच 9.7 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि 15 साल की उम्र में पहला यौन संबंध बनाया। आयु समूह 35 से 39 के बीच 11.3 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि 15 साल की उम्र में पहला यौन संबंध बनाया। आयु समूह 40 से 45 के बीच 12.8 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि 15 साल की उम्र में पहला यौन संबंध बनाया। आयु समूह 45 से 49 के बीच 12.7 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि 15 साल की उम्र में पहला यौन संबंध बनाया। आंकड़ों के मुताबिक कुल 85.7 प्रतिशत महिलाओं ने पहली बार यौन संबंध 25 साल में ही बनाए जाने की बात कही। वहीं 49 साल की कुल 88.6 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उन्होंने 25 साल की उम्र में पहली बार यौन संबंध बनाया था यानी 25 साल में महिलाएं सबसे ज्यादा यौन संबंध बनाती हैं। पुरुषों ने किस उम्र में पहली बार बनाए यौन संबध आयु समूह 15 से 19 के बीच 0.7 प्रतिशत पुरुषों ने माना कि 15 साल की उम्र में यौन संबंध बनाए। आयु समूह 20 से 24 के बीच 0.3 प्रतिशत पुरुषों ने माना कि 15 साल की उम्र में पहला यौन संबंध बनाया। आयु समूह 25 से 29 के बीच 0.6 प्रतिशत पुरुषों ने माना कि 15 साल की उम्र में पहला यौन संबंध बनाया। आयु समूह 35 से 39 के बीच 1.0 प्रतिशत पुरुषों ने माना कि 15 साल की उम्र में पहला यौन संबंध बनाया। आयु समूह 35 से 39 के बीच 1.0 प्रतिशत पुरुषों ने माना कि 15 साल की उम्र में पहला यौन संबंध बनाया। आयु समूह 40 से 45 के बीच 1.1 प्रतिशत पुरुषों ने माना कि 15 साल की उम्र में पहला यौन संबंध बनाया। आयु समूह 45 से 49 के बीच 0.6 प्रतिशत पुरुषों ने माना कि 15 साल की उम्र में पहला यौन संबंध बनाया। आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा 45 से 49 साल के 53.6 प्रतिशत पुरुषों ने ये माना कि उन्होंने 25 साल की उम्र में पहला यौन संबंध बनाया था। वहीं 40 से 44 साल के 53.3 प्रतिशत पुरुषों ने ये माना कि उन्होंने 25 साल की उम्र में पहला यौन संबंध बनाया था। महिलाएं क्यों बना रही कम उम्र में यौन संबंध भारत में स्त्री और पुरुषों के बीच यौन संबंध बनाने को बड़ा अंतर देखा गया। इस अंतर का सबसे बड़ा कारण शादी की उम्र है। आंकड़ों से पता महिलाओं की शादी कम उम्र में कर दी जाती है, इसलिए महिलाएं कम उम्र में यौन संबंध बनाती हैं। इंडियन नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट ये कहती है कि शादी से पहले यौन संबंध अभी भी देश के बड़े हिस्से में वर्जित है। इसलिए पुरुष भी शादी से पहले संबंध बनाने में हिचकिचाते हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि दक्षिण भारत के मुकाबले उत्तर भारतीय ज्यादा एक्टिव यौन जीवन जीते हैं। हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में 55 प्रतिशत से ज्यादा पुरुषों और महिलाओं ने सर्वेक्षण से पहले चार सप्ताह में यौन संबंध बनाने की बात बताई। अन्य राज्य जहां अधिकांश लोगों ने सक्रिय यौन जीवन की बात कही वे मध्य प्रदेश और राजस्थान हैं। सेक्सुअली ज्यादा एक्टिव हैं महिलाएं इंडियन नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर 47 प्रतिशत पुरुषों और 48 प्रतिशत महिलाओं ने पिछले चार हफ्तों में यौन संबंध बनाने की बात स्वीकारी। आंकड़े पूरी तरह से बातचीत पर आधारित थे। सेक्सुअली एक्टिव होने की बात मानने वाले सिंगल पुरुषों का अनुपात 3 प्रतिशत था, जिन्होंने 4 हफ्ते पहले यौन संबंध बनाने की बात मानी। सिंगल महिलाओं में ये आंकड़ा 1 प्रतिशत से भी कम है। पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सेक्सुअली एक्टिव सिंग पुरुषों का अनुपात अपेक्षाकृत 5 प्रतिशत से ऊपर है, जो दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा है। सिंगल महिलाएं व पुरुष किसके साथ बनाते हैं यौन संबंध यौन संबंध रखने वाले सिंगल पुरुषों में से 12 प्रतिशत ने परिचितों के साथ यौन संबंध बनाने की बात बताई, जबकि ऐसे पुरुषों में से 6 प्रतिशत ने सेक्स वर्कर से संबंध बनाने की बात बताई। सिंगल महिलाओं में ऐसे आंकड़े कम देखने को मिले। महिलाओं के एक हिस्से ने ये माना कि वो अपने परिचितों के साथ यौन संबंध बनाती हैं। रिपोर्ट में ये भी जिक्र है कि भारत में महिलाएं और लड़कियां इस तरह के रिशते पर बात करने में हिचकिचाती हैं। हो सकता है कि जितने आंकड़े बताए गए वो आधे छुपा लिए गए हों। शहरी-ग्रामीण इलाकों का फर्क रिसर्च में ये भी सामने आया कि शहरी महिलाएं 25-49 आयु वर्ग में ग्रामीण महिलाओं के मुकाबले लगभग दो साल बाद यौन संबंध बनाती हैं। शहरी महिलाओं ने पहला रिलेशन औसत आयु 20 साल में बनाया, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने 18 साल की उम्र में यौन संबंध बना लिया। अध्ययन में यह भी पाया गया कि अशिक्षित महिलाओं के मुकाबले शिक्षित महिलाओं ने पहली बार देर से यौन संबंध बनाए। ग्रामीण इलाकों में अधिकतर 12वीं के बाद लड़कियों की शादी हो जाती है और वो सेक्सुअली एक्टिव हो जाती हैं। बता दें कि भारत में 253 मिलियन से ज्यादा किशोर हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। सर्वेक्षणों से पता चलता है कि बड़ी संख्या में सेक्सुअली एक्टिव हैं।

‘The Kerala Story’ फेम एक्ट्रेस अदा शर्मा की पर्सनल कॉन्टैक्ट डिटेल ऑनलाइन लीक, मिली ये धमकी

 
अगली खबर पढ़ें

Political News : अशोक द ग्रेट, अकबर द ग्रेट, मोदी द इनॉग्रेट : जयराम रमेश

8 12
Ashoka the Great, Akbar the Great, Modi the Inaugurate : Jairam Ramesh
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:50 AM
bookmark
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने संसद के नए भवन के उद्घाटन को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बृहस्पतिवार को तीखा हमला किया। उसने कहा कि एक व्यक्ति के अहंकार और खुद के प्रचार की आकांक्षा ने देश की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति को इस भवन का उद्घाटन करने के संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है। कांग्रेस की इस टिप्प्णी से एक दिन पहले ही 19 विपक्षी दलों ने मोदी द्वारा संसद के नए भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने की घोषणा की।

Political News

19 दलों ने किया उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान कांग्रेस, वाम दल, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की है। उसने आरोप लगाया कि केंद्र की मौजूदा सरकार के तहत संसद से लोकतंत्र की आत्मा को ही निकाल दिया गया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि संसद के नए भवन का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को करना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो उनकी पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी।

Jammu News : ऐसे हो गई एक ही परिवार के चार लोगों की मौत

राष्ट्रपति को संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि कल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रांची में झारखंड उच्च न्यायालय में देश के सबसे बड़े न्यायिक परिसर का उद्घाटन किया। एक व्यक्ति के अहंकार और स्व-प्रचार की इच्छा ने प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति को 28 मई को नयी दिल्ली में संसद के नए भवन के उद्घाटन के उनके संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि अशोक द ग्रेट, अकबर द ग्रेट, मोदी द इनॉग्रेट।

Political News

यह तो लोकतंत्र पर सीधा हमला है कांग्रेस सहित 19 दलों ने 28 मई को होने वाले समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा के साथ ही मांग की है कि उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नहीं, बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करें। सरकार पर राष्ट्रपति मुर्मू को पूरी तरह दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए 19 दलों ने एक बयान में कहा है कि जब लोकतंत्र की आत्मा को छीन लिया गया है तो उन्हें नए भवन में कोई महत्व नजर नहीं आता। उन्होंने एक संयुक्त बयान में यह आरोप भी लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

Noida News : दादरी में 50 हजार से अधिक परिवार अंधेरे में डूबे, बिजली न आने से भीषण गर्मी में झुलस रहे लोग

बीजेपी ने की विपक्ष की निंदा विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने उनकी निंदा की और उसके इस कदम को भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान करार दिया। राजग के अनुसार, विपक्षी दलों का यह कृत्य केवल अपमानजनक नहीं बल्कि महान राष्ट्र के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।