Airline : लागत में कमी के लिए एयरलाइन कंपनियां साझा एमआरओ सुविधा स्थापित करें : सुरेश प्रभु

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 05:18 AM
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Airline Companies : नई दिल्ली। देश की एयरलाइन कंपनियां अपने बेड़े का विस्तार करने की तैयारी में लगी हैं। ऐसे में पूर्व नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने सुझाव दिया है कि भारतीय एयरलाइन कंपनियों को देश के भीतर ही रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (एमआरओ) के लिए एक साझा सेवा सुविधा स्थापित करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे इन कंपनियों की लागत घटेगी।

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एयर इंडिया द्वारा 17 वर्षों से अधिक के बाद नए विमानों के ऑर्डर देने पर प्रभु ने कहा कि एयरलाइन को लाभदायक खाड़ी मार्गों पर और अधिक उड़ानों का परिचालन करने के साथ पूर्व में अपने संचालन वाले ‘ऐतिहासिक संपर्क’ को बहाल करने का प्रयास करना चाहिए।

प्रभु मार्च, 2018 से मई, 2019 तक नागर विमानन मंत्री थे। उनके कार्यकाल के दौरान घाटे में चल रही एयर इंडिया के पुनरुद्धार के प्रयास भी किए गए। अंततः टाटा समूह ने जनवरी, 2022 में सरकार के विनिवेश कार्यक्रम के तहत एयर इंडिया का अधिग्रहण किया।

प्रभु ने कहा, ‘‘हमें भारत को अंतरराष्ट्रीय विमानन केंद्र बनाने के साथ एक साझा विमानन सुविधा पर भी काम करना चाहिए। इसका इस्तेमाल सभी एयरलाइन कंपनियां कर सकेंगी। भारत में ज्यादातर विमानों को एमआरओ सेवाओं के लिए विदेशों में ले जाना पड़ता है। देश में साझा एमआरओ सुविधा से एयरलाइन कंपनियों का काफी खर्च बचेगा।’’ उन्होंने कहा कि विमानन क्षेत्र काफी चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में एयर इंडिया को अपनी पूरी क्षमता पर काम करना चाहिए। ।

इस सप्ताह की शुरुआत में एयर इंडिया ने एयरबस और बोइंग से 470 विमानों की खरीद के ऑर्डर की घोषणा की है। इसके अलावा एयरलाइन के पास 370 और विमान खरीदने का भी विकल्प होगा।

पूर्व नागर विमानन मंत्री ने कहा, ‘‘विमान का ऑर्डर देना एयर इंडिया के लिए काफी जरूरी था। जेट एयरवेज के ठप होने के बाद एक ‘खालीपन’ आ गया था, जिसे विस्तार ने आंशिक रूप से कुछ भरा है। एयर इंडिया द्वारा बड़ी संख्या में विमानों की खरीद के साथ इस खाली जगह को काफी हद तक भरा जा सकेगा।’’

उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा भारतीय शहरों को हवाई संपर्क से जोड़ने से एयर इंडिया का मुनाफा बढ़ेगा। जेट एयरवेज ने वित्तीय संकट के चलते अप्रैल, 2019 में परिचालन बंद कर दिया था।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार है और बढ़ती हवाई यातायात की मांग को पूरा करने के लिए घरेलू एयरलाइन कंपनियां अपने बेड़े के साथ-साथ परिचालन का विस्तार कर रही हैं।

Business News : भारत में अगले दो-तीन साल में 3,600 करोड़ रुपये का निवेश करेगी आरएचआई मैग्नेसिटा

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Business News : भारत में अगले दो-तीन साल में 3,600 करोड़ रुपये का निवेश करेगी आरएचआई मैग्नेसिटा

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RHI Magnesita to invest Rs 3,600 crore in India in the next two-three years
locationभारत
userचेतना मंच
calendar19 Feb 2023 08:19 PM
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नई दिल्ली। वियना की कंपनी आरएचआई मैग्नेसिटा भारत में अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने और संयंत्रों के आधुनिकीकरण के लिए अगले दो से तीन साल में 3,600 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी के वैश्विक मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) स्टीफन बोर्गस ने यह जानकारी दी।

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बोर्गस ने बताया कि कंपनी ने 3,600 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय के एक हिस्से का इस्तेमाल भारत में दो रिफ्रैक्टरी संपत्तियों के अधिग्रहण में किया है। सीईओ ने कहा कि हमने भारत में निवेश के लिए 3,600 करोड़ रुपये रखे हैं। इस राशि का इस्तेमाल भारत में अधिग्रहण और पुरानी सुविधाओं की क्षमता बढ़ाने पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह निवेश कंपनी अपनी अनुषंगी आरएचआई मैग्नेसिटा इंडिया लि. के जरिये करेगी आरएचआई मैग्नेसिटा इंडिया इस्पात, सीमेंट, गैर-लौह धातु और कांच उद्योग के लिए रिफ्रैक्टरी उत्पादों, प्रणालियों और समाधानों का विनिर्माण और आपूर्ति करती है।

Political News : असली शिवसेना का फैसला तो जनता की अदालत में होगा : संजय कुमार

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कंपनी ने हाल ही में क्रमशः 1,708 करोड़ रुपये और 621 करोड़ रुपये में डालमिया ओसीएल और हाई-टेक केमिकल्स के रिफ्रैक्टरी कारोबार का अधिग्रहण पूरा किया है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Political News : असली शिवसेना का फैसला तो जनता की अदालत में होगा : संजय कुमार

Sanjay kumar
The real Shiv Sena will be decided in the people's court: Sanjay Kumar
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:40 AM
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नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को शिवसेना नाम और इसका चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ आवंटित किया है। उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। वह इसे चुनौती देने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की घोषणा कर चुके हैं। इस विवाद से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस)’ के शोध कार्यक्रम ‘लोकनीति’ के सह-निदेशक संजय कुमार से पांच सवाल और उनके जवाब :

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सवाल : शिंदे नीत गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दिये जाने पर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या है? जवाब : निर्वाचन आयोग के इस फैसले पर मुझे कोई आश्चर्य नहीं है। मुझे लगता है कि यह कानूनी तौर पर लिया गया फैसला है। उद्धव ठाकरे गुट दावा करता रहा है कि भले ही निर्वाचित विधायक शिंदे के साथ हों, लेकिन पार्टी के कार्यकर्ता और पार्टी उनके साथ है। इस दावे के लिए प्रमाण की जरूरत थी। लेकिन, देखा यह गया कि निर्वाचित विधायक किसके साथ खड़े हैं। स्पष्ट है जिस तरीके से पार्टी में विभाजन हुआ है, ज्यादातर विधायक शिंदे के साथ हैं और इसी वजह से वह सरकार भी बना पाए हैं। इसलिए निर्वाचन आयोग के फैसले पर मुझे कोई आश्चर्य नहीं है। सवाल : यह विवाद उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में आयोग पर सवाल उठ रहे हैं कि उसे इस प्रकार का फैसला नहीं करना चाहिए था? जवाब : मुझे नहीं लगता कि निर्वाचन आयोग कोई असंवैधानिक फैसला लेगा। असंवैधानिक होता तो निर्वाचन आयोग कभी यह निर्णय नहीं लेता। हां, लेकिन यह सवाल जरूर है कि जब मामला शीर्ष अदालत में है तो आयोग द्वारा नैतिक रूप से ऐसा फैसला लिया जाना चाहिए या नहीं। मुझे लगता नहीं है कि निर्वाचन आयोग ने नियमों को ताक पर रखकर कोई फैसला लिया होगा। मौजूदा सबूतों के आधार पर जाएं तो आयोग ने सही फैसला दिया है। सवाल : महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार को बड़ी ताकत माना जाता है, ऐसे में इस फैसले का वहां की राजनीति पर आप क्या असर देखते हैं?

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जवाब : महाराष्ट्र की राजनीति तो उसी दिन बदल गई थी, जब शिवसेना में विभाजन हुआ था। भले ही उद्धव ठाकरे उस पर पर्दा डालने की बार-बार कोशिश कर रहे थे। एक राजनीतिक विश्लेषक के रूप में मेरा यह मानना रहा है कि असल शिवसेना अब शिंदे समूह की हो गई है। इतनी बड़ी संख्या में विधायक उनके साथ हैं तो असली समूह वही है। समर्थकों का मनोबल बढ़ाने के लिए भले ही उद्धव ठाकरे कहते रहें कि यह पार्टी उनकी है। अब जो कुछ भी शेष उद्धव ठाकरे के पास है, वह भी आने वाले समय में खिसकता हुआ दिखाई पड़ेगा। क्योंकि अब आयोग ने भी असली शिवसेना शिंदे गुट को मान लिया है। अब शिंदे गुट के पास शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न दोनों हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे नीत गुट के हाशिए पर जाने का खतरा है। सवाल : असली-नकली शिवसेना की लड़ाई आगे किस ओर जाती दिख रही है? जवाब : मामला फिलहाल उच्चतम न्यायलय में है। दोनों पक्षों की ओर से अदालत में यह लड़ाई लड़ी जाएगी। सबकी नजरें उस पर टिकी हैं। इस पर कोई प्रतिक्रिया देना अनुचित होगा। सवाल : उद्धव ठाकरे गुट के लिए आप आगे की राजनीतिक राह कैसी देखते हैं? जवाब : अभी बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) और अन्य नगर निकायों के चुनाव होने हैं। फिर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव भी होंगे। इन चुनावों में उद्धव गुट यदि अच्छा प्रदर्शन करता है और किसी कारणवश शिंदे गुट हाशिए पर चला जाता है तो महाराष्ट्र की राजनीति में एक और बड़ा उलटफेर होगा। उद्धव गुट ने चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया तो महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से उसकी वापसी हो सकती है। अच्छा प्रदर्शन नहीं हुआ तो महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार का दखल समाप्त हो जाएगा। निर्वाचन आयोग ने भले ही फैसला दे दिया। हो सकता है उच्चतम न्यायलय का फैसला भी आ जाए, लेकिन इस पर विराम तो चुनाव ही लगा सकता है। जनता की अदालत में इस बारे में असली फैसला होगा। इसलिए उद्धव के पास बालासाहेब ठाकरे की विरासत को बचाने का एक ही तरीका है कि वह जनसमर्थन हासिल करें। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।