ये हैं, यूपी चुनाव परिणाम को प्रभावित करने वाले 11 मुद्दे

UP Election Results
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 10:29 AM
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यूपी ऐसा राज्य है जहां से लोकसभा और राज्यसभा के सबसे ज्यादा सांसद आते हैं। यूपी, आबादी के लिहाज से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। चीन, अमेरिका और इंडोनेशिया (भारत) को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश की आबादी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से ज्यादा नहीं है। यानी, यूपी का चुनाव दुनिया के ज्यादातर देशों के राष्ट्रीय चुनावों से भी बड़ा है।

इतना ही नहीं, भारत के 14 में से 9 प्रधानमंत्री अकेले उत्तर प्रदेश से आते हैं। आजादी के बाद लगभग छह दशक तक भारत की राजनीति के केंद्र में रहने वाले नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ भी यूपी ही रहा है और फिलहाल, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) यूपी के बनारस (Varanasi) से सांसद हैं।

मंडल की राजनीति की औपचारिक शुरुआत करने वाले वीपी सिंह रहे हों या कमंडल की राजनीति के प्रणेता लालकृष्ण आडवाणी। इन सबकी कर्मभूमि उत्तर प्रदेश ही रही है। यही वजह है कि यूपी चुनाव (UP Election 2022) और इसका परिणाम केवल एक प्रदेश ही नहीं, देश के ज्यादातर हिस्से में कौतुलह पैदा करता है।

कुछ घंटों बाद यूपी चुनाव के नतीजे (UP Election 2022 result) सबके सामने होंगे। चुनाव, आम जनता की राजनीतिक समझ को जानने का सबसे सटीक अवसर होते हैं। इस दौरान हमने गोरखपुर (Gorakhpur) के चौरीचौरा से लेकर मथुरा (Mathura) के विश्राम घाट तक कई शहरों और वहां रहने वालों से यह समझने का प्रयास किया कि आखिर उनके लिए इस चुनाव का मुख्य मुद्दा क्या है।

पहला मुद्दा: बीजेपी (BJP)के धुर समर्थक भी दबे मन से ही सही लेकिन, इस बात से इनकार नहीं कर पाए कि बेरोजगारी, महंगाई और आवारा पशु के चलते आम आदमी की परेशानी बढ़ी है।

दूसरा मुद्दा: योगी सरकार के घोर विरोधी भी यह मानते हैं कि पिछले पांच साल में गुंडा राज कम हुआ है और कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरी है। सड़कें और बिजली की हालत में सुधार हुआ है। गरीबों को आवास और मुफ्त राशन मिला है। किसानों के बैंक खाते में पैसे आए हैं।

तीसरा मुद्दा: चुनाव से ठीक पहले योगी सरकार के कुछ मंत्रियों का इस्तीफा देना और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में शामिल होने जैसी घटना ने अचानक अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का कद बड़ा कर दिया। सरकार के समर्थक और विरोधी, दोनों यह मानने लगे कि इस बार लड़ाई दो-तरफा है और फैसला किसी के भी पक्ष में आ सकता है।

चौथा मुद्दा: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन और लखीमपुर खेड़ी की घटना के बाद लोग यह मानने लगे कि किसान और पश्चिमी यूपी का जाट समुदाय योगी सरकार से नाराज है। आरएलडी (RLD) नेता जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) का अखिलेश यादव से हाथ मिलाना इसका सबसे बड़ा प्रमाण माना गया।

पांचवां मुद्दा: ओमप्रकाश राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान जैसे क्षत्रपों और पिछड़ी जातियों के छोटे-छोटे वर्गों के नेताओं का समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाने के बाद माना जाने लगा कि अखिलेश यादव ने बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग की हवा निकाल दी है। जातियों के इसी समीकरण को साधने के कारण 2017 के चुनाव में भाजपा का मत प्रतिशत 40 के करीब पहुंच गया था।

छठवां मुद्दा: चुनाव की घोषणा से पहले और बाद में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) और इसकी मुखिया मायावती (Mayawati) की कम सक्रीयता के चलते यह माना जाने लगा कि जाटव समाज को छोड़कर अन्य अति-पिछड़े वर्गों का वोट कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में बंट सकता है। इससे भारतीय जनता पार्टी (BJP) की मुसीबतें बढेंगी।

सातवां मुद्दा: योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के दो बयानों ने यूपी चुनाव को दिलचस्प बना दिया। अस्सी-बीस और जून में जनवरी की गर्मी वाले बयानों के बाद यह माना जाने लगा कि बीजेपी ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है। विशेषज्ञों सहित, आम आदमी को भी लगने लगा कि इस बार मुसलमान केवल बीजेपी (BJP) को हराने के लिए एकतरफा वोट डालेंगे। यानी, मुसलमानों के वोट कांग्रेस (Congress), सपा (SP) और बसपा (BSP) में बंटेंगे नहीं और बीजेपी को तो बिलकुल नहीं जाएंगे।

आठवां मद्दा: यह भी धारणा बनती दिखी कि यूपी की जनता किसी भी सरकार को एक से ज्यादा मौका नहीं देती। हर पांच साल पर यहां सरकार बदलती रहती है इसलिए, इस बार भी बदलाव तय है।

नौवां मुद्दा: चुनाव के पहले ओपिनियन पोल (Opinion Poll) और चुनाव के बाद सभी एग्जिट पोल (Exit Poll) के अनुमानों में बीजेपी को बहुमत के सबसे करीब पहुंचने वाली पार्टी बताया गया। साथ ही, समाजवादी पार्टी की सीटों में भी बड़े उछाल का संकेत दिया गया। इससे भी आम लोगों में यह राय बनी कि यूपी में इस बार का चुनाव दो ध्रुवीय है और सरकार किसी की भी बन सकती है।

दसवां मुद्दा: भारत के ज्यादातर राज्यों में चुनाव के दौरान महिलाओं की राय को कम ही जगह मिल पाती है। महिलाएं अपनी राय खुलकर बताती भी नहीं हैं लेकिन, यूपी की कानून व्यवस्था में सुधार के मुद्दे ने सबसे ज्यादा इसी वर्ग को प्रभावित किया है। हालांकि, महंगाई और बेरोजगारी का सीधा असर भी रसोई पर पड़ता है।

महिलाओं के लिए कानून व्यवस्था, महंगाई और बेरोजगारी में से कौन सा मुद्दा सबसे अहम है यह तो नतीजों के बाद ही पता चलेगा। हालांकि, यह तय है कि महिलाओं की अपनी प्राथमिकताएं हैं और ज्यादातर महिलाएं उनके आधार पर ही वोट करने का मन बना चुकी थीं।

पुरुषों में भी एक बड़ा तबका ऐसा है जो आवास, मुफ्त राशन और कैश ट्रांसफर जैसे लाभ को सरकार की उपलब्धि मानता है। बिजली, सड़क और पीने के पानी की बढ़ती पहुंच से भी लोग प्रभावित हैं। इसके बावजूद महंगाई, बेरोजगारी और अवारा पशुओं की समस्या भी उनके लिए चुनावी मुद्दा रहा है। वोट डालते समय कौन सा मुद्दा हावी रहा होगा इसका पता तो 10 मार्च को ही चलेगा।

ग्यारहवां मुद्दा: 2017 के चुनाव के बाद अचानक सीएम बनने के बाद पिछले पांच साल में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपनी एक विशेष छवि बनाई है। गुंडों और माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही के चलते उन्हें 'बुलडोजर बाबा' कहा गया। यानी, एक सख्त प्रशासक के तौर पर खुद को स्थापित करने में सफल रहे हैं। साथ ही, योगी का अपना परिवार न होना, भ्रष्टाचार से दूरी और गेरुआ पहनावे ने उन्हें हिंदुओं के बड़े और ईमानदार नेता के तौर पर स्थापित किया है।

पिछले पांच साल में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपना खुद का प्रशंसक वर्ग तैयार किया है जो उन्हें अगले प्रधानमंत्री के तौर पर देखता है। हालांकि, एक बड़ा तबका योगी की इस छवि से बेहद नाराज दिखता है और इसे कट्टरता को बढ़ावा देने वाला मानता है। कौन सा वर्ग किस पर भारी पड़ेगा, यह तो चुनाव नतीजों के बाद ही स्पष्ट होगा। यूपी के लोग जाति या धर्म के आधार पर बंटे नहीं हैं, ऐसा नहीं कहा जा सकता। हालांकि, अब वोटरों को केवल इन खांचों में बांट कर नहीं देखा जा सकता। शिक्षा के बढ़ते स्तर, इंटरनेट और सूचनाओं की आसान पहुंच ने एक ऐसा वर्ग तैयार किया है जो जाति, धर्म के बजाए सरकारों के प्रदर्शन और असल मुद्दों के आधार पर वोट करने के लिए तैयार है।

इसमें बड़ा तबका युवा लड़के-लड़कियों का है। यह वर्ग चुनाव परिणामों को किसी भी दिशा में मोड़ सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले कुछ चुनावों की ही तरह इस बार भी महिलाओं का वोट ही निर्णायक साबित होने वाला है। इस वर्ग के बारे में अनुमान लगाना आसान नहीं है क्योंकि, आमतौर यूपी-बिहार की ग्रामीण महिलाएं खुलकर बोलने से कतराती हैं।

- संजीव श्रीवास्तव

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UP Election: EVM की मूवमेंट पर अखिलेश यादव के सवाल, EC का आया बयान....

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Akhilesh Yadav Viral Video
locationभारत
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calendar09 Mar 2022 04:02 PM
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Live UP Election: यूपी में चुनाव के नतीजों से पहले EVM (Electronic Voting Machine) की मूवमेंट के मामले पर विवाद खड़ा हो गया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इस मुद्दे को उठाते हुए भारतीय समाज पार्टी को घेरा है। इस बीच चुनाव आयोग (Election commission) ने इस मसले पर सफाई दी है।
चुनाव आयोग (Ec) ने बयान जारी कर कहा है कि, वाराणसी में गाड़ीओ से बरामद की गई EVM मशीने अधिकारियो के लिए मतगणना (vote counting) की ट्रेनिंग के मकसद से लाई गई थी। इन मशीनों का मतदान में इस्तेमाल नहीं किया गया था। चुनाव आयोग ने पत्र जारी कर यह स्पष्टीकरण दिया है। चुनाव आयोग ने बयां में कहा है कि, वाराणसी में 8 मार्च को EVM गाड़ीओ में ले जाने का मामला संज्ञान (Cognizance) में आया है। इस पर राजनीतिक प्रत्याशिओं ने आपत्ति जताई। जिला निर्वाचन अधिकारी (District Electoral Officer) के मुताबिक EVM में मतगणना की ट्रेनिंग के लिए लाई गईं थी। >> यह भी पढ़े:- यूक्रेन में फंसे लोगों को निकालने के लिए रूस ने सीजफायरींग का ऐलान किया मतगणना अधिकारियों के ट्रेनिंग के लिए जिले में 9 मार्च को प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है। इसके लिए ही EVM मंडी में स्थित अलग खाद्य गोदाम के स्टोरेज से ट्रेनिंग स्थल उत्तर प्रदेश कॉलेज ले जायी जा रही थी। 9 मार्च को काउंटिंग ड्यूटी (Counting Duty) में लगे कर्मचारियों की दूसरी ट्रेनिंग में इसका इस्तेमाल किया जाना हसि। हैंड्स ऑन ट्रेनिंग (Hands on Training) के लिए हमेशा इन मशीनो का उपयोग किया जाता है। मशीनो के बारे में राजनीतिक दल (Political Parties) जो भी कह रहे हैं, वह सिर्फ अफवाह है। >> यह भी पढ़े:- यूक्रेन के पहले शहर खेरसोन पर रूस का कब्‍जा, 10 लाख लोगों ने छोड़ा यूक्रेन चुनाव आयोग (Election commission) ने कहा कि मतदान में इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें स्ट्रॉन्ग रूम (Electronic Voting Machine Strong Room) के अंदर सील बंद रखी हैं। ये मशीने केन्द्रीय अर्द्ध सैनिक बलों की 3 लेयर सुरक्षा घेरे में सुरक्षित है। ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल की गईं मशीनो से इनका कोई लेनादेना नहीं है। Strong Room में रखी मशीने CCTV की निगरानी में है। सभी राजनैतिक दलों के उमीदवारों के प्रतिनिधी CCTV कवरेज के जरिए मशीनो पर लगातार 24 घंटे 7 दिन निगरानी कर रहे है। वाराणसी के जिला निर्वाचन अधिकारी / जिला मजिस्ट्रेटने राजनीतिक दलो के प्रतिनिधियो को भी यह जानकारी दी है। >> यह भी पढ़े:- कीव के बाहरी हिस्सों में जलते दिखे घर, रूसी टैंकों के 64KM लंबे काफिले ने डाला घेरा

UP Election अखिलेश यादव ने क्या लगाया आरोप?

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि, चुनाव में धांधली करने की कोशिश की जा रही है। बनारस में ई.वी.एम से लदी 3 गाड़ियां पकड़ी गई थी। 2 गाड़ियां निकल गईं, लेकिन एक को समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओ ने पकड़ लिया।

समाजवादी पार्टी ने की जैमर लगाने की मांग

समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश पटेल ने मुख्य चुनाव आयोग (Chief Election Commission) को पत्र लिख कर काउंटिंग के दिन मतगणना स्थल के पास मोबाइल जैमर (Mobile Jammer) लगाने की मांग की है। उत्तर प्रदेश अध्यक्ष के मुताबिक, अत्यधिक मोबाइल फोन मतगणना स्थल के निकट होने से मोबाइल फोन का दुरुपयोग होगा और किसी प्रकार की हैकिंग की आशंका है. इसलिए चुनाव आयोग मोबाइल जैमर लगाने की व्यवस्था करे।
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UP Election 2022: सपा की नए सर्वे में भाजपा के लिए क्या है भविष्यवाणी ?

UP Election 2022: सपा की नए सर्वे में भाजपा के लिए क्या है भविष्यवाणी ?
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 03:15 AM
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UP Election 2022: आपको बता दे की पांचों राज्यों में मतदान समाप्त होने के बाद जहां एग्जिट पोल में सभी चैनलों ने यूपी में योगी सरकार का फिर से आने का दावा किया जा रहा है तो वही दो सर्वे इस बार यूपी की सत्ता में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने की भविष्यवाणी कर रहे हैं। दरअसल देशबंधु के अलावा एक और सर्वे है, जिसमें यह दावा किया गया है कि इस बार समाजवादी पार्टी को बंपर जीत मिल रही है। जबकि भाजपा को काफी नुकसान हो रहा है। जानिए, क्या कहता है सर्वे ? दरअसल सोमवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के आखिरी और सातवें चरण का मतदान संपन्न होने के साथ ही सभी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं। अब सभी राजनीतिक दलों और दिग्गज राजनेताओं को मात्र 10 मार्च का इंतजार है। वही इस तारीख को मतगणना होगी और सभी की किस्मत का पिटारा खुल जायेगा। ये भी स्पष्ट हो जाएगा कि किस राज्य में किसकी सरकार बना रहा है। हालांकि इससे पहले तमाम चैनलों के एग्जिट पोल सामने आए तो यूपी के लगभग सभी एग्जिट पोल में भाजपा की बंपर जीत का दावा किया गया और बहुमत के साथ यूपी में फिर योगीराज की भविष्यवाणी की गई हैं। लेकिन, दो सर्वे में ये बात निकलकर सामने आई है कि यूपी की सत्ता में समाजवादी पार्टी की वापस हो रही है। 4-पीएम और द पॉलिटिक्स डॉट इन के सर्वे का अनुमान है कि उत्तरप्रदेश में इस बार अखिलेश यादव एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। सर्वे में दावा किया गया है कि समाजवादी पार्टी को यूपी चुनाव में 238 सीटें मिल सकती हैं, वहीं भाजपा महज 157 सीटों में सिमट रही है। वहीं, सर्वे के अनुसार, बसपा को छह और कांग्रेस को एक सीट मिलने का अनुमान है। अन्य के खाते में भी एक सीट जा सकती है। सर्वे में वोटिंग प्रतिशत भी गिरा। आपको बता दे की यही नहीं सर्वे में यह भी दावा किया गया है कि साल 2017 के मुकाबले इस बार भाजपा का वोट प्रतिशत भी गिर रहा है। इस बार भाजपा को 32 प्रतिशत वोट मिल रहे हैं जबकि साल 2017 में भाजपा को 39.67% वोट मिले थे। वहीं सपा का वोट प्रतिशत 21.82% से बढ़कर 41% तक पहुंचने की अनुमान है।