Information : महानगरों में इलेक्ट्रिक बसों का तेजी से इस्तेमाल बढ़ा है। टियर-2 और टियर-3 शहरों में ई-रिक्शा ने डीजल ऑटो का स्थान लेना शुरू कर दिया है।इससे शहरी परिवहन में डीजल की खपत में सीधा असर पड़ा है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में डीजल मांग की ग्रोथ रही सबसे कम
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पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (PPAC) के अनुसार, 2024-25 में डीजल की खपत केवल 2% बढ़कर 91.4 मिलियन टन हुई।
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पिछले दो वर्षों में यह वृद्धि क्रमश: 4.3% और 12.1% रही थी।
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यह आंकड़ा महामारी के बाद की सबसे धीमी वृद्धि है।
स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ता झुकाव
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ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) और क्लीन फ्यूल विकल्पों को तेजी से अपनाया जा रहा है।डिलीवरी सेवाओं में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग बढ़ने से डीजल पर निर्भरता घट रही है।
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लॉजिस्टिक्स और शहरी परिवहन जैसे बड़े क्षेत्रों में यह बदलाव साफ नजर आ रहा है।
वाणिज्यिक वाहनों पर असर
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डीजल की मांग में कमी का मुख्य कारण वाणिज्यिक वाहन जैसे वैन, ट्रक और लाइट कमर्शियल व्हीकल्स में ईवी का उपयोग बढ़ना है।
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प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियां अब डीजल की जगह इलेक्ट्रिक डिलीवरी वाहनों को प्राथमिकता दे रही हैं।
अन्य ईंधनों की खपत का हाल
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पेट्रोल की खपत में 7.5% की वृद्धि दर्ज की गई, जो कुल 40 मिलियन टन तक पहुंच
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एलपीजी की मांग 5.6% बढ़ी और यह 31.32 मिलियन टन हो गई।
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जेट फ्यूल की खपत भी 9% बढ़कर 9 मिलियन टन तक पहुंची।
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इसके विपरीत, नेफ्था और फ्यूल ऑयल की मांग में क्रमशः 4.8% और 1% की गिरावट आई।
समग्र तेल खपत पर नजर
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भारत में कुल पेट्रोलियम उत्पादों की खपत 21% बढ़कर 239.171 मिलियन टन हो गई है।
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हालांकि यह वृद्धि भी पिछले वर्षों की तुलना में धीमी रही है, जो आर्थिक गतिविधियों में नरमी को दर्शाती है। Information :
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