Russia : करीब दस दिन की चुप्पी के बाद रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सार्वजनिक रूप से फिर सामने आए। उन्होंने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से सेंट पीटर्सबर्ग में मुलाकात की। यह बैठक चार घंटे से अधिक चली और इसका मकसद यूक्रेन में चल रहे युद्ध को समाप्त करने की संभावनाओं पर चर्चा करना था। हालांकि बैठक को लेकर उम्मीदें ज्यादा नहीं हैं, लेकिन यह वार्ता वैश्विक स्तर पर एक नई हलचल जरूर पैदा कर रही है।
ट्रंप का दबाव और विटकॉफ की भूमिका
डोनाल्ड ट्रंप ने रूस (Russia) से शांति वार्ता में तेजी लाने की अपील की है। उन्होंने ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा कि रूस को अब देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि हर हफ्ते हजारों लोग इस युद्ध में मारे जा रहे हैं। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर रूस बातचीत के लिए तैयार नहीं हुआ, तो वह उन देशों पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाएंगे जो रूसी तेल खरीदते हैं। विटकॉफ के जरिए यह संदेश पुतिन तक पहुंचाया गया है, और यह इस वर्ष पुतिन और विटकॉफ के बीच तीसरी मुलाकात थी।
रूस की रणनीति और पुतिन की शर्तें
रूस (Russia) का रुख साफ है – वह युद्ध को तभी रोकेगा जब उसकी कुछ बुनियादी मांगें मानी जाएं। इनमें प्रमुख हैं:
- यूक्रेन का नाटो में शामिल न होना,
- यूक्रेनी सेना का आकार सीमित किया जाना,
- रूस द्वारा कब्जा किए गए चार यूक्रेनी क्षेत्रों से यूक्रेन का पीछे हटना।
बता दें कि रूस को विश्वास है कि वह युद्ध में मजबूत स्थिति में है, क्योंकि वह लगभग 20% यूक्रेनी क्षेत्र पर कब्जा कर चुका है।
अविश्वास की दीवार और आगे की चुनौती
यूक्रेन का मानना है कि रूस की शर्तों को स्वीकार करना आत्मसमर्पण जैसा होगा। वह रूस (Russia) पर बार-बार ऊर्जा समझौतों के उल्लंघन का आरोप लगाता रहा है। इसी कारण दोनों देशों के बीच अविश्वास बहुत गहरा है। इस बीच विटकॉफ की कूटनीतिक यात्रा जारी है और वह अगला पड़ाव ईरान के साथ परमाणु नीति पर बातचीत के लिए ओमान में करेंगे। ट्रंप पहले ही ईरान को कड़ा संदेश दे चुके हैं कि अगर वह समझौते के लिए नहीं माना, तो सैन्य कार्रवाई हो सकती है।Russia :
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