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बड़ी खबर: औकात में आया पिद्दी जैसा देश, भारत से मांगी माफी

India-Maldives Row

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India-Maldives Row : भारत के पड़ोस में एक पिद्दी सा (छोटा सा) देश है। इस देश का नाम मालदीव है। मालदीव पूरी तरह से देश न होकर एक समुद्री टापू है। पिछले कुछ दिनों से मालदीव चीन के बलबूते पर भारत को आंख दिखा रहा था। जल्दी ही मालदीव को भारत के सामने अपनी औकात समझ में आ गई है। मालदीव ने भारत से बाकायदा हाथ जोडक़र माफी मांग ली है। मालदीव जैसा पिद्दी सा देश कुछ भी करे भारत पर कोई असर नहीं पड़ता, किन्तु मालदीव का माफी मांगना भारत के लिए गर्व की बात है।

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मलदीव के राष्ट्रपति ने भारत से मांगी माफी

भारत और मालदीव के बीच राजनयिक विवाद जारी है। इसी बीच, मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने मालदीव पर भारत के बहिष्कार के आह्वान के बारे में चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि इसका उनके देश के पर्यटन क्षेत्र पर असर पड़ा है। उन्होंने मालदीव के लोगों की ओर से माफी भी मांगी। बता दें कि नशीद इस वक्त भारत में ही हैं। उन्होंने दोनों देशों के बीच तनाव के बारे में मीडिया से बात की और कहा कि मालदीव के लोगों को “माफ करना”। यह माफी मांगते हुए मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने बाकायदा हाथ भी जोड़ रखे थे।

मीडिया बातचीत में उन्होंने कहा कि,  “बहिष्कार ने मालदीव पर बहुत प्रभाव डाला है, और मैं वास्तव में इसे लेकर बहुत चिंतित हूं। मैं कहना चाहता हूं कि मुझे और मालदीव के लोगों को इसका खेद है।” समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति ने मीडिया से कहा, ”मैं अपनी छुट्टियों पर मालदीव आऊंगा और हमारे आतिथ्य में कोई बदलाव नहीं होगा।” पूर्व राष्ट्रपति ने हाल ही में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की और कहा, “मैं कल रात प्रधान मंत्री से मिला। पीएम मोदी ने हम सभी को शुभकामनाएं दीं। मैं पीएम नरेंद्र मोदी का बहुत बड़ा समर्थक हूं और मैं प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को शुभकामनाएं देता हूं।”

उन्होंने बहिष्कार के लिए जिम्मेदार लोगों को हटाने में वर्तमान राष्ट्रपति द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई की भी सराहना की। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, “मुझे लगता है कि इन मामलों को सुलझाया जाना चाहिए और हमें रास्ता बदलकर अपने सामान्य रिश्ते की ओर लौटना चाहिए।”

ऐतिहासिक संबंधों पर भी विचार करते हुए, नशीद ने पिछली चुनौतियों के दौरान भारत के जिम्मेदार रवैये और व्यवहार को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि, “जब मालदीव के राष्ट्रपति चाहते थे कि भारतीय सैन्यकर्मी चले जाएं, तो आप जानते हैं कि भारत ने क्या किया? उन्होंने अपनी बांहें नहीं मोड़ीं. उन्होंने ताकत का प्रदर्शन नहीं किया।” लेकिन मालदीव की सरकार से बस इतना ही कहा, ‘ठीक है, आइए इस पर चर्चा करें।’ मलदीव के माफी मांगने का साफ मतलब है कि सभ देश भारत की ताकत को जानते व समझते हैं।

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