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Astro Tips : घर में सुख शांति और सफलता के लिए,घर के मंदिर में जरूरी है पंचांग देवों की स्थापना…

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Astro Tips : सनातन धर्म में हर घर में नित्य प्रति पूजा का विधान है, और जिस घर में नित्य पूजा होती है वह घर देवालय के सामान बन जाता है। लेकिन पूजा का सही विधान क्या है ,घर घर के मंदिर में किस देवता की पूजा करनी चाहिए। क्या तीन मूर्तियों की स्थापना घर के मंदिर में हो? क्या घर में शिवलिंग की पूजा की जा सकती है या शालिग्राम रखा जा सकता है?
ऐसे तमाम प्रश्नों को लेकर बहुत से लोग एक दूसरे को बिना जाने सलाह देते रहते हैं और कहते हैं शिवलिंग की पूजा तो मंदिर में ही होनी चाहिए… या फिर घर में शालिग्राम रख सकते हैं या नहीं ,एक से ज्यादा रख सकते हैं या एक ही रखें? जब ऐसी बातें सामने आती हैं तब हमें सनातन धर्म की पूजा विधान की जानकारी लेने की आवश्यकता हो जाती है। क्योंकि जितने विचार  उतने मत। इसलिए क्यों ना हम पूजा विधान की जानकारी किसी विद्वान के जरिए ही जाने…

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पूजा के सही विधान 

पूजा के सही विधान, मूर्तियों की स्थापना और किस मूर्ति और देवता के पूजन से आपकी होती है सारी मनोकामनाएं पूर्ण? इस बारे में प्रख्यात पंडित सुरेश पांडे जी का कहना है कि घर के मंदिर में आमतौर पर कुछ लोग भगवान की तमाम तरह की मूर्तियां रख लेते हैं लेकिन वह यह नहीं जानते की पूजा की सफलता और उसके सही फल के लिए हम अपने मंदिर में कौन सी मूर्ति रखें। कभी-कभी तो कुछ लोग बड़ी अज्ञानता से अपने मित्रों को जानकारी  देते हैं अरे यह तुमने शिवलिंग घर में क्यों रख रखा है ,घर में तो शिवलिंग की स्थापना होनी ही नहीं चाहिए। उन्हें स्वयं को यह जानकारी नहीं होती की पूजा के सही विधान के लिए घर के मंदिर में क्या हो और क्या नहीं।
पंडित सुरेश पांडे जी कहते हैं पंडित वही है जो ऋग्वेद उपनिषद या प्राचीन ग्रंथो से ज्योतिष और पूजा का सही विधान जानता हो क्योंकि अनपढ़ पंडित से पूजा के बारे में जानकारी लेने या पूजा करने का कोई अर्थ नहीं है। हम आपको बता दें की शिव शक्ति के स्वरूप है और शिवलिंग सृष्टि का सूचक हैं भला हम शिवलिंग की पूजा घर में क्यों नहीं कर सकते। हां हम कितने आकार का शिवलिंग घर में रखें यह जानना जरूरी है।

घर के मंदिर में शिवलिंग का आकार हो छोटा

घर के मंदिर में शिवलिंग का आकार अंगूठे के बराबर छोटे साइज का होना चाहिए। और घर के मंदिर में नित्य प्रति सफाई करके दूध जल अक्षत आदि से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
आइये पूजा संबंधित तमाम बातों की जानकारी करते हैं इस लेख में….

मंदिर का सही स्थान:

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सनातन धर्म के मुताबिक मंदिर का सही स्थान ईशान कोण में माना जाता है और इसमें अलग-अलग देवी देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। मंदिर का ईशान कोण में स्थापना और पूर्व की तरफ मंदिर का मुंह होना शुभ माना जाता है और मूर्तियों का मुख पश्चिम की तरफ होता है।

मंदिर का सही स्थान और मूर्तियों की संख्या

 मंदिर में पांच देवों की मूर्तियां स्थापित की जानी चाहिए….
मंदिर में पंचांग देव की स्थापना का महत्व है।  सनातन धर्म में हमें पांच देवताओं को अवश्य अपने मंदिर में स्थापित करके रखना चाहिए , उनकी नित्य पूजा करनी चाहिए। हिंदू धर्म में हम इन्हें पंचांग नाम से जानते हैं जिसमें गणेश गौरी विष्णु सूर्या दुर्गा पूजा करने का महत्व है। इसके अलावा हम अपने मंदिर में श्री राम दरबार ,श्री कृष्णा, राम भगवान, गणेश, सरस्वती मां, लक्ष्मी ,शिवलिंग की विधिवत दिशा के अनुसार स्थापना कर सकते है।

घर के मंदिर में गणेश की एक ही प्रतिमा होनी चाहिए

भगवान की दो दो मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए, खंडित मूर्तियों को भी नहीं रखना चाहिए। मंदिर को नित्य प्रति सफाई के साथ भगवान की पूजा करनी चाहिए।

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मंदिर में दो शिवलिंग नहीं होने चाहिए

घर के मंदिर में -दो शिवलिंग नहीं होने चाहिए और उनका आकार भी बड़ा नहीं होना चाहिए सनातन धर्म के अनुसार घर के मंदिर में छोटा सा लगभग अंगूठे की आकार का शिवलिंग रखने का विधान है। शिवलिंग की पूजा विधिवत दूध दही गंगाजल अक्षत आदि अर्पित करके भगवान शिव की पूजा करना चाहिए । जिस घर में शिव और पंचांग देव की पूजा होती है वह घर देवालय  हो जाता है , वहां सुख समृद्धि बनती है और भाग्य का उदय होता है ।

 एक से अधिक शालिग्राम नहीं होने चाहिए

उसी तरह घर के मंदिर में एक से अधिक शालिग्राम नहीं होना चाहिए । शालिग्राम भगवान विष्णु जी को अत्यंत प्रिय है ,शालिग्राम की पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है लेकिन शालिग्राम छोटे आकार में और एक ही स्थापित किया जाना चाहिए।

घर में कलह है तो अपने मंदिर में रखे राम दरबार की मूर्तियां…

अगर घर में बिना वजह किसी न किसी बात पर कलह होती रहती है, घर के सदस्यों  के बीच बिना मतलब बहस बाजी होती है और सुख शांति नहीं रहती। तब घर में राम दरबार की मूर्ति अवश्य लगाना चाहिए, राम दरबार की मूर्ति लगाने से कलह दूर होती है।

दो से ज्यादा शंख ना रखें

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घर के मंदिर में दो से ज्यादा शंख नहीं रखना चाहिए एक शंख बजाने वाला और एक दक्षिणावर्ती शंख रखा जा सकता है।

कभी ना दिखाएं किसी को अपना पूजा घर

अपना पूजा घर किसी बाहर के व्यक्ति को कभी नहीं दिखना चाहिए और घर के सभी व्यक्ति मिलकर घर में पूजा करें तो भाग्य का उदय होता है। सुबह शाम अगर घर में धूप दीप के साथ पूजा की जाती है ऐसे घर में कभी कष्ट नहीं आते और सकारात्मक ऊर्जा बनती है। प्रभु के स्मरण मात्र से दरिद्रता और दुख दूर होते हैं प्रभु के स्मरण से हम अपनी किस्मत के सितारे चमका सकते हैं।

कैसी हो पूजा की थाली

पूजा की थाली हमेशा चांदी या पीतल की होनी चाहिए । तांबे या लोहे की थाली में कभी भी पूजा नहीं करनी चाहिए। तांबे के बर्तन में सिर्फ जल रख सकते हैं तांबे के बर्तन में भूल कर भी पंचामृत या अन्य कोई खाने का पदार्थ नहीं रखना चाहिए।

 देवताओं का आवाह्न

देवताओं का गंगाजल से पांच बार आचमन किया जाता है। और पितरों का सिर्फ एक बार श्राद्ध के दिनों में किया जाता है। स्मरण रखें कुशा केअग्र भाग से कभी भी जल नहीं छिड़कना चाहिए। पूजा में कोष के मध्य भाग से जल छिड़का जाता है। पूजा करने के बाद घर में गंगाजल या पांच नदियों का जल छिड़कते हैं । पूजा में पांच नदियों के जल से पूजा विधान है लेकिन गंगाजल अपने आप में संपूर्ण है ।

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देवी देवताओं का आवाहन..

घर में जब हम नित्य प्रति पूजा करते हैं या प्रभु को प्रसन्न करने के लिए कथा हवन करते हैं तो, हवन ,यज्ञ, पूजा, धूप, दीप देवताओं से आमंत्रित करके उन्हें प्रसाद खिलाकर, प्रसाद अर्पित किया जाता है। इसके उपरांत बाद घर में धूप दीप के साथ गंगाजल छिड़कना चाहिए । गंगा के दर्शन मात्र हमारे सभी दोष दूर होते हैं यही नहीं गंगा के पानी में स्नान करने से ,गंगा के जल को प्रयोग में लाने से तमाम तरह शारीरिक व्याधि और बीमारियां दूर होती हैं। गंगा के जल में औषधीय गुण होते हैं।

पंचामृत और अक्षत का प्रयोग…

मांगलिक कार्यों में सबसे पहले हम भगवान को और पंडित जी को कुमकुम का तिलक लगाते हैं और फिर अक्सर चावल हल्दी रोली और अक्षत से टीका लगाकर उनका अभिनंदन करके धूप दीप से पूजा करके उनको स्नान कराते हैं। तब हम उन्हे आमंत्रित करते हैं । उस समय उन्हें फल फूल आदि का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके साथ ही पूजा में अक्षत चावल का प्रयोग आवश्यक माना गया है। पूजा में टूटे हुए चावल नहीं प्रयोग करने  चाहिए। अक्षत का मतलब होता है जो चावल का दाना टूटा हुआ ना हो और पूर्ण हो।

पूजा में प्रयोग आने वाली कैसी हो माला…

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रुद्राक्ष : पूजा में प्रयोग करने के लिए रुद्राक्ष तुलसी और चंदन की माला को उत्तम माना गया है । रुद्राक्ष की पूजा शिव को प्रसन्न करने के लिए की जाती है।
तुलसी की माला : पूजा भगवान श्री कृष्णा और भगवान श्री राम को प्रसन्न करने के लिए की जाती है।
चंदन की माला: देवियों की पूजा के लिए प्रयोग में लाई जाती है।
कमल गट्टे की माला : धन की देवी महालक्ष्मी जी की पूजा के लिए अति उत्तम मानी गई है महालक्ष्मी को कमल का फूल कमल गट्टे की माला अति प्रिय है।
लाल चंदन की माला : महाकाली को प्रसन्न करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है।

अगर हम माला जाप करते हैं और एक से अधिक बार करते हैं तो उसे दोबारा वहीं से शुरू नहीं करना चाहिए, बल्कि माला को पलट लेना चाहिए। अन्यथा उसका फल नहीं मिलेगा।
खुली माला का जाप…
खुली माला का जाप करने के बारे में अलग-अलग विचार हो सकते हैं। हालांकि सनातन धर्म में माला को एकाग्र मन से जपना चाहिए। हरे राम हरे कृष्णा वाले तो माला जप में खुली माला का जाप नहीं करते, बल्कि कपड़े की थैली में माला वाले हाथ को रख कर धीरे-धीरे माला को अंगूठे से खिसकाते रहते हैं। कुछ लोग अपना जीवन पूरी तरह से माला जप में लगा देते हैं और सार्वजनिक स्थानों पर भी माला का जाप करते हैं।

पूजा अर्चन के बाद सूर्य और तुलसी को जल चढ़ाना चाहिए…
नित्य प्रति पूजा के बाद अक्षत और गंगाजल दूध आदि से मिले जल को सूर्य और तुलसी को अर्पित करना चाहिए। सूर्य ऊर्जा का प्रतीक है सूर्य के दर्शन मात्र से हमारे अंदर सकारात्मक आती है वह हमारे लिए शुभ फलदाई है। सूर्योदय के समय सूर्य को जल चढ़ाने से भगवान सूर्य का विशेष आशीर्वाद मिलता है। और हमें सफलता और यश प्राप्ति के लिए भगवान सूर्य का स्मरण हमें अवश्य करना चाहिए।
घर के मंदिर में ना हो ये मूर्तियां…
घर के मंदिर में भगवान शनि राहु केतु की मूर्तियां रखने से बचना चाहिए। क्योंकि इनकी पूजा विधान काफी कठिन है। राहु,केतु ,शनि की पूजा के लिए हमें मंदिर में ही जाना चाहिए।
अगर हम चाहते हैं महालक्ष्मी की अपार कृपा…
अगर हम अपने जीवन में दुख दरिद्रता को दूर कर महालक्ष्मी की अपार कृपा चाहते हैं तो हमें 1000 कमल की गट्टे की माला और ललित सहस्त्रावली पाठ के साथ अष्टमी के दिन एक-एक करके 1000 फूल चढ़कर महालक्ष्मी को अर्पित करने चाहिए। और स्फटिक के यंत्र को भी मंदिर में रखना चाहिए।
शिवलिंग की पूजा..
जब हम घर में शिवलिंग की पूजा करें बेलपत्र पुष्प दूध दही गंगा जल के साथ हमें शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। इससे भगवान शिव की अपार कृपा मिलती है। अगर अगर बेल पत्र की ना मिल पाए तो आप रात के लाए हुए बेलपत्र भी चढ़ा सकते हैं वह बेलपत्र बासी नहीं होते उन्हें धोकर साफ करके जल के साथ शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
हमारी सनातन धर्म वेद ऋग्वेद उपनिषद रामायण भागवत सभी में पूजा के विधान का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। सनातन धर्म में आंखें खोलते ही हम प्रभु का स्मरण करते हैं इसके बाद हम स्नान आदि से निवृत होकर सूर्य के दर्शन करके नित्य प्रति पूजा करते हैं घर के द्वार पर अधिक ही का दिया जलाते हैं । तुलसी और सूर्य को जल चढ़ाते हैं इस सभी के पीछे धार्मिक महत्व के अलावा वैज्ञानिक और औषधि दोनों ही प्रकार का महत्व पूजा में समाहित है। नित्य प्रति पूजा करके हम अपने बच्चे और परिवार के लिए पीढ़ियों तक भाग्योदय कर सकते हैं । अपनी किस्मत का ताला खोल सकते हैं । प्रभु का विशेष वरदान पा सकते हैं। नकारात्मकता को दूर करके अपने आभामंडल पर अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं ।और हम सफलता की बिंदु को छू सकते हैं। समस्या दुख दरिद्रता या कर्ज की जी अथवा आपसी कल है कि हम इन छोटी-छोटी सभी समस्याओं पर नृत्य प्रति पूजा से पर प्रकार अपनी मनोकामनाओं की सिद्धि कर सकते हैं। इसके अलावा विशेष पूजा कभी सनातन धर्म में स्थान है हमारे सनातन धर्म में तमाम तरह की पूजा है। नित्य पूजा के अलावा अनुष्ठान पूजा है या किसी भी मनोकामना सिद्धि के लिए तमाम तरह की पूजा की जाती है।

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घर बनाने की मनोकामना सिद्धि के लिए…
अगर किसी का घर नहीं बन रहा तो उन्हें अपने घर के मंदिर में भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित करके उनकी मूर्ति के नीचे अपने पसंद का सुंदर सा घर का नक्शा बनवाकर रख देना चाहिए । और आप मनोकामना सिद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद मिलता है और शीघ्र घर बनाने की इच्छा पूर्ण होती है। अगर किसी के संतान नहीं है, शादी में हो रही हो देरी तो शिव की पूजा करें…
किसी की शादी में देरी हो रही है किसी को काम करने की बावजूद उसका फल नहीं मिल रहा तो इसके लिए भी अलग-अलग पूजा का प्रावधान है। सामान्यत: सभी जानते हैं की परिवार की सुख समृद्धि और मनचाहा पति पानी के लिए सोमवार के दिन शिव की पूजा की जाती है
गणेश जी का आशीर्वाद पानी के लिए बुद्ध के दिन पूजा का प्रावधान है। बृहस्पतिवार के दिन बृहस्पति देव को प्रसन्न करके हम अपना सौभाग्य प्राप्त करते हैं। और शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा करके हम अपने ग्रह चाल को अपने अनुरूप बना सकते हैं। कुंडली में अगर कोई दोष है तब कुंडली में दोष दूर करने के लिए भी विभिन्न प्रकार की पूजा बताई गई है। पूजा का संबंध हमारे शरीर के स्वास्थ्य और जीवन से जोड़ा गया है। नवग्रह की शांति भी हमारे शरीर के अनुरूप की जाती है। हमारे शरीर और नवग्रह की संरचना में समानता है।
पूजा के बाद दक्षिणा का विधान…

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पूजा के बाद पान के पत्ते पर सुपारी रखकर हमें पंडित को दक्षिणा देनी चाहिए। दक्षिणा आप अपनी श्रद्धा से दें। दक्षिणा किसी की जिद पर या बार-बार मांगने पर नहीं देनी चाहिए बल्कि दक्षिणा अपनी श्रद्धा से ही दी जाती है। श्रद्धा से दी गई दक्षिणा से शुभ फल मिलता है।
अगर आप अपने जीवन में सफलता पाने के लिए बहुत जूझ रहे हैं महा लक्ष्मी की कृपा नहीं हो पाती, आपसी मतभेद के कारण घर में कलह रहती है, कोई बीमारी या कष्ट सताता है तो आप अपने घर में नित्य प्रति पूजा अवश्य करें। प्रभु की इच्छा से सभी कष्ट दूर होकर मनुष्य अपने भाग्योदय कर सफलता को प्राप्त करता है । और घर में सुख शांति समृद्धि ऐश्वर्य और यश की प्राप्ति होती है। हम पूजा के सही विधि विधान से अपनी कई पीढियां के लिए उनके भाग्य का निर्माण कर सकते हैं।

मीना कौशिक

Rudraksh Benefit: इन नियमो को जान कर सावन में पहने रुद्राक्ष,स्वास्थ्य और धन के लिए होता है फायदेमंद

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