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Bhanu Saptami 2023: भानु सप्तमी कब है और क्यों की जाती है इस दिन सूर्य देव की पूजा

Bhanu Saptami 2023: When is Bhanu Saptami and why Sun God is worshiped on this day

Bhanu Saptami 2023: When is Bhanu Saptami and why Sun God is worshiped on this day

Bhanu Saptami 2023:  भानु सप्तमी का पर्व हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. इस वर्ष भानु सप्तमी का पर्व 25 जून 2023 के दिन संपन्न होगा. भानु का एक अर्थ सूर्य से है अत: सूर्य देव को समर्पित यह दिन भानु सप्तमी के रुप में मनाया जाता है. सप्तमी तिथि का समय सूर्य उपासना के लिए बहुत ही शुभ माना गया है. सप्तमी के दिन सूर्य का पूजन करने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है. सूर्य देव की पूजा द्वारा व्यक्ति को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं जिनमें से एक विशेष लाभ स्वास्थ्य का होता है. स्वास्थ्य के लिए यह समय बेहद उत्तम माना गया है.

Bhanu Saptami 2023:

 

भानु सप्तमी का समय रोगों से सुरक्षा प्रदान करने वाला माना गया है. इसी के साथ सूर्य पूजा द्वारा मान सम्मान प्राप्ति एवं यश में वृद्धि के योग को भी दर्शाता है. हिंदू धर्म में भानु सप्तमी का विशेष महत्व है. भानु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. इस दिन पानी में खड़े होकर आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने से कई रोग दूर होते हैं.

देश भर के सूर्य मंदिरों में होती है पूजा 
इस भानु सप्तमी के अवसर पर देश भर में मौजूद सूर्य मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. देश में मौजूद प्रसिद्ध सूर्य मंदिर जैसे उलार्क सूर्य मंदिर, कोणार्क सूर्य मंदिर, मोदेरा का सूर्य मंदिर, महोबा का सूर्य मंदिर, कश्मीर में स्थित मार्तंड मंदिर इत्यादि में इस समय पर विशेष पूजा का आयोजन होता है. सूर्य पूजा के साथ इस समय पर कई स्थानों पर विशाल भंडारों एवं मेलों का आयोजन भी किया जाता है. इसके अलावा नदियों में स्नान दान की परंपरा का भी इस दिन निर्वाह किया जाता है.

भानु सप्तमी के विभिन्न रुप 
भानु सप्तमी अषाढ़ माह में आने वाली विशेष सप्तमी है लेकिन इसी के साथ प्रत्येक माह के दौरान आने वाली सप्तमी को सुर्य के अल्ग अलग रुपों से भी पूजा जाता है, इसमें से माघ मास की  सप्तमी को सूर्य सप्तमी, अचला सप्तमी, रथ आरोग्य सप्तमी के नाम से जाना जाता है.  मार्गशीर्ष माह की सप्तमी मित्र सप्तमी कही जाती है, भाद्रपद माह की सप्तमी पुत्रदा सप्तमी के रुप में मनाई जाती है. इसी प्रकार सप्तमी तिथि के दिन सूर्य देव के विभिन्न नामों के द्वारा उनका पूजन होता है.

भानु सप्तमी पूजन विधि
25 जून को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाने वाला भानु सप्तमी व्रत सूर्य उपासना के साथ आरंभ होगा. इस वर्ष भानु सप्तमी के दिन शुभ एवं विशेष संयोग बन रहा है. इस बार यह त्यौहार रविवार के दिन ही पड़ रहा है अत: सूर्य देव के समय पर ही सूर्य सप्तमी का दिन पड़ने से इसकी शुभता में कई गुना वृद्धि प्राप्त होगी. अब इस समय पर भगवान सूर्य की पूजा का लाभ उठाना और भी सहज होगा. इस समय पर प्रात:काल समय उठ कर स्नान इत्यादि कार्यों से निवृत होकर तांबे के बर्तन में हल्दी, गुड़, चंदन, लाल पुष्प डालकर भगवान सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए तथा संपूर्ण दिवस भवगान के नाम का जप करते हुए इस शुभ दिन को व्यतीत करना चाहिए. भगवान भानु की भक्ति भाव के साथ की गई पूजा भक्तों के समस्त कष्टों को दूर कर देने वाली होती है.

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भानु सप्तमी पूजा का महत्व 
भानु सप्तमी के दिन पर्व हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन पर सूर्य पूजा हेतु विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं. भानु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति को कई तरह के विकारों से मुक्ति प्राप्त होती है. सूर्य को ज्योतिष अनुसार दिल, हड्डीयों तथा नेत्र का कारक माना गया है. इस कारण से यदि इन चीजों से व्यक्ति अस्वस्थ है तो उसे इस दिन सूर्य पूजा अवश्य करनी चाहिए ऎसा करने से व्यक्ति को शुभ सकारात्मक फलों की प्राप्ति होती है. इसके अलावा त्वचा, पेट और आंखों के रोगों से मुक्ति भी प्राप्त होती है.

आचार्या राजरानी

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